11-04-2020, 02:18 PM
गोली नंबर २
अजंता एक दम सकपका गयी और चीख उठी - यह सब _ _ _ क्या है _ _ _ क्या बदतमीज़ी _ _ _ _ कौन हो तुम लोग _ __ प्रकाशशश्श्श _ _ _
वह दौड़ कर लगभग प्रकश से लिपट गयी - यह सब क्या है प्रकाश - तुम तो मेरे दोस्त हो न _ _
पर प्रकाश ने तुरंत अजंता के हाथ झटक दिए - चल हट साली
और आवाज़ दी - बुआ जल्दी आओ
इस से पहले अजंता कुछ समझती एक गोरी चिट्टी अधेड़ महिला जो शरीर से कुछ भारी भी थी और जिसकी नीली आँखों में काफी वेह्शत छुपी थी - पान चबाती हुई - सामने आयी - वाह वाह प्रकाश बबुआ वाह क्या बढ़िया माल लावत रहीं - इको बेच कर तो बहुत माल हाथ आवत रहीं. उस शेख से बात कर ले इब.
प्रकाश - हाँ मौसी सुबह शेख भी आवा तानी तब हम एका लाखों में देकर माल हासिल कर ले इब
अंजना एक दम सकते में आ गयी - प्रकाश - वह ज़ोर से चिल्लाई
वह औरत जिसे प्रकाश बुआ कह कर बुला रहा था अजंता की और अग्रसर होकर बोली - बेबी - चिंता मत कर - तुझे हम ऐसी जगह भेजेंगे जहाँ तो रानी बनकर रहेगी.
और उसने अजंता का कास कर हाथ पकड़ लिया - बड़ी मस्त चीज़ है प्रकाश - रहुआ की चॉइस तो मालामाल है
अजंता ने एक झटके से अपना हाथ छुड़ाया और एक तमाचा ज़ोर से उसके गाल पर जड़ दिया - कमीनी औरत - छोड़ मुझे और जाने दे यहाँ से
पर इस से पहले कुछ और होता प्रकाश ने अजंता के गाल पर एक तमाचा मारा - साली तेरी हिम्मत कैसे हुई बुआ को मारने की - तो जानती नहीं की _ _
बुआ अब तक संभल गयी थी - अरे बिटवा तू कहे खुद को तकलीफ देत बाड़ा - ज़रा तेज़ सिंह और दिलावर खान को बुलावत रहीं - ऊ दोनों इस छोकरी का सुबह तक खूब सेवा करात बाड़ीं –
और प्रकाश के आवाज़ देते ही दो बेहद खतरनाक से दिखने वाले बदमाश वहां आकर खड़े हुए गए
प्रकाश - तेज़ सिंह, दिलावर खान आओ और ज़रा इस छमिया का इंतज़ाम करो
अजंता - नहीं नहीं _ _ _ _ _ और वह दरवाज़े की तरफ भागी
पर तभी दिलावर ने उसे दबोच लिया और ज़मीन पर पटक दिया
वह अजंता पर टूट पड़ा और उसे नोचने खसोटने लगा. अजंता कुछ सम्भली और उसने दिलावर का मुँह नोच लिया और ज़ोर से उसके गर्दन पर अपने हाथों से नाख़ून गढ़ा दिया - दिलावर बिलबिला उठा - अजंता ने उसे धक्का दिया और खड़ी हो गयी उसने एक ठोकर ज़ोर से दिलावर की गर्दन पर मारी और उसे पेर से धकेलते हुए उस से बचने के लिए भागी
पर तेज़ सिंह ने उसे पकड़ लिया और उसे अपनी बाँहों में भरकर चूमने लगा - उसके मुँह से दारू की बू आ रही थी जिस से अजंता का जी मितला उठा. उसने तेज़ सिंह के घुटने पर अपने सैंडल से ज़ोर से ठोकर मारी और जैसे ही वह दर्द से चीखा उसने तेज़ सिंह का हाथ पकड़ कर एक झटका देकर उसे ज़मीन पर गिरा दिया.
दिलावर - बड़ी तेज़ चीज़ है यार ऐसे नहीं संभालेगी - उसने अजंता की लाल चुनरी खींच कर उसे ज़मीन पर फेंक दिया. दोनों बदमाश अब एक साथ खड़े हुए और अजंता को कस कर पकड़ लिया - वह ज़ोर ज़ोर से चीख रही थी और अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए संघर्ष करने लगी - छोडो मुझे कुत्ते कमीने - हरामी - _ _ _
तेज़ सिंह - गाली देती है साली और उसने ज़ोर से दिलावर की और धकेला - दिलवारा ने उसकी पीठ पर ज़ोर से हाथ मारा और उसके बैकलेस ब्लाउज की डोरियां ख़ोल दीं - बाकी का छोटा सा हिस्सा जो अजंता की पीठ को ढके हुए था दिलावर ने उसे पकड़ा और फाड़ दिया - अब अजंता की पीठ एक दम नंगी हो गयी थी.
उधर तेज़ सिंह झुक कर उससे लिपट गया और उसके पेट और कमर के इर्द गिर्द चूमने लगा गया - उसने अजंता की नाभि पर ज़ोर से ऊँगली घुमाई और अजंता दर्द से चीख उठी
पर उसने हिम्मत करके फिर से तेज़ सिंह के मुँह पर ठोकर मारी - तेज़ सिंह का होंठ फट गया और उससे खून बह निकला
तब दिलावर ने अजंता को सामने से पकड़ा और उसे अपने कन्धों पर उठा लिया
अजंता पैर पटकने लगी और उसने अपने हाथों से मुक्का बनाकर दिलावर के सर पर मारा
दिलावर की पकड़ ढीली हुई और अजंता उसके हाथ से छूट कर नीचे गिरी
दिलावर उस पर टूट पड़ा और दोनों हाथ इर्द गिर्द दबाने शुरू कर दिया
जैसे ही अजंता कुछ कमज़ोर पड़ी उसने अजंता के सीने पर हाथ मारा और उसका खुला ब्लाउज सामने से खींच लिया - पीठ से खुला ब्लाउज आसानी से उतर गया बल्कि कुछ फट भी गया
तेज़ सिंह जो अब तक उठ चूका था उसने वह ब्लाउज दिलावर से लिया और अपन खून पोंछ कर उसे ज़मीन पर फेंक दिया
अजंता के बड़े बड़े उरोज अब बिलकुल नंगे थे और उसके भूरे निप्पल एक दम स्वछन्द होकर हवस के उन दो पुजारियों को निमंत्रण दे रहे थे जिनको जीभ उसकी खूबसूरती को देख कर कुत्ते की तरह बाहर आ रही थी.
