Thread Rating:
  • 1 Vote(s) - 2 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Inspector Ajanta sequel 2 - reposted
#6
मूर्ती की चोरी

कुछ दिन बाद इंस्पेक्टर अजंता सिंह अपने थाने में सुबह ड्यूटी पर पहुंची. हमेशा की तरह वह वर्दी में भी बहुत सुन्दर लग रही थी और उसके माथे पर लगी एक छोटी सी काली बिंदी उसकी खूबसूरती को और चार चाँद लगा रही थी. उसके बड़े बड़े उरोज एक दम तन कर उसकी कमीज से भली भाँती सामने की और निमंत्रण दे रह थे और उसकी वर्दी से ही उसकी बड़ी गांड और कमर का ख़म साफ़ साफ दिख रहा था. मदमाती चाल और मदमस्त फिगर वाली इंस्पेक्टर अजंता ने जैसे ही अपनी सीट ग्रहण की तो थाने का फ़ोन बज उठा
अजंता - हेलो
सामने से आवाज़ आयी - मैडम मैं रामपुर गांव से बोल रहा हूँ मुखिया हरी सिंह जी के यहाँ से
अजंता - बोलो क्या बात है
ग्रामीण - मैडम यहाँ पर बड़े मंदिर मैं मूर्ती की चोरी हो गयी है और लोगों में खूब हल्ला गुल्ला हो रहा है. और हाँ सुबह यहाँ पुजारीजी भी रस्सी से बंधे हुए बेहोशी की हालत में मिले. बड़ी मुश्किल से उन्हें होश में लाया गया है. वह कुछ ज़ख़्मी थे इसलिए उन्हें मंदिर के पास वाले हस्पताल में ही दाखिल करा दिया है. आप जल्दी से आ जाओ
अजंता - ठीक है में अभी आती हूँ.
रामपुर गांव धुबरी की सीमा पर ही स्थित था और वहां का बड़ा मंदिर पूजा पाठ और धार्मिक समारोह इत्यादि के लिए बहुत प्रसिद्द था. वहां पर चोरी होना कोई मामूली वारदात नहीं थी क्योंकि सुरक्षा का वहां पर हर समय कडा प्रबंध रहता था. यहाँ तक की गुप्त कैमरे भी कई जगह पर फिट किये हुए थे और अनेको स्थल पर अलार्म भी.
अजंता बहुत चकित थी की ऐसी जगह पर यह वारदात कैसे हो गयी. उसने तुरंत जीप निकलवाई और दो कॉन्स्टेबल्स के साथ रामपुर रवाना हो गयी. पीछे से उसने एक हवलदार को फ़ोन कॉल्स पर ध्यान रखने का निर्देश दे दिया.
रामपुर पहुँचते ही उसने मंदिर के आस पास खूब शोर गुल होते देखा. अजंता ने तुरंत डॉग स्काउड भी मंगवा लिया और उसकी नज़रें इधर उधर देखने लगीं.
पुलिस के कुत्ते अपने काम करने लगे और उसके कांस्टेबल भी उसकी सहायता में जुट गए.
वह उस स्थल पर पहुँच गयी जहाँ पर वास्तव में मूर्ती की चोरी हुई थी. मंदिर से दो मूर्तियों की चोरी हुई थी.
तभी उसने वहां पर एक और सहIयक पुजारी को अपने समीप बुलाया और कहा - आपको क्या इस बात का कुछ इल्म है की यह सब कैसे हुआ. उस पुजारी जिसका नाम दुर्गानंद था थर थर कांपने लगा और कहा - जी नहीं मैडम में तो जब सुबह उठा और मंदिर में आया तो इसका मुख्य द्वार अंदर से बंद था और बहुत कोशिश करने के बाद जब यह द्वार खुला तो हमने देखा की सब कुछ अस्त व्यस्त है. थोड़ा और अंदर जाने पर बड़े पुजारीजी बेहोशी की हालत में नज़र आये और कुछ ही देर में जब हमने देखा की मूर्तियां गायब है तो हम मुखिया जी के पास दौड़े चले गए. तब तक यहाँ हल्ला हो गया था और फिर उसके बाद तो आपको फोन कर ही दिया गया था.
इतने में मुखिया हरी सिंह वहां पर पहुँच गया और उसने हाथ जोड़ कर अजंता को प्रणाम किया.- मैडम बेहतर होगा की हम पहले पुजारी जतन दIस जी का बयान ले लें जोकि अभी हस्पताल में हैं.

अजंता को यह बात उचित लगी और वह बगल ही में हस्पताल में मुखिया हरी सिंह को लेकर जा पहुंची. जतन दास को अब होश आ गया था और वह बिस्तर पर बैठे थे. उनके घावों पर पट्टी बंधी थी और वह बहुत भयभीत लग रहे थे
अजंता - पुजारीजी बेखौफ्फ़ होकर बताइये की यह सब कैसे हुआ.
पुजारीजी ने बताया - रात्रि मंदिर में मैं अपने मंदिर स्थित आवास में सो रहा था .तब तक कुछ लोग मेरे पास आ धमके और मेरे ऊपर टार्च की रोशनी डाल कर बंधक बना लिया. इन लोगों ने मुझे मारा और चेतावनी देते हुए कहा कि अगर हल्ला करोगे तो जान से मार देंगे.इसके बाद मंदिर में रखे लाखों रुपए की राधा और कृष्ण की मूर्ति चोरी कर ली.
