11-04-2020, 02:32 PM
विक्की
एक दिन की बात है .अजंता अपनी जीप चलते हुए बाजार में कुछ सामान खरीदने जा रही थी की अचानक उसे पंडित नित्यानंदजी बाहर आते हुए दिखाई दिए.
अजंता उनके चरण छू कर बोली - प्रणाम पंडितजी
पंडितजी उसे देख कर बहुत प्रसन्न हुए - जीती रहो बेटी. . क्या बात है बहुत दिन हुए तुम मिलने नहीं आयी
अजंता - क्या करू पंडितजी कुछ काम में बहुत व्यस्त थी
पंडितजी - बच्चे तुम्हे बहुत याद करते हैं
अजंता - ठीक है पंडितजी - परसों इतवार है. मैं बच्चों से मिलने ज़रूर आउंगी.
दो दिन बाद अजंता जब बच्चों से मिलने पहुंची तो उसके हाथ मैं उनके लिए चॉक्लेट / टॉफियन इत्यादि थे.अजंता ने पीले रंग की जारजट की साड़ी और मेल खाता एक टाइट, स्लीवलेस ब्लाउज पहन रखा था.
बच्चे भी ख़ुशी से उसके पास दीदी दीदी करते हुए आ गए. और जो बच्चा अजंता से सबसे ज्यादा हिला हुआ था उसका नाम था मुन्ना - बहुत प्यारा और बहुत शैतान. अजंता से सबसे ज्यादा वही हिला मिला था
अजंता ने उसे गोद में ले लिया और बच्चों में चॉकलेट्स इत्यादि बाँट कर उनके पास बैठ गयी और उनसे मीठी मीठी बातें करने लगी.
बच्चे भी कभी उसकी गोद में चढ़ते , कभी उसकी साड़ी खींचते और कभी गुदगुदी करते.
मुन्ना - दीदी आज न आप बिलकुल पीली परी लग रहे हो
अजंता - अच्छा पीली साड़ी पहनी है इस लिए.
मुन्ना - बाकि भी तो सब पीला ही है
अजंता - बाकि पीला _ _ मतलब
मुन्ना ने अजंता के वक्ष पर हाथ रख दिया - यह आपका यह वाला कपडा और फिर उसके पैरों के नीचे झुक कर उसके पेटीकोट के फ्रिल्लस पकड़कर हलके से खींचा - यह भी
अजंता - ऐ शैतान - अब तो मेरे ब्लाउज और पेटीकोट पर भी पहुँच गया
मुन्ना - अरे बाबा क्यों परेशांन होते हो दीदी - में कुछ उतार थोड़े ही रहा हूँ - वह बड़ी मासूमियत से बोला.
सब बच्चे हंसने लगे और अजंता का गाल लज्जा से लाल हो गया - कितना शैतान है तू मुन्ना - तेरे साथ अकेले तो बहुत ही खतरा हो जायेगा
मुन्ना - अरे नहीं दीदी अकेले में तो में आपको और भी जयादा प्यार करूँगा - और साथ ही वह शर्मा गया और अजंता की गोद में अपना सर छुपा लिया
तभी पंडितजी ने आवाज़ लगाई - अजंता बेटी तुम्हारा फ़ोन है
अजंता कुछ चकित हुई - अभी यहाँ इस वक़्त किसका फ़ोन आ गया
अजंता ने जैसे ही रिसीवर उठाया एक कड़क आवाज़ आयी - इंस्पेक्टर अजंता
अजंता - हाँ बोल रही हूँ - कौन ?
उधर से एक ज़ोरदार आवाज़ आयी - में विक्की - टाइगर का आदमी - तुम बहुत दिनों से मुझे तलाश कर रही हो न
अजंता गंभीर हो गयी - ओहो तुम - मुझे यहाँ इस वक़्त फ़ोन करने का _ __
विक्की - तुम बहुत कूद रही हो अजंता - में तुम्हे चल्लेंज करता हूँ एक मुक़ाबले के लिए - अगर तुम जीत गयीं तो सदा के लिए खुद को तुम्हारे हवाले कर दूंगा वरना _ _
अजंता - अच्छा? तो ठीक है में तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ
और अजंता हैरान हो गयी यह देख कर की १० मिनट से काम समय पर अजंता के सामने विक्की खड़ा था - अजंता ने उसे फोटो में देख रख था - विक्की दिखने में एक मासूम सा 19-20 साल का लड़का लगता था और कोई उसे देख कर यह नहीं कह सकता था की मुजरिमो के एक बहुत बड़े सरगना के लिए यह काम करता है.
विक्की अजंता के आश्रम में घुस गया और ऊँचे ऊँचे बोलने लगा - इंस्पेक्टर अजंता तुम खुद को समझती क्या हो - कुछ अड्डे तबाह करके तुमने सोच लिया की तुम बहुत ऊँची हो गयी हो.याद रखना तुम्हे एक दिन में इसी आश्रम में तुम्हारे बच्चों के सामने मiरूंगा
अजंता मुस्कुरा उठी - विक्की - एक दिन क्यों - आज क्यों नहीं - हो जाये मुक़ाबला
विक्की के चेहरे पर कटु भाव आ गए और उसने अपनी जेब से रिवाल्वर निकल लिया
सब बच्चे यह देख कर सहम गए . पर अजंता अभी भी मुस्कुरा रही थी - विक्की यह तो कोई बात नहीं हुई - में निहत्थी और तुम्हारे हाथ में रिवाल्वर?