उसके उरोज एक दम दो रसीले आमों की तरह अलग-२ दिशाओं में लटक गए मानो किसी दाल पर अभी अभी ताज़े आम लगें हों
दिलावर और तेज़ सिंह के लंड एक दम तन कर उनकी पैंटों में प्रोजेक्शन की तरह सामने आ गए
तेज़ सिंह ने भी शराब का एक घूँट और भरा
व्ववह वाह क्या माल है - आज तो मज़ा आ गया
अरे चल इसकी छूट ढीली कर दें. मेरा लंड तो खूब ज़ोर मार रहा है
आ जा मेरी जान कसम तेरे इन नंगे दुद्धूओं की. आज तो इन आमो को मसल कर रख देंगे. अरे उसके बाद इसकी कच्छी भी फाड़ देंगे - आज तो क्या मलाईदार चूत मिलेगी
अजंता जिस दीवार के सहारे कड़ी थी नीचे ही उसकी दायीं ओर एक छेद था.
अजंता नीचे को झुक गयी तो उसे उस छेद से आवाज़ आयी
यह लीजिये
ओर अजंता ने देखा की एक लोहे की छड़ी उस छेद से अंदर को प्रविष्ट हो गयी.
अजंता को लोहे की एक छड़ नज़र आयी जिसका एक कोना नुकीला था
उसने अभी तक अपना नंगा सीना ढांप रखा था ओर वह उन बदमाशों से बचने के लिए पीछे हट रही थी
पर वह छड़ देखते ही उसने सीने से हाथ हटाये ओर एक कलाबाज़ी करके कूद कर कोने तक पहुँच गयी
उसके नंगे पिल्लू बड़ी मोहक अदा से हिल गए ओर लहंगा भी ऊपर तक उछल गया पर उसे अभी इसकी परवाह न होकर अपनी इज़्ज़त बचने की चिंता थी
अजंता ने तुरंत वह छड़ उठा ली और दोनों की ओर बारी बारी तान ली - खबर दार मेरे पास नहीं आना वरना _ _ _
वह दोनों बेशर्मी से हंसने लगे - अरे इसके गुब्बारे तो देख -
तेज़ सिंह - हमे डंडा मारेगी - आ तुझे हमारे डंडे का ज़ोर दिखाएं
अजंता ने स्फूर्ति का प्रदशन किया और तेज़ सिंह को सीधा उसके गुप्त अंग पर अपनी सैंडल से ठोकर दे मारी
वह दर्द से चीख उठा और गिर गया
इस से पहले दिलावर कुछ समझता अजंता ने उसके पेट में नुकीली छड़ ज़ोर से मार दी - दिलावर के पेट से खून निकला और वह चीख मारकर ज़मीन पर लेट गया
अजंता दहाड़ उठी - कुत्ते मेरी कच्छी फाड़ेगा - जाकर अपनी माँ को नंगा कर
इस से पहले कुछ और होता अजंता ने तेज़ सिंह के गुप्त अंग पर ज़ोर से छड़ मiरी जिससे उसके पेट के नीचे पूरा खून बह निकला - एक ज़ोर की चीख के साथ वह बेहोश हो गया
अजंता ने अब पलट कर दिलावर पर ज़ोर से दो वार किये और वह वहीँ ढेर हो गया
प्रकाश और उसकी बुआ यह देख कर दंग रह गए - जा प्रकाश और दो गुंडे ले कर आ - साली छिनाल तो बहुत तेज़ निकली
पर इस से पहले प्रकाश आगे बढ़ताअजंता ने उसके मुँह पर ज़ोर से वजह छड़ मार दी - कमीने धोके बाज़ - क्या कसूर था मेरा - तुझ जैसे कमीने से प्यार किया - हरामी - कुत्ते - ज़लील - और तभी उसने देखा एक और थोड़ी आग जल रही थी
उसने लोहे की छड़ पकड़ी और एक लकड़ी उठाकर उसका कोने जला दिया -उसने वह जलती लकड़ी प्रकाश के मुँह पर ज़ोर से फें क दी और झट से लोहे की छड़ उठाकर उसे मारने लगी - अजंता के नंगे पिल्लू उसकी इस हरकत से बार बार हिल रहे थे
प्रकाश का चेहरा काफी जल गया और वह बेहोश होकर गिर पड़ा
फिर वह उस औरत पर पलटी जिसे प्रकाश बुआ कह रहा था - तू - बदजात - औरत के नाम पर एक कलंक - बुआ कुछ घबराई और उसने अपनी ऊँगली होंठो में डाली - अजंता समझ गयी की वह सीटी मार कर कुछ और बदमाश बुलाना चाहती है
उसने ज़ोर से बुआ के सर पर वार किया - आआ हहहआ - बुआ चिल्ला कर बेहोश हो गयी
अजंता को लगा की कुछ और लोग भी आ सकते हैं उसने तुरंत वह छड़ फेंक दी और अपना ब्लाउज उठा लिया ब्लाउज पीछे से और थोड़ा सा आगे से फट चूका था. उसने किसी तरह वह फटा हुआ ब्लाउज पहन लिया और अपनी चुनरी कीऔर लपकी
उसे अब यह भी चिंता हो रही थी की इस फटे ब्लाउज को कैसे छुपाया जाये
सहसा उसे एक विचार आया - उसने तुरंत प्रकाश की जैकेट उतारी जो की संयोग से खाकी रंग की थी और उसे पहन लिया - तभी उसने उसकी जेब में बाइक की चाबी देखि - कुछ सोच कर उसने वह भी ले ली और उस छड़ को उठाकर अब बIहर भागी यह सोच कर की शायद वह छड़ उसे दोबारा काम आ सकती है.
