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Inspector Ajanta sequel 2 - reposted
#8
दूधवाला
उसके कुछ दिनों बाद की बात है. अजंता को अपने ऑफिस में आये अभी आधा घंटा ही हुआ था की फ़ोन बज उठा.
अजंता - इंस्पेक्टर अजंता स्पीकिंग ?
उधर से आवाज़ आयी - मैडम जल्दी आईये , कालीमंदिर के पीछे के सरकारी कॉलेज में १३ बच्चों की दूध पीकर मौत हो गयी. लगता है दूध में कुछ ज़हर था.
यह खबर सुनते ही अजंता का ह्रदय जो बच्चों के प्रति बहुत ही कोमल था एक दम से धक् कर उठा.
अभी अजंता ने कुछ सोचना शुरू किया ही था की फ़ोन फिर बज उठा - हेलो
कॉलर - मैडम जाईये और प्रिंसिपल से जतिन का पता कर लीजिये - इससे पहले की अजंता कुछ समझती कॉलर ने फ़ोन काट दिया - अजंता हेलो हेलो करती रही
उसने तुरंत अपनी जीप और दो कॉन्स्टेबल्स साथ में लिए और गंतव्य स्थान पर चल दी.
कॉलेज पहुँचते ही जो अजंता ने देखा वह एक बहुत ही हृदय विदारक था. १३ मासूम बच्चों के शव सफ़ेद चादरों में लिपटे हुए थे और उसके माता पता एवं परिजन विलाप कर रहे थे.
अजंता ने होनी कैप उतर दी और उसकी आँखों में आंसू आ गए. पर उसने शीघ्र खुद पर नियंत्रण किया और कॉलेज प्रिंसिपल के कमरे में पूछ ताछ के लिए जा पहुंची
प्रिंसिपल ने जो बताया वह यों था - मैडम यहाँ सरकार की एक स्कीम जिसमे गरीब बच्चों को एक वक़्त मुफ्त खाना और दूध दिया जाता है उसके अंतर्गत हमने अपने कॉलेज में इस स्कीम को लागू किया था, हमे क्या पता था की यह इन बेचारे बच्चों का काल बन जाएगी.
अजंता - यहाँ दूध कौन सप्लाई करता है

प्रिंसिपल के चेहरे पर कुछ अजीब से भाव आ गए - जी वह वह _ _
अजंता - जतिन का पता बताओ
अब हैरान होने की बारी प्रिंसिपल की थी. अजंता हलके से मुस्कुरायी
प्रिंसिपल - मैडम पीछे की साइड एक डायरी है जिसमे जतिन नाम का सप्लायर है.
अजंता बिना एक मिनट गवाएं डायरी पर जा पहुंची. बाहर से दरवाज़ा बंद था. जैसे ही अजंता ने अंदर घुसने की कोशिश की उसे आवाज़ें आने लगी - अरे बहुत गड़बड़ हो गयी - कॉलेज में १३ बचें मर गए चल जल्दी भाग ले
दूसरी आवाज़ - - अरे जग्गू दादा को बोलो न - सारा दूध तो वहीँ से आता है
पहला - हाँ अभी भागकर उसी के पास जाना होगा
तभी ज़ोर से लोहे का दरवाज़ा टूट गया - अजंता ने छत पर एक फायर किया - तुम कहीं नहीं जा सकते जतिन
जतिन और उसके दोनों आदमी अजंता पर आक्रमण करने को टूट पड़े लेकिन अजंता के दो तीन कराटे के वार काफी थे.
बहुत जल्द ही जतिन और उसके दोनों आदमी सलाखों के पीछे बंद थे.
अजंता ने जतिन से अकेले में पोछ ताछ करने के सोची.