पुजारी ने कहा कि राधा कृष्ण की मूर्ति 100 वर्ष पूरानी थी.उन्होंने बताया कि राधा की मूर्ति 20 किलो वजन की पीतल की बनी हुई थी.जबकि कृष्ण की मूर्ति कोई कीमती पत्थर धातु निर्मित थी.
अजंता - आप बोलते जाईये पंडितजी

पुजारी - हाँ मैडम उनमे से एक आदमी का नाम विक्की था. वास्तव में उसी के एक साथी ने गलती से उसका नाम ले लिया था और जैसे ही उसे पुकारा उस विक्की नाम के आदमी ने तुरंत उसे डाँट दिया. फिर उन्होंने मुझे बेहोश कर दिया और तुरंत भाग निकले.
अजंता - आप उन लोगों में से किसी के बारे में कुछ बता सकते हैं?
पुजारी - हाँ मैडम असल में हालाँकि उन लोगों के मुँह ढके हुए था परन्तु उस विक्की नाम के आदमी के चेहरे से एक मिनट के लिए कपडा हट गया था. वह दिखने में कोई मासूम सा लड़का ही लग रहा था और यकीनन काफी कम उम्र था .यही कोई १९ या २० साल. और औसत कद का था. परन्तु उनमे सबसे तेज़ और मुस्तैद वही लग रहा था.और हाँ उसी समय उसे एक फोन आया और उसने फोन वाले को भाई कह कर बुलाया.
अजंता बड़े ध्यान से यह बात सुन रही थी - और कुछ ?
पुजारी - हाँ मैडम - और जिस से वह बात कर रह था उसकी आवाज़ फ़ोन से बाहर भी आ रही थी - कुछ ऐसा कह रहा था - अरे ज़रा ध्यान से - वह साली सिपाहियों के साथ _ _ _ _ क्या __ हाँ - सिपाहियों के साथ घर तक चली आयी थी
अजंता यह सुनकर चकित हो गयी - ओह _ _ _ तो यह टाइगर का काम है. उसने मन ही मन सोचा.
अजंता ने यह कुछ पॉइंट्स अपने कांस्टेबल से कहकर नोट करवाए और वापस मन्दिर में आ गयी. उसने उस अफसर को जो की डॉग्स स्काउड का इंचार्ज था अपने पास बुलाया - कुछ सुराग हाथ लगा
इंचार्ज बोलै - यस मैडम ज़रा वहां आईये जहाँ से मूर्तियां उठाई गयी हैं - वह उसे वहां ले गया और कुछ दिखने लगा - अजंता ने मूर्ति स्थल के के पीछे एक रास्ता देखा और प्रश्नसूचक दृष्टि से उस अफसर को देखा - मैडम हमारे कुत्ते उस ऒर जाने का संकेत कर रहे हैं.
अजंता ने मुड़कर उस सहIयक पुजारी से पूछा - यहाँ कोई गुप्त स्थान या केबिन जैसी जगह है. उसने संकेत करके कहा - मैडम इस ऒर - अजंता ने अपना रुख उस तरफ किया जहाँ एक छोटा सा दरवाज़ा था - वह एक अहाते में घुस गयी और कहा - अभी यहाँ कोई न आये - अंदर जाते ही उसने अपनी शर्ट पैंट से बIहर निकIली और उसे उतार कर एक ओर रख दिया. उसके बाद उसके हाथ अपनी पीठ पर गए और उसने अपनी ब्रेसियर का हुक खुल दिया और कंधो से सरका कर उतार दिया - ब्रेज़री खुलते ही उसे दोनों बड़े बड़े पिल्लू स्वछन्द होकर ऐसे
हिल गए मानो काफी देर से आज़ाद होने को तरस रहे हों. और बिल्कुल नंगे उछल पड़े. अपने बड़े बड़े पिल्लू और उनके आगे दो कड़क भूरे निप्पल देख कर अजंता के होंठों पर हलकी मुस्कराहट आगयी. उसने अपनी ब्रेज़री के हुक से एक बहुत महीन और छोटा सा यंत्र निकाला और उसकी तार हलके से खेंचकर उसे वाहन केंद्रित किया जहाँ उसे अफसर ने इशारा किया - उसे यन्त्र से एक लाल रौशनी निकली. यह देखते ही अजंता के चेहरे पर एक गहरी मुस्कुराहट आ गयी और उसने वह यन्त्र बंद का दिया और वह छोटा सा केबिन का दरवाज़ा खोलने लगी
पर तभी उसे ध्यान आया की वह ऊपर से नंगी है. - वह कुछ लज्जा गयी और उसने वापस दरवाज़ा बंद करके अपनी ब्रा पहनी और फिर शर्ट भी पहनकर पैंट में करीने से डाल दी. - फिर खुद से वह शरारती स्वर में हलके से बुदबुदायी - अजंता रानी - अपने पिल्लू बचाके
बाहर आते ही वह उस अफसर और अपने कॉन्स्टेबल्स से बोली - चलिए आईये - में जानती हूँ किस तरफ जाना है.
