12-04-2020, 02:06 PM
(This post was last modified: 12-08-2021, 01:19 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
रम + कोला
और मैंने सोचा ,
" चल यार तू भी क्या याद करेगी , जो जो नहीं पीया है वो सब पिलाऊंगी। और एक बार बस तू , मंजू और गीता के हाथों में पड़ जा न बस ,तो वो छिनारें तो सब कुछ खिला पिला के ही छोड़ेंगी।
अभी तो रमोला चख ले , वहां पहुंच के सुनहली शराब , ऐपल जूस पक्का , और, तेरे इन्ही सीधे साधे भैया के सामने "
और मैं किचेन की ओर
और अपनी प्यारी प्यारी कच्ची जवानी वाली ननदों के लिए जो स्पेशल ड्रिंक मैं बनाती थी बस वही ,
सिम्पल ,
एक टम्बलर में आइस क्यूब्स , उसके ऊपर कोक पोर किया ,
फिर रम ( मैं अपने साथ लायी थीं न ,रम ,जिन ,वोडका सब कुछ ) और जस्ट अ डैश ऑफ लाईम।
तैयार ननद स्पेशल।
हाँ अब ये ननद भी स्पेशल थी तो ड्रिंक भी थोड़ा ,....
ग्लास पंजाबी लस्सी वाली और रम भी थोड़ा ज्यादा ही , दो पेग से ज्यादा का ही असर होगा।
और जब मैं उसे 'कोला 'देने लगी तो ,'एक्सीडेंटली' थोड़ा सा छलक गया ,
ऊप्स मैं बोली , गिरा तो थोड़ा सा लेकिन सीधे बूब्स पे और ड्रेन्च होकर अब उसकी टीनेज ब्रा के कप ही नहीं बल्कि उभार भी ,
" बैठ जा और ये ग्लास दोनों हाथों से पकड़ के गटक ले और वरना और गिरेगा ,मैं पोंछ देती हूँ। "
वो बिचारी ,बिना कुछ सोचे समझे ,दोनों हाथों से ग्लास पकड़ के , एक बार फिर से उनकी गोद में और बड़ा सा सिप लिया ,रमोला का।
नयी नयी चढ़ती जवानी वाली ननद की चूँची दबाने ,मसलने से ज्यादा मजा क्या होगा किसी भाभी के लिए ,
और अभी तो उसके दोनों हाथ फंसे ग्लास पकड़ने में।
एक रुमाल लेके ,जहाँ ड्रिंक गिरा था वहां उसे सुखाने के लिए ,मैंने पोंछना सुखाना शुरू कर दिया।
पोंछना तो एक बहाना था ,इसी बहाने मैं भी उसके नए नए आये जोबन का ,...
पहले हलके हलके फिर एकदम खुल के जोर जोर रगड़ते हुए ,
समझ तो वो भी रही थी ,
लेकिन करती भी क्या ,उसके तो दोनों हाथ ग्लास पकड़ने में फंसे थे।
और इसी उहापोह में जल्दी जल्दी वो तीन चार सिप गटक गयी ,आधा ग्लास खाली ,यानी एक पेग से ज्यादा रम मेरी ननद रानी के पेट में।
और अब मैंने उनकी ओर रुख किया ,उन्हें हड़काते ,उकसाते बोली ,
" बहन ,बहन करते रहते हो हरदम ,क्या सिरफ गोद में बिठाने के लिए छोटी बहन है ,अरे बिचारी इत्ती गीलीहो रही है ,ये लो कपड़ा ज़रा कस के रगड़ रगड़ के सुखाओ ,"
मेरा कहना कहिये या इशारा वो साफ़ साफ़ समझ गए ,और मेरे हाथ से वो रुमाल उन्होंने ले ली।
सूखा तो क्या था लेकिन मेरे रगड़ने से वो गीला पैच और फ़ैल गया था ,
फायदा हम सब का हो गया. गुड्डी के छोटे छोटे सर उठाये मिल्क टिट अब साफ़ झलक रहे थे।
उन्होंने रगड़ना तो शुरू किया ,लेकिन बहुत हलके हलके , ...
यही उनमें खराबी थी ,शरमाना ,झिझकना ,हिचक ,इसीलिए इनसे कोई लौंडिया पटती नहीं थी।
और डांट पड़ गयी।
" अरे बिचारि इत्ती गीली हो रही है , और तुम इत्ते धीरे धीरे ,ऐसे तो शाम तक ये ऐसी ही रहेगी , जरा कस के रगड़ो न ,वरना मुझे दे दो। "
"नहीं नहीं करता हूँ न ,..."
