11-04-2020, 02:44 PM
स्वामी - अरे अरे रुक जाओ. यह काम हम खुद करेंगे. हम तुम्हारेजवानी का रस एक एक स्टेज पर भरपूर तरीके से पीयेंगे ओर उसके बाद _ _
स्वामी ने अजंता को पीछे से थाम लिया और उसकी पीठ चूमने लगा. स्वामी अघोर बाबा ने अजंता को पीछे से पकड़ लिया. अजंता उसकी मज़बूत पकड़ से निकलने के लिए हल्का विरोध करने लगी. स्वामी लगातार उकसे कंधो के नंगे हिस्से पर चूम रहा था. उसने कमर में सामने से हाथ दाल कर अजंता की साड़ी के प्लीट्स निकल दिए और अगले ही पल अजंता की साड़ी कमरे के फर्श को चुम रही थी. मात्र पेटीकोट और ब्लाउज में ही अजंता के निखरे रूप ने स्वामी को पागल कर दिया.
वह झुक कर उसके नंगे पेट , कमर और नाभि पर चूमने लग गया. उसने फिर से अजंता को पीछे से कमर से पकड़ा लिया और अब उसके हाथ अजंता के ब्लाउज से खेलने लगे. उसने सारे हुक खोलकर पीछे से खुला हुआ ब्लाउज खींच कर साड़ी के ऊपर ही फेंक दिया. सफ़ेद ब्रा में कैद अजंता के बड़े बड़े उरोज लगभग ७०% नंगे थे और बाहर आने को तड़प रहे थे. स्वामी ने उसकी ब्रा खोल कर सामने से खींच ली. बस फिर क्या था. सामने का नज़ारा देख कर स्वामी तो जैसे पागल हो गया. अजंता के बड़े बड़े तने हुए कलात्मक उरोज स्वामी को निमंत्रण दे रहे थे. - वह तुम तो नाम ही नहीं बल्कि तन से भी अजंता की ही मूरत हो. और उसने अजंता को कास कर अपनी बाँहों में ले लिया और उसके होंठ और गुलाबी निप्पल्स को काटने लग गया. साथ ही उसकी उँगलियाँ अजंता की कमर पर चली और अजंता के पेटीकोट का नाडा खुल गया. पेटकीयत उसकी चिकनी और सुडोल टांगों से सरकता हुआ बिस्तर पर आ गिरा. स्वामी ने उसे भी पैर से ज़मीन पर उछाल दिया और स्वयं अपने कपडे उतार दिए. स्वामी ने देखते ही देखते अजंता की कच्छी भी उतार दी. अब अजंता पूरी तरह से नंगी थी. स्वामी भी अपने कपडे उतार चुका था और अजंता का ख़ूबसूरत शरीर जो उसे बुरी तरह उत्तेजित कर चुका था वह उत्तेजना उसके लिंग में नज़र आ रही थी जो की पूरी तरह तन कर एक नाग की तरह अपना फन उठाये बैठा था. स्वामी अब अजंता पर सवार हो गया और उसे बुरी तरह से नोचें खसोटने लगा. कभी वह उसके ऊपर के शरीर में मुँह भारत तो कभी उसकी गरम हो रही चूत पर अपने चुम्बन जड़ता. स्वामी काफी देर ऐसे ही करता रहा .उसके बाद उसका नाग पूरी तरह फन फैला कर तन गया.और उसने अब अजंता की सवारी करने की थान ली.
स्वामी - अजंता अब खेल शुर होता है.
अजंता ने मन ही मन कहा- शुरू नहीं ख़त्म
स्वामी अपना घोडा दौराने लगा. उधर अजंता ने खुद को एक दम से संयम किया और आँखें बंद करके हलके से मन ही मन कुछ उच्चारण करने लगी. उसका चेहरा थोड़ा लाल हो गया.
स्वामी - वह तुम तो सुर्ख हो रही हो. हम भी मंजे खिलाडी हैं. तुम्हारी चूत अभी तक कुंवारी है अजंता. और मैं आज तुम्हारी सील तोडूंगा.