अजंता का अंदाज़ा ठीक निकला. उसे बहार गेट कीपर ने रोक लिया - कहाँ जा रही हो - रुक जाओ - अजंता ने उसके सर पर वार किया
गेट कीपर बेहोश हो गया और अजंता ने इधर उधर देखा
फिर अजंता ने उसकी टोपी उठा ली जो की खाकी थी और उसे सर पर पहन लिया
बाहर प्रकाश की बाइक खड़ी थी
ब्लाउज पहन कर अजंता ने दो वॉर प्रकाश पर और किये और उसकी बाज़ू भी पीछे से मोड़ दी
अजंता ने एक दो बार प्रकश के साथ ही हंसी मज़ाक में बाइक चलायी थी जब उसने उसे छेड़ा की साड़ी पहन कर बाइक कैसे चलाओगी -वह कोई बहुत अच्छी बाइक तो नहीं चला सकती थी पर उसे उसका टेक्निक मालूम था
उसने अपने लेहंगा दोनों ओर से सरकाया ओर बाइक पर बैठ गयी ओर बाइक स्टार्ट किया - वह ध्यान से कुछ आहिस्ता कुछ तेज़ करके चलने लगी
कुछ देर उसे एक ऑटो स्टैंड नज़र आया - उसने तुरंत आगे पीछे देखा कर बाइक एक पेड़ के पीछे रखी ओर ऑटो पर बैठ कर हांफती हुई आश्रम पहुंची
अजंता ने अपना बैग भी खुशकिस्मती से उठा लिया था ओर उसने पैसे निकाल कर ऑटो वाले का बिल चुकाया
ऑटो से उतर कर उसने देखा की पंडितजी बाहर ही खड़े हैं - उसने तुरंत अपना चेहरा पौंछ कर खुद को सामान्य किया ओर चेहरे पर जबरन मुस्कराहट कलाकार बोली - अरे पंडितजी आप अभी यहाँ
पंडितजी - बस तुम्हारा ही इंतज़ार कर रह था - कहाँ देर हो गयी बेटी - ओर तुम यह क्या बनी हुई हो - लहंगा , फिर जैकेट ओर टोपी ?
अजंता - यह देखिये पंडितजी मैंने आजा ट्रॉफी जीती - फैंसी ड्रेस (उसने ब्यूटी क्वीन की बजाये यह बताया ) प्रतियोगिता में में अव्वल आयी हूँ - ओर रही बात बनने की तो में विलेज बेल्ली यानि गांव की लड़की कम शहरी बाबू का रोल किया
पंडितजी ने ख़ुशी ज़ाहिर की - यह तो बहुत अच्छी बात है - चल बेटी अब अँधेरा हो गया है - जा कपडे वगेहरा बदल ओर खाना खा ले
अजंता ने पंडितजी का गाल थप थपाया - जी में अभी आयी.
और कमरे के अंदर दाखिल होते ही अजंता ने दरवाज़ा बंद किया और वो जैकेट उतर कर दूर फेंक दी. उसने खुद को मुँह के बल बिस्तर पर गिरा दिया और रोने लगी. निश्चय ही आज उसने उन गुंडों से अपनी इज़्ज़त बचा कर बहुत बहादुरी का प्रमाण दिया था परन्तु इस समय उसका मन बहुत भारी हो रहा था और आज की घटना ने उसे न केवल थका दिया था उसका दिल भी तोड़ दिया था. - क्या कसूर किया था मैंने प्रकाश - तुमसे दोस्ती की तुम्हे पसंद किया - तुम पर भरोसा किया - आज अगर भगवiन मेरी मदद नहीं करते तो मेरी इज़्ज़त _ _ _ _ वह बहुत देर तक रोती रही.
फिर जब उसका रोना बंद हुआ तो उसे अपना मन कुछ हल्का ज़रूर लगा पर वह अभी भी बहुत उदास थी. उसने उठकर अपनी अलमारी खोली और और पहले चुनरी उतारी. और उसके बाद वह फटा हुआ ब्लाउज. ब्लाउज उतरने के बाद उसने अपना लहंगा भी उतार दिया और मात्र एक कच्छी में कड़ी हो गयी. उसने एक तौलिया निकला और साथ में ही एक सादी सी साडी , पेटीकोट और ब्लाउज. तौलिया कंधे पर दाल कर उसने बाथरूम में घुसकर नहं शुरू कर दिया. अच्छी तरह से नहा कर उसने साड़ी और ब्लाउज पहना और नीचे खाने चली गयी. खाना के समय उसने पंडितजी से बहुत सहेज होकर बात की और कहा की अब कुछ दिन छुटियों में वह भी रसोई के काम में हाथ बंटाएगी. पर एक बात बार बार उसके मन में आ रही थी - उसका वह मददगार कौन था?
पर अजंता अंदर से बहुत उदास और गंभीर थी. रात के खाने से निबट कर वह वापस अपने कमरे में. दरवाज़ा बंद करके अपनी साडी उतरी और फिर एक हलके रंग की नाईटी पहन ली. उसके बाद वे एक फिक्शन का नावेल लेकर बैठ गयी परन्तु थोड़ी ही देर में उसे बंद करके रख दिया. वह बहुत गंभीर होकर सोच रही थी. तभी अचानक जैसे उसके मन में कई विचार कौंध गए. में अपनी ज़िन्दगी अपराधियों के विरूद्ध एक जंग की तरह लड़ती रहूंगी. उसके लिए चाहे मुझे जो भी करना पड़े.अजंता खेल कूद में बहुत अच्छी थी. उसने फैसलI किया की वह जूडो कराटे जैसी कलाओं में भी खुद को निपुण करेगी और एक सिक्युरिटी अफसर बनेगी.
