12-04-2020, 08:58 AM
(09-04-2020, 11:45 PM)Niharikasaree Wrote:कोमल जी ,
मस्ती, दर्द, अनगिनत भावनाओ से भरा एक खूबसूरत अपडेट , जिसकी जितनी तारीफ़ करो कम है। .....
उसे अपना जरा भी नहीं ख्याल , ...अगर मैं उसे कपडे न निकाल के दूँ न तो बस , ...
दोनों पैरों में अलग रंग के मोज़े पहन के चला जाय , ...
एकदम सही कहा जी आपने, हम लोग अगर ध्यान न दे तो अलग रंग के मोज़े तो पहने ही, और वो भी उतरे न, पैरों मैं से, लापरवाह, आलसी, पर प्यारे हमारे सहारे, उपरवाले ने शायद इसीलिए औरतो को जल्दी समज़दार कर दिया, ताकी उन्हें सम्हाल सके.
सभी महिला इस बात से सहमत होंगी की , लड़की , लड़को से जल्दी परिपव्क हो जाती है, और लड़के , मस्त , मनमौजी, अल्हड। ...
पूरे सात जन्म के लिए लिखवा के लायी हूँ उसे ,... अगले जन्म में फिर करुँगी रगड़ाई उसकी , बच के कहाँ जायेगा ,...
न, बच ही नहीं सकता जी, आपके प्रेम पाश से, सात जनम कम पड़े हैं,जी प्यार करने व् निभाने को.
कैसे छोटी बच्ची की तरह , मेरे रिबन बांधती , बाल संवारती , नाक छिदी तो कितना दर्द हुआ था , लेकिन बस मम्मी ने ऐसे ही गोदी में , ...
देर तक बस हम माँ बेटी ऐसे ही बिना बोले , वो बस मेरा बाल सहलाती रहतीं , और जब मैं सर ऊपर कर के देखती तो
उनकी दियली सी आँखों में , ... मुझे देखते ही वो आँख बंद कर लेती , झूठमूठ का आँख रगड़ने लगतीं , बोलती कुछ नहीं कुछ पड़ गया था ,
यह, ही एक माँ , की भावना , दर्द अपने अंदर ही समाते हुए समेट लेना, किसी को भी न बताना, लड़कियाँ भी यही सब न जाने कैसे सिख लेती हैं, अपने आप। बस आ जाता है, दर्द से रिश्ता निभाना।
नहीं तो पहले दिन से ही मजाक में सही , सोहर की तैयारी शुरू ,
और अगर साल दो साल हो गए , ... तो फिर झाड़ फूंक , डाकटर बैद सब ,...
मैंने तो इन्ही से बोल दिया था , साफ़ साफ , और सासु से भी , ... पहले पांच साल कुछ नहीं , उसके बाद , ... एकदम ,...
उफ़, शादी होते ही, सबको चिंता, पहले दिन से , बहु पोता कब देगी , अगर लेट हो गया तो तरह तरह के बहने - बाते , गैर ज़रूरी सलाह , रायचन्दो की जैसे पूरी जमात ही आ जाती है , बहु को को उस हकिम के पास ले जाओ, वो काशी के वैधराज , बेटे के लिए मशहूर हैं, ताने तो जैसे विरासत मैं ही मिले हो.
सच्ची,कोमल जी हम सभी औरतो ने यह समय काटा है, अगर , पहले साल "कुछ" हो गया , बढ़िया , मेरी बहु कब ला रही है, इसका छोटा भाई। ... देख बहु , अब हमारे दिन ही कितने रह गए हैं........ इमोशनल अत्त्याचार
' बिदेस से बोल रहे हैं ,... "
मैं गाँव की लड़की , मेरे लिए कोई बनारस से लखनऊ चला जाए तो ,..
बिदेस। ..........
मुझे सब से बड़ी चिंता यही लगी रहती थी खाएंगे क्या , वहां दाल चावल मिलेगा की नहीं ,
इनके नखड़े भी तो बहुत नहीं मिलेगा नहीं खाएंगे , कौन समझाये इन्हे
कोमल जी, बिदेस , एक ऐसा एहसास औरत के लिए अनजान डर , उनकी चिंता , फ़िक्र सोचना अब उनके नखरे कौन झेल रहा होगा।
मजबूरी मैं ही , कौन अपने शौक से अपनी जगह , अपनी मिटटी से दूर होना चाहता है , आदमी अपनी काम की तलाश मैं,औरत अपनी मजबूरी, के साथ इंतज़ार करती हुई, कुछ उनकी आने की इतनी खुसी नहीं होती जितना वापस जाने का गम होता है, उनके .आते ही
पर मन में जो उमड़ता घुमड़ता रहता है न कभी वो वो आँख से फिसल पड़ता है
कोमल जी, अपनी लाख टके की बात कह दी, एक यही तो रास्ता रह गया है हम औरतो के पास, पर उस पर भी यह कहना , आँख मैं कुछ गिर गया था.
"कोमल जी दिल को छू गयी आप की कलम" , जादू है, जो हमको खेंच लता है,
बस प्यार बरसाते रहिये। .......
जो मैंने लिखा , जो नहीं लिख पायी , सब कुछ , एकदम मेरे मन की बात , कही अनकही सब कुछ
आप ऐसी सहेलो मिली , बस यही सोच कर मैं खुश रहती हूँ , वरना आज कल चारों ओर की ख़बरें , माहौल , सिर्फ डर डर
आपका साथ , गहरी काली रात के बात आने वाली विभावरी का विश्वास दिलाता रहता है ,बस हाथ थामे रहिएगा ,