12-04-2020, 01:29 PM
(This post was last modified: 11-08-2021, 08:52 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
'इनकी ' गोद में
वो छटपटा रही थी छूटने की कोशिश कर रह थी , पर मैंने और जेठानी जी ने कस के उसके कंधे दबा रखे थे।
कंधो पर मेरे हाथ थे लेकिन मेरी शरारती उंगलियां उसके उभरते उभारों को शैतानी से हलके से छू भी रही थीं।
और 'उन्होंने ' भी अपने हाथों से उसकी पतली कमर को कस के पकड़ लिया की
कहीं वो गिर न जाए पर उसका असर गुड्डी के उभारों पर हुआ।
वो टेनिस बाल साइज के बूब्स अब और उभर के दिख रहे थे।
" अरे एक हाथ नीचे लगाओ ,एक ऊपर " मैंने हँसते हुए उन्हें सलाह दी।
" छोड़िये न भाभी ,प्लीज "
वो बोली
" अरे उससे कहो प्लीज जिसने पकड़ रखा हो ,हमने तो कब का छोड़ दिया। "
खिलखिलाते हुए मैं और जेठानी जी बोले।
हम दोनों बगल में रखे पलंग पर बैठ चुके थे ,
पर इनके हाथ की पकड़ एक हाथ अभी भी पतली कमर पर थी और दूसरा गुड्डी के नवांकुर उभारो के बेस पर ,....
वो शर्मा रही थी ,सिकुड़ रही थी ,कसर मसर कर रही थी ,
बिचारी हम सबके सामने 'इनकी ' गोद में बैठी ,
बल्कि साफ साफ कहूं तो इनके फनफनाये मोटे कड़े लंड पर बैठी ,एकदम छुई मुई हो रही थी।
" अरे दीदी उनसे क्यों कहेंगी , उनसे तो कहेंगी ,अरे जरा और जोर से पकड़ो न भैय्या उप्पस मेरा मतलब ,सैंया। "
मैं छेड़ने का मौका क्यों छोड़ती ,
लेकिन वो
बांकी हिरणी , गर्दन ज़रा सी तिरछी कर के , उसकी एक आवारा लट उसके लजाते गुलाब से गालों को छेड़ रही थी ,इनसे बोल ही उठी ,
" छोड़ो न भैय्या। "
लेकिन मैं क्यों छोड़ती ,मैं इनसे अपनी जेठानी से बड़ी सीरियसली बोली,
" अरे इसका मतलब है ,भईया छोडो न ,क्यों गलत जगह पकड़ रखा है ,सही जगह पकड़ो न "
हम दोनों , मैं और मेरी जेठानी खिलखिलाने लगे और इनके हाथ की उँगलियाँ सच में सरक् कर , गुड्डी के बूब्स के निचले हिस्से पर ,
बिचारी गुड्डी जोर से लजा रही थी और हम दोनों ने बात बदल दी।
" अरे तो इसमें कौन सी बड़ी बात है ,छुटपन में क्या अपनी भय्या के गोद में नहीं बैठी थीं क्या ,
फिर जवान होने पर क्या फरक पड़ जाता है। "
जेठानी ने समझाते बोला।
मैंने भी उनकी बात में में हामी भरी और कहा ,
" अरे यही तो मैं भी कह रही हूँ ,अरे भैय्या की गोद में बैठने से क्या ,लेकिन इन्ही के मन में चोर है जो इतना उचक रही हैं। "
" भाभी , .. "
गुड्डी के मुंह से सिर्फ इतने बोल निकले ,लेकिन उसका छुड़ाने की कोशिश करना ,कसर मसर बंद हो चुके थे।