और अजंता डॉग्स स्क्वाड के अफसर को अपनी जीप में बिठाकर बIहर की और चल दी. वह बड़े ध्यान से रास्ते का निरिक्षण करते हुए जा रही थी और साथ के साथ उसके चेहरे पर मुस्कराहट गहरी होती जा रही थी.
ओफ्फ्सीर ने पूछा - मैडम क्या बात है - आपके हाथ कुछ सुराग लगा
अजंता - वह देखिये
और वहां कच्ची सड़क पर गाड़ियों के निशान थे.
अजंता - वह लोग दो अलग अलग गाड़ियों में आये थे. और एक स्थल पर पहुँच कर उसने अपनी जीप और डॉग्स स्क्वाड की गाडी रुकवाई. सड़क के आगे एक होती सी ऊंचाई थी जो की उस पूरे कुनबे ने गाड़ियों से नीचे उतर कर तय करनी शुरू की. पुलिस के तीन कुत्ते सूंघते हुए अपना काम कर रहे थे. तभी सहसा कुछ घने पेड़ नज़र आये और अजंता रुक गयी.
उसने बाकि लोगों को रुकने का इशारा किया और उस अफसर को साथ आने के लिए कहा. उन पेडो के झुरमुट से निकल कर अभी वह दस कदम ही चले थे की आगे उन्हें कुछ बिलकुल साफ़ साफ़ दिखने लगा - उस ऊंचाई के काफी नीचे एक छोटा सा अड्डा नज़र आया जहाँ पर कुछ खुंखार लोग पहरा दे रहे थे. अजंता और वह अफसर पुलिस की वर्दी में थे इस लिए उन्होंने एहतियात बरती और पेड़ों के पीछे छुपकर दूरबीन का इस्तेमाल करने लगे.
जो उन्होंने देखा उसे दख कर उनकी आँखों में चमक आ गयी.
सोने की मूर्तियां , कई लकड़ी के डब्बों में सोने के बिस्कुट, बेशकीमती हीरे , ड्रग्स - क्या नहीं था वहां जिसकी सप्लाई चल रही थी.
वहाँ पर हथियारों की सप्लाई भी जारी थी - अजंता के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आयी - चलो मुझे बाहर से हथ्यार नहीं लाने पड़ेंगे
ओफ्फ्सीर - मैडम आपका संदेह बिलकुल ठीक था
अजंता के मुँह से निकला - टाइगर - में तुम्हे नहीं छोडूंगी. यह कहते ही उसके चेहरे पर सख्ती आ गयी और उसे वापस लौटने का निश्चय किया. दोनों वापस अपनी अपनी गाड़ियों में बैठ गए और अजंता ने अपने थाने का रुख ले लिया
पर उसे आगे का प्लान तैयार करना था.उसका दिमाग तेज़ी से चलने लगा और थाने पहुँचते ही वह अपनी कुर्सी पर आकर बहुत गंभीरता पूर्वक कुछ सोचने लगी. तभी उसके चेहरे पर रहस्यमयी भाव आये और उसने पुलिस विभाग की केमिकल लेबोरेटरी में फ़ोन किया. उधर से अवाज़ा आयी - यस मैडम
अजंता - सुनो मुझे वह केमिकल चाहिए जिसकी मैंने कुछ दिन पहले बात की थी
उधर से आवाज़ आयी - मैडम आपको वह कल तक तैयार मिलेगा.
पर अजंता बहुत एहतियात से यह काम करना चाहती थी. उसे अच्छी तरह ज्ञात था की उसी के विभाग में कुछ लोग बहुत ही भ्रष्ट हैं और कोई दुर्जन तो कोई टाइगर से मिला हुआ है. उसने निर्णय लिया की फिलहाल वह यह काम खुद ही करेगी - बिलकुल अकेले. बस केवल दो कॉन्स्टेबल्स के साथ और वह भी कमिश्नर के द्वारा दिए गए भले ही उसे कितना भी खतरा ही क्यों न उठाना पड़े.
वह अब मन ही मन वहां जाने का प्लान बनाने लगी और सोचने लगी की कौन सा दिन उसके लिए उपयुक्त होगा. तब उसने सोचा की कमिश्नर साहब को कुछ हद तक विश्वास में लेकर वह अपने थांने में यह घोषणा करेगी की कुछ निजी कार्य के कारण वह दो दिन की छूती पर है और शहर से बाहर है और सिर्फ कमिश्नर के ही दो विश्वास के आदमी उसके साथ रहेंगे जो हर प्रकार से उसके निर्देशों का पालन करेंगे.
अजंता ने अपने लिए एक अच्छा सा कप चाय का मंगवाया और उसके बाद सबको निर्देश दिया के कम से कम दो घंटे तक उसे कोई भी डिस्टर्ब नहीं करेगा नहीं कोई फ़ोन कॉल उस पर ट्रांसफर होगी.
