13-04-2020, 08:28 PM
(13-04-2020, 07:38 PM)Poonam_triwedi Wrote: बिल्कुल निहारिका जी
साड़ी तो खिंच देंगे जबरदस्ती
फिर बाहों में लेके आराम आराम से सहलाते पुचकारते प्यार से सहलायेंगे लहंगे के ऊपर से कभी चिकोटी कभी सहलाना ओर फिर खिंच के सटाक ओर मजाल जो हम छूट जाएं ऊपर से खूंटा सीधे ठिकाने पे
हाथों से ऊपर की रगड़ाई खूंटे से पीछे की रगड़ाई ओर हमारी हालत खराब टपकती रहती है खड़ी खड़ी ओर वहाँ बिल्कुल नहीं छुयेंगे बहुत हलाल होता है हमारा
ये प्याजी न हुआ पियाजी का हो गया !!
बिल्कुल सही एक दम सही![]()
पूनम जी,
क्या कहु, यह करना तो एक रूटीन हो गया है, सबकी नज़र बचा के , कमर मैं चुटकी काटना और जोबन को दबाना इनका पसंदीदा काम है, वो भी किचन मैं, जब बर्तन करते हुए , या छोंक लगते हुए , जब हम कुछ कर पाए. बस जोर से "ऊई माँ" फिर उससे भी तेज़ "कुछ नहीं हुआ", फिर सबको समझ आ जाता है, की लाडले बेटे ने ही कुछ किया होगा।
"ये प्याजी न हुआ पियाजी का हो गया !!
बिल्कुल सही एक दम सही"
यह तो सीधी मन की बात हो गयी, आपके और मेरे। एक रेड साड़ी है मेरी, एक पंचकूटा , जिसमे बैकलेस ब्लाउज है, बस जिस दिन वो पेहेन ली , " पीछे" से अटैक होना ही है, आगे पीछे चक्कर लगते रहते हैं, जैसे ही मौका मिले, चुटकी कमर पर या जोबन पर हमला।
बैकलेस पीठ पर तो अनगिनत चुम्बन तो जाते हैं, चलते - फिरते , और रात को ,..........
और रात को, दिन भर तड़पने की सजा , और उस सजा मैं मज़ा.
आपके। ....
इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका



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