विक्की आश्रम की छत पर आ गया जहाँ अजंता और बच्चे बैठे हुए थे और उसने रिवाल्वर अजंता के सामने फेंक दिया - जो रिवाल्वर पहले पकड़ेगा उसी का दांव - में तुम्हारा यह आश्रम तबाह कर दूंगा
और वह फुर्ती से रिवाल्वर केी और कूद पड़ा
पर अजंता भी सावधान थी उसने साड़ी का पल्ला कमर में दाल दिया और जम्प किया - रिवाल्वर पर अब दोनों के हाथ थे और दोनों उसे छीनने की कोशिश करने लगी. इस प्रतिक्रिया में रिवाल्वर दूर जा गिरा
अब दोनों अपने हाथ चलने लगे . अजंता ने एक करते का दांव दिखाया पर शकेल ने झुक कर खुद को बचा लिया. उसने अजंता के पैरों पर वॉर किया पर अजंता ने जम्प लगायी और खुद को बचा लिया .
दोनों एक दुसरे से युद्ध करने लगे और एक दुसरे के दांव काट रहे था. बीच में अजंता का दांव चल तो विक्की को ठोकर लगी और वह दूर जा गिरा.
दोनों लड़ते लड़ते आश्रम की छत के कोने में पहुँच गए. यह कोना अहराम के पिछवाड़े की और था जिसके नीचे कुछ काम चल रह था और इसलिए एक गहरी खाई खुदी हुई थी - यानि अगर कोई उस स्थान से छत से गिरे तो उसी खाई में जा पहुंचेगा
अजंता और विक्की की लड़ाई जारी थी. विक्की अजंता से मुक़ाबला कर रहा था पर अजंता को न जाने क्यों लग रह था की विक्की उससे पूरे ज़ोर शोर से नहीं लड़ रह मIनो दिखवा कर रह हो. उसने अज्ञात पर अभी तक कोई वॉर खुलकर नहीं किया था बस वह उसके वार काट रह था
सब बचे सहमे हुए कभी उन दोनों को देखते तो कभी एक दुसरे को.
विक्की ने अजंता का हाथ पकड़ कर उसे झटका देकर नीचे गिराना चाहा परन्तु अजंता ने उसका वार काट दिया और उसे ज़ोर से किक किया जिससे वह सीधे कोने की पास जा पहुंचा .विक्की ने खुद को बचने के लिए छत के ऊपर मुंडेर का सहारा लियापर उसके शरीर का ज़ोर सामने की तरफ था . उसका पाँव फिसला और उसका शरीर छत की मुंडेर की उलटी तरफ लटक गया . अब उसके नीचे वही खाई थी. अगर विक्की गिरता तो उसे बहुत भारी चोट भी लग सकती थी.
उसके मुँह से चीख निकल गई.
सब बच्चे चिल्ला उठे - दीदी वह गिर कर मर जायेगा
अजंता भी चकित हो गयी थी. विक्की खुद को बचने के लिए मुंडेर से ऊपर अपना शरीर उठाने की कोशिश कर रह था. पर उसके हाथ बड़ी मुश्किल से इस मुंडेर को थामे खड़े थे.ऐसा लगता था जैसे वह छत कर गिरने ही वाला है.उसका एक हाथ लगभग छूट गया था
अजंता इधर उधर देखने लगी पर जो वह ढून्ढ रही थी उसे न मिला.उसके मन में एक विचार आया. उसने अपनी पीली साड़ी का पल्लू हटाया और विक्की को कहा - इसे जल्दी से थाम लो.
विक्की ने चौंक कर उसकी ओर देखा फिर एक हाथ से पल्लू थाम लिया और छत पर चढ़ने के लिए संघर्ष करने लगा.
अजंता भी साड़ी का छोर अपनी और खींचने लगी.
विक्की को बचने के चककर में अजंता का शरीर और उसके साथ उसकी साड़ी घूमने लगी. पर अजंता का ध्यान सिर्फ विक्की पर था .
विक्की को अपनी ओर खींचनी के लिए उसने साड़ी को और खींचा और विपरीत दिशा में उसका शरीर घूमने लगा
अजंता की साड़ी खुल गयी और उसने विक्की को कुछ और हिस्सा आगे की तरफ बढ़ा दिया. विक्की ने साड़ी को मज़बूती से थामा था .
अजंता की साड़ी उतर गयी पर उसने परवाह न की. विक्की बड़ी मुश्किल से छत की मुंडेर पार करके ऊपर आ सका .
विक्की जैसे ही ऊपर आया वह छत पर गिर सा गया.