सवाई अपना घोडा और ज़ोर से दौराने लगा.
पर तभी - अचानक स्वामी को लगा की उसके शरीर मैं करंट दौर रहा है. उसे ज़ोर से पसीना आया और उसे लगा की उसके विशेष अनाज मैं अजीब सा दर्द उठा और जलन महसूस हुई.
उसका अंग अजंता की गुलाबी दीवारों से बाहर निकल कर तड़प उठा - अअअअअअअ वह ज़ोर से चिल्लाया.
स्वामी चीख उठा - अजंता यह सब क्या है
अजंता जो अब तक लेती हुई थी अचानक उठ गयी और मुस्कुराने लगी - यह इंस्पेक्टर अजंता का कमाल है स्वामी अघोर बाबा.
स्वामी - अरे मेरा अंग मेरा शरीर.
अजंता ने उस नंगी हालत मैं ही कमरे मैं टहलना शुर कर दिया - स्वामी मेरे पास एक दवा है जिससे तो बच सकता है. पर उससे पहले अपने काले कारनामो का सारा कच्चा चिटठा मुझे सौंप दे.
स्वामी - नहीं नहीं
अजंता - स्वामी अव्वल तो तू बचेगा नहीं. और बच गया तो किस काम का नहीं रहेगा.
स्वामी - इंस्पेक्टर अजंता तुमममम ?
तभी बाहर एक दम बहुत से विस्फोट हो गए मानो आक्रमण हुआ हो. स्वामी को बोर्ड से आवाज़ आयी - स्वामीजी सिक्युरिटी ने ज़ोरों शोरों से आक्रमण कर दिया
स्वामी बुरी हालत में अजंता की ओर देखने लगा
अजंता हंसने लगी - स्वामी वह क्या है की जिसको तूने नक़ली चीते के पांव और पेड़ों के पत्ते का डिज़ाइन दिया था वह बहुत अच्छा कलाकार था. पर एक बेवकूफी कर गया. उसने काम होने के बाद वह काग़ज़ा फाड़ के जंगल मैं फेंक दिया जिसके टुकड़े मेरे हाथ लग गए. और तू क्या मुझे बताएगा मुझे यह सब सहक पहले ही हो चुके थे के तू मेरे ही आने का इंतज़ार कर रहा है.
खैर अब सिक्युरिटी और कमांडोज़ ने तेरे आश्रम पर हुम्ला कर दिया है. बचना है या __ __
स्वामी ने झट से दो डेरियां निकाली - यह लो अजंता मेरे इन देशों मैं आश्रम हैं और _ __
अजंता ने वह अपने पास रख ली और इत्मीनान से कपडे पहन ने लगी. साड़ी का पल्लू ठीक किया और एक रिवाल्वर हाथ मैं लेकर बाहर निकल गयी.
स्वामी - चीखता रहा - अजंता वह दवाई.
अजंता - गुड बाय स्वामी. अजंता के दोनों हाथों मैं रिवाल्वर था. सिक्युरिटी अंदर आ चुकी थी और स्वामी के आदमियों पर लगातार गोलियां चल रही थी.
एक अफसर बोलै - गुड इवनिंग मैडम. हमने सिचुएशन को पूरी तरह काबू मैं ले लिया है.
अजंता ने अपने दोनों साथी बुला लिए थे- गुड अब इस आश्रम को मिटटी मैं तब्दील करना है.
अफसर - पर मैडम वह स्वामी अघोर बाबा
अजंता - मर चुका है. और यह डेयरियां हैं उसके कारनामो का चिटठा
अफसर हैरत से उसे देखता रहा.
कुछ हिओ देर मैं वह आश्रम मलबे मैं बदल चुका था
अफसर - मैडम कोंग्रटुलशियन्स.
अजंता - आप सब लोगों को भी
अफसर - पर मैडम एक खबर और भी है.