अब जेल में जतिन अकेला था - देखो जतिन तुमने आज जो काम किया है शायद भगवन तुम्हे कभी माफ़ नहीं करेगा. १३ मासूम बच्चों को मार कर
जतिन - ओह मैडम - क्यों मेरा टाइम बर्बाद कर रही हो. देखो में बहुत पहुँच का आदमी हूँ _ _
और एक ज़ोर दार वार जतिन के गाल पर पड़ा - तू ऐसे नहीं बताएगा . अजंता ने एक छुरी निकाली और जतिन के नाखुनो के पास ज़ोर से गाढ़ दी
यह क्रम उसने २-३ बार अलग अलग उँगलियों में घुमाया
जतिन कराह उठा - आआआआ हाय बताता हूँ मैडम
अजंता - जल्दी बता - और यह जग्गू कौन है
जतिन - मैडम - शहर में नकली दूध और खाद्य पदार्थों के धंधे यहाँ दुर्जन सिंह करवा रह है
अजंता यह सुन कर एक बार फिर सकते में आ गयी और उसका गुस्सा सातवें आसमान पर था - दुर्जन सिंह - वह ज़ोर से चिल्लाई - जतिन कहता जा रहा था - जग्गू उसी का ख़ास आदमी है.
अजंता ने अपने कांस्टेबल को तुरंत आदेश दिया - जतिन और उसके आदमी अलग अलग कोठरी में बंद रहेंगे और इनका मोबाइल इत्यादि इनसे छीनकर मुझे दे दो.
कॉन्स्टेबल्स ने वैसा ही किया
अजंता फिर जतिन पर पलटी - मैडम आपके भले के लिए कह रहा हूँ कोई धमकी नहीं दे रहा दुर्जन बहुत खतरनाक है
जतिन - मैडम वैसे अगर आप मुझे छोड़ दें तो मैं आपको मुँह मांगी रकम देने को तैयार हूँ.
अजंता ने एक पल सोचा फिर इधर उधर देख कर मुस्कराते हुए कहा - ठीक है २६ लाख मेरे घर पहुंचा देना
जतिन - ठीक है मैडम डन
अजंता ने फिर कहा - कल तक मुझे पैसे मिल जाने चाहियें और अब तू वही करेगा जो मैं तुझसे कहूँगी. जग्गू को फ़ोन मिला और जो में कह रही हूँ वही कहना. मैं तुझे जल्दी ही छोड़ दूँगी
जतिन - ठीक है मैडम पर मुझे क्या करना होगा और हाँ - पैसों के लिए तो मुझे आगे बात करनी होगी _ _ _
अजंता - ठीक है - यह तेरा फ़ोन है इसे लगा - किसको लगाना है तुझे मालूम है - जो मैं कहूँ और जैसे कह रही हूँ वैसे ही बोलना - और हाँ जतिन इशारों में या कोडवर्ड में बात की तो यहीं ढेर कर दूँगी - जयादा स्मार्ट मत बनना वरना _ __
जतिन - जी मैडम.
अजंता ने जतिन के पास जाकर धीमे मगर दृर स्वर में कहा कुछ कहा और फिर दोनों मुस्कुरा उठे
उसके बाद अजंता उसके आदमियों से अकेले में पूछ ताछ करने लगी
दो दिन बाद
शहर के बहरी इलाके में एक छोटा सा अड्डा बना था जहाँ पर एक दो तेज़ तर्रार से दिखने वले हथ्यार बंद आदमी पहरा दे रहे थे. तभी एक सफ़ेद कलर की बहुत बड़ी वैन आयी और उन दोनों आदमियों के पास आकर रुक गयी.दोनों एक दम चौकन्ने हो गए और अपनी बंदूकें तान दीं. तभी उस गाडी का दरवाज़ा खुला और बहुत ही सूंदर पैरों की एक जोड़ी जिन्हे सफ़ेद सैंडल सुसज्जित कर रहे थे और उन पैरों के ऊपर ही एक बेशकीमती हरी साड़ी के कुछ हिस्से के साथ हरे रंग के पेटीकोट के फ्रिल्स भी नज़र आ रहे थे, उन आदमियों को दृष्टि गोचर हो गए.
इस से पहले वह कुछ समझते एक बेहद जवान और सूंदर स्त्री जो की गजब की खूबसूरती और सेक्सी शरीर की स्वामिनी थी और जिसका चाँद सा चेहरे एकै अप्सराओं की सुंदरता को मात दे रहा था गाडी से नीचे उतर कर हदी हो गयी और इधर उधर देखने लगी

उन आदमियों पर नज़र पड़ते ही वह उनकी तरफ मुस्कुराती हुई चलने लगी
वह आदमी कभी एक दुसरे को तो कभी उस सुन्दर सी स्त्री को देखें.
