13-04-2020, 07:38 PM
(13-04-2020, 02:22 PM)Niharikasaree Wrote:पूनम जी,
सच, बिल्कुल कोमल जी बहुत से किस्से फिर से जीवंत कर देती है फिर , "गीला" होना तो लाज़मी ही है, एकदम मादक।
"ओर प्याजी लहंगा है मेरे पास भी ओर एक नहीं कई बार उन्होंने TV रूम में बैडरूम में अपनी गोदी में बिठाया है और मस्ती की है"
सच कहु तो , "प्याज़ी" लेहेंगा तो " पीछे" से अटैक करवाता है, नहीं पाते, "पीछे" नरम - गरम गोल - मटोल पे चिमटी काट केना, चपत लगा देना, "वो" रगड़ देना , और रात को तो, मान लो JCB चलनी है, जिस दिन इसे पहन लिया
क्या ख़ास है, "इस प्याज़ी" कलर मैं ,
यह "प्याज़ी" न हुआ "पिया जी " का हो गया।
"कभी कभी लगता है कहीं उन्होंने पढ़ लिया तो हाय राम नहीं नहीं" - पूनम जी,
दिल पीछे - धड़कन आगे कर दी आपने, हम मैं से किसी के "उन्होंने" अगर पढ़ ली, कोमल जी की कहानी , या हमारी बांते , न जाने क्या होगा हमारा, फिर तो JCB भी कम, पड़ेगी "काम" के लिए अभी क्या कम हो रही है। .....
राम नाम लो , बस।
इंतज़ार रहता है , आपकी बातो का.
बिल्कुल निहारिका जी
साड़ी तो खिंच देंगे जबरदस्ती
फिर बाहों में लेके आराम आराम से सहलाते पुचकारते प्यार से सहलायेंगे लहंगे के ऊपर से कभी चिकोटी कभी सहलाना ओर फिर खिंच के सटाक ओर मजाल जो हम छूट जाएं ऊपर से खूंटा सीधे ठिकाने पे
हाथों से ऊपर की रगड़ाई खूंटे से पीछे की रगड़ाई ओर हमारी हालत खराब टपकती रहती है खड़ी खड़ी ओर वहाँ बिल्कुल नहीं छुयेंगे बहुत हलाल होता है हमारा
ये प्याजी न हुआ पियाजी का हो गया !!
बिल्कुल सही एक दम सही