12-04-2020, 09:01 AM
कम्मो
कम्मो ,
चलिए बता ही देती हूँ , गाँव के रिश्ते से मेरी जेठानी इनकी भौजी ,...
असल में उसकी सास हमारे यहां काम करती थी , लेकिन महीने दो महीने के लिए तीर्थयात्रा वाली बस पर , ...
और तब से कम्मो ही ,... उम्र मेरी जेठानी के ही आसपास , शायद एक दो साल ज्यादा होगी ,... २७-२८ खूब गोरी तो नहीं लेकिन सांवली भी नहीं , गेंहुआ , पर देह खूब भरी , मांसल और एकदम ठोस , जैसे काम करने वालियों की होती हैं ,
मांसल सख्त पिंडलियाँ , और सबसे मस्त थीं उसकी छातियां , ३६ डी डी से तो कत्तई कम नहीं होंगी , क्या पता ३८ ही हों , बल्कि शायद ३८ ही होंगी , ऊपर से ब्रा नहीं पहनती थी।
लेकिन मजाल क्या की ज़रा भी ढीली लगें , एकदम ठोस ,
और उसी तरह पिछवाड़ा भी , परफेक्ट दीर्घ नितंबा , और ताकत बहुत थी उसके देह में
सबसे अच्छी बात थी मेरी एकदम पक्की वाली अच्छी वाली दोस्त , ...
अभी तो आठ दस दिन पहले ही आयी थी , और सासू जी ने पीछे वाली कोठरिया दे रखी थी।
आधे टाइम घर में हम सब के साथ ही , किचेन में हेल्प कराती , हर काम में ,
और हम लोग एकदम खुली वाली छेड़छाड़ , उसका मरद दुबाई कमाने गया था , दो साल से आया नहीं था ,
मैंने उसके पिछवाडे चिकोटी काटते चिढ़ाया ,
' तेरा काम कैसे चलता है '
और वो एकदम खुल के हंस के बोली ,
" अरे ससुराल में हूँ , सारे मरद मेरे देवर लगते हैं , बस देवर भाभी का तो ,... "
" मान लो कोई देवर थोड़ा शरमाये , झिझके , ... तो, ... "
मैंने छेड़ा ,
" अरे तो पटक के चोद दूंगी उसको ,... और गाँड़ मारूंगी सो अलग ,... आखिरी भौजाई हूँ , मेरा हक है। "
वो एकदम खुल के खिलखलाती बोली ,
उसका यही आटिट्यूड तो , शादी के बाद से ही ,...असल में गारी वारी तो मुझे सब आती थी , लेकिन ससुराल में झिझक , शर्म लाज , ... और मेरी दुर्गत करने वालों में , दुलारी ,... इनके गाँव की नाउन की लड़की , अभी कुछ दिन पहले शादी हुयी थी , उमर में मुझसे दो चार महीने छोटी ही थी लेकिन एकदम खुल्लम खुल्ला , और मंझली ननद उसे ही चढाती थीं मेरे ऊपर ,
और ऐसे मौके पर कम्मो ,... उसके भी कान काटती थी , ... सारी भौजाइयों के ओर से अकेले काफी थी।
अनुज, गुड्डी और उसकी सहेलियां भी कम्मो को न सिर्फ भौजी कहते थे बल्कि मानते भी थे।
और कम्मो भी उन सबकी ऐसे ही खुल के रगडायी भी करती थी , असली वाली गारी दे दे कर ,
दी ने बता तो दिया की मुझे कैसे पता चलेगा , फागुन लग गया , ... उनके देवर के गाल देखकर , ...
लेकिन एक सवाल मेरे सीने में फांस की तरह अटका था ,
सवाल तो इनके लिए भी टेढ़ा था , पर हालत इनकी मुझसे भी ज्यादा फंसी थी , कैसे बोले
सवाल टेढ़ा था , मेरी पहली होली , ...
शादी के पहले ही मुझे बता दिया गया था की दुल्हन की पहली होली ससुराल में होती है , ...
बहुत पुराना चलन है , ..और उस दिन से ही मेरी घबड़ाहट , ...
और ऊपर से मेरी गाँव वाली भौजाइयां , ...सब की सब ,... बिन्नो , ... पहली रात तो झेल लेगी तू दर्द तो बहुत होगा , लेकिन सबकी फटती है पहली रात , तेरी भी फट जायेगी , और फिर वैसलीन , कडुआ तेल ,...और अगर दूल्हा थोड़ा ख्याल रखने वाला हुआ तो सम्हाल कर ,
लेकिन होली के दिन तो देवर , नन्दोई , और नयी भाभी देख कर तो पूरा मोहल्ला देवर बन जाता है , और ननदें भी कौन कम होती हैं ,..