पर इसके साथ-२ साथ उसके मन में एक दूसरा विचार भी जन्म लेने लगा.
उसके दो दिन बाद की बात है. आश्रम में एक बुजुर्ग लेडी डॉक्टर आती थीं जिनका नाम था डॉ संध्या .उस दिन जब वह बच्चों को देखने आयीं तो पंडितजी कहीं बIहर गए थे. अजंता बहुत ही गुप्त रूप से उनके पास गयी.- डॉ आंटी मुझे आपसे एक बहुत ही ज़रूरी बात करनी है परन्तु इसका किसी को भी पता न लगे.
डॉ संध्या - क्या बात है अजंता सब ठीक तो है.
अजंता ने इधर उधर देखते हुए उन्हें साऱी बात बता दी.
डॉ संध्या - वाकई तुमने काफी बहादुरी का सबूत दिया है. पर तुम्हे आगे के लिए सावधान रहना होगा. पर यह बताओ अजंता तुम मुझसे वास्तविकता में किस किस्म की मदद चाहती हो.
अजंता - आंटी में आपको बता चुकी हूँ की में सिक्युरिटी अफसर बनना चाहती हूँ. जाहिर है मेरा वास्ता मुजरिमो से होगा और यूँ तो हर औरत को अपने ऊपर बलात्कार का खतरा हमेशा बना रहता है और कुछ नहीं तो कम से कम तब तक जब तक वह जवान है, पर एक लेडी सिक्युरिटी अफसर जो खुद मुजरिमो से जूझती है उसके लिए यह खतरा और भी अधिक होगा. आप एक डॉक्टर होने के नाते मुझे एक ऐसी सलाह दें जिस से मैं हमेशा के लिए अपने ऊपर बलात्कार की चिंता से मुक्त हो जाऊं और मुजरिमो के लिए खतरा बनी रहूं.
डॉ संध्या - मैं तुम्हारी बात समझ गयी हूँ. मेरे मन में एक बात आयी है. मेरी एक दोस्त है डॉ अनीता जो की सेक्सोलॉजिस्ट है. मैं तुम्हे उनसे मिलवा दूँगी. और हाँ अजंता तुम बिलकुल फ़िक्र मत करो. मैं इस बात को अपने तक ही रखूंगी. बस तुम अपने को लेकर सावधान रहना.
अजंता आश्वस्त हो गयी. कुछ दिन के बाद वह डॉ अनीता से अपॉइंटमेंट लेकर मिलने गयी और सारी बात विस्तार से बता दी. उसकी खुशकिस्मती से डॉ अनीता एक बहुत मिलनसार और समझदार डॉक्टर थीं. उन्होंने अजंता को इस स्तिथि से जूझने के लिए बहुत अच्छा हल बताया जो की इस प्रकार था -
डॉ अनीता - अजंता तुम बहुत खुशनसीब हो. तुम मेरे पास एक ऐसे समय में आयी हो जब की में इन्ही पर शोध कार्य कर रही हूँ और तुम्हे इसका इलाज या हल फ्री में करवा सकती हूँ. और शोध कार्य करने का कारण है आये दिन बलात्कार के मामले बढ़ना. परन्तु इस कार्य को करने के लिए लड़की में हिम्मत और सब्र होना भी ज़रूरी है और तुम्हारी जैसी लड़की जो सिक्युरिटी ओफ्फिसर बनने का जोखिम से भरा काम करना चाहती है उसके लिए तो बहुत ज़रूरी है - तो सुनो यह सब कैसे होगा -
में तुम्हारे क्लाइटोरिस यानि की सबसे संवेदनशील सेक्स ऑर्गन के पास एक झिल्ली लगाउंगी जिसमे की के खतरनाक वायरस होंगे. झली तुम्हे इनसे बचा कर रखेगी और अगर तुम्हारे साथ कोई सम्बन्ध बनाने की कोशिश करेगा तो तुम्हे योग क्रिया का प्रोयोग करके इन वायरस को सम्भोग क्रिया में केंद्रित कारण होगा. उससे यह वायरस सामने वाली के गुप्ता अंग की शुक्र नाली में घुस जायेंगे और वह कुछ देर तड़प तड़प कर मर जायेगा. और हाँ यदि तुम स्वेत्छा से सम्बन्ध बनाना चाहो तो कोई दिक्कत तुम्हे आया तुम्हारे सामने वाले को पेश नहीं आएगी. यह झिल्ली स्त्री को अनचाहा गर्भ धारण करने से भी बचाती है.
बस इसमें एक बात और है. की पांच बार उपयोग करने के बाद तुम्हे इसे बदलना होगा.
अजंता बहुत प्रसन्न हो गयी. उसने वह सब कार्य किये जैसा की डॉ अनीता ने उसे बताया
कुछ दिन बाद जब अजंता डॉ अनीता से ट्रीटमेंट करवा कर आयी तो उसके अंदर एक नया और दृढ आत्मविश्वास था –
अपने प्रिय लाल रंग की साड़ी पहन हुए सेक्सी अजंता बहुत ही सूंदर लग रही थी. पर उसके मुस्कुराते और मासूम चेहरे पर बेहद खतरनाक भाव उत्पन्न हो गए.