उसने अपने गॉगल्स उतारे और हाथ जोड़ कर नमस्कार किया -जी में विनीता दास हूँ क्या में जग्गू जी से मिल सकती हूँ
वह दोनों कभी इस बेहद सुन्दर स्त्री और कभी एक दुसरे को देखें
फिर शरारती भाव आँखों में लेकर कहें लगे - हाँ जाईये अंदर
उस स्त्री जिसका नाम विनीता था अंदर चली गई - पीछे से आवाज़ आयी - आज तो जग्गू दादा की ऐश हो गयी
पर उसने कुछ न सुना और अदर चली गयी
एक छोटे से कद का आदमी आया और कहें लगा - जग्गू दादा उस केबिन में हैं. विनीता एक हाथ से अपनी साड़ी के प्लीट्स को संभालती हुई उस केबिन में चली गयी
वह बौना सा आदमी भी उसे देखता रहा.
वह आदमी उसकी मदमस्त हिलती हुई गांड और बल खाई कमर जो की काफी हद तक उसके ब्लाउज के नीचे नज़र आ रही थी उसे देख रहा था.

उस स्त्री ने एक बड़ा ही भड़कीला शार्ट स्लीव का हरा और टाइट फिटिंग ब्लाउज पहना था जिसमे से शिफॉन की साड़ी होने के कारण उसके बड़े बड़े पिल्लू बाहर को झलक रहे थे.
जग्गू का का केबिन काफी अंदर था और वह अपने केबिन में अकेला था
जग्गू ने जब विनीता को देखा तो बस देखता रह गया और उसकी आँखों में वासना के डोरे तैरने लगे - वह क्या चीज़ है
अपनी भावना को छुपकर वह बोलै - आईये मैडम
विनीता ने दोनों हाथ जोड़े और जग्गू ने उसे बैठने को कहा - बोलिये
विनीता बैठ गयी और उसने अपनी एक टांग दूसरी टांग पर रख दी. उसकी साड़ी कुछ हद तक खिसक गयी और गोरी मांसल टांग का कुछ हिस्सा जग्गू को दिखने लगा

विनीता - हाँ तो जग्गू जी मेरा नाम विनीता दास है और मैं एक ऍन जी ओ रन करती हूँ जिसमे हम गरीब बच्चो को कॉलेजों मैं कम फीस पर पढ़ाने और उनके भोजन आदि की व्यवस्था करते हैं .- इसमें बच्चों के लिए दूध का भी प्रोविज़न रखते हैं.
जग्गू - अच्छा ? फिर उसने आवाज़ दी - अरे छोकरे जा मैडम के लिया शरबत लेकर आ
विनीता - अरे नहीं कोई बात नहीं
जग्गू - मैडम आप हमारी मेहमान हैं और ऐसा कैसे हो सकता है की आपकी खातिर दारी न हो - उसके नज़रों मैं शरारत साफ़ दिख रही थी.
विनीता - जग्गू जी मेरी आर्गेनाईजेशन सिर्फ असम ही नहीं बल्कि और भी नार्थ ईस्ट की इलाकों मैं अपना काम बड़ा रही है. आप क्योंकि दूध और उसके प्रोडक्ट्स की सप्लाई का काम करते हैं __

तभी बात करते करते विनीता का पल्लू खिसक गया और उसके ब्लाउज ने से बड़े बड़े उरोज तने हुए दिखें लगे - लगभग एक तिहाई उरोज बाहर की और झलक रहे थे
विनीता कुछ लज्जा गयी - ओह - फिर उसने अपना पल्लू ठीक किया
जग्गू - वैसे दूध की कमी तो आपके पास भी नहीं
विनीता - जी मैं समझी नहीं
जग्गू - जी कुछ नहीं
विनीता - मैं आपसे कुछ कॉन्ट्रैक्ट करना चाहती हूँ बच्चों के लिए दूध सप्लाई और उनके प्रोडक्ट्स जैसे मिठाई आदि
जग्गू जोश में आ गया - हाँ मैडम दरअसल हमने कई गए भैंसे पाली हैं और हम उनके दूध को ट्रीट करके बेचते हैं और मिठाइयां भी बनाते हैं - कई कॉलेजों में और डायरी में हमारा दूध जाता है
आपको अपने इस अड्डे पर पूरा काम होता दिखाऊंगा. आईये मेरे साथ
वह विनीता को बाहर ले गया.