वह अंदर बैठ गयी और इत्मीनान से चाय की चुस्कियां लेकर कुछ सोचने लगी. चाय ख़तम करने के बाद उसने एक फाइल निकली और टाइगर के सब आदमी जो भी उसके रिकॉर्ड में थे के बारे में ध्यान से पढ़ने लगी. लेकिन उसे ऐसा कोई भी छोटा सा मासूम दिखने वाला चेहरा नहीं दिखा जिसका जिक्र करते हुए मंदिर के मुख्य पुजारीजी ने विक्की नाम के शख्श का उल्लेख किया था. बल्कि उसे यह पता लगा की एक खतरनाक सा शख्श जिसका नाम मुख़्तार है टाइगर के साथ कई उलटे सीधे कामों में जुड़ा है.अजंता ने अनुमान लगाया की हो सकता है उसका सामना टाइगर के इसी अड्डे पर हो जाये.
पर वह अभी भी उस विक्की नाम के शख्श को खोज रही थी. पता नहीं क्यों अजंता का मन यह कह रहा था की इस विक्की नाम के आदमी के साथ ज़रूर कुछ बात है जो हटकर है.पुजारीजी ने उसे एक मासूम सा लड़का दिखने वाला बताया था. दरअसल अजंता यह भी चाहती थी की टाइगर और दुर्जन के आदमियों में से कुछ लोग अगर पुलिस विभाग के लिए फोड़ लिए जाएँ तो काफी अच्छा होगा. पर कौन होगा जो उसकी मदद करेगा. उसके सामने दुर्जन और टाइगर के गिरोह और उसकी गतिविधियों को खतम करने का एक बहुत बड़ा चैलेंज था.
फाइल बंद करने के बाद वह कुछ गुप्त नक़्शे देखने लगी जो की उस स्थान से सम्बंधित थे जहाँ वह आज होकर आयी थी और बहुत गौर से उस नक़्शे को देखने लगी.
तभी अजंता की नज़र ठीक उस कोने पर पड़ी जहाँ वह उतर कर गयी थी. उसकी नज़रें चलते चलते ठीक उस लोकेशन पर जा पहुंची जहाँ उसने टाइगर के आदमियों की गतिविधियां देखीं थीं और वहां ओर दो छोटी छोटी बिल्डिंग्स मौजूद थीं जिनमे से सामान ले जाने और लाने का काम हो रहा था
यकीनन टाइगर का अड्डा सिर्फ यह नहीं हो सकता.
अजंता को शुभा हुआ और वह यह सोचने पर विवश हो गयी की वह एक खतरा तो उठा रहे है और वह अगर इस अड्डे को बर्बाद करने में कामयाब हो भी गयी तो क्या टाइगर के उस ख़ास अड्डे जहाँ से वह अपनी सब गतिविधियों का काम संभालता है, पहुँच पायेगी ?
क्या टाइगर की कोठी ही उसका मुख्य अड्डा है. थोड़ा और गौर से देखने के बाद उसने एक और बात नोट की की ठीक उसी जगह से दो दिशाओं में सड़कें निकल रहि थीं और वहां से आराम से ट्रक और गाड़ियां आ जा सकते थे.
हो न हो टाइगर के बाकि के अड्डे भी इन्ही सडकों से जुड़े हैं.नक्शों का अध्ययन करके उसने एक बार इस बात का मुआयना किया की कहीं कोई बाहर से उसकी बात सुन तो नहीं रहा. आश्वस्त होने के बाद उसने कमिश्नर साहब को फ़ोन लगाया और गुप्त रूप से उनसे बातें करने लगी
अजंता ने यह निर्णय लिया की वह ठीक दो दिन के बाद वहां जाएगी जहाँ से उसे अपना काम पूरा करना था
उसने एक गाने वली का भेष बनाकर टाइगर के अड्डे पर जाने का फैसला लिया.अपने साथ उसने कमिश्नर के द्वारा भेज गए दो आदमी लिए जो की उसके सहायक लग रहे थे.
अजंता ने अपने लाल और अन्य रंग से मिश्रित घाघरा और चोली पहनी.
चोली बैकलेस होने के कारण उसने ब्रेजियर नहीं पहनी जिसकी कारण उसके बड़े बड़े उरोज चोली से अच्छा ख़ासा संघर्ष करते नज़र आ रहे थे और उसके निप्पल भी चोली से साफ़ साफ़ अपने ग्रहण किया स्थान को दिखा रहे थे.
पीठ का भी काफी सारा हिस्सा नंगा था.
परन्तु अजंता ने जान बूझकर इस तरह की उत्तेजक वेशभूषा का चयन किया था क्योंकि उसे अपने द्वारा चलने वाले हथियारों का भली भाँती ज्ञान था.और चोली पेहेन्ने से पहले उसने अपने स्तनाग्रों (निप्पल्स) पर लबोर्टोरी से लिया वह केमिकल बहुत अच्छे तरीके से मला और फिर चोली पहन ली. अपने घाघरे की गुप्त जेब में उसने रिवाल्वर भी रख लिया और कुछ अन्य ज़रूरी यन्त्र.
घाघरे और चोली में उसका यौवन खिल उठा और उसकी गदरायी कमर जो की पूरी नंगी थी और जिसमे उसकी नाभि घाघरे की रेखा से तीन इंच ऊपर दृष्टिगोचर थी, काफी क़यामत ढा रही थी.