शीशे के सामने खुद को खड़ा करके उसने वी के आकर में अपनी उँगलियाँ चलायीं और कहा - अब देखना यह मिस पेटीकोट कैसे सिक्युरिटी की वर्दी में कहर ढाती है मुजरिमो पर - इंस्पेक्टर अजंता - गोली नंबर २ का भी जन्म हो चुका था
अजंता एक दम सकपका गयी और चीख उठी - यह सब _ _ _ क्या है _ _ _ क्या बदतमीज़ी _ _ _ _ कौन हो तुम लोग _ __ प्रकाशशश्श्श _ _ _
वह दौड़ कर लगभग प्रकश से लिपट गयी - यह सब क्या है प्रकाश - तुम तो मेरे दोस्त हो न _ _
पर प्रकाश ने तुरंत अजंता के हाथ झटक दिए - चल हट साली
और आवाज़ दी - बुआ जल्दी आओ
इस से पहले अजंता कुछ समझती एक गोरी चिट्टी अधेड़ महिला जो शरीर से कुछ भारी भी थी और जिसकी नीली आँखों में काफी वेह्शत छुपी थी - पान चबाती हुई - सामने आयी - वाह वाह प्रकाश बबुआ वाह क्या बढ़िया माल लावत रहीं - इको बेच कर तो बहुत माल हाथ आवत रहीं. उस शेख से बात कर ले इब.
प्रकाश - हाँ मौसी सुबह शेख भी आवा तानी तब हम एका लाखों में देकर माल हासिल कर ले इब
अंजना एक दम सकते में आ गयी - प्रकाश - वह ज़ोर से चिल्लाई
वह औरत जिसे प्रकाश बुआ कह कर बुला रहा था अजंता की और अग्रसर होकर बोली - बेबी - चिंता मत कर - तुझे हम ऐसी जगह भेजेंगे जहाँ तो रानी बनकर रहेगी.
और उसने अजंता का कास कर हाथ पकड़ लिया - बड़ी मस्त चीज़ है प्रकाश - रहुआ की चॉइस तो मालामाल है
अजंता ने एक झटके से अपना हाथ छुड़ाया और एक तमाचा ज़ोर से उसके गाल पर जड़ दिया - कमीनी औरत - छोड़ मुझे और जाने दे यहाँ से
पर इस से पहले कुछ और होता प्रकाश ने अजंता के गाल पर एक तमाचा मारा - साली तेरी हिम्मत कैसे हुई बुआ को मारने की - तो जानती नहीं की _ _
बुआ अब तक संभल गयी थी - अरे बिटवा तू कहे खुद को तकलीफ देत बाड़ा - ज़रा तेज़ सिंह और दिलावर खान को बुलावत रहीं - ऊ दोनों इस छोकरी का सुबह तक खूब सेवा करात बाड़ीं –
और प्रकाश के आवाज़ देते ही दो बेहद खतरनाक से दिखने वाले बदमाश वहां आकर खड़े हुए गए
प्रकाश - तेज़ सिंह, दिलावर खान आओ और ज़रा इस छमिया का इंतज़ाम करो
अजंता - नहीं नहीं _ _ _ _ _ और वह दरवाज़े की तरफ भागी
पर तभी दिलावर ने उसे दबोच लिया और ज़मीन पर पटक दिया
वह अजंता पर टूट पड़ा और उसे नोचने खसोटने लगा. अजंता कुछ सम्भली और उसने दिलावर का मुँह नोच लिया और ज़ोर से उसके गर्दन पर अपने हाथों से नाख़ून गढ़ा दिया - दिलावर बिलबिला उठा - अजंता ने उसे धक्का दिया और खड़ी हो गयी उसने एक ठोकर ज़ोर से दिलावर की गर्दन पर मारी और उसे पेर से धकेलते हुए उस से बचने के लिए भागी
पर तेज़ सिंह ने उसे पकड़ लिया और उसे अपनी बाँहों में भरकर चूमने लगा - उसके मुँह से दारू की बू आ रही थी जिस से अजंता का जी मितला उठा. उसने तेज़ सिंह के घुटने पर अपने सैंडल से ज़ोर से ठोकर मारी और जैसे ही वह दर्द से चीखा उसने तेज़ सिंह का हाथ पकड़ कर एक झटका देकर उसे ज़मीन पर गिरा दिया.
दिलावर - बड़ी तेज़ चीज़ है यार ऐसे नहीं संभालेगी - उसने अजंता की लाल चुनरी खींच कर उसे ज़मीन पर फेंक दिया. दोनों बदमाश अब एक साथ खड़े हुए और अजंता को कस कर पकड़ लिया - वह ज़ोर ज़ोर से चीख रही थी और अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए संघर्ष करने लगी - छोडो मुझे कुत्ते कमीने - हरामी - _ _ _
तेज़ सिंह - गाली देती है साली और उसने ज़ोर से दिलावर की और धकेला - दिलवारा ने उसकी पीठ पर ज़ोर से हाथ मारा और उसके बैकलेस ब्लाउज की डोरियां ख़ोल दीं - बाकी का छोटा सा हिस्सा जो अजंता की पीठ को ढके हुए था दिलावर ने उसे पकड़ा और फाड़ दिया - अब अजंता की पीठ एक दम नंगी हो गयी थी.
उधर तेज़ सिंह झुक कर उससे लिपट गया और उसके पेट और कमर के इर्द गिर्द चूमने लगा गया - उसने अजंता की नाभि पर ज़ोर से ऊँगली घुमाई और अजंता दर्द से चीख उठी
पर उसने हिम्मत करके फिर से तेज़ सिंह के मुँह पर ठोकर मारी - तेज़ सिंह का होंठ फट गया और उससे खून बह निकला
तब दिलावर ने अजंता को सामने से पकड़ा और उसे अपने कन्धों पर उठा लिया
अजंता पैर पटकने लगी और उसने अपने हाथों से मुक्का बनाकर दिलावर के सर पर मारा
दिलावर की पकड़ ढीली हुई और अजंता उसके हाथ से छूट कर नीचे गिरी
दिलावर उस पर टूट पड़ा और दोनों हाथ इर्द गिर्द दबाने शुरू कर दिया
जैसे ही अजंता कुछ कमज़ोर पड़ी उसने अजंता के सीने पर हाथ मारा और उसका खुला ब्लाउज सामने से खींच लिया - पीठ से खुला ब्लाउज आसानी से उतर गया बल्कि कुछ फट भी गया
तेज़ सिंह जो अब तक उठ चूका था उसने वह ब्लाउज दिलावर से लिया और अपन खून पोंछ कर उसे ज़मीन पर फेंक दिया
अजंता के बड़े बड़े उरोज अब बिलकुल नंगे थे और उसके भूरे निप्पल एक दम स्वछन्द होकर हवस के उन दो पुजारियों को निमंत्रण दे रहे थे जिनको जीभ उसकी खूबसूरती को देख कर कुत्ते की तरह बाहर आ रही थी.