अजंता तुरंत एक कोने में गयी और अपनी साड़ी जो की थोड़ी सी गन्दी भी हो गयी थी कुछ झाड़ा और उसका एक छोर अपने पेटीकोट में डाला. अजंता का शरीर घुमा और साड़ी के कोने उसके पेटीकोट में घुसने लगे. अजंता ने झट से साड़ी पहन ली और कोने से हट कर बाहर आ गयी
अजंता ने अपना पल्लू ठीक किया. तभी सब ने देखा की विक्की के हाथों में खरोंच आयी है
मुन्ना उसकी और बढ़ा और एक रूमाल उसे दे दिया - भैया आपके हाथों में खून निकल रहा है इसको पौंछ लो - वह बड़ी मासूमियत से बोला.
अजंता के स्वर में सख्ती आ गयी - विक्की तुम इस आश्रम को तबाह करना चाहते थे न . इन मासूम बच्चों की जान लेना चाहते थे _ _
विक्की कभी मुन्ना को देखता और कभी अजंता को - तभी वह दोनों हाथों में मुँह छुपा कर रो पड़ा.
विक्की रोते रोते अजंता के पैरों में गिर पड़ा - नहीं दीदी बिल्कुल नहीं में इन मासूमों की जान कैसे ले सकता हूँ - में तो खुद _ _ और रोते हुए उसकी हिचकियाँ बंध गयीं.उसने मुन्ना को अपने सीने से लगा लिया
अजंता हैरान हो गयी - दीदी ??? फिर वह खुद को संयत करके बोली - अब मुझसे माफ़ी मांगने का क्या फायदा - अगर तुम्हे इतना ही पछतIवा है तो खुद को कानून के हवाले कर दो और टाइगर के बाकि के सारे धंधों का पता ठिकाना ___
विक्की ने ऊपर देखा और अजंता के दोनों हाथ थाम लिए - आपसे माफ़ी नहीं मांग रहा दीदी - आपका शुक्रिया कर रहा हूँ - आज आपने मुझे वह मौका दिया है जिसकी मुझे कई बरसों से तलाश थी
अब अजंता की बारी थी बहुत बुरी तरह से हैरान होने की - क्या मतलब है तुम्हारा.
विक्की - दीदी मैं टाइगर का आदमी ज़रूर हूँ पर _ _ यह कहकर वह इधर उधर देखने लगा
अजंता समझ गयी - विक्की मैं बस निकल वाली थी - तुम ऐसा करो मेरे घर पहुंचो पर बेहद सावधानी और ख़ुफ़िया तरीके से.
वहीँ पर सारी बात करेंगे .पता नहीं क्यों पर अजंता को विक्की पर कुछ भरोसा हो रह था और उसे यह भी लग रह था की शायद यह आवाज़ वह सुन चुकी है.
ध्यान रखना मेरा घर एक थोड़ी सी आइसोलेटेड (हट कर ) जगह पर है पर फिर भी कोई तुम्हे देख न ले.
विक्की - ठीक है दीदी, मैं एक टेलीफोन ऑपरेटरबनकर भेष बदल कर आऊंगा
विक्की - ठीक है दीदी, मैं एक टेलीफोन ऑपरेटर बनकर भेष बदल कर आऊंगा
अजंता ने पंडितजी और बच्चों को बाय बोलI और अपने घर आ गयी और विक्की का इंतज़ार करने लगी . तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई और उसने देखा की विक्की भेष बदल कर आया है
उसने विक्की को अंदर बुला लिया
अजंता - विक्की बैठो में चेंज करके आती हूँ.
अजंता अपने बैडरूम में गयी और उसने अपनी अलमारी खोल दी .विक्की को बचने के चक्कर में उसकी साड़ी कुछ हद तक मैली हो गयी थी और ब्लाउज में भी कुछ धुल मिटटी लग गयी थी.
वह अपनी साड़ी उतारने लग गयी. उसके बाद ब्लाउज और पेटीकोट भी उतार दिया. उसने एक ब्राउन कलर की प्रिंटेड साड़ी , मेल कहता उसी रंग का ब्लाउज और एक दूसरा पीला पेटीकोट निकला और उसे पहन लिया.उसके बाद उसने अपना ब्लाउज भी पहन लिया.
ब्लाउज में से उभरी हुई वक्ष रेखा देख कर वह हलके से मुस्कुरायी और साड़ी पहनने लगी.
उसके पश्चात उसने अपने बालों को जूड़े की भाँती सेट किया (आम तौर पर जब वह वर्दी मैं नहीं होती थी तो बाल खुले ही रखती थी) और अपनी साड़ी से एक हल्का घूँघट जूड़े पर किया. घर पर अभी उसकी काम वाली नहीं थी इसलिए उसने खुद दो कप चाय बनाये और विक्की के पास आ गयी.
वास्तव में उसका विश्वास अब विक्की पर और अधिक हो गया था. उसने जान बूझ कर विक्की से यह कहा था की वह चेंज करने जा रही है और इतना ही नहीं, अपने कपडे बदलते हुए दरवाज़ा भी खुला रखा था ताकि विक्की की शराफत को परखा जा सके
अजंता - लो विक्की चाय पीयो.