अजंता ने अपने उन दो साथियों को साथ में लिया और एक ऐसी गाडी में सवार हुई जो पुलिस की नहीं थी.
उसने अपने दो कॉन्स्टेबल्स सादी वर्दी में बुलाये और उन्हें गुप्त रूप से कुछ हिदायतें दें और नक़्शे भी समझाए. तीनो एक गाडी में स्वर होकर उसी रास्ते पर चल दिए जहाँ पर से उसने उस दिन उस ओफ्फ्सीर के साथ दायरा किया और ठीक उसी ढलान पर जाकर गाडी रोक दी.

उसके दोनों कांस्टेबल कव्वालों की तरह ड्रेस पहन हुए थे और साथ में हारमोनियम रखा था - उन्होंने भी अपने कपड़ों में कुछ हथियार छुपाये थे
उसने अपने कॉन्स्टेबल्स से कहा चलो तैयार रहो और वैन में बैठे ड्राइवर को निर्देश दिया अपने माइक्रोमीटर आदि तैयार रखना जभी में ज़रूरी मैसेज दूँ - तुम उसी के अनुसार एक्ट करना
ड्राइवर ने हामी भर दी - जी मैडम.
असल में उसके कॉन्स्टेबल्स भी जानते थे की अजंता अपना जयादा काम खुद ही याने वन मैन आर्मी की भाँती ही करना जानती थी और वह अपने स्टाफ पर कम से कम निर्भर रहना पसंद करती थी. इतना ही नहीं वह अपने स्टाफ के साथ बेहद रिजर्व्ड रहती थी और बहुत अधिक हंसी मज़ाक या खुलना भी नहीं करती थी. वह केवल काम से काम रखना पसंद करती थी. उसके कॉन्स्टेबल्स और अन्य स्टाफ अजंता की खूबियों से भी परिचित थे इस लिए एक बार उसकी तरफ से कोई भी निर्देश आता था तो कोई भी उससे बहुत अधिक बहस नहीं करता था.
अजंता और उसके कॉन्स्टेबल्स गाने वालों के भेष में ढलान से नीचे उतरने लगे जहाँ टाइगर के आदमी मुख्तार सिंह ने अड्डा जमा रखा था.
अजंता और उसके आदमी जैसे ही अड्डे की और बड़े वहां दो बदमाश जैसे दिखने वाले लोग भागते आये - आए लड़की कौन हो तुम और यहाँ कहाँ चली आ रही हो
अजंता - ऐ बाबूजी हम लोग तो गाने बजाने वाले हैं - ज़रा हमको यहाँ से आगे जाने का रास्त बताओ न जी.
एक कांस्टेबल - अरे भैया तनिक रास्ता भूल गए हैं ज़रा बता देंगे
दोनों बदमाशों की नज़र अजंता पर गयी और उन्होंने उसे सर से पाँव तक देखा - एक ने दुसरे को आँख मारी - हाँ हाँ क्यों नहीं चले जाना - गाने बजIने वाले हो ?
अजंता - हाँ बाबूजी
एक आदमी - तो आओ न कुछ हमे भी सुनाओ - और उसने दुसरे को इशारा किया - इन्हे मुख़्तार भाई के पास ले चलते हैं भाई बहुत खुश होंगे
अजंता - हाय रे दैया - यह मुख़्तार कौन है - ऐ बाबूजी में जवान कुनवारी लड़की - ऐसे कैसे
दोनों अजंता के ख़ूबसूरत गदराये और ज़बरदस्त सेक्सी शरीर की देख रहे थे - अरे कुछ गाना बजाना करनI अपना इनाम लेना और फिर हम तुम्हे शहर का रास्ता बता देंगे
अजंता - सच्ची? क्या हमको इनाम मिलेगा ? और वह सादी वर्दी में बुलाये का छोर होंठो में डालकर शर्माने का नाटक करने लगी.
एक ने दुसरे की तरफ आँख मार के इशारा किया - हाँ मुख्तार भाई खूब इनाम देंगे
सब लोग मुख्तार भाई के उस केबिन की और चल दिए जो की अड्डे के एक कोने में बना था और जीके बाहर एक छोटा सा खुला मैदान भी था
केबिन के पास पहुँचते ही एक ज़ोर से आवाज़ आयी - अरे शंकर कहाँ मर गया साले - कितनी देर से आवाज़ दे रहा हूँ - मेरी शररब की बोतल खाली _ _ _
उन दोनों में से एक आदमी भागता हुआ गया - आ गया मुख्तार भाई - और उसने एक शराब की बोतल निकाल कर मुख़्तार को देदी - तुम सब साले आज कल बहुत सुस्त हो गए हो
शंकर -अरे र नहीं मुख़्तार ज़रा देखियो तो शराब के साथ साथ क्या इंतज़ाम किया है - और उसने कुछ दूर कड़ी अजंता पर इशारा किया
मुख्तार ने उसे देखा और देखता ही रह गया - वाह वाह शंकर तू तो सचमुच् कमाल कर दिया रे - यह ग़ज़ब माल कहाँ से लाया

शंकर - गाने बजाने वाले हैं - मैंने कहा मुख़्तार भाई आपका गाना सुनेंगे और फिर खूब इनाम देंगे
मुख्तार ज़ोर से हंसा - क्यों नहीं क्यों नहीं - फिर वह अजंता की ओर मुखातिब होकर बोला - क्यों छमिया तू तो बड़ी ग़ज़ब है री
अजंता - ऐ बाबूजी में एक जवान कुनवारी बेचारी लड़की - गाना जाती हूँ पेट भरती हूँ - मुझ गरीब का गाना सुनोगे? - वह मासूमियत से बोली
अख्तर - क्यों नहीं गानI सुनेंगे ओर फिर खानI भी खिलाएंगे - ओर उसने दुसरे आदमी को कुछ इशारा किया - गाने के बाद तू मेरी ख़ास मेहमान होगी ओर तेरे बाशिंदो की भी खातिर करेंगे . अपने आदमी को मुड़कर कहने लगा - ज़रा इस छमिया के नाच का इंतज़ाम करो - फिर यह मेरे साथ खानI खायेगी ओर इसके आदमियों को भी भरपेट खिला देना.