उसके उरोज एक दम दो रसीले आमों की तरह अलग-२ दिशाओं में लटक गए मानो किसी दाल पर अभी अभी ताज़े आम लगें हों
दिलावर और तेज़ सिंह के लंड एक दम तन कर उनकी पैंटों में प्रोजेक्शन की तरह सामने आ गए
तेज़ सिंह ने भी शराब का एक घूँट और भरा
व्ववह वाह क्या माल है - आज तो मज़ा आ गया
अरे चल इसकी छूट ढीली कर दें. मेरा लंड तो खूब ज़ोर मार रहा है
आ जा मेरी जान कसम तेरे इन नंगे दुद्धूओं की. आज तो इन आमो को मसल कर रख देंगे. अरे उसके बाद इसकी कच्छी भी फाड़ देंगे - आज तो क्या मलाईदार चूत मिलेगी
अजंता जिस दीवार के सहारे कड़ी थी नीचे ही उसकी दायीं ओर एक छेद था.
अजंता नीचे को झुक गयी तो उसे उस छेद से आवाज़ आयी
यह लीजिये
ओर अजंता ने देखा की एक लोहे की छड़ी उस छेद से अंदर को प्रविष्ट हो गयी.
अजंता को लोहे की एक छड़ नज़र आयी जिसका एक कोना नुकीला था
उसने अभी तक अपना नंगा सीना ढांप रखा था ओर वह उन बदमाशों से बचने के लिए पीछे हट रही थी
पर वह छड़ देखते ही उसने सीने से हाथ हटाये ओर एक कलाबाज़ी करके कूद कर कोने तक पहुँच गयी
उसके नंगे पिल्लू बड़ी मोहक अदा से हिल गए ओर लहंगा भी ऊपर तक उछल गया पर उसे अभी इसकी परवाह न होकर अपनी इज़्ज़त बचने की चिंता थी
अजंता ने तुरंत वह छड़ उठा ली और दोनों की ओर बारी बारी तान ली - खबर दार मेरे पास नहीं आना वरना _ _ _
वह दोनों बेशर्मी से हंसने लगे - अरे इसके गुब्बारे तो देख -
तेज़ सिंह - हमे डंडा मारेगी - आ तुझे हमारे डंडे का ज़ोर दिखाएं
अजंता ने स्फूर्ति का प्रदशन किया और तेज़ सिंह को सीधा उसके गुप्त अंग पर अपनी सैंडल से ठोकर दे मारी
वह दर्द से चीख उठा और गिर गया
इस से पहले दिलावर कुछ समझता अजंता ने उसके पेट में नुकीली छड़ ज़ोर से मार दी - दिलावर के पेट से खून निकला और वह चीख मारकर ज़मीन पर लेट गया
अजंता दहाड़ उठी - कुत्ते मेरी कच्छी फाड़ेगा - जाकर अपनी माँ को नंगा कर
इस से पहले कुछ और होता अजंता ने तेज़ सिंह के गुप्त अंग पर ज़ोर से छड़ मiरी जिससे उसके पेट के नीचे पूरा खून बह निकला - एक ज़ोर की चीख के साथ वह बेहोश हो गया
अजंता ने अब पलट कर दिलावर पर ज़ोर से दो वार किये और वह वहीँ ढेर हो गया
प्रकाश और उसकी बुआ यह देख कर दंग रह गए - जा प्रकाश और दो गुंडे ले कर आ - साली छिनाल तो बहुत तेज़ निकली
पर इस से पहले प्रकाश आगे बढ़ताअजंता ने उसके मुँह पर ज़ोर से वजह छड़ मार दी - कमीने धोके बाज़ - क्या कसूर था मेरा - तुझ जैसे कमीने से प्यार किया - हरामी - कुत्ते - ज़लील - और तभी उसने देखा एक और थोड़ी आग जल रही थी
उसने लोहे की छड़ पकड़ी और एक लकड़ी उठाकर उसका कोने जला दिया -उसने वह जलती लकड़ी प्रकाश के मुँह पर ज़ोर से फें क दी और झट से लोहे की छड़ उठाकर उसे मारने लगी - अजंता के नंगे पिल्लू उसकी इस हरकत से बार बार हिल रहे थे
प्रकाश का चेहरा काफी जल गया और वह बेहोश होकर गिर पड़ा
फिर वह उस औरत पर पलटी जिसे प्रकाश बुआ कह रहा था - तू - बदजात - औरत के नाम पर एक कलंक - बुआ कुछ घबराई और उसने अपनी ऊँगली होंठो में डाली - अजंता समझ गयी की वह सीटी मार कर कुछ और बदमाश बुलाना चाहती है
उसने ज़ोर से बुआ के सर पर वार किया - आआ हहहआ - बुआ चिल्ला कर बेहोश हो गयी
अजंता को लगा की कुछ और लोग भी आ सकते हैं उसने तुरंत वह छड़ फेंक दी और अपना ब्लाउज उठा लिया ब्लाउज पीछे से और थोड़ा सा आगे से फट चूका था. उसने किसी तरह वह फटा हुआ ब्लाउज पहन लिया और अपनी चुनरी कीऔर लपकी
उसे अब यह भी चिंता हो रही थी की इस फटे ब्लाउज को कैसे छुपाया जाये
सहसा उसे एक विचार आया - उसने तुरंत प्रकाश की जैकेट उतारी जो की संयोग से खाकी रंग की थी और उसे पहन लिया - तभी उसने उसकी जेब में बाइक की चाबी देखि - कुछ सोच कर उसने वह भी ले ली और उस छड़ को उठाकर अब बIहर भागी यह सोच कर की शायद वह छड़ उसे दोबारा काम आ सकती है.
