14-04-2020, 07:29 AM
(This post was last modified: 14-04-2020, 08:17 AM by Poonam_triwedi. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(13-04-2020, 08:28 PM)Niharikasaree Wrote: पूनम जी,निहारिका जी ये बिल्कुल सही कहा है आप ने
क्या कहु, यह करना तो एक रूटीन हो गया है, सबकी नज़र बचा के , कमर मैं चुटकी काटना और जोबन को दबाना इनका पसंदीदा काम है, वो भी किचन मैं, जब बर्तन करते हुए , या छोंक लगते हुए , जब हम कुछ कर पाए. बस जोर से "ऊई माँ" फिर उससे भी तेज़ "कुछ नहीं हुआ", फिर सबको समझ आ जाता है, की लाडले बेटे ने ही कुछ किया होगा।
"ये प्याजी न हुआ पियाजी का हो गया !!
बिल्कुल सही एक दम सही"
यह तो सीधी मन की बात हो गयी, आपके और मेरे। एक रेड साड़ी है मेरी, एक पंचकूटा , जिसमे बैकलेस ब्लाउज है, बस जिस दिन वो पेहेन ली , " पीछे" से अटैक होना ही है, आगे पीछे चक्कर लगते रहते हैं, जैसे ही मौका मिले, चुटकी कमर पर या जोबन पर हमला।
बैकलेस पीठ पर तो अनगिनत चुम्बन तो जाते हैं, चलते - फिरते , और रात को ,..........
और रात को, दिन भर तड़पने की सजा , और उस सजा मैं मज़ा.
आपके। ....
अगर प्याजी लहंगा पहना हो तो पूरे दिन खेर नहीं फिर
चिकोटी काटना,दरार में उंगली रगड़ देना
चपत लगा देना खिंच के ऊफ़्फ़
दिन भर में ही मूड बना देंगे हमारा
ओर ज्यादा हुआ तो कही एकांत में ले जा कर कस के बाहों में भीचं के चुमा चाटी ओर फिर दर्शन प्यार से नहीं मानीं हम तो उन के अपने तरीके से ऊपर तो करवा ही देंगे
उईं मा ओह्ह ऊफ़्फ़ छोड़ो ना ये तो दिन भर करना पड़ता है ना कोई ऑफिस जाना ना ओर कोई चिंता सिर्फ हम पे नजर दिन भर
ओर बिल्कुल फिर रात रात भर धक्के वो भी एक दम पिच्छे से कस कस के झेलने पड़ते है
इस मीठी सजा में बहुत मजा तो आता है पर अब तो थकान रहने लगी है बहुत
काम काज बढ़ जो गया है पर रात को दिल मचल ही जाता है फिर भी ऊफ़्फ़ ये आग
कोमल जी देखेंगी तो पता नहीं कितनी बातें सुनाएंगी ये सब यहाँ बंद करो
पर वो नहीं आये तब तक ये लास्ट बस एक दम अंतिम