और फिर एक मर्द की तरह जिसकी गोद में एक खूबसूरत किशोरी बैठी हो उसकी तरह ,
और मैंने अपनी तोप का रुख गुड्डी की तरफ किया ,
" अरे क्या इत्ते धीमे धीमे पी रही हो ,ख़तम करो न एक घूँट में , ... "
और मैंने खुद ग्लास पकड़ कर थोड़ा पुश ,...
बचा खुचा ड्रिंक एक घूँट में उसके अंदर ,लेकिन इस चक्कर में थोड़ा सा और ,.. गिरा लेकिन अबकी गुड्डी की प्याजी कमीज के अंदर
,गले से होते हुए , और दूसरा बूब भी , एक बड़ा सा पैच। "
" उप्प्स सारी यार आधे से ज्यादा कोक तो मैंने तेरे ऊपर गिरा दिया , दे और ले आती हूँ। "
नहीं नहीं भाभी ,वो कहती रही लेकिन ग्लास लेके मैं किचेन में , वहां गुड्डी की आवाज सुनाई दी ,
" अच्छा भाभी बस जरा सा। "
उसकी बात मान के अबकी ग्लास तो मैंने नार्मल साइज की रखी लेकिन रम तीन चौथाई ,...
और जब मैं लौटी तो मेरी बात मान के वो नए आये पैच पर भी मेरी दी हुयी हैंकी से रगड़ घिस रगड़ घिस कर रहे थे।
ना न करते ,वो ग्लास , अबकी बिना गिराए मैं गुड्डी को पिला के ही मानी।
ढाई तीन पेग रम से ऊपर ही गया होगा , बस दस पन्दरह मिनट में असर शुरू हो जाएगा .
यही गुड्डी जरा सा गारी वारी गाने में उसके भाई का नाम लगा के छेड़ दो तो कित्ता बुरा मान जाती थी ,
और आज खुद अपने उन्ही भैय्या के गोद में , ... गोद में क्या खड़े लंड पर बैठ कर रमोला का ग्लास पर ग्लास गटक रही है ,
और उसके भैय्या भी जो ज़रा सा अनजाने में कंडोम उन की इसी बहना फोटो के पास रख दिया तो इत्ता बुरा मान गए ,इसी घर में।
और आज यहीं हम सब के सामने , न सिर्फ उसे गोद में बिठाये हैं बल्कि खुल के उस के जुबना रगड़ रहे हैं।
यही तो मैं चाहती थी।
और इस मिशन में मेरी जेठानी खुल के मेरे साथ थीं ,
जब मैं रमोला का ग्लास ले के लौटी तो वो ,एकदम स्तर वाले मजाक एकदम खुल्लम खुल्ला टाइप से अपने देवर और ननद दोनों को ,
"अरे देवर खाली ऊपर ही सुखाए रहे हो ये तो नीचे भी गीली हो रही होगी। जरा वहां भी तो हाथ डाल के सुखा दो। "
और उसी समय मैं आयी रमोला का चिल्ड ग्लास ले के।
गुड्डी से ज्यादा तो ये शर्मा रहे थे ,
इसी बात पर तो मुझे चिढ लगती थी ,स्साली लौंडिया तो खुद इनकी गोद में बैठऔर के लंड पर अपने मोटे मोटे चूतड़ रगड़ रही है
और खुद , लौंडिया ऐसे शर्मा रहे हैं।
जेठानी जी चालू थीं ,
" अरे शलवार का नाडा खोल के हाथ अंदर डाल दो ना , क्या ऊपर झापर ,न तुझको मजा आ रहा होगा न इसको। अरे यही तो उमर है शलवार का नाड़ा खुलवाने का ,तू नहीं खोलेगा तो कोई और खोल देगा ,एलवल में ,इसके मोहल्ले में लम्बी लाइन लगी है नाड़ा खोलने वालों की। :
" अरे नहीं दीदी और कोई क्यों खोलेगा यही खोलेंगे , इनके घर का माल है ,इनके बचपन का माल है , क्यों गुड्डी अच्छा तू ही बता अपने शलवार का नाड़ा किससे खुलवाएगी, अपने भैय्या से या किसी और से "
मैंने सीधे गुड्डी से ही पूछ लिया।
ग्लास ख़तम कर के बगल में रखती , कुछ शरारत से कुछ अदा से कुछ खीझ कर बस वो इतना बोली ,
" भाभी ,... आप भी न "