अजंता का अंदाज़ा ठीक निकला. उसे बहार गेट कीपर ने रोक लिया - कहाँ जा रही हो - रुक जाओ - अजंता ने उसके सर पर वार किया
गेट कीपर बेहोश हो गया और अजंता ने इधर उधर देखा
फिर अजंता ने उसकी टोपी उठा ली जो की खाकी थी और उसे सर पर पहन लिया
बाहर प्रकाश की बाइक खड़ी थी
ब्लाउज पहन कर अजंता ने दो वॉर प्रकाश पर और किये और उसकी बाज़ू भी पीछे से मोड़ दी
अजंता ने एक दो बार प्रकश के साथ ही हंसी मज़ाक में बाइक चलायी थी जब उसने उसे छेड़ा की साड़ी पहन कर बाइक कैसे चलाओगी -वह कोई बहुत अच्छी बाइक तो नहीं चला सकती थी पर उसे उसका टेक्निक मालूम था
उसने अपने लेहंगा दोनों ओर से सरकाया ओर बाइक पर बैठ गयी ओर बाइक स्टार्ट किया - वह ध्यान से कुछ आहिस्ता कुछ तेज़ करके चलने लगी
कुछ देर उसे एक ऑटो स्टैंड नज़र आया - उसने तुरंत आगे पीछे देखा कर बाइक एक पेड़ के पीछे रखी ओर ऑटो पर बैठ कर हांफती हुई आश्रम पहुंची
अजंता ने अपना बैग भी खुशकिस्मती से उठा लिया था ओर उसने पैसे निकाल कर ऑटो वाले का बिल चुकाया
ऑटो से उतर कर उसने देखा की पंडितजी बाहर ही खड़े हैं - उसने तुरंत अपना चेहरा पौंछ कर खुद को सामान्य किया ओर चेहरे पर जबरन मुस्कराहट कलाकार बोली - अरे पंडितजी आप अभी यहाँ
पंडितजी - बस तुम्हारा ही इंतज़ार कर रह था - कहाँ देर हो गयी बेटी - ओर तुम यह क्या बनी हुई हो - लहंगा , फिर जैकेट ओर टोपी ?
अजंता - यह देखिये पंडितजी मैंने आजा ट्रॉफी जीती - फैंसी ड्रेस (उसने ब्यूटी क्वीन की बजाये यह बताया ) प्रतियोगिता में में अव्वल आयी हूँ - ओर रही बात बनने की तो में विलेज बेल्ली यानि गांव की लड़की कम शहरी बाबू का रोल किया
पंडितजी ने ख़ुशी ज़ाहिर की - यह तो बहुत अच्छी बात है - चल बेटी अब अँधेरा हो गया है - जा कपडे वगेहरा बदल ओर खाना खा ले
अजंता ने पंडितजी का गाल थप थपाया - जी में अभी आयी.
और कमरे के अंदर दाखिल होते ही अजंता ने दरवाज़ा बंद किया और वो जैकेट उतर कर दूर फेंक दी. उसने खुद को मुँह के बल बिस्तर पर गिरा दिया और रोने लगी. निश्चय ही आज उसने उन गुंडों से अपनी इज़्ज़त बचा कर बहुत बहादुरी का प्रमाण दिया था परन्तु इस समय उसका मन बहुत भारी हो रहा था और आज की घटना ने उसे न केवल थका दिया था उसका दिल भी तोड़ दिया था. - क्या कसूर किया था मैंने प्रकाश - तुमसे दोस्ती की तुम्हे पसंद किया - तुम पर भरोसा किया - आज अगर भगवiन मेरी मदद नहीं करते तो मेरी इज़्ज़त _ _ _ _ वह बहुत देर तक रोती रही.
फिर जब उसका रोना बंद हुआ तो उसे अपना मन कुछ हल्का ज़रूर लगा पर वह अभी भी बहुत उदास थी. उसने उठकर अपनी अलमारी खोली और और पहले चुनरी उतारी. और उसके बाद वह फटा हुआ ब्लाउज. ब्लाउज उतरने के बाद उसने अपना लहंगा भी उतार दिया और मात्र एक कच्छी में कड़ी हो गयी. उसने एक तौलिया निकला और साथ में ही एक सादी सी साडी , पेटीकोट और ब्लाउज. तौलिया कंधे पर दाल कर उसने बाथरूम में घुसकर नहं शुरू कर दिया. अच्छी तरह से नहा कर उसने साड़ी और ब्लाउज पहना और नीचे खाने चली गयी. खाना के समय उसने पंडितजी से बहुत सहेज होकर बात की और कहा की अब कुछ दिन छुटियों में वह भी रसोई के काम में हाथ बंटाएगी. पर एक बात बार बार उसके मन में आ रही थी - उसका वह मददगार कौन था?
पर अजंता अंदर से बहुत उदास और गंभीर थी. रात के खाने से निबट कर वह वापस अपने कमरे में. दरवाज़ा बंद करके अपनी साडी उतरी और फिर एक हलके रंग की नाईटी पहन ली. उसके बाद वे एक फिक्शन का नावेल लेकर बैठ गयी परन्तु थोड़ी ही देर में उसे बंद करके रख दिया. वह बहुत गंभीर होकर सोच रही थी. तभी अचानक जैसे उसके मन में कई विचार कौंध गए. में अपनी ज़िन्दगी अपराधियों के विरूद्ध एक जंग की तरह लड़ती रहूंगी. उसके लिए चाहे मुझे जो भी करना पड़े.अजंता खेल कूद में बहुत अच्छी थी. उसने फैसलI किया की वह जूडो कराटे जैसी कलाओं में भी खुद को निपुण करेगी और एक सिक्युरिटी अफसर बनेगी.
