12-04-2020, 02:37 PM
(This post was last modified: 13-08-2021, 12:38 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
" प्लीज ,इंसर्ट पेनिस .... "
प्यार से शहद घुली आवाज में गुड्डी उनसे बोली ,
" भईया ,पेप्सी ,आफ कोर्स। " "
और मेरे गुलाबी होंठों पर मुस्कराहट थिरक उठी।
शरारत से मैंने आँखे नचाते हुए उसके भइया को कोंचा।
" हे जरा अपनी छुटकी बहिनिया से , गुड्डी रानी को तनी पेप्सी का फुल फ़ार्म तो समझा दो। "
बस उनके मुंह पे तो जैसे किसी ने गुलाल पोत दिया हो , ऐसे शर्माए जैसे
गौने की रात के बाद किसी नयी बहुरिया से उसकी ननद जेठानी ने रात का हाल पूछ लिया हो।
यही उनमे एक खराब बात थी ,शरम ,बिना बात की झिझक ,
अरे लौंडिया अभी जिसका इंटर का रिजल्ट भी नहीं निकला हो ,कैसे ठसक से इनके मोटे खूंटे पे बैठी है ,
और ये लौंडिया माफिक शर्मा रहे हैं।
गनीमत हो मेरी जेठानी का और ननदिया का ,
" बोलो बोलो न देवर जी "
जेठानी जी ने उकसाया।
बिना जाने समझे मेरी ननद भी बोल उठी ,
" हाँ भैय्या बोल न "
" प्लीज इंसर्ट ,.. " और ये इतना बोल के रुक गए।
" पूरा बोलो न अब तो गुड्डी खुद ही पूछ रही है "
मैंने घूर के उन्हें देखते हुए बोला और एक झटके में वो पूरा बोल गए
," प्लीज ,इंसर्ट पेनिस स्लोली "
" अरे का इतनी जल्दी जल्दी बोल गए गबड़ गबड़ मैंने सुना ही ठीक से बोल न जोर से और जरा जरा धीरे धीरे। "
जेठानी जी चढ़ बैठीं।
बिचारे ,कोई रास्ता नहीं बचा बोला उन्होंने फिर से।
" प्लीज ,.... इंसर्ट ,.... पेनिस ,... स्लोली। "
अब गुड्डी के शर्माने की बारी थी और मेरी और जेठानी जी के खिलखिलाने की।
मुश्किल से हंसी रुकी और मैंने अपनी ननद रानी से पूछ लिया ,
" तो गुड्डी तू क्या बोल रही थी , भइय्या पेप्सी ,मतलब , भइय्या प्लीज इंसर्ट पेनिस स्लोली। "
और मैं फिर खिलखिलाने लगी ,लेकिन जेठानी जी छुटकी ननदिया की बचत में आ गयीं।
" अरे तो गुड्डी कौन गलत कह रही है ,इत्ता मोटा लम्बा खूंटा कतौं मारे जोश के एक झटके में , इहै तो कह रही थी ,
न भैय्या तानी धीरे धीरे डलिहा , एक़दाम कुँवार कसी कच्ची हौ , मना थोड़े कर रही है इनको। "
और मैंने एक फेवरिट भोजपुरी गाना गुनगुनाया , जोर जोर से ,
" तानी धीरे धीरे डलिहा बड़ा दुखाला रजऊ। अरे तनी धीरे धीरे , .... "
लेकिन जेठानी जी की बात ख़तम नहीं हुयी थी वो अपने देवर ,ननद को समझाते बोलीं
"हाँ एक बात हमार मान लो गुड्डी ,
पहली बार कडुवा तेल, खूब अच्छी तरह इनके भी और अपनी बिलियों में अंगूरी डाल डाल कर , देखना एकदम सटासट जाएगा "
मेरा तो प्लान था गुड्डी की सील सूखे तुड़वाने का , बहुत हुआ तो दो चार बूँद थूक वो भी खाली सुपाड़े के मुंह पर ,
लेकिन अब जेठानी जी बड़ी हैं उन्ही की बात,... कडुआ तेल ही सही।
लेकिन अब गुड्डी जोर से शर्मा रही थी तो मैंने टॉपिक चेंज कर दिया।
और जा के उस के पास खड़ी हो गयी।
सच में जो 'गलती ' से रमोला मैंने अपनी ननद रानी के छोटे छोटे उभारों पर गिराया था ,
उस का पैच साफ साफ़ उसकी खूबसूरत प्याजी कमीज़ पे पड़ गया था ,
और रगड़ने से बजाय सूखने के वो और फ़ैल गया था।
कमीज देह से चिपक गयी थी , जोबन के उभार कटाव तो छोड़िये ,निपल तक एकदम साफ़ साफ़ ,...