विनीता अपनी साड़ी को संभालती हुई चल रही थाई और जग्गू के आदमी जो की बड़े बड़े पतीलों में दूध को गरम कर रहे थे उन्हें देख रहे थे
जग्गू - मैडम हम दूध में कुछ ऐसे रिफाइनिंग प्रोडक्ट मिलते हैं की यह और साफ़ और पौष्टिक हो जाता है
मेरे यहाँ यह काम रोज़ कई आदमी करते हैं
उस का अड्डा कुछ दूर तक फैला था और विनीता को वह अपने बारे में बहुत चटखारे लेकर सुना रहा था
कुछ समय बाद दोनों अंदर आ गए
और लड़का शरबत ले आया
पहले थोड़ा सा शरबत लीजिये - जो लड़का शरबत लाया था उसको जग्गू ने आँख मारी तो वह भी आँखें हिला कर चला गया.
जग्गू - लीजिये मैडम शरबत पीजिये
विनीता ने गिलास उठाया और होंठों से लग लिया - आप भी लीजिये न
जग्गू - अरे मैडम आपने पिया हमने पिया एक ही बात है
विनीता दास मुस्कुराने लगी - आप अपने कस्टमर्स का बहुत ख्याल रखते हैं जग्गू जी.
जग्गू - हाँ और आप जैसा बेहद सुन्दर कस्टमर हो तो मैडम - दूध तो क्या हम तो खुद को भी बेच दें
विनीता दास खिलखिला कर हंस पड़ी - उसके मोती जैसे दांत चमक उठे - तभी उसने हलके से सर पकड़ा - अरे मैडम क्या हुआ
विनीता दस - जग्गू जी मेरा सर कुछ भारी _ _
वह खड़ी हो गयी अपर जग्गू ने उसे थाम लिया - मैडम आप कुछ देर आराम कर लें
जग्गू ने विनीता को अपनी बाँहों में उठा लिया और केबिन के अंदर एक छोटे से बैडरूम में ले गया
उसने विनीता को बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उस पर चढ़ गया - क्यों मेरी जान क्या बात है
विनीता - जी ? आ आ उफ़ मेरा सिर - अआप _ _ हाय
जग्गू ने विनीता का पल्लू खिसक दिया जिससे सामने से उसका पेट का हिस्सा और नाभि बिलकुल नंगे हो गए
विनीता - यह यह आप क्या कर रहे है __ वह नशीली आवाज़ में बोली
जग्गू - दूध मिलेगा जान - लेकि उससे पहले तुम्हे अपना दूध निकल कर जग्गू को पिलाना होगा.
विनीता - मैं कुछ __ _ समझी
जग्गू - जग्गू का दिल जिसपर आता है वह लड़की जग्गू की हो जाती है. तुम भी नहीं बचोगी विनीता दास - खुद को मेरे हवाले कर दो
रानी बनकर रहोगी - और जग्गू के बाद जग्गू का बाप खुश हो गया तो _ __
विनीता हलके से उठ कड़ी हुई और चलने लगी
जग्गू ने उसे संभल लिया और उसकी साड़ी का पल्लू थाम लिया. विनीता कुछ बेखबर लग रही थी. जग्गू ने उसकी साड़ी खींचनी शुरू कर दी. विनीता ने विरोध नहीं किया और उसका शरीर घूमता रहा. फलस्वरूप एक प्याज के छिलके की तरह साड़ी उसके पेटीकोट की गिरफ्त से निकल कर जग्गू के हाथों मैं फिसल गयी और विनीता अर्धनग्न हालत मैं जग्गू के आगे थी
वह हलके से मुस्कुरा उठी - जग्गू का उत्साह बड़ा और उसने विनीत को अपनी बाँहों मैं ले लिया और उसकी उँगलियाँ विनीता के ब्लाउज के मध्य मैं जा पहुंची.