और थोड़ी ही देर में दोनों कॉन्स्टेबल्स का हारमोनियम और संगीत और साथ ही साथ अजंता का नाचना शुरू हो गया - अजंता ने किसी आइटम गर्ल की तरह भोजपुरी के द्विअर्थी संवादों के साथ एक उत्तेजक नृत्य पेश किया की बस - मुख्तार के साथ जितने भी लोग थे (उस वक़्त अड्डे पर कुल ७ या ८ लोग थे ) सबकी पतलून टाइट हो गयी और अजंता की लहराती कमर और नृत्य के समय हिलती मस्त गांड से सबकी आँखें खुली रह गयीं

सब बारी बारी अपने गुप्त अंग पर हाथ फेरने लग गए

नाच के बाद मुख्तार ने उसके दोनों को कॉन्स्टेबल्स के लिए खाना और दारु मंगवाई और अजंता का हाथ पकड़ कर अपने कमरे में ले गया - अजंता भी मासूमियत के भाव चेहरे पर लाकर उसके इर्द गिर्द चलती रही . अजंता ने अपने कॉन्स्टेबल्स को इशारा किया (दरअसल उन्होंने फैसल किया था की कुछ भी नहीं कहेंगे और दारु भी चालाकी से इधर उधर गिरा देंगे ताकि किसी को शक न हो
कमरे में पहुँच कर जैसे ही मुख़्तार ने कुण्डी लगाई अजंता बोली - ऐ बाबूजी क्या करते हो ? यहाँ पर तो _ _ _
मुख़्तार - तेरे मेरे सिवा कोई भी नहीं
चल पहले कुछ खा ले - अजंता नहीं बाबूजी मुझको मेरा इनाम दो में तो चली - हाँ
मुख्तार - अरे इतनी भी क्या जल्दी है मेरी जान - तूने अपना नाच दिखया - अब मेरा खेल भी तो देख
अजंता - आपका खेल ?
मुख़्तार - हाँ मेरी जानेमन - तेरा नाच देख कर मेरा लंड पतलून में ज़ोर ज़ोर से खेल रहा है - कसम से इतनी कातिल जवानी मैंने कभी नहीं _ _
अजंता - ओह तो यह बात है बाबूजी - प्यार करोगे मुझसे ?
मुख्तार - हाँ जान - अब तेरे साथ प्यार का खेल खेलूंगा
अजंता - और मेरा इनाम ?
मुख़्तार - इस से कहीं ज्यादा जितना तूने सोचा होगा
अजंता - तो पकड़ो मुझे बाबूजी - हा हा - और वह ज़ोर से हंसती हुई कमरे के अलग अलग कोनो में भागने लगी
मुख्तार ने शराब की बोतल खोलकर एक घूँट भरा और अजंता के पीछे भगा और उसे दबोच लिया - कहाँ जाएगी मेरी जान
अजंता ने मुख्तार को एक चुम्बन दिया और उसके चंगुल से छूट कर भागी
मुख्तार - हाय कसम से जान - तेरी किस ने तो मेरा पिस निकाल दिया - अब तेरा पिस कब पीने को मिलेगा - अब और मत तड़पा और मेरे पास _ _ और अजंता ने अपनी चुनरी उतार कर मुख़्तार की ओर फेंक दी - मुख़्तार ने चुनरी झपटी और उसे अपने होंठों पे लगी शराब को साफ़ किया - फिर चुनरी एक और फेंक दी
अजंता मुख़्तार के पास पहुंची , कुछ शर्मायी और अपनी पीठ जो की काफी हद तक नंगी थी उसकी ओर कर दी
मुख़्तार उसकी नंगी पीठ देख कर एक दम उत्तेजित हो गया और उसकी पैंट का तम्बू साफ़ दिखने लगा - मुख़्तार ने अंदर कोई कच्छा भी नहीं पहन रखा था
उसने पागलों की तरह उसकी पीठ चूमनी शुरू कर दी - अजंता के चेहरे पर अलग लग तरह के भाव आने लगे
तभी मुख़्तार की उँगलियों ने हरकत की और उसने अजंता की बैकलेस चोली के डोरे खोलने शुरू कर दिए - जैसे ही चोली खुली अजंता को वह अपने बड़े बड़े उरोजों पर ढीली होती हुई महसूस हुई
मुख़्तार मग्न था उसकी पीठ चूमने में - अजंता जैसे ही सामने को पलटी उसने उसकी खुली चोली के मध्य मं हाथ डाला और चोली उतार कर फेंक दी
मुख़्तार पर तो जैसे बिजली गिर गयी जब उसने वह हंगामेदार नज़ारा देखा - दो बदमाश मुँह निकल कर उसके सामने हिल गए थे - वाह वाह क्या बड़े बड़े पिल्लू हैं इसके
अजंता के बाद बड़े पिल्लू नंगे होकर मुख्तार को निमंत्रण देने लगे - उसके स्तनाग्र एक दम कड़क हो चुके थे - मुख्तार से रहा नहीं गया और उसने दोनों हाथों से उसके उरोज पकड़ने चाहे
अजंता - न न बाबूजी ऐसे नहीं - और वह लेट गयी - मेरे जिस्म में आग लग रही है - मेरे राजा - आ कर मेरे इन निप्पल को काट दे - मेरा अंग अंग जल रहा है
मुख्तार - हाय कह कर उस पर टूट पड़ा और अजंता के निप्पल अपने दांतो में लेकर उन्हें चूमने और चबाने लगा - हलके काटने से अजंता को कुछ दर्द भी हुआ और वह करहाने लगी - ऐ बाबूजी मत काटो ना.