"अच्छा चल बोल क्या लेगी ,"
उठ कर मैं उसके पास जाके बोली ,
" वरना कहेगी दोनों भाभियाँ एक साथ पीछे पड़ गयी और खाने पीने को कुछ पूछा ही नहीं। बोल , गरम या ठंडा। "
मुस्कराते गुड्डी बोली ,
" ठंडा भाभी "
" और क्या इत्ता लम्बा मोटा हीटर का राड नीचे से गरमा रहा होगा तो फिर , ..अच्छा कॉक आई मीन कोक चलेगा न।“
मेरी निगाह गुड्डी के जवानी के फूलों की ओर गयी , कसे टाइट कुर्ते में एकदम छलक कर,खूब कड़े कड़े ,भरे भरे किशोर उभार , यहाँ तक की नए नए आये मिल्क टिट्स भी झलक रहे थे।
और मैं सोच रही थी , बस कुछ देर की बात है ये मस्त उभार एकदम खुल के सहलाये जाएंगे ,मसले जाएंगे ,रगड़े जायेंगे जम कर।
और इनके नदीदे हाथ कमर छोड़, के एक तो उभार के निचले हिस्से पर और दूसरा उस किशोरी के कंधे पर ,
बीच बीच में उसके मक्खन ऐसे मुलायम गाल भी छू दे रहा था ,सहला रहा था।
तभी मेरे सवाल के जवाब में गुड्डी की आवाज ने मेरा ध्यान खींचा।
"कुछ भी भाभी, आप जो भी पिला दें ,चलेगा बल्कि एकदम भाभी दौड़ेगा। "
वो हंस के बोली .
और जो वो खिलखला के हंसी तो उस हंसिनी के गालों में गहरे गड्ढे पड़ गए।
इन्ही गड्ढो पे तो साले लौंडे मरते हैं मैंने सोचा ,फिर पूछा ,
" क्यों ननद रानी तो लॉक कर दिया जाय , कॉक ऊप्स आई मीन कोक। "
"एकदम भाभी ,जो भी आप पिलायें " वो खिलखिलाते हुए बोली।
और मैंने सोचा ," चल यार तू भी क्या याद करेगी , जो जो नहीं पीया है वो सब पिलाऊंगी। और एक बार बस तू , मंजू और गीता के हाथों में पड़ जा न बस ,तो वो छिनारें तो सब कुछ खिला पिला के ही छोड़ेंगी।
वो छटपटा रही थी छूटने की कोशिश कर रह थी , पर मैंने और जेठानी जी ने कस के उसके कंधे दबा रखे थे।
कंधो पर मेरे हाथ थे लेकिन मेरी शरारती उंगलियां उसके उभरते उभारों को शैतानी से हलके से छू भी रही थीं।
और 'उन्होंने ' भी अपने हाथों से उसकी पतली कमर को कस के पकड़ लिया की
कहीं वो गिर न जाए पर उसका असर गुड्डी के उभारों पर हुआ।
वो टेनिस बाल साइज के बूब्स अब और उभर के दिख रहे थे।
" अरे एक हाथ नीचे लगाओ ,एक ऊपर " मैंने हँसते हुए उन्हें सलाह दी।
" छोड़िये न भाभी ,प्लीज "
वो बोली
" अरे उससे कहो प्लीज जिसने पकड़ रखा हो ,हमने तो कब का छोड़ दिया। "
खिलखिलाते हुए मैं और जेठानी जी बोले।
हम दोनों बगल में रखे पलंग पर बैठ चुके थे ,
पर इनके हाथ की पकड़ एक हाथ अभी भी पतली कमर पर थी और दूसरा गुड्डी के नवांकुर उभारो के बेस पर ,....