विनीता ने मुस्कुराते हुए न मैं इशारा किया और घूम गयी
जग्गू - तरसाओ मत रानी और उतर दो इसे - तुम्हे इस हालत मैं देख कर मेरी पैंट में तम्बू बन गया है - कहीं में उत्तेजना में तुम्हारा यह ब्लाउज न फाड़ डालूं
विनीता - आए बदमाश कहीं के में अभी उतारती हूँ न
और उसने एक परदे के पीछे जाकर ब्लाउज के हुक खोलने शुरू कर दिए . ब्लाउज उतार कर उसने जग्गू की और उछाल दिया और फिर उसने अपने ब्रेज़ारी भी उतार कर जग्गू के मुँह पर फेंकदी - परदे के पीछे विनीता के नंगे कंधे नज़र आ रहे थे
जग्गू - अब बाहर आ जाओ जान - और उसने दारु की बोतल उठा कर एक घूँट भर लिया
विनीता - तुम ही भीतर आओ न. देखो मेरे पेटीकोट के अंदर आग लग चुकी है राजा - आओ कर इसे बुझा दो
विनीता का शरीर अब पेटीकोट के ऊपर नंगा था और और उसके बड़े बड़े उरोज निमंत्रण देने को तैयार थे.
जग्गू ने पर्दा हटाया और तभी
विनीता - हैंड्स उप जग्गू - हिले तो गोली मार दूँगी जग्गू हैरान हो गया - विनीता ऊपर से बिलकुल नंगी थी और उस हालत में वह एक रिवाल्वर तान कर जग्गू के आगे खड़ी थी
जग्गू - विनीता दास - यह सब क्या _ _
विनीता नहीं - इंस्पेक्टर अजंता - और विनीता ने एक हाथ से अपना आइडेंटिटी कार्ड दिखा दिया
जग्गू - तुम _
विनीता - हाँ में अजंता - और तुम मेरी गिरफ्त में हो.
जग्गू - कसम तुम्हारी इन नंगी छातियों की
आज तुम अपनी इज़्ज़त लूटवाकर और जान से हाथ धोकर ही जाओगी

अजंता - कसम इन नंगी छातियों की - आज के बाद तू किसी भी औरत के योग्य नहीं रहेगा.
ऐसे ही छातियां नंगी करके तेरी माँ ने तुझे दूध पिलाया होगा पर तूने कई औरतों से उनके मासूम बच्चे छीन लिए जिनको उन्होंने ऐसी ही छातियों से दूध पिलाया होगा.
तुझसे बड़ा कमीना , हरामी और बदजात मैंने आज तक नहीं देखा
अजंता ने एक फायर किया जो की जग्गू के बगल से होकर निकल गया और दीवार में गोली छेड़ कर गयी - जग्गू डर गया
तभी अजंता ने एक हाथ अपने पेटीकोट के नाड़े के पास लेजाकर दबा दिया और जग्गू को मुड़कर दरवाज़I के बार जाने की धमकी देती रही.
वह हाथ ऊपर उठाकर सामने की ओर चलने लगा. अजंता ने मौका देखकर एक हाथ से साड़ी उठायी ओर अपने शरीर के नंगे भाग पैर लपेटली.

थोड़ी ही देर में उस अड्डे को कुछ कॉन्स्टेबल्स ने घेर लिया. दरअसल अजंता ने अपने पेटीकोट के नाड़े के पास एक छोटा सा ट्रांसमीटर छुपा कर रखा था जिससे वह सिपाहियों को अंकित दे सके.
गिरफ्तार कर लो इसे - अजंता ज़ोर से चिल्लाई
जग्गू - मैडम किस इलज़ाम पर
अजंता - नक़ली दूध बनाने ओर बेचने. तेरे यह केमिकल जो की दूध की वास्विक मात्रा को बड़ा देते है ओर इनके हानिकारक तत्व
जग्गू हंसा - कोई सबूत के यह केमिकल _ _
अजंता - ओह अच्छा _ _ तो सबूत चाहिए ?
अजंता ने एक कांस्टेबल को इशारा किया - दो सिक्युरिटी वाले जतिन को पकडे हुए वहां आ गए.
और साथ ही उसके २ आदमी और भी थे जिन्हे अजंता ने गिरफ्तार कर लिया था
जग्गू चकित रह गया - जतिन तू _ __
जतिन के चेहरे पर मजबूरी के भाव थे.
जग्गू - देखो मैडम मुझे छोड़ दो वरना _ _ _
अजंता - वरना दुर्जन मेरी इज़्ज़त के परखच्चे उड़ाएगा - यही न ?