अजंता - क्या
अफसर - वह टाइगर जो यहाँ आने वाला था नहीं आया और हमारे हाथों से बस निकला
अजंता - ओह्ह . कोई बात नहीं अफसर. उसका भी जल्दी ही इलाज हो जायेगा.
स्वामी ने अजंता को पीछे से थाम लिया और उसकी पीठ चूमने लगा. स्वामी अघोर बाबा ने अजंता को पीछे से पकड़ लिया. अजंता उसकी मज़बूत पकड़ से निकलने के लिए हल्का विरोध करने लगी. स्वामी लगातार उकसे कंधो के नंगे हिस्से पर चूम रहा था. उसने कमर में सामने से हाथ दाल कर अजंता की साड़ी के प्लीट्स निकल दिए और अगले ही पल अजंता की साड़ी कमरे के फर्श को चुम रही थी. मात्र पेटीकोट और ब्लाउज में ही अजंता के निखरे रूप ने स्वामी को पागल कर दिया.
वह झुक कर उसके नंगे पेट , कमर और नाभि पर चूमने लग गया. उसने फिर से अजंता को पीछे से कमर से पकड़ा लिया और अब उसके हाथ अजंता के ब्लाउज से खेलने लगे. उसने सारे हुक खोलकर पीछे से खुला हुआ ब्लाउज खींच कर साड़ी के ऊपर ही फेंक दिया. सफ़ेद ब्रा में कैद अजंता के बड़े बड़े उरोज लगभग ७०% नंगे थे और बाहर आने को तड़प रहे थे. स्वामी ने उसकी ब्रा खोल कर सामने से खींच ली. बस फिर क्या था. सामने का नज़ारा देख कर स्वामी तो जैसे पागल हो गया. अजंता के बड़े बड़े तने हुए कलात्मक उरोज स्वामी को निमंत्रण दे रहे थे. - वह तुम तो नाम ही नहीं बल्कि तन से भी अजंता की ही मूरत हो. और उसने अजंता को कास कर अपनी बाँहों में ले लिया और उसके होंठ और गुलाबी निप्पल्स को काटने लग गया. साथ ही उसकी उँगलियाँ अजंता की कमर पर चली और अजंता के पेटीकोट का नाडा खुल गया. पेटकीयत उसकी चिकनी और सुडोल टांगों से सरकता हुआ बिस्तर पर आ गिरा. स्वामी ने उसे भी पैर से ज़मीन पर उछाल दिया और स्वयं अपने कपडे उतार दिए. स्वामी ने देखते ही देखते अजंता की कच्छी भी उतार दी. अब अजंता पूरी तरह से नंगी थी. स्वामी भी अपने कपडे उतार चुका था और अजंता का ख़ूबसूरत शरीर जो उसे बुरी तरह उत्तेजित कर चुका था वह उत्तेजना उसके लिंग में नज़र आ रही थी जो की पूरी तरह तन कर एक नाग की तरह अपना फन उठाये बैठा था. स्वामी अब अजंता पर सवार हो गया और उसे बुरी तरह से नोचें खसोटने लगा. कभी वह उसके ऊपर के शरीर में मुँह भारत तो कभी उसकी गरम हो रही चूत पर अपने चुम्बन जड़ता. स्वामी काफी देर ऐसे ही करता रहा .उसके बाद उसका नाग पूरी तरह फन फैला कर तन गया.और उसने अब अजंता की सवारी करने की थान ली.
स्वामी - अजंता अब खेल शुर होता है.
अजंता ने मन ही मन कहा- शुरू नहीं ख़त्म
स्वामी अपना घोडा दौराने लगा. उधर अजंता ने खुद को एक दम से संयम किया और आँखें बंद करके हलके से मन ही मन कुछ उच्चारण करने लगी. उसका चेहरा थोड़ा लाल हो गया.
स्वामी - वह तुम तो सुर्ख हो रही हो. हम भी मंजे खिलाडी हैं. तुम्हारी चूत अभी तक कुंवारी है अजंता. और मैं आज तुम्हारी सील तोडूंगा.
सवाई अपना घोडा और ज़ोर से दौराने लगा.