विक्की - थैंक यू दीदी. और वह चाय पीते हुए अपनी थकन उतारने लगा.
चाय पीने के बाद अजंता ने कहा - बोलो विक्की तुम मुझे क्या क्या बता सकते हो.
विक्की - दीदी मैं जो आपको बताने जा रहा हूँ उस से पहले आपसे कुछ पूछना चाहता हूँ.
अजंता - क्या ?
विक्की - पिछले कुछ समय से आपके सामने ऐसे कई अवसर आये होंगे जिसमे आपने यह सोचा होगा की - मेरा मददगार कौन है.
अजंता बुरी तरह चौंक गयी - हाँ पर तुम यह सब _ _ _
विक्की - क्योंकि में ही वह शख्स हूँ.
अजंता - क्या - यह तुम क्या कह रहे हो विक्की. तुम मुझे वह खबरें देते रहे जहाँ जहाँ भी में अपने ऑपरेशन करती थी?
विक्की - हाँ दीदी और इतना ही नहीं जब उस दिन कुछ साल पहले आप की इज़्ज़त लूटने की कोशिश की जा रही थी वह लोहे की छड़ उस दीवार से मैंने ही आपको दी थी.
अजंता - विक्की - तुमममम - पर यह सब --- देखो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा
विक्की - दीदी आपकी और मेरी कहानी मिलती जुलती है. आपकी तरह मेरे परिवार को भी टाइगर ने मार दिया था. मेरे माँ बाप और बड़ी बहन (उनको तो अपनी इज़्ज़त बचने के लिए कुँए में कूदना पड़ा). मैं तब गांव की कॉलेज में पढता था और बेहद छोटा सा मासूम लड़का था.मुझे टाइगर उठा लाया और अपने गिरोह में शामिल कर लिया. जब मेरे हाथों में कॉलेज की किताब और खेलने की लिए खिलोने होने चाहिए थे, उसने मुझे पिस्तौल थमा दी. टाइगर ने सोचा की मैं एक बच्चा था मुझे क्या याद रहेगा. मैं उसके लिए काम तो करता रहा लेकिन मेरे अंदर बदले की भIवनI दिन प्रतिदिन बढ़ती रही.
एक वक़्त आया जब में टाइगर के साथ काम करते करते उसके ही नहीं बल्कि उसकी कॉम्पिटिटर या यूँ कहें की जानी दुश्मन सौतेले भाई दुर्जन के गिरोह की भी कमियां और कमज़ोरियाँ तलाशने लगा.और जब जब मुझे कुछ पता चलता और मौका मिलता मैं आपको खबर कर देता था.
आपको में पिछले कुछ साल से देख रहा हूँ. पहले बार तब जब आपको प्रकश ने फ़साने की कोशिश की - आपकी इज़्ज़त बचाने के बाद भी मैं कई बार आपको देखता रहा . फिर जब उसके कुछ साल बाद आप एक सिक्युरिटी अफसर के रूप में सामने आयीं तो मेरी उम्मीदें जाग उठीं. आपने जब दुर्जन और टाइगर को ख़तम करने का बीड़ा उठाया तो मैं तभी यह फैसला कर बैठा की बैकडोर से आपकी मदद करूँगा और ठीक मौका देखकर आपके सामने आऊंगा.
अजंता - एक मिनट विक्की. आगे बताने से पहले मुझे एक बात पूछनी थी. में भी ऐसा कुछ सुना है की यह दोनों सौतेले भाई हैं और दोनों को ही अपने असली बाप का नहीं पता.
उत्तर में विक्की ने एक तस्वीर निकाली - इसे देखिये और पहचानिये.
अजंता ने वह तस्वीर अपने हाथ में ली और गौर से देखने लगी. वह तस्वीर एक गोर रंग की कुछ थुलथुल शरीर की स्वामिनी एक औरत की थी जो की पान चबा रही थी और जिसकी सूरत पर वहशी पाना साफ़ झलक रहा था. अजंता को लगा वह इस औरत से पहले मिल चुकी है. वह अपनी याददाश्त पर ज़ोर देने लगी. और उसे अचानक याद आ गया - विक्की यह तो वही औरत है जो उस दिन _ _
विक्की - हाँ दीदी यह वही औरत है - फल्लू बाई. जब आप के साथ बलात्कार करने की कोशिश की गयी और आपका वह दोस्त प्रकाश ही आपको फंसा रहा था उस दिन उस घर में यही औरत मौजूद थी. इस औरत को में अगर एक वेश्या या बाज़ारों औरत कहूं तो बिलकुल भी गलत न होगा.
इसके कई मर्दों से नाजायज सम्बन्ध हैं और इस ने उन दो हरामजादों दुर्जन और टाइगर को जन्म दिया है. आज भी यह औरत वेश्यालय चलाती है और आपके डिपार्टमेंट में एस. पी शैतान सिंह और कुछ अन्य भ्रष्टाचारी ऑफिसर्स को लड़कियां तक सप्लाई करती है.
