12-04-2020, 08:59 AM
साजन घर आया
जिस दिन वो लौटे , ...पूरे पांच हफ्ते बाद ( वीकेंड मैं नहीं काउंट कर रही ) अपनी वो ट्रेनिंग वेनिंग खतम करके , ...
उस रात , ' कुछ नहीं ' हुआ , ...
लौटे भी वो आधी रात के बाद थे , मैं तो हर दस मिनट के बाद उन्हें कभी व्हाट्सऐप पर पूछ रही थी , कहाँ पहुंचे ,... और जब उनकी टैक्सी गवर्मेंट गर्ल्स इंटर कालेज ( अरे वहीँ , जहाँ उनका माल और उसकी सहेलियां पढ़ती थीं , ना )
मैं बस दौड़कर नीचे पहुंची , और जब दरवाजा खोला तो बस वो टैक्सी से उतर रहे थे।
असल में , गलती मेरी ही थी , मैंने ही उन्हें दस काम पकड़ा दिए थे।
एम्स्टर्डम से आ तो वो दोपहर को ही दिल्ली गए थे , पर मेरे काम। और उनसे वैसे भी सिवाय ' एक काम ' के और कोई काम ठीक से आता नहीं था ( और उसमें भी जबतक वो यहाँ थे रोज गुड मॉर्निंग गुड नाइट के साथ साथ उनकी सलहज , रीतू भाभी कोचिंग चलाती थीं , ऑन लाइन ) ,
और मैंने उन्हें काम पकड़ा दिया था , एकदम औरतों वाला , साड़ी खरीदने का।
मुझे लगा इत्ते दिन बाद आ रहे हैं तो खाली हाथ , ...
इसलिए सास और जेठानी के साथ मैंने कम्मो के बार्रे में भी उन्हें अच्छी तरह बता दिया था , साडी के बारे में भी , खूब चटक गाढ़ा रंग उसे पसंद था , लाल या गुलाबी। ये भी न एकदम बुद्धू , समझ में नहीं आया तो दोनों रंग की एक एक ले आये।
आप पूछेंगे कम्मो कौन , बताउंगी न। पक्का। लेकिन कुछ देर बाद पहले तो उनके बारे मैं।
तो मैं क्या कह रही थी , हाँ। शॉपिंग , ...
और सास जेठानी के साथ मैंने अपनी ननद के लिए भी , ...
वही गुड्डी रानी , ...
पर उसके लिए इन्हे याद दिलाने की जरुरत नही थी , वो तो वहीँ से , फॉरेन से ही , खूब हॉट ड्रेसेज , ...
पर सच में भुलकक्ड़ नंबर एक , उसकी भी असली चीज भूल गए थे , ...जब दिल्ली पहुंचे तो मैंने याद दिलाई , ...
अरे वही छोटे छोटे जुबना के लिए , २८ सी , ... और साथ में गुलाबो के लिए भी उसकी मॅचिंग पैंटी ,... क्या कहते हैं वो थांग।
और भी बहुत कुछ ,
मेरी जेठानी को मिठाई पसंद थी , तो दिल्ली में घंटेवाले के यहाँ से सोहन हलवा। पूरा चांदनी चौक उनका बस चलता तो उठा लेते , ...
ये मत पूछियेगा की मेरे लिए , ... हस्बेंड वाइफ की सब चीज बतानी जरुरी है क्या , ... लेकिन चलिए जब बाकी बातें नहीं छुपाई तो वो भी , जितना हो सकेगा बता दूंगी।
दो ये बड़े बड़े सूटकेस ,...
एक तो उन्होंने दिल्ली में ही ख़रीदा था सामान रखने के लिए , आखिर इतने दिन बाद , घर लौटे थे आखिर , ...