यहाँ तक की वह अपना नंगा लंड बाहर निकल कर अजंता के निप्पल पर रगड़ने लगा.- अरे यह क्रीम क्या है
अजंता - बाबूजी आपके लिए है

पर मुख्तार कहाँ सुन रहा था - उसने उसकी कमर के इर्द गिर्द हाथ दाल दिए और कभी उसके नंगे सीने तो कभी उसके निप्पल पर काटता
अजंता - आए मेरे निप्पल
मुख़्तार - हाँ रानी - तेरे यह निप्पल - और वह उन्हें और जोशोखरोश से काटने लगा
तभी मुख्तार को जैसे कुछ अपने होंठों पर अजीब सा लगने लगा - और फिर उसे ऐसा लगा जैसी किसीने उसे तेज़ाब पीला दिया हो - आआआह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उउउउउउ करके वह चिल्लाया और उसने अपना गला पकड़ लिया
तभी इसी हालत में उसने देखा की अजंता उसके सामने खड़ी मुस्कुरा रही थी - उसका ऊपरी शरीर अभी भी नंगा था और वह मुख़्तार के बिस्तर पर पड़े कपडे से अपने निप्पल साफ़ कर रही थी -
मुख्तार तड़प उठा - ऐ लड़की - क्या है यह सब
अजंता - कुछ नहीं मुख्तार - बस थोड़ा सा ज़हरीला केमिकल - जो आधे घंटे में तुझे ख़तम कर देगा
मुख्तार - क्या मतलब - कौन है तू और यह सब क्यों _ _ _
अजंता - इंस्पेक्टर अजंता - और उसने अपनी चोली पहन ली
अजंता - अरे मुख्तार ज़रा मेरी चोली के डोरे तो बाँध दे
मुख्तार की हालत ख़राब हो रही थी पर वह बेबस था - उसने ऐसा ही किया - में मर रहा हूँ.
अजंता - तू बच सकता है
मुख्तार का दर्द बढ़ गया - कैसे ?
टाइगर के सारे अड्डों के पते बता और यह मूर्तियां चोरी होकर किस के पास जाती हैं यह भी
मुख्तार - नहीं नहीं में टाइगर भाई के साथ गद्दारी करूँगा तो वह मुझे मार देगा
अजंता - वह तो तू वैसे भी मर ही जायेगा - हाँ हो सकता है जो मैंने पूछा है उसे बताने के बाद में तुझे बचा लूँ - आगे तेरी मर्ज़ी.
मुख्तार ने टाइगर के कुछ अड्डे अजंता को बता दिए
अजंता - यह मूर्तियां समुग्गले होकर कहाँ जाती हैं
मुख़्तार - वह _ _ _ वो _ _यहाँ से दक्षिणी दिशाओं में एक जंगल है जहाँ से कुछ दूर ही एक स्वामी का आश्रम है -स्वामी अघोर बाबा - वह टाइगर और दुर्जन दोनों को अलग अलग कामों के लिए फाइनेंस करता है और बदले में ड्रग्स , मूर्तियां उसके पास जाती हैं जिम्हे वह आगे विदेश भेजता है - वह हिंदुस्तान में कम रहता है और महीने में केवल ६-७ दिन ही यहाँ आता है - मैंने तुम्हे सब बता दिया - अब मुझे ज़हर का तोड़ दो
अजंता ने रिवाल्वर निकाल कर उसकी कनपटी पर रख दिया - चल बाहर
अजंता ने जैसे ही बाहर का दरवाज़ा खोला वह अपने आदमियों को ज़ोर से बोली - कम ऑन एक्शन
इसे पहले की मुख़्तार के आदमी तैयार होते उसके कॉन्स्टेबल्स ने बन्दूक निकाल कर फायरिंग करनी शुरू कर दी - देखते ही देखते वहां ६ - ७ लाशें बिखर गयीं - अजंता ने अपने कांस्टेबल की मदद से मुख्तार की मुस्कें कस दी और उसे एक अन्य पदार्थ पिलाया जिसे उसे उस ज़हर से राहत महसूस हुई - याद रख मुख्तार अगर तूने मेरे साथ गद्दारी की तो गले में दौरा कर कुत्ते की मौत मारूंगी
यह कहते ही वह सब बाहर आ गए
उसके कॉन्स्टेबल्स ने कुछ ग्रेनेड निकले और अड्डे की और उछाल दिया - दो तीन बड़े ब्लास्ट हुआ और मुख्तार का अड्डा मलबे के ढेर में बदल गया - वह बेबस होकर देखता रहा
अजंता ने तुरंत अपना मोबाइल निकला और गाडी के ड्राइवर से संपर्क करने लगी
कुछ देर बाद मुख्तार सलाखों के पीछे बंद था.