एक दिन की बात है .अजंता अपनी जीप चलते हुए बाजार में कुछ सामान खरीदने जा रही थी की अचानक उसे पंडित नित्यानंदजी बाहर आते हुए दिखाई दिए.
अजंता उनके चरण छू कर बोली - प्रणाम पंडितजी
पंडितजी उसे देख कर बहुत प्रसन्न हुए - जीती रहो बेटी. . क्या बात है बहुत दिन हुए तुम मिलने नहीं आयी
अजंता - क्या करू पंडितजी कुछ काम में बहुत व्यस्त थी
पंडितजी - बच्चे तुम्हे बहुत याद करते हैं
अजंता - ठीक है पंडितजी - परसों इतवार है. मैं बच्चों से मिलने ज़रूर आउंगी.
दो दिन बाद अजंता जब बच्चों से मिलने पहुंची तो उसके हाथ मैं उनके लिए चॉक्लेट / टॉफियन इत्यादि थे.अजंता ने पीले रंग की जारजट की साड़ी और मेल खाता एक टाइट, स्लीवलेस ब्लाउज पहन रखा था.
बच्चे भी ख़ुशी से उसके पास दीदी दीदी करते हुए आ गए. और जो बच्चा अजंता से सबसे ज्यादा हिला हुआ था उसका नाम था मुन्ना - बहुत प्यारा और बहुत शैतान. अजंता से सबसे ज्यादा वही हिला मिला था
अजंता ने उसे गोद में ले लिया और बच्चों में चॉकलेट्स इत्यादि बाँट कर उनके पास बैठ गयी और उनसे मीठी मीठी बातें करने लगी.
बच्चे भी कभी उसकी गोद में चढ़ते , कभी उसकी साड़ी खींचते और कभी गुदगुदी करते.
मुन्ना - दीदी आज न आप बिलकुल पीली परी लग रहे हो
अजंता - अच्छा पीली साड़ी पहनी है इस लिए.
मुन्ना - बाकि भी तो सब पीला ही है
अजंता - बाकि पीला _ _ मतलब
मुन्ना ने अजंता के वक्ष पर हाथ रख दिया - यह आपका यह वाला कपडा और फिर उसके पैरों के नीचे झुक कर उसके पेटीकोट के फ्रिल्लस पकड़कर हलके से खींचा - यह भी
अजंता - ऐ शैतान - अब तो मेरे ब्लाउज और पेटीकोट पर भी पहुँच गया
मुन्ना - अरे बाबा क्यों परेशांन होते हो दीदी - में कुछ उतार थोड़े ही रहा हूँ - वह बड़ी मासूमियत से बोला.
सब बच्चे हंसने लगे और अजंता का गाल लज्जा से लाल हो गया - कितना शैतान है तू मुन्ना - तेरे साथ अकेले तो बहुत ही खतरा हो जायेगा
मुन्ना - अरे नहीं दीदी अकेले में तो में आपको और भी जयादा प्यार करूँगा - और साथ ही वह शर्मा गया और अजंता की गोद में अपना सर छुपा लिया
तभी पंडितजी ने आवाज़ लगाई - अजंता बेटी तुम्हारा फ़ोन है
अजंता कुछ चकित हुई - अभी यहाँ इस वक़्त किसका फ़ोन आ गया
अजंता ने जैसे ही रिसीवर उठाया एक कड़क आवाज़ आयी - इंस्पेक्टर अजंता
अजंता - हाँ बोल रही हूँ - कौन ?
उधर से एक ज़ोरदार आवाज़ आयी - में विक्की - टाइगर का आदमी - तुम बहुत दिनों से मुझे तलाश कर रही हो न
अजंता गंभीर हो गयी - ओहो तुम - मुझे यहाँ इस वक़्त फ़ोन करने का _ __
विक्की - तुम बहुत कूद रही हो अजंता - में तुम्हे चल्लेंज करता हूँ एक मुक़ाबले के लिए - अगर तुम जीत गयीं तो सदा के लिए खुद को तुम्हारे हवाले कर दूंगा वरना _ _
अजंता - अच्छा? तो ठीक है में तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ
और अजंता हैरान हो गयी यह देख कर की १० मिनट से काम समय पर अजंता के सामने विक्की खड़ा था - अजंता ने उसे फोटो में देख रख था - विक्की दिखने में एक मासूम सा 19-20 साल का लड़का लगता था और कोई उसे देख कर यह नहीं कह सकता था की मुजरिमो के एक बहुत बड़े सरगना के लिए यह काम करता है.
विक्की अजंता के आश्रम में घुस गया और ऊँचे ऊँचे बोलने लगा - इंस्पेक्टर अजंता तुम खुद को समझती क्या हो - कुछ अड्डे तबाह करके तुमने सोच लिया की तुम बहुत ऊँची हो गयी हो.याद रखना तुम्हे एक दिन में इसी आश्रम में तुम्हारे बच्चों के सामने मiरूंगा
अजंता मुस्कुरा उठी - विक्की - एक दिन क्यों - आज क्यों नहीं - हो जाये मुक़ाबला
विक्की के चेहरे पर कटु भाव आ गए और उसने अपनी जेब से रिवाल्वर निकल लिया
सब बच्चे यह देख कर सहम गए . पर अजंता अभी भी मुस्कुरा रही थी - विक्की यह तो कोई बात नहीं हुई - में निहत्थी और तुम्हारे हाथ में रिवाल्वर?