और फिर असली बात ये थी की इन्हे कुछ समझ में तो आता नहीं था , बाजार पहुंचे जो चमक दमक देखा बस खरीद लिया , हाँ साड़ियां अच्छी लाये थे , खूब तारीफ़ हुयी , जेठानी ने भी की और सास ने भी ,
और उनसे तो कुछ छिपता नहीं था इनका कान पकड़ के बोलीं ,
" तुझे तो कुछ याद रहता नहीं , ... होली आने वाली है , जरूर दुल्हन ने याद दिलाया होगा। "
जब उन्होंने कबूला तो जा के कान छूटा ,
और सच बताऊं जब मेरी सास और जेठानी मेरे सामने इनकी रगड़ाई होती है तो बहुत मजा आता है , बस मैं आँख झुकाये , मुंह छुपाये , ... खिस्स खिस्स ,... लेकिन सबसे ज्यादा खुश हुई कम्मो , इनकी ओर देख के बोली
" बहुत महंगी होगी न "
और इनकी भौजाई कुछ हड़काते , कुछ समझाते बोलीं ,
" भौजाई से होली मुफ़्ते में खेल लेंगे , ... "
फिर मेरी भी जुबान खुल गयी ,
" और क्या , एक होली खेलने के पहले की और दूसरी होली खेलने के बाद की , ... या क्या पता आपके देवर इलसिए साडी लाये हों की होली में इनकी रगड़ाई कम हो थोड़ी। "
" एकदम नहीं , डबल रगड़ाई होगी अब तो , ई चाहे चिल्लाएं , चाहें , ... अंदर तक हाथ डाल के , ... अउर देवर भाभी क होली तो पूरे फागुन भर चलती है , होली क दिन का कौन इन्तजार करेगा। "
कम्मो साडी देखते बोली।
उसकी मुस्कराती आँखे इन्ही पर गड़ी थीं।
' किस दिन से फागुन लगेगा , ... "
मैंने पूछा तो हँस कर उठते हुए मेरी जेठानी बोलीं ,
" सुबह उठ के इसके गाल देखलेना पता चल जाएगा , फागुन लग गया। "
इनके गाल फागुन से पहले गुलाल हो गए , ...
मैं कम्मो के साथ किचेन में और ये ऊपर कुछ आफिस का काम ,...
जिस दिन वो लौटे , ...पूरे पांच हफ्ते बाद ( वीकेंड मैं नहीं काउंट कर रही ) अपनी वो ट्रेनिंग वेनिंग खतम करके , ...
उस रात , ' कुछ नहीं ' हुआ , ...
लौटे भी वो आधी रात के बाद थे , मैं तो हर दस मिनट के बाद उन्हें कभी व्हाट्सऐप पर पूछ रही थी , कहाँ पहुंचे ,... और जब उनकी टैक्सी गवर्मेंट गर्ल्स इंटर कालेज ( अरे वहीँ , जहाँ उनका माल और उसकी सहेलियां पढ़ती थीं , ना )
मैं बस दौड़कर नीचे पहुंची , और जब दरवाजा खोला तो बस वो टैक्सी से उतर रहे थे।
असल में , गलती मेरी ही थी , मैंने ही उन्हें दस काम पकड़ा दिए थे।
एम्स्टर्डम से आ तो वो दोपहर को ही दिल्ली गए थे , पर मेरे काम। और उनसे वैसे भी सिवाय ' एक काम ' के और कोई काम ठीक से आता नहीं था ( और उसमें भी जबतक वो यहाँ थे रोज गुड मॉर्निंग गुड नाइट के साथ साथ उनकी सलहज , रीतू भाभी कोचिंग चलाती थीं , ऑन लाइन ) ,
और मैंने उन्हें काम पकड़ा दिया था , एकदम औरतों वाला , साड़ी खरीदने का।
मुझे लगा इत्ते दिन बाद आ रहे हैं तो खाली हाथ , ...
इसलिए सास और जेठानी के साथ मैंने कम्मो के बार्रे में भी उन्हें अच्छी तरह बता दिया था , साडी के बारे में भी , खूब चटक गाढ़ा रंग उसे पसंद था , लाल या गुलाबी। ये भी न एकदम बुद्धू , समझ में नहीं आया तो दोनों रंग की एक एक ले आये।
आप पूछेंगे कम्मो कौन , बताउंगी न। पक्का। लेकिन कुछ देर बाद पहले तो उनके बारे मैं।
तो मैं क्या कह रही थी , हाँ। शॉपिंग , ...