और मैंने टॉपिक चेंज कर दिया ,
" अच्छा ये बता तुझे कोक पसंद है या पेप्सी।तेरे भैय्या को तो पेप्सी पसंद है। "
मुड़कर उनकी ओर ,गर्दन तिरछी कर के जिस तरह से उसने इनकी ओर देखा , प्यार एकदम शीरे की तरह टपक रहा था।
प्यार से शहद घुली आवाज में गुड्डी उनसे बोली ,
" भईया ,पेप्सी ,आफ कोर्स। " "
और मेरे गुलाबी होंठों पर मुस्कराहट थिरक उठी।
शरारत से मैंने आँखे नचाते हुए उसके भइया को कोंचा।
" हे जरा अपनी छुटकी बहिनिया से , गुड्डी रानी को तनी पेप्सी का फुल फ़ार्म तो समझा दो। "
बस उनके मुंह पे तो जैसे किसी ने गुलाल पोत दिया हो , ऐसे शर्माए जैसे
गौने की रात के बाद किसी नयी बहुरिया से उसकी ननद जेठानी ने रात का हाल पूछ लिया हो।
यही उनमे एक खराब बात थी ,शरम ,बिना बात की झिझक ,
अरे लौंडिया अभी जिसका इंटर का रिजल्ट भी नहीं निकला हो ,कैसे ठसक से इनके मोटे खूंटे पे बैठी है ,
और ये लौंडिया माफिक शर्मा रहे हैं।
गनीमत हो मेरी जेठानी का और ननदिया का ,
" बोलो बोलो न देवर जी " जेठानी जी ने उकसाया।
बिना जाने समझे मेरी ननद भी बोल उठी ,
" हाँ भैय्या बोल न "
" प्लीज इंसर्ट ,.. " और ये इतना बोल के रुक गए।
" पूरा बोलो न अब तो गुड्डी खुद ही पूछ रही है " मैंने घूर के उन्हें देखते हुए बोला और एक झटके में वो पूरा बोल गए
और मैंने सोचा ,
" चल यार तू भी क्या याद करेगी , जो जो नहीं पीया है वो सब पिलाऊंगी। और एक बार बस तू , मंजू और गीता के हाथों में पड़ जा न बस ,तो वो छिनारें तो सब कुछ खिला पिला के ही छोड़ेंगी।
अभी तो रमोला चख ले , वहां पहुंच के सुनहली शराब , ऐपल जूस पक्का , और, तेरे इन्ही सीधे साधे भैया के सामने "
और मैं किचेन की ओर
और अपनी प्यारी प्यारी कच्ची जवानी वाली ननदों के लिए जो स्पेशल ड्रिंक मैं बनाती थी बस वही ,
सिम्पल ,
एक टम्बलर में आइस क्यूब्स , उसके ऊपर कोक पोर किया ,
फिर रम ( मैं अपने साथ लायी थीं न ,रम ,जिन ,वोडका सब कुछ ) और जस्ट अ डैश ऑफ लाईम।
तैयार ननद स्पेशल।
हाँ अब ये ननद भी स्पेशल थी तो ड्रिंक भी थोड़ा ,....
ग्लास पंजाबी लस्सी वाली और रम भी थोड़ा ज्यादा ही , दो पेग से ज्यादा का ही असर होगा।
और जब मैं उसे 'कोला 'देने लगी तो ,'एक्सीडेंटली' थोड़ा सा छलक गया ,
ऊप्स मैं बोली , गिरा तो थोड़ा सा लेकिन सीधे बूब्स पे और ड्रेन्च होकर अब उसकी टीनेज ब्रा के कप ही नहीं बल्कि उभार भी ,
" बैठ जा और ये ग्लास दोनों हाथों से पकड़ के गटक ले और वरना और गिरेगा ,मैं पोंछ देती हूँ। "
वो बिचारी ,बिना कुछ सोचे समझे ,दोनों हाथों से ग्लास पकड़ के , एक बार फिर से उनकी गोद में और बड़ा सा सिप लिया ,रमोला का।
नयी नयी चढ़ती जवानी वाली ननद की चूँची दबाने ,मसलने से ज्यादा मजा क्या होगा किसी भाभी के लिए ,
और अभी तो उसके दोनों हाथ फंसे ग्लास पकड़ने में।
एक रुमाल लेके ,जहाँ ड्रिंक गिरा था वहां उसे सुखाने के लिए ,मैंने पोंछना सुखाना शुरू कर दिया।
पोंछना तो एक बहाना था ,इसी बहाने मैं भी उसके नए नए आये जोबन का ,...