विक्की आश्रम की छत पर आ गया जहाँ अजंता और बच्चे बैठे हुए थे और उसने रिवाल्वर अजंता के सामने फेंक दिया - जो रिवाल्वर पहले पकड़ेगा उसी का दांव - में तुम्हारा यह आश्रम तबाह कर दूंगा
और वह फुर्ती से रिवाल्वर केी और कूद पड़ा
पर अजंता भी सावधान थी उसने साड़ी का पल्ला कमर में दाल दिया और जम्प किया - रिवाल्वर पर अब दोनों के हाथ थे और दोनों उसे छीनने की कोशिश करने लगी. इस प्रतिक्रिया में रिवाल्वर दूर जा गिरा
अब दोनों अपने हाथ चलने लगे . अजंता ने एक करते का दांव दिखाया पर शकेल ने झुक कर खुद को बचा लिया. उसने अजंता के पैरों पर वॉर किया पर अजंता ने जम्प लगायी और खुद को बचा लिया .
दोनों एक दुसरे से युद्ध करने लगे और एक दुसरे के दांव काट रहे था. बीच में अजंता का दांव चल तो विक्की को ठोकर लगी और वह दूर जा गिरा.
दोनों लड़ते लड़ते आश्रम की छत के कोने में पहुँच गए. यह कोना अहराम के पिछवाड़े की और था जिसके नीचे कुछ काम चल रह था और इसलिए एक गहरी खाई खुदी हुई थी - यानि अगर कोई उस स्थान से छत से गिरे तो उसी खाई में जा पहुंचेगा
अजंता और विक्की की लड़ाई जारी थी. विक्की अजंता से मुक़ाबला कर रहा था पर अजंता को न जाने क्यों लग रह था की विक्की उससे पूरे ज़ोर शोर से नहीं लड़ रह मIनो दिखवा कर रह हो. उसने अज्ञात पर अभी तक कोई वॉर खुलकर नहीं किया था बस वह उसके वार काट रह था
सब बचे सहमे हुए कभी उन दोनों को देखते तो कभी एक दुसरे को.
विक्की ने अजंता का हाथ पकड़ कर उसे झटका देकर नीचे गिराना चाहा परन्तु अजंता ने उसका वार काट दिया और उसे ज़ोर से किक किया जिससे वह सीधे कोने की पास जा पहुंचा .विक्की ने खुद को बचने के लिए छत के ऊपर मुंडेर का सहारा लियापर उसके शरीर का ज़ोर सामने की तरफ था . उसका पाँव फिसला और उसका शरीर छत की मुंडेर की उलटी तरफ लटक गया . अब उसके नीचे वही खाई थी. अगर विक्की गिरता तो उसे बहुत भारी चोट भी लग सकती थी.
उसके मुँह से चीख निकल गई.
सब बच्चे चिल्ला उठे - दीदी वह गिर कर मर जायेगा
अजंता भी चकित हो गयी थी. विक्की खुद को बचने के लिए मुंडेर से ऊपर अपना शरीर उठाने की कोशिश कर रह था. पर उसके हाथ बड़ी मुश्किल से इस मुंडेर को थामे खड़े थे.ऐसा लगता था जैसे वह छत कर गिरने ही वाला है.उसका एक हाथ लगभग छूट गया था
अजंता इधर उधर देखने लगी पर जो वह ढून्ढ रही थी उसे न मिला.उसके मन में एक विचार आया. उसने अपनी पीली साड़ी का पल्लू हटाया और विक्की को कहा - इसे जल्दी से थाम लो.
विक्की ने चौंक कर उसकी ओर देखा फिर एक हाथ से पल्लू थाम लिया और छत पर चढ़ने के लिए संघर्ष करने लगा.
अजंता भी साड़ी का छोर अपनी और खींचने लगी.
विक्की को बचने के चककर में अजंता का शरीर और उसके साथ उसकी साड़ी घूमने लगी. पर अजंता का ध्यान सिर्फ विक्की पर था .
विक्की को अपनी ओर खींचनी के लिए उसने साड़ी को और खींचा और विपरीत दिशा में उसका शरीर घूमने लगा
अजंता की साड़ी खुल गयी और उसने विक्की को कुछ और हिस्सा आगे की तरफ बढ़ा दिया. विक्की ने साड़ी को मज़बूती से थामा था .
अजंता की साड़ी उतर गयी पर उसने परवाह न की. विक्की बड़ी मुश्किल से छत की मुंडेर पार करके ऊपर आ सका .
विक्की जैसे ही ऊपर आया वह छत पर गिर सा गया.