अगले दिन इंस्पेक्टर अजंता अपने थाने पहुंची और उसने मुख्तार की खबर लेने की पूरी तैयारी कर ली
पर जैसे ही वह अपनी सीट पर बैठी उसका फ़ोन बज उठा.
अजंता - हेलो
कॉलर - नमस्कार मैडम आप मुख्तार से उस कोठी के बारे में ज़रूर उगलवाईएगा
अजंता - कोठी _ _ _ कौन सी कोठी और तुम कौन _ _ _
इससे पहले की अजंता अपनी बात पूरी करती फ़ोन काट गया - कौन सी कोठी . मुख्तार तो किसी स्वामी की बात कर रहा है. और यह फ़ोन करने वाला कौन है
खैर अजंता कुछ सोच विचार करती हुई हुई जेल में गई जहाँ मुख्तार को क़ैद कर रखा था
उसने हाथ में डंडा लिया और सब कॉन्स्टेबल्स को बाहर जाने का इशारा किया - सब हैरत से उसकी ओर देखते हुए बाहर चले गए.
हाँ तो मुख्तार मियां - तुमने कल किसी स्वामी की बात की थी.
मुख्तार (आज वह बेरुखी से बात कर रहा था ) - मैंने आपको कल बताया न की _ _ _
अजंता - यह कोठी का क्या रहस्य है
मुख्तार चौंक गया - जी कौन कौन सी कोठी में नहीं जानता
अजंता मुस्कुरा उठी और समझ गयी की तीर निशाने पर लगा - सीधी तरह बताते हो या _ _ _
मुख्तार - नहीं नहीं में किसी कोठी के बारे में नहीं जानता
अब बारी अजंता की थी - उसने ज़ोर से डंडा मुख्तार के घुटनो पर दे मारा - तुम ऐसे नहीं बताओगे - बस अजंता अब शुरू हो गयी और जहाँ मन किया मुख्तार को डंडे से पीटने लगी
कुछ ही देर में - बस मैडम बस अभी बताता हूँ - दरअसल शहर का सेठ लाल चंद बोरा जो की वास्तव में गुवाहाटी से है उसकी एक कोठी यहाँ पर भी है यह माल सीधा उसके गोडाउन में पहले जाता है और उसके बाद ही स्वामी को भेजने का इंतज़ाम वह करता है - क्वोकि लालचन्द के कई तरह के व्यापार है और वह एक बहुत आमिर और पहुँच वाला आदमी है इसलिए कोई भी उस पर शक नहीं करता.
अजंता - कोठी का पूरा पता बताओ और हाँ तुम्हारी भलाई इसी में है की तुम चुपचाप जेल में पड़े रहो वरना जान से जाओगे.और जो तुमसे पूछा जाए शराफत से _ _ _
मुख्तार - जी मैडम पर मेरी जान टाइगर से बचा _ _ _
अजंता - तुम यहाँ पर सुरक्षित हो
मुख़्तार ने कोठी का पता बता दिया
अजंता वापस अपनी कुर्सी पर लौटी और आगे का प्लान सोचने लगी - तुरंत इस लाल चंद को घेरना होगा - पर कैसे - उसके पास कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं था और लालचंद एक बहुत ही पैसे वाला और साख वाला इंसान था - वह सोच ही रही थी कि अचानक फ़ोन बज उठा - अजंता ने जैसे ही फ़ोन उठाया उसे कॉल करने वाले कि ध्वनि सुनाई दी - और जो उसने कहा अजंता को एक डीएम मनो भारी बिजली का शॉक लग गया - ओह नो - वह ज़ोर से चिल्लाई.
एक हवलदार भागता हुआ आया - क्या हुआ मैडम
अजंता - जल्दी से तीन कॉन्स्टेबल्स को मेरे साथ चलने को कहो - सेठ लाल चंद का खून हो गया.
अजंता तुरंत वापस मुख़्तार के पास गयी - मुख़्तार - वह चिल्लाई - सेठ लालचंद का खून हो गया - सच सच बताओ _
Like Reply


Messages In This Thread
RE: Inspector Ajanta sequel 2 - reposted - by sujitha1976 - 11-04-2020, 02:29 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)