पहले हलके हलके फिर एकदम खुल के जोर जोर रगड़ते हुए ,
समझ तो वो भी रही थी ,
लेकिन करती भी क्या ,उसके तो दोनों हाथ ग्लास पकड़ने में फंसे थे।
और इसी उहापोह में जल्दी जल्दी वो तीन चार सिप गटक गयी ,आधा ग्लास खाली ,यानी एक पेग से ज्यादा रम मेरी ननद रानी के पेट में।
और अब मैंने उनकी ओर रुख किया ,उन्हें हड़काते ,उकसाते बोली ,
" बहन ,बहन करते रहते हो हरदम ,क्या सिरफ गोद में बिठाने के लिए छोटी बहन है ,अरे बिचारी इत्ती गीलीहो रही है ,ये लो कपड़ा ज़रा कस के रगड़ रगड़ के सुखाओ ,"
मेरा कहना कहिये या इशारा वो साफ़ साफ़ समझ गए ,और मेरे हाथ से वो रुमाल उन्होंने ले ली।
सूखा तो क्या था लेकिन मेरे रगड़ने से वो गीला पैच और फ़ैल गया था ,
फायदा हम सब का हो गया. गुड्डी के छोटे छोटे सर उठाये मिल्क टिट अब साफ़ झलक रहे थे।
उन्होंने रगड़ना तो शुरू किया ,लेकिन बहुत हलके हलके , ...
यही उनमें खराबी थी ,शरमाना ,झिझकना ,हिचक ,इसीलिए इनसे कोई लौंडिया पटती नहीं थी।
और डांट पड़ गयी।
" अरे बिचारि इत्ती गीली हो रही है , और तुम इत्ते धीरे धीरे ,ऐसे तो शाम तक ये ऐसी ही रहेगी , जरा कस के रगड़ो न ,वरना मुझे दे दो। "
"नहीं नहीं करता हूँ न ,..."
और फिर एक मर्द की तरह जिसकी गोद में एक खूबसूरत किशोरी बैठी हो उसकी तरह ,
और मैंने अपनी तोप का रुख गुड्डी की तरफ किया ,
" अरे क्या इत्ते धीमे धीमे पी रही हो ,ख़तम करो न एक घूँट में , ... "
और मैंने खुद ग्लास पकड़ कर थोड़ा पुश ,...
बचा खुचा ड्रिंक एक घूँट में उसके अंदर ,लेकिन इस चक्कर में थोड़ा सा और ,.. गिरा लेकिन अबकी गुड्डी की प्याजी कमीज के अंदर
,गले से होते हुए , और दूसरा बूब भी , एक बड़ा सा पैच। "
" उप्प्स सारी यार आधे से ज्यादा कोक तो मैंने तेरे ऊपर गिरा दिया , दे और ले आती हूँ। "
नहीं नहीं भाभी ,वो कहती रही लेकिन ग्लास लेके मैं किचेन में , वहां गुड्डी की आवाज सुनाई दी ,
" अच्छा भाभी बस जरा सा। "
उसकी बात मान के अबकी ग्लास तो मैंने नार्मल साइज की रखी लेकिन रम तीन चौथाई ,...
और जब मैं लौटी तो मेरी बात मान के वो नए आये पैच पर भी मेरी दी हुयी हैंकी से रगड़ घिस रगड़ घिस कर रहे थे।
ना न करते ,वो ग्लास , अबकी बिना गिराए मैं गुड्डी को पिला के ही मानी।
ढाई तीन पेग रम से ऊपर ही गया होगा , बस दस पन्दरह मिनट में असर शुरू हो जाएगा .