अजंता तुरंत एक कोने में गयी और अपनी साड़ी जो की थोड़ी सी गन्दी भी हो गयी थी कुछ झाड़ा और उसका एक छोर अपने पेटीकोट में डाला. अजंता का शरीर घुमा और साड़ी के कोने उसके पेटीकोट में घुसने लगे. अजंता ने झट से साड़ी पहन ली और कोने से हट कर बाहर आ गयी
अजंता ने अपना पल्लू ठीक किया. तभी सब ने देखा की विक्की के हाथों में खरोंच आयी है
मुन्ना उसकी और बढ़ा और एक रूमाल उसे दे दिया - भैया आपके हाथों में खून निकल रहा है इसको पौंछ लो - वह बड़ी मासूमियत से बोला.
अजंता के स्वर में सख्ती आ गयी - विक्की तुम इस आश्रम को तबाह करना चाहते थे न . इन मासूम बच्चों की जान लेना चाहते थे _ _
विक्की कभी मुन्ना को देखता और कभी अजंता को - तभी वह दोनों हाथों में मुँह छुपा कर रो पड़ा.
विक्की रोते रोते अजंता के पैरों में गिर पड़ा - नहीं दीदी बिल्कुल नहीं में इन मासूमों की जान कैसे ले सकता हूँ - में तो खुद _ _ और रोते हुए उसकी हिचकियाँ बंध गयीं.उसने मुन्ना को अपने सीने से लगा लिया
अजंता हैरान हो गयी - दीदी ??? फिर वह खुद को संयत करके बोली - अब मुझसे माफ़ी मांगने का क्या फायदा - अगर तुम्हे इतना ही पछतIवा है तो खुद को कानून के हवाले कर दो और टाइगर के बाकि के सारे धंधों का पता ठिकाना ___
विक्की ने ऊपर देखा और अजंता के दोनों हाथ थाम लिए - आपसे माफ़ी नहीं मांग रहा दीदी - आपका शुक्रिया कर रहा हूँ - आज आपने मुझे वह मौका दिया है जिसकी मुझे कई बरसों से तलाश थी
अब अजंता की बारी थी बहुत बुरी तरह से हैरान होने की - क्या मतलब है तुम्हारा.
विक्की - दीदी मैं टाइगर का आदमी ज़रूर हूँ पर _ _ यह कहकर वह इधर उधर देखने लगा
अजंता समझ गयी - विक्की मैं बस निकल वाली थी - तुम ऐसा करो मेरे घर पहुंचो पर बेहद सावधानी और ख़ुफ़िया तरीके से.
वहीँ पर सारी बात करेंगे .पता नहीं क्यों पर अजंता को विक्की पर कुछ भरोसा हो रह था और उसे यह भी लग रह था की शायद यह आवाज़ वह सुन चुकी है.
ध्यान रखना मेरा घर एक थोड़ी सी आइसोलेटेड (हट कर ) जगह पर है पर फिर भी कोई तुम्हे देख न ले.
विक्की - ठीक है दीदी, मैं एक टेलीफोन ऑपरेटरबनकर भेष बदल कर आऊंगा
विक्की - ठीक है दीदी, मैं एक टेलीफोन ऑपरेटर बनकर भेष बदल कर आऊंगा
अजंता ने पंडितजी और बच्चों को बाय बोलI और अपने घर आ गयी और विक्की का इंतज़ार करने लगी . तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई और उसने देखा की विक्की भेष बदल कर आया है
उसने विक्की को अंदर बुला लिया
अजंता - विक्की बैठो में चेंज करके आती हूँ.
अजंता अपने बैडरूम में गयी और उसने अपनी अलमारी खोल दी .विक्की को बचने के चक्कर में उसकी साड़ी कुछ हद तक मैली हो गयी थी और ब्लाउज में भी कुछ धुल मिटटी लग गयी थी.
वह अपनी साड़ी उतारने लग गयी. उसके बाद ब्लाउज और पेटीकोट भी उतार दिया. उसने एक ब्राउन कलर की प्रिंटेड साड़ी , मेल कहता उसी रंग का ब्लाउज और एक दूसरा पीला पेटीकोट निकला और उसे पहन लिया.उसके बाद उसने अपना ब्लाउज भी पहन लिया.
ब्लाउज में से उभरी हुई वक्ष रेखा देख कर वह हलके से मुस्कुरायी और साड़ी पहनने लगी.
उसके पश्चात उसने अपने बालों को जूड़े की भाँती सेट किया (आम तौर पर जब वह वर्दी मैं नहीं होती थी तो बाल खुले ही रखती थी) और अपनी साड़ी से एक हल्का घूँघट जूड़े पर किया. घर पर अभी उसकी काम वाली नहीं थी इसलिए उसने खुद दो कप चाय बनाये और विक्की के पास आ गयी.
वास्तव में उसका विश्वास अब विक्की पर और अधिक हो गया था. उसने जान बूझ कर विक्की से यह कहा था की वह चेंज करने जा रही है और इतना ही नहीं, अपने कपडे बदलते हुए दरवाज़ा भी खुला रखा था ताकि विक्की की शराफत को परखा जा सके
अजंता - लो विक्की चाय पीयो.