जग्गू ओर चकित हो उठा
अजंता - तुझ पर एक ओर इलज़ाम है
जग्गू - क्या
अजंता - मुझे पर बलात्कार की कोशिश.
जग्गू - हा हां - ओर सबूत
अब अजंता मुस्कुरायी ओर एक फूलदान की ओर इशारा किया - कांस्टेबल उसमे से कैमरा निकल लो.
कांस्टेबल ने वह कैमरा निकल कर अपनी कस्टडी में रख लिया
जग्गू को अंदाज़ा हो गया की अब वह पकड़ा जा चुका है
अजंता - बचना चाहता है जग्गू - तो भाग - भाग जितना भाग सकता है
जग्गू ने बाहर भागना शुरू कर दिया एक टीले के पास जो की अड्डे के बाहर की ओर था
अब अजंता जतिन और दो अन्य क़ैदियों की ओर बढ़ी - - बचना चाहते हो ? (उसके चेहरे पर कुटिल मुस्कान थी)
जतिन - जी मैडम
तो भागो और इस जग्गू को पकड़ कर पीट पीट कर मेरे पास लाओ
जतिन - मैडम वह पैसे _ _
अजंता - मैंने उन घर वालों को पहुंचा दिए जिनके बच्चे इस हादसे मैं मर गए
जतिन चकित रह गया.
जतिन और उसके आदमी दौर कर जग्गू के पास पहुंचे और उसे पीटने लगे
जग्गू - जतिन क्या कर रहा है - अबे तेरी शिकIयत में दुर्जन सिंह से _ _- आ आए हाय हाय
वह उसे पीटते भी जा रहे थे और माफ़ी भी मांग रहे थे - अरे जग्गू भाई क्या करें - वह थानेदारनी रणचंडी बनी हुई है
वह उसे घसीटते हुए अजंता के पास ले गए और कहा - मैडम अब तो हमे छोड़ दो
अजंता ने जग्गू को गिरफ्तार कर लिया और उसके कांस्टेबल उसे ले जाने लगे.
जतिन - मैडम _ _ _
अजंता ने पलट कर चार फायर किये - जतिन और उसके आदमी वहीँ ढेर हो गए
जग्गू अजीब नज़रों से अजंता को देखें लगा
अजंता ने कड़क कर कहा - चल - कमीने हरामी
अजंता जैसे ही थाने पहुंची उसका फ़ोन बज उठा.
अजंता ने फ़ोन उठाते ही कहा - बोलो दुर्जन सिंह और वह हंसने लगी.
उधर से हैरत भरी आवाज़ आयी - इंस्पेक्टर अजंता अब तुम लुटने और मरने को तैयार हो जाओ
अजंता - यह मरने की बात तो समझ आयी पर लुटने से क्या मतलब
दुर्जन - जो काम शाका नहीं कर सका वह अब मैं करूँगा
अजंता - अच्छा? क्या करेगा तू हरामज़ादे
दुर्जन - मुझे हरामज़ादा बोल रही है - तुझे तो मैं रंडी बनाकर _ _
अजंता - लगता है तुम सब नाज़ायज़ औलादों को दूसरी औरतों को रंडी बनाने का बहुत शौक है - तू खुद जो रंडी की कोख से जन्मा है तो और क्या उम्मीद हो सकती है तुझसे.
कहकर अजंता ने फ़ोन पटक दिया.
पर तभी फ़ोन फिर बज उठा
अजंता - हेलो
कॉलर - मैडम आपका एस पी शैतान सिंह सिर्फ नाम ही नहीं काम से भी शैतान है. आपको उससे सावधान भी रहना होगा और रIस्ते से भी हटाना होगा _
अजंता झट से कह पड़ी - देखो फ़ोन मत रखो और मेरी बात सुनो . तुम जो भी कोई हो सिक्युरिटी की मदद कर रहे हो. फिर सामने क्यों नहीं आते. आखिर तुम सामने क्यों नहीं आते और चाहते क्या हो.
कॉलर - आप चिंता न करें बहुत जल्द आपके सामने आऊंगा
और उसने फ़ोन काट दिया
अजंता फिर सोचने लगी - कौन है यह उसका मददगार?