कम्मो ,
चलिए बता ही देती हूँ , गाँव के रिश्ते से मेरी जेठानी इनकी भौजी ,...
असल में उसकी सास हमारे यहां काम करती थी , लेकिन महीने दो महीने के लिए तीर्थयात्रा वाली बस पर , ...
और तब से कम्मो ही ,... उम्र मेरी जेठानी के ही आसपास , शायद एक दो साल ज्यादा होगी ,... २७-२८ खूब गोरी तो नहीं लेकिन सांवली भी नहीं , गेंहुआ , पर देह खूब भरी , मांसल और एकदम ठोस , जैसे काम करने वालियों की होती हैं ,
मांसल सख्त पिंडलियाँ , और सबसे मस्त थीं उसकी छातियां , ३६ डी डी से तो कत्तई कम नहीं होंगी , क्या पता ३८ ही हों , बल्कि शायद ३८ ही होंगी , ऊपर से ब्रा नहीं पहनती थी।
लेकिन मजाल क्या की ज़रा भी ढीली लगें , एकदम ठोस ,
और उसी तरह पिछवाड़ा भी , परफेक्ट दीर्घ नितंबा , और ताकत बहुत थी उसके देह में
सबसे अच्छी बात थी मेरी एकदम पक्की वाली अच्छी वाली दोस्त , ...
अभी तो आठ दस दिन पहले ही आयी थी , और सासू जी ने पीछे वाली कोठरिया दे रखी थी।
आधे टाइम घर में हम सब के साथ ही , किचेन में हेल्प कराती , हर काम में ,
और हम लोग एकदम खुली वाली छेड़छाड़ , उसका मरद दुबाई कमाने गया था , दो साल से आया नहीं था ,
मैंने उसके पिछवाडे चिकोटी काटते चिढ़ाया ,
' तेरा काम कैसे चलता है '
और वो एकदम खुल के हंस के बोली ,
" अरे ससुराल में हूँ , सारे मरद मेरे देवर लगते हैं , बस देवर भाभी का तो ,... "
" मान लो कोई देवर थोड़ा शरमाये , झिझके , ... तो, ... "
मैंने छेड़ा ,
" अरे तो पटक के चोद दूंगी उसको ,... और गाँड़ मारूंगी सो अलग ,... आखिरी भौजाई हूँ , मेरा हक है। "
वो एकदम खुल के खिलखलाती बोली ,
उसका यही आटिट्यूड तो , शादी के बाद से ही ,...असल में गारी वारी तो मुझे सब आती थी , लेकिन ससुराल में झिझक , शर्म लाज , ... और मेरी दुर्गत करने वालों में , दुलारी ,... इनके गाँव की नाउन की लड़की , अभी कुछ दिन पहले शादी हुयी थी , उमर में मुझसे दो चार महीने छोटी ही थी लेकिन एकदम खुल्लम खुल्ला , और मंझली ननद उसे ही चढाती थीं मेरे ऊपर ,
और ऐसे मौके पर कम्मो ,... उसके भी कान काटती थी , ... सारी भौजाइयों के ओर से अकेले काफी थी।
अनुज, गुड्डी और उसकी सहेलियां भी कम्मो को न सिर्फ भौजी कहते थे बल्कि मानते भी थे।
और कम्मो भी उन सबकी ऐसे ही खुल के रगडायी भी करती थी , असली वाली गारी दे दे कर ,
दी ने बता तो दिया की मुझे कैसे पता चलेगा , फागुन लग गया , ... उनके देवर के गाल देखकर , ...
लेकिन एक सवाल मेरे सीने में फांस की तरह अटका था ,
सवाल तो इनके लिए भी टेढ़ा था , पर हालत इनकी मुझसे भी ज्यादा फंसी थी , कैसे बोले
सवाल टेढ़ा था , मेरी पहली होली , ...
शादी के पहले ही मुझे बता दिया गया था की दुल्हन की पहली होली ससुराल में होती है , ...
बहुत पुराना चलन है , ..और उस दिन से ही मेरी घबड़ाहट , ...
और ऊपर से मेरी गाँव वाली भौजाइयां , ...सब की सब ,... बिन्नो , ... पहली रात तो झेल लेगी तू दर्द तो बहुत होगा , लेकिन सबकी फटती है पहली रात , तेरी भी फट जायेगी , और फिर वैसलीन , कडुआ तेल ,...और अगर दूल्हा थोड़ा ख्याल रखने वाला हुआ तो सम्हाल कर ,
लेकिन होली के दिन तो देवर , नन्दोई , और नयी भाभी देख कर तो पूरा मोहल्ला देवर बन जाता है , और ननदें भी कौन कम होती हैं ,..