पर इसके साथ-२ साथ उसके मन में एक दूसरा विचार भी जन्म लेने लगा.
उसके दो दिन बाद की बात है. आश्रम में एक बुजुर्ग लेडी डॉक्टर आती थीं जिनका नाम था डॉ संध्या .उस दिन जब वह बच्चों को देखने आयीं तो पंडितजी कहीं बIहर गए थे. अजंता बहुत ही गुप्त रूप से उनके पास गयी.- डॉ आंटी मुझे आपसे एक बहुत ही ज़रूरी बात करनी है परन्तु इसका किसी को भी पता न लगे.
डॉ संध्या - क्या बात है अजंता सब ठीक तो है.
अजंता ने इधर उधर देखते हुए उन्हें साऱी बात बता दी.
डॉ संध्या - वाकई तुमने काफी बहादुरी का सबूत दिया है. पर तुम्हे आगे के लिए सावधान रहना होगा. पर यह बताओ अजंता तुम मुझसे वास्तविकता में किस किस्म की मदद चाहती हो.
अजंता - आंटी में आपको बता चुकी हूँ की में सिक्युरिटी अफसर बनना चाहती हूँ. जाहिर है मेरा वास्ता मुजरिमो से होगा और यूँ तो हर औरत को अपने ऊपर बलात्कार का खतरा हमेशा बना रहता है और कुछ नहीं तो कम से कम तब तक जब तक वह जवान है, पर एक लेडी सिक्युरिटी अफसर जो खुद मुजरिमो से जूझती है उसके लिए यह खतरा और भी अधिक होगा. आप एक डॉक्टर होने के नाते मुझे एक ऐसी सलाह दें जिस से मैं हमेशा के लिए अपने ऊपर बलात्कार की चिंता से मुक्त हो जाऊं और मुजरिमो के लिए खतरा बनी रहूं.
डॉ संध्या - मैं तुम्हारी बात समझ गयी हूँ. मेरे मन में एक बात आयी है. मेरी एक दोस्त है डॉ अनीता जो की सेक्सोलॉजिस्ट है. मैं तुम्हे उनसे मिलवा दूँगी. और हाँ अजंता तुम बिलकुल फ़िक्र मत करो. मैं इस बात को अपने तक ही रखूंगी. बस तुम अपने को लेकर सावधान रहना.
अजंता आश्वस्त हो गयी. कुछ दिन के बाद वह डॉ अनीता से अपॉइंटमेंट लेकर मिलने गयी और सारी बात विस्तार से बता दी. उसकी खुशकिस्मती से डॉ अनीता एक बहुत मिलनसार और समझदार डॉक्टर थीं. उन्होंने अजंता को इस स्तिथि से जूझने के लिए बहुत अच्छा हल बताया जो की इस प्रकार था -
डॉ अनीता - अजंता तुम बहुत खुशनसीब हो. तुम मेरे पास एक ऐसे समय में आयी हो जब की में इन्ही पर शोध कार्य कर रही हूँ और तुम्हे इसका इलाज या हल फ्री में करवा सकती हूँ. और शोध कार्य करने का कारण है आये दिन बलात्कार के मामले बढ़ना. परन्तु इस कार्य को करने के लिए लड़की में हिम्मत और सब्र होना भी ज़रूरी है और तुम्हारी जैसी लड़की जो सिक्युरिटी ओफ्फिसर बनने का जोखिम से भरा काम करना चाहती है उसके लिए तो बहुत ज़रूरी है - तो सुनो यह सब कैसे होगा -
में तुम्हारे क्लाइटोरिस यानि की सबसे संवेदनशील सेक्स ऑर्गन के पास एक झिल्ली लगाउंगी जिसमे की के खतरनाक वायरस होंगे. झली तुम्हे इनसे बचा कर रखेगी और अगर तुम्हारे साथ कोई सम्बन्ध बनाने की कोशिश करेगा तो तुम्हे योग क्रिया का प्रोयोग करके इन वायरस को सम्भोग क्रिया में केंद्रित कारण होगा. उससे यह वायरस सामने वाली के गुप्ता अंग की शुक्र नाली में घुस जायेंगे और वह कुछ देर तड़प तड़प कर मर जायेगा. और हाँ यदि तुम स्वेत्छा से सम्बन्ध बनाना चाहो तो कोई दिक्कत तुम्हे आया तुम्हारे सामने वाले को पेश नहीं आएगी. यह झिल्ली स्त्री को अनचाहा गर्भ धारण करने से भी बचाती है.
बस इसमें एक बात और है. की पांच बार उपयोग करने के बाद तुम्हे इसे बदलना होगा.
अजंता बहुत प्रसन्न हो गयी. उसने वह सब कार्य किये जैसा की डॉ अनीता ने उसे बताया
कुछ दिन बाद जब अजंता डॉ अनीता से ट्रीटमेंट करवा कर आयी तो उसके अंदर एक नया और दृढ आत्मविश्वास था –
अपने प्रिय लाल रंग की साड़ी पहन हुए सेक्सी अजंता बहुत ही सूंदर लग रही थी. पर उसके मुस्कुराते और मासूम चेहरे पर बेहद खतरनाक भाव उत्पन्न हो गए.
शीशे के सामने खुद को खड़ा करके उसने वी के आकर में अपनी उँगलियाँ चलायीं और कहा - अब देखना यह मिस पेटीकोट कैसे सिक्युरिटी की वर्दी में कहर ढाती है मुजरिमो पर - इंस्पेक्टर अजंता - गोली नंबर २ का भी जन्म हो चुका था