उस कच्ची अमिया के टिट्स देख कर तो मेरी हालत खराब हो रही थी , न जाने वो बिचारे कैसे सम्हाल रहे होंगे अपने को।
" यार तू तो सच में एकदम गीली हो गयी है "
, गुड्डी के उभारों के चारो ओर ऊँगली से हलके हलके दबाते मैं बोली,
और एक झटके में अंगूठे और तर्जनी के बीच उस किशोरी के मटर के दाने ऐसे टिट्स को दबा के रोल करने लगी।
" उतार जल्दी इसे न वरना तेरी इत्ती प्यारी कमीज भी खराब हो जायेगी और तुझे भी जुकाम हो जाएगा , और कहो तो मैं ही खोल दूँ "
मेरा दूसरा हाथ उसके बटन तक पहुँच गया ,
" नहीं भाभी कैसे ,ओह्ह छोड़िये न "
अब वो बिचारी घबड़ायी।
" ऊप्स मेरा मतलब दूसरे कपडे पहन ले , चेंज कर ले "
मैं समझाते बोली ,और तब तक रोकते रोकते मेरे हाथों ने उसकी कमीज की एक बटन खोल दी थी।
" लेकिन क्या , कौन। .. हाँ नहीं। .. मतलब क्या पहनूं "
गुड्डी बिचारीकन्फ्यूज।
" अरे मैं भी न , तेरे भैया एकदम बुद्धू हैं और इनके संग में ,मैं भी एकदम बुद्धू हो गयी हूँ।
अरे तेरे लिए इन्होने एक बहुत अच्छी ड्रेस खरीदी है , बस मैं ले आती हूँ ,तुम उसे चेंज कर इसे टांग दो ,तुम्हारे जाने तक सूख जायेगी। "
तब तक प्रेशर कुकर की सीटी बजी और मेरी जेठानी बाहर।
प्यार से शहद घुली आवाज में गुड्डी उनसे बोली ,
" भईया ,पेप्सी ,आफ कोर्स। " "
और मेरे गुलाबी होंठों पर मुस्कराहट थिरक उठी।
शरारत से मैंने आँखे नचाते हुए उसके भइया को कोंचा।
" हे जरा अपनी छुटकी बहिनिया से , गुड्डी रानी को तनी पेप्सी का फुल फ़ार्म तो समझा दो। "
बस उनके मुंह पे तो जैसे किसी ने गुलाल पोत दिया हो , ऐसे शर्माए जैसे
गौने की रात के बाद किसी नयी बहुरिया से उसकी ननद जेठानी ने रात का हाल पूछ लिया हो।
यही उनमे एक खराब बात थी ,शरम ,बिना बात की झिझक ,
अरे लौंडिया अभी जिसका इंटर का रिजल्ट भी नहीं निकला हो ,कैसे ठसक से इनके मोटे खूंटे पे बैठी है ,
और ये लौंडिया माफिक शर्मा रहे हैं।
गनीमत हो मेरी जेठानी का और ननदिया का ,
" बोलो बोलो न देवर जी "
जेठानी जी ने उकसाया।
बिना जाने समझे मेरी ननद भी बोल उठी ,
" हाँ भैय्या बोल न "
" प्लीज इंसर्ट ,.. " और ये इतना बोल के रुक गए।
" पूरा बोलो न अब तो गुड्डी खुद ही पूछ रही है "
मैंने घूर के उन्हें देखते हुए बोला और एक झटके में वो पूरा बोल गए
," प्लीज ,इंसर्ट पेनिस स्लोली "
" अरे का इतनी जल्दी जल्दी बोल गए गबड़ गबड़ मैंने सुना ही ठीक से बोल न जोर से और जरा जरा धीरे धीरे। "
जेठानी जी चढ़ बैठीं।
बिचारे ,कोई रास्ता नहीं बचा बोला उन्होंने फिर से।
" प्लीज ,.... इंसर्ट ,.... पेनिस ,... स्लोली। "
अब गुड्डी के शर्माने की बारी थी और मेरी और जेठानी जी के खिलखिलाने की।
मुश्किल से हंसी रुकी और मैंने अपनी ननद रानी से पूछ लिया ,