यही गुड्डी जरा सा गारी वारी गाने में उसके भाई का नाम लगा के छेड़ दो तो कित्ता बुरा मान जाती थी ,
और आज खुद अपने उन्ही भैय्या के गोद में , ... गोद में क्या खड़े लंड पर बैठ कर रमोला का ग्लास पर ग्लास गटक रही है ,
और उसके भैय्या भी जो ज़रा सा अनजाने में कंडोम उन की इसी बहना फोटो के पास रख दिया तो इत्ता बुरा मान गए ,इसी घर में।
और आज यहीं हम सब के सामने , न सिर्फ उसे गोद में बिठाये हैं बल्कि खुल के उस के जुबना रगड़ रहे हैं।
यही तो मैं चाहती थी।
और इस मिशन में मेरी जेठानी खुल के मेरे साथ थीं ,
जब मैं रमोला का ग्लास ले के लौटी तो वो ,एकदम स्तर वाले मजाक एकदम खुल्लम खुल्ला टाइप से अपने देवर और ननद दोनों को ,
"अरे देवर खाली ऊपर ही सुखाए रहे हो ये तो नीचे भी गीली हो रही होगी। जरा वहां भी तो हाथ डाल के सुखा दो। "
और उसी समय मैं आयी रमोला का चिल्ड ग्लास ले के।
गुड्डी से ज्यादा तो ये शर्मा रहे थे ,
इसी बात पर तो मुझे चिढ लगती थी ,स्साली लौंडिया तो खुद इनकी गोद में बैठऔर के लंड पर अपने मोटे मोटे चूतड़ रगड़ रही है
और खुद , लौंडिया ऐसे शर्मा रहे हैं।
जेठानी जी चालू थीं ,
" अरे शलवार का नाडा खोल के हाथ अंदर डाल दो ना , क्या ऊपर झापर ,न तुझको मजा आ रहा होगा न इसको। अरे यही तो उमर है शलवार का नाड़ा खुलवाने का ,तू नहीं खोलेगा तो कोई और खोल देगा ,एलवल में ,इसके मोहल्ले में लम्बी लाइन लगी है नाड़ा खोलने वालों की। :
" अरे नहीं दीदी और कोई क्यों खोलेगा यही खोलेंगे , इनके घर का माल है ,इनके बचपन का माल है , क्यों गुड्डी अच्छा तू ही बता अपने शलवार का नाड़ा किससे खुलवाएगी, अपने भैय्या से या किसी और से "
मैंने सीधे गुड्डी से ही पूछ लिया।
ग्लास ख़तम कर के बगल में रखती , कुछ शरारत से कुछ अदा से कुछ खीझ कर बस वो इतना बोली ,
" भाभी ,... आप भी न "
और मैंने टॉपिक चेंज कर दिया ,
" अच्छा ये बता तुझे कोक पसंद है या पेप्सी।तेरे भैय्या को तो पेप्सी पसंद है। "
मुड़कर उनकी ओर ,गर्दन तिरछी कर के जिस तरह से उसने इनकी ओर देखा , प्यार एकदम शीरे की तरह टपक रहा था।
प्यार से शहद घुली आवाज में गुड्डी उनसे बोली ,
" भईया ,पेप्सी ,आफ कोर्स। " "
और मेरे गुलाबी होंठों पर मुस्कराहट थिरक उठी।
शरारत से मैंने आँखे नचाते हुए उसके भइया को कोंचा।
" हे जरा अपनी छुटकी बहिनिया से , गुड्डी रानी को तनी पेप्सी का फुल फ़ार्म तो समझा दो। "
बस उनके मुंह पे तो जैसे किसी ने गुलाल पोत दिया हो , ऐसे शर्माए जैसे
गौने की रात के बाद किसी नयी बहुरिया से उसकी ननद जेठानी ने रात का हाल पूछ लिया हो।
यही उनमे एक खराब बात थी ,शरम ,बिना बात की झिझक ,
अरे लौंडिया अभी जिसका इंटर का रिजल्ट भी नहीं निकला हो ,कैसे ठसक से इनके मोटे खूंटे पे बैठी है ,
और ये लौंडिया माफिक शर्मा रहे हैं।
गनीमत हो मेरी जेठानी का और ननदिया का ,
" बोलो बोलो न देवर जी " जेठानी जी ने उकसाया।
बिना जाने समझे मेरी ननद भी बोल उठी ,
" हाँ भैय्या बोल न "
" प्लीज इंसर्ट ,.. " और ये इतना बोल के रुक गए।
" पूरा बोलो न अब तो गुड्डी खुद ही पूछ रही है " मैंने घूर के उन्हें देखते हुए बोला और एक झटके में वो पूरा बोल गए