वो शर्मा रही थी ,सिकुड़ रही थी ,कसर मसर कर रही थी ,
बिचारी हम सबके सामने 'इनकी ' गोद में बैठी ,
बल्कि साफ साफ कहूं तो इनके फनफनाये मोटे कड़े लंड पर बैठी ,एकदम छुई मुई हो रही थी।
" अरे दीदी उनसे क्यों कहेंगी , उनसे तो कहेंगी ,अरे जरा और जोर से पकड़ो न भैय्या उप्पस मेरा मतलब ,सैंया। "
मैं छेड़ने का मौका क्यों छोड़ती ,
लेकिन वो
बांकी हिरणी , गर्दन ज़रा सी तिरछी कर के , उसकी एक आवारा लट उसके लजाते गुलाब से गालों को छेड़ रही थी ,इनसे बोल ही उठी ,
" छोड़ो न भैय्या। "
लेकिन मैं क्यों छोड़ती ,मैं इनसे अपनी जेठानी से बड़ी सीरियसली बोली,
" अरे इसका मतलब है ,भईया छोडो न ,क्यों गलत जगह पकड़ रखा है ,सही जगह पकड़ो न "
हम दोनों , मैं और मेरी जेठानी खिलखिलाने लगे और इनके हाथ की उँगलियाँ सच में सरक् कर , गुड्डी के बूब्स के निचले हिस्से पर ,
बिचारी गुड्डी जोर से लजा रही थी और हम दोनों ने बात बदल दी।
" अरे तो इसमें कौन सी बड़ी बात है ,छुटपन में क्या अपनी भय्या के गोद में नहीं बैठी थीं क्या ,
फिर जवान होने पर क्या फरक पड़ जाता है। "
जेठानी ने समझाते बोला।
मैंने भी उनकी बात में में हामी भरी और कहा ,
" अरे यही तो मैं भी कह रही हूँ ,अरे भैय्या की गोद में बैठने से क्या ,लेकिन इन्ही के मन में चोर है जो इतना उचक रही हैं। "
" भाभी , .. "
गुड्डी के मुंह से सिर्फ इतने बोल निकले ,लेकिन उसका छुड़ाने की कोशिश करना ,कसर मसर बंद हो चुके थे।
"अच्छा चल बोल क्या लेगी ,"
उठ कर मैं उसके पास जाके बोली ,
" वरना कहेगी दोनों भाभियाँ एक साथ पीछे पड़ गयी और खाने पीने को कुछ पूछा ही नहीं। बोल , गरम या ठंडा। "
मुस्कराते गुड्डी बोली ,
" ठंडा भाभी "
" और क्या इत्ता लम्बा मोटा हीटर का राड नीचे से गरमा रहा होगा तो फिर , ..अच्छा कॉक आई मीन कोक चलेगा न।“
मेरी निगाह गुड्डी के जवानी के फूलों की ओर गयी , कसे टाइट कुर्ते में एकदम छलक कर,खूब कड़े कड़े ,भरे भरे किशोर उभार , यहाँ तक की नए नए आये मिल्क टिट्स भी झलक रहे थे।
और मैं सोच रही थी , बस कुछ देर की बात है ये मस्त उभार एकदम खुल के सहलाये जाएंगे ,मसले जाएंगे ,रगड़े जायेंगे जम कर।
और इनके नदीदे हाथ कमर छोड़, के एक तो उभार के निचले हिस्से पर और दूसरा उस किशोरी के कंधे पर ,
बीच बीच में उसके मक्खन ऐसे मुलायम गाल भी छू दे रहा था ,सहला रहा था।
तभी मेरे सवाल के जवाब में गुड्डी की आवाज ने मेरा ध्यान खींचा।
"कुछ भी भाभी, आप जो भी पिला दें ,चलेगा बल्कि एकदम भाभी दौड़ेगा। "
वो हंस के बोली .
और जो वो खिलखला के हंसी तो उस हंसिनी के गालों में गहरे गड्ढे पड़ गए।
इन्ही गड्ढो पे तो साले लौंडे मरते हैं मैंने सोचा ,फिर पूछा ,
" क्यों ननद रानी तो लॉक कर दिया जाय , कॉक ऊप्स आई मीन कोक। "
"एकदम भाभी ,जो भी आप पिलायें " वो खिलखिलाते हुए बोली।
और मैंने सोचा ," चल यार तू भी क्या याद करेगी , जो जो नहीं पीया है वो सब पिलाऊंगी। और एक बार बस तू , मंजू और गीता के हाथों में पड़ जा न बस ,तो वो छिनारें तो सब कुछ खिला पिला के ही छोड़ेंगी।