" तो गुड्डी तू क्या बोल रही थी , भइय्या पेप्सी ,मतलब , भइय्या प्लीज इंसर्ट पेनिस स्लोली। "
और मैं फिर खिलखिलाने लगी ,लेकिन जेठानी जी छुटकी ननदिया की बचत में आ गयीं।
" अरे तो गुड्डी कौन गलत कह रही है ,इत्ता मोटा लम्बा खूंटा कतौं मारे जोश के एक झटके में , इहै तो कह रही थी ,
न भैय्या तानी धीरे धीरे डलिहा , एक़दाम कुँवार कसी कच्ची हौ , मना थोड़े कर रही है इनको। "
और मैंने एक फेवरिट भोजपुरी गाना गुनगुनाया , जोर जोर से ,
" तानी धीरे धीरे डलिहा बड़ा दुखाला रजऊ। अरे तनी धीरे धीरे , .... "
लेकिन जेठानी जी की बात ख़तम नहीं हुयी थी वो अपने देवर ,ननद को समझाते बोलीं
"हाँ एक बात हमार मान लो गुड्डी ,
पहली बार कडुवा तेल, खूब अच्छी तरह इनके भी और अपनी बिलियों में अंगूरी डाल डाल कर , देखना एकदम सटासट जाएगा "
मेरा तो प्लान था गुड्डी की सील सूखे तुड़वाने का , बहुत हुआ तो दो चार बूँद थूक वो भी खाली सुपाड़े के मुंह पर ,
लेकिन अब जेठानी जी बड़ी हैं उन्ही की बात,... कडुआ तेल ही सही।
लेकिन अब गुड्डी जोर से शर्मा रही थी तो मैंने टॉपिक चेंज कर दिया।
और जा के उस के पास खड़ी हो गयी।
सच में जो 'गलती ' से रमोला मैंने अपनी ननद रानी के छोटे छोटे उभारों पर गिराया था ,
उस का पैच साफ साफ़ उसकी खूबसूरत प्याजी कमीज़ पे पड़ गया था ,
और रगड़ने से बजाय सूखने के वो और फ़ैल गया था।
कमीज देह से चिपक गयी थी , जोबन के उभार कटाव तो छोड़िये ,निपल तक एकदम साफ़ साफ़ ,...
उस कच्ची अमिया के टिट्स देख कर तो मेरी हालत खराब हो रही थी , न जाने वो बिचारे कैसे सम्हाल रहे होंगे अपने को।
" यार तू तो सच में एकदम गीली हो गयी है "
, गुड्डी के उभारों के चारो ओर ऊँगली से हलके हलके दबाते मैं बोली,
और एक झटके में अंगूठे और तर्जनी के बीच उस किशोरी के मटर के दाने ऐसे टिट्स को दबा के रोल करने लगी।
" उतार जल्दी इसे न वरना तेरी इत्ती प्यारी कमीज भी खराब हो जायेगी और तुझे भी जुकाम हो जाएगा , और कहो तो मैं ही खोल दूँ "
मेरा दूसरा हाथ उसके बटन तक पहुँच गया ,
" नहीं भाभी कैसे ,ओह्ह छोड़िये न "
अब वो बिचारी घबड़ायी।
" ऊप्स मेरा मतलब दूसरे कपडे पहन ले , चेंज कर ले "
मैं समझाते बोली ,और तब तक रोकते रोकते मेरे हाथों ने उसकी कमीज की एक बटन खोल दी थी।
" लेकिन क्या , कौन। .. हाँ नहीं। .. मतलब क्या पहनूं "
गुड्डी बिचारीकन्फ्यूज।
" अरे मैं भी न , तेरे भैया एकदम बुद्धू हैं और इनके संग में ,मैं भी एकदम बुद्धू हो गयी हूँ।
अरे तेरे लिए इन्होने एक बहुत अच्छी ड्रेस खरीदी है , बस मैं ले आती हूँ ,तुम उसे चेंज कर इसे टांग दो ,तुम्हारे जाने तक सूख जायेगी। "
तब तक प्रेशर कुकर की सीटी बजी और मेरी जेठानी बाहर।