अगले ही दिन उसे एस पी शैतान सिंह ने अपने ऑफिस में बुलाया
अजंता को उस कॉलर की बात याद आयी . उसे यह भी ध्यान में आया की कैसे एस पी कई बार बड़े अजीब संदेहस्पद तरीके से पेश आता रहा है. - क्या सचमुच शैतान सिंह शैतान है? पर कैसे?
अजंता यह सोच रही थी की यद्यपि कमिश्नर उसकी बहादुरी और खूबियों से परिचित थे अपर फिर भी एस पी उसके रास्ते की रुकावट बनने की पूरी कोशिश करेगा.
खैर उसने बहादुरी से किसी भी हालात का सामना करने का निर्णय लिया.
थोड़ी ही देर में वह एस पी शैतान सिंह के ऑफिस में थी
जय हिन्द सर - उसने सलूट किया
शैतान सिंह ने बेरुखी से कहा - बैठो
अजंता - बोलिये सर
शैतान सिंह - इंस्पेक्टर अजंता मैंने सुना है तुम्हारा प्रमोशन हो गया है
अजंता - जी ?
शैतान सिंह - हाँ भाई - लग तो ऐसे ही रहा है - शैतान सिंह के स्वर में व्यंग्य था - तुम आज कल सिर्फ कमिश्नर से बात करती हो
अजंता - सर अगर आपको डी सी पी फ़ोन करे और फिर कमिश्नर भी तो आप किसका कहा मानेंगे?
शैतान सिंह - तुमने अभी जो टाइगर और दुर्जन के अड्डे तबाह किये हैं उसका अंजाम जानती हो
अजंता - हाँ सर - वह दोनों मुझे जान से मार सकते हैं और हाँ शायद मेरा रेप भी कर सकते हैं
शैतान सिंह उसकी इस बेबाकी पर हैरान हो गया - और तुम मुझे बिना बताये खतरे पर खतरा __
अजंता - सर यह वर्दी हमने खतरे उठाने के लिए और टाइगर और दुर्जन जैसे मुजरिमों को ख़तम करने के लिए ही पहनी है न की उन्हें (अब अजंता की व्यंग्य कसने की बारी थी) पनाह देने के लिए
शैतान सिंह - क्या मतलब.
अजंता - सर आपको याद होगा जब मैंने दुर्जन का ट्रक पकड़ा था तो आपने मुझे फ़ोन करने की बहुत कोशिश की _ _
शैतान सिंह - अजंता - तुम आज के बात हर काम मुझसे पूछ कर करोगे
अजंता - सर आप आज के बाद एक सीनियर की हैसियत से हर काम में मेरी मदद करेंगे. चलती हूँ -जय हिन्द
अजंता तुरंत बाहर आगयी और जीप में बैठ गयी. वह आज अकेली ही आयी थी.
उसने अपनी ब्रा में से एक छोटा सा ट्रांसमीटर निकला और उसे ऑन किया - जो उसने सुना वह दंग रह गयी (दरसल एस पी को नहीं पता लगा की चालाकी से अजंता ने एक ट्रांसमीटर उसके कमरे में रख दिया अत्यंत गुप्त स्थान पर और वह १० किलोमीटर की रेंज में उसकी सारी बातें सुन सकती थी.)
उस कॉलर की बात बिलकुल सही थी. एस पी दुर्जन से बात कर रहा था और जो अजंता ने सुना वह यों था
शैतान सिंह - अरे दुर्जन भाई यह अजंता हाथ आने वाली चीज़ नहीं
२ - क्या ?
३ - वह तो ठीक है पर में क्या करून कमिश्नर ने इसके सर पर हाथ रखा है.
४ - हाँ कुछ प्लान तो बनाना ही पड़ेगा.
५ - हाँ हाँ क्यों नहीं. पर सुनो दुर्जन भाई - मेरे नीचे खुजली हो रही है. शहर के बाहर वाले फार्म हाउस पर कुछ इंतेज़ाम हो जाता तो _ _
६ - हाँ फार्महाउस का पता है - नोट करो
अजंता - ओहो तो यह हरामी उस दुर्जन से मिला है - मुझे इसका भी इलाज करना होगा.
इसको इसके फार्म हाउस में जाकर पकड़ूँगी.
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RE: Inspector Ajanta sequel 2 - reposted - by sujitha1976 - 11-04-2020, 02:31 PM



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