विक्की - थैंक यू दीदी. और वह चाय पीते हुए अपनी थकन उतारने लगा.
चाय पीने के बाद अजंता ने कहा - बोलो विक्की तुम मुझे क्या क्या बता सकते हो.
विक्की - दीदी मैं जो आपको बताने जा रहा हूँ उस से पहले आपसे कुछ पूछना चाहता हूँ.
अजंता - क्या ?
विक्की - पिछले कुछ समय से आपके सामने ऐसे कई अवसर आये होंगे जिसमे आपने यह सोचा होगा की - मेरा मददगार कौन है.
अजंता बुरी तरह चौंक गयी - हाँ पर तुम यह सब _ _ _
विक्की - क्योंकि में ही वह शख्स हूँ.
अजंता - क्या - यह तुम क्या कह रहे हो विक्की. तुम मुझे वह खबरें देते रहे जहाँ जहाँ भी में अपने ऑपरेशन करती थी?
विक्की - हाँ दीदी और इतना ही नहीं जब उस दिन कुछ साल पहले आप की इज़्ज़त लूटने की कोशिश की जा रही थी वह लोहे की छड़ उस दीवार से मैंने ही आपको दी थी.
अजंता - विक्की - तुमममम - पर यह सब --- देखो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा
विक्की - दीदी आपकी और मेरी कहानी मिलती जुलती है. आपकी तरह मेरे परिवार को भी टाइगर ने मार दिया था. मेरे माँ बाप और बड़ी बहन (उनको तो अपनी इज़्ज़त बचने के लिए कुँए में कूदना पड़ा). मैं तब गांव की कॉलेज में पढता था और बेहद छोटा सा मासूम लड़का था.मुझे टाइगर उठा लाया और अपने गिरोह में शामिल कर लिया. जब मेरे हाथों में कॉलेज की किताब और खेलने की लिए खिलोने होने चाहिए थे, उसने मुझे पिस्तौल थमा दी. टाइगर ने सोचा की मैं एक बच्चा था मुझे क्या याद रहेगा. मैं उसके लिए काम तो करता रहा लेकिन मेरे अंदर बदले की भIवनI दिन प्रतिदिन बढ़ती रही.
एक वक़्त आया जब में टाइगर के साथ काम करते करते उसके ही नहीं बल्कि उसकी कॉम्पिटिटर या यूँ कहें की जानी दुश्मन सौतेले भाई दुर्जन के गिरोह की भी कमियां और कमज़ोरियाँ तलाशने लगा.और जब जब मुझे कुछ पता चलता और मौका मिलता मैं आपको खबर कर देता था.
आपको में पिछले कुछ साल से देख रहा हूँ. पहले बार तब जब आपको प्रकश ने फ़साने की कोशिश की - आपकी इज़्ज़त बचाने के बाद भी मैं कई बार आपको देखता रहा . फिर जब उसके कुछ साल बाद आप एक सिक्युरिटी अफसर के रूप में सामने आयीं तो मेरी उम्मीदें जाग उठीं. आपने जब दुर्जन और टाइगर को ख़तम करने का बीड़ा उठाया तो मैं तभी यह फैसला कर बैठा की बैकडोर से आपकी मदद करूँगा और ठीक मौका देखकर आपके सामने आऊंगा.
अजंता - एक मिनट विक्की. आगे बताने से पहले मुझे एक बात पूछनी थी. में भी ऐसा कुछ सुना है की यह दोनों सौतेले भाई हैं और दोनों को ही अपने असली बाप का नहीं पता.
उत्तर में विक्की ने एक तस्वीर निकाली - इसे देखिये और पहचानिये.
अजंता ने वह तस्वीर अपने हाथ में ली और गौर से देखने लगी. वह तस्वीर एक गोर रंग की कुछ थुलथुल शरीर की स्वामिनी एक औरत की थी जो की पान चबा रही थी और जिसकी सूरत पर वहशी पाना साफ़ झलक रहा था. अजंता को लगा वह इस औरत से पहले मिल चुकी है. वह अपनी याददाश्त पर ज़ोर देने लगी. और उसे अचानक याद आ गया - विक्की यह तो वही औरत है जो उस दिन _ _
विक्की - हाँ दीदी यह वही औरत है - फल्लू बाई. जब आप के साथ बलात्कार करने की कोशिश की गयी और आपका वह दोस्त प्रकाश ही आपको फंसा रहा था उस दिन उस घर में यही औरत मौजूद थी. इस औरत को में अगर एक वेश्या या बाज़ारों औरत कहूं तो बिलकुल भी गलत न होगा.
इसके कई मर्दों से नाजायज सम्बन्ध हैं और इस ने उन दो हरामजादों दुर्जन और टाइगर को जन्म दिया है. आज भी यह औरत वेश्यालय चलाती है और आपके डिपार्टमेंट में एस. पी शैतान सिंह और कुछ अन्य भ्रष्टाचारी ऑफिसर्स को लड़कियां तक सप्लाई करती है.