पर तभी - अचानक स्वामी को लगा की उसके शरीर मैं करंट दौर रहा है. उसे ज़ोर से पसीना आया और उसे लगा की उसके विशेष अनाज मैं अजीब सा दर्द उठा और जलन महसूस हुई.
उसका अंग अजंता की गुलाबी दीवारों से बाहर निकल कर तड़प उठा - अअअअअअअ वह ज़ोर से चिल्लाया.
स्वामी चीख उठा - अजंता यह सब क्या है
अजंता जो अब तक लेती हुई थी अचानक उठ गयी और मुस्कुराने लगी - यह इंस्पेक्टर अजंता का कमाल है स्वामी अघोर बाबा.
स्वामी - अरे मेरा अंग मेरा शरीर.
अजंता ने उस नंगी हालत मैं ही कमरे मैं टहलना शुर कर दिया - स्वामी मेरे पास एक दवा है जिससे तो बच सकता है. पर उससे पहले अपने काले कारनामो का सारा कच्चा चिटठा मुझे सौंप दे.
स्वामी - नहीं नहीं
अजंता - स्वामी अव्वल तो तू बचेगा नहीं. और बच गया तो किस काम का नहीं रहेगा.
स्वामी - इंस्पेक्टर अजंता तुमममम ?
तभी बाहर एक दम बहुत से विस्फोट हो गए मानो आक्रमण हुआ हो. स्वामी को बोर्ड से आवाज़ आयी - स्वामीजी सिक्युरिटी ने ज़ोरों शोरों से आक्रमण कर दिया
स्वामी बुरी हालत में अजंता की ओर देखने लगा
अजंता हंसने लगी - स्वामी वह क्या है की जिसको तूने नक़ली चीते के पांव और पेड़ों के पत्ते का डिज़ाइन दिया था वह बहुत अच्छा कलाकार था. पर एक बेवकूफी कर गया. उसने काम होने के बाद वह काग़ज़ा फाड़ के जंगल मैं फेंक दिया जिसके टुकड़े मेरे हाथ लग गए. और तू क्या मुझे बताएगा मुझे यह सब सहक पहले ही हो चुके थे के तू मेरे ही आने का इंतज़ार कर रहा है.
खैर अब सिक्युरिटी और कमांडोज़ ने तेरे आश्रम पर हुम्ला कर दिया है. बचना है या __ __
स्वामी ने झट से दो डेरियां निकाली - यह लो अजंता मेरे इन देशों मैं आश्रम हैं और _ __
अजंता ने वह अपने पास रख ली और इत्मीनान से कपडे पहन ने लगी. साड़ी का पल्लू ठीक किया और एक रिवाल्वर हाथ मैं लेकर बाहर निकल गयी.
स्वामी - चीखता रहा - अजंता वह दवाई.
अजंता - गुड बाय स्वामी. अजंता के दोनों हाथों मैं रिवाल्वर था. सिक्युरिटी अंदर आ चुकी थी और स्वामी के आदमियों पर लगातार गोलियां चल रही थी.
एक अफसर बोलै - गुड इवनिंग मैडम. हमने सिचुएशन को पूरी तरह काबू मैं ले लिया है.
अजंता ने अपने दोनों साथी बुला लिए थे- गुड अब इस आश्रम को मिटटी मैं तब्दील करना है.
अफसर - पर मैडम वह स्वामी अघोर बाबा
अजंता - मर चुका है. और यह डेयरियां हैं उसके कारनामो का चिटठा
अफसर हैरत से उसे देखता रहा.
कुछ हिओ देर मैं वह आश्रम मलबे मैं बदल चुका था
अफसर - मैडम कोंग्रटुलशियन्स.
अजंता - आप सब लोगों को भी
अफसर - पर मैडम एक खबर और भी है.
अजंता - क्या
अफसर - वह टाइगर जो यहाँ आने वाला था नहीं आया और हमारे हाथों से बस निकला
अजंता - ओह्ह . कोई बात नहीं अफसर. उसका भी जल्दी ही इलाज हो जायेगा.