और सास जेठानी के साथ मैंने अपनी ननद के लिए भी , ...
वही गुड्डी रानी , ...
पर उसके लिए इन्हे याद दिलाने की जरुरत नही थी , वो तो वहीँ से , फॉरेन से ही , खूब हॉट ड्रेसेज , ...
पर सच में भुलकक्ड़ नंबर एक , उसकी भी असली चीज भूल गए थे , ...जब दिल्ली पहुंचे तो मैंने याद दिलाई , ...
अरे वही छोटे छोटे जुबना के लिए , २८ सी , ... और साथ में गुलाबो के लिए भी उसकी मॅचिंग पैंटी ,... क्या कहते हैं वो थांग।
और भी बहुत कुछ ,
मेरी जेठानी को मिठाई पसंद थी , तो दिल्ली में घंटेवाले के यहाँ से सोहन हलवा। पूरा चांदनी चौक उनका बस चलता तो उठा लेते , ...
ये मत पूछियेगा की मेरे लिए , ... हस्बेंड वाइफ की सब चीज बतानी जरुरी है क्या , ... लेकिन चलिए जब बाकी बातें नहीं छुपाई तो वो भी , जितना हो सकेगा बता दूंगी।
दो ये बड़े बड़े सूटकेस ,...
एक तो उन्होंने दिल्ली में ही ख़रीदा था सामान रखने के लिए , आखिर इतने दिन बाद , घर लौटे थे आखिर , ...
और फिर असली बात ये थी की इन्हे कुछ समझ में तो आता नहीं था , बाजार पहुंचे जो चमक दमक देखा बस खरीद लिया , हाँ साड़ियां अच्छी लाये थे , खूब तारीफ़ हुयी , जेठानी ने भी की और सास ने भी ,
और उनसे तो कुछ छिपता नहीं था इनका कान पकड़ के बोलीं ,
" तुझे तो कुछ याद रहता नहीं , ... होली आने वाली है , जरूर दुल्हन ने याद दिलाया होगा। "
जब उन्होंने कबूला तो जा के कान छूटा ,
और सच बताऊं जब मेरी सास और जेठानी मेरे सामने इनकी रगड़ाई होती है तो बहुत मजा आता है , बस मैं आँख झुकाये , मुंह छुपाये , ... खिस्स खिस्स ,... लेकिन सबसे ज्यादा खुश हुई कम्मो , इनकी ओर देख के बोली
" बहुत महंगी होगी न "
और इनकी भौजाई कुछ हड़काते , कुछ समझाते बोलीं ,
" भौजाई से होली मुफ़्ते में खेल लेंगे , ... "
फिर मेरी भी जुबान खुल गयी ,
" और क्या , एक होली खेलने के पहले की और दूसरी होली खेलने के बाद की , ... या क्या पता आपके देवर इलसिए साडी लाये हों की होली में इनकी रगड़ाई कम हो थोड़ी। "
" एकदम नहीं , डबल रगड़ाई होगी अब तो , ई चाहे चिल्लाएं , चाहें , ... अंदर तक हाथ डाल के , ... अउर देवर भाभी क होली तो पूरे फागुन भर चलती है , होली क दिन का कौन इन्तजार करेगा। "
कम्मो साडी देखते बोली।
उसकी मुस्कराती आँखे इन्ही पर गड़ी थीं।
' किस दिन से फागुन लगेगा , ... "
मैंने पूछा तो हँस कर उठते हुए मेरी जेठानी बोलीं ,
" सुबह उठ के इसके गाल देखलेना पता चल जाएगा , फागुन लग गया। "
इनके गाल फागुन से पहले गुलाल हो गए , ...
मैं कम्मो के साथ किचेन में और ये ऊपर कुछ आफिस का काम ,...