10-04-2020, 08:29 PM
(This post was last modified: 08-08-2021, 02:56 PM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
और वो आ गयी।
अगले दिन दस साढ़े दस बज रहे होंगे, मौसम भी थोड़ा आशिकाना हो रहा था।
हवा में कुछ देर पहले ही बंद हुयी बारिश की भीगी भीगी महक थी ।
आसमान में धूप और बदरिया लुका छिप्पी खेल रहे थे, और
वो ऊपर हमारे कमरे में थोड़े अलसा रहे थे , थोड़े जागे थोड़े सोये ,जब मैं पहुंची उन्हें खुश खबरी देने ,
बता नहीं सकती कैसे लग रहे थे वो ,
खूब मीठे मीठे , सो हैंडसम , क्यूट।
बस एक मेश ,स्प्लिट शार्ट,एकदम झलकौवा , और उनका खूंटा अधजगा सा ,
एकदम साफ़ झलकता।
मम्मी की पसंद ,मेश ,पॉलिएस्टर ,सिंगल प्लाई एकदम सी थ्रू ,.... और उनके खुले सुपाड़े पे रगड़ता।
उन्हें ऐसे देख के मैं क्या करती , वही करती जो मैंने किया ,
शार्ट के ऊपर से कस के उनके खूंटे को रगड़ती , मैंने उन्हें खुशबरी सुनाई ,
"उठ यार तेरा माल आ गया है। "
नींद ,आलस सब एक पल में गायब ,उनकी आँखों में एक अजब सी चमक ,चेहरे पर ख़ुशी आ गयी थी।
" सच्ची " वो चहक के उठते हुए बोले।
" एकदम " और शार्ट के ऊपर से ही और जोर से खूंटे को मसलते रगड़ते मुठियाते मैं बोली ,
" स्साले , माल का नाम सुन के तेरा ये हाल हो गया है तो देख के क्या होगा।
और यार लेकिन एक बात ,तेरा माल एकदम मस्त होगया है। गदरा गयी है स्साली। खूब दबाने ,मसलने रगड़ने लायक।
और गाल भी इत्ते चिकने मुलायम ,एकदम मालपूआ।
कचकचौआ ,काटना जरूर और वो भी मेरी जेठानी के सामने। "
मुश्किल से हाँ निकली उनके मुंह से।
पर मेरा अमोघ अस्त्र था न मेरे पास , मेरा मोबाइल जिसमें उनकी 'अच्छी वाली ' फोटुएं भरी पड़ी थी ,
अजय और कमल जीजू के साथ ,
हसबैंड नाइट की आल ड्रेस्ड अप ,
मेरी उँगलियाँ मोबाइल के बटनों पर टहल रही थीं ,
लेकिन उसकी जरुरत नहीं पड़ी।
वो खुद ही बेताब थे अपनी दिलेजाना से मिलने को तम्बू में बम्बू अब एकदम खड़ा था।
मुस्कराती उनकी हालत देखकर मैं बोली ,
" साले , तुम तो हो ही पैदायशी बहनचोद , तेरी माँ का भोंसड़ा मारुं ,
लेकिन जब हो तो हो ,ज़रा देखूं तो बहन का नाम सुन के इसकी क्या हालत है। "
और मैंने तम्बू उठा दिया ,बम्बू झट से बाहर , जैसे स्प्रिंग लगा हो ,
पूरे बालिश्त भर का ,कड़ा जैसे पत्थर।
मैंने उन्हें हल्का सा धक्का देकर पलंग पर गिरा दिया , साया साड़ी मेरी कमर तक ,
और मेरी चूत उनके मुंह पे , रगड़ते घिसते ,मैंने अपने सैंया के मोटे कड़े फननाये लंड को पकड़ लिया
कस कर दबाती ,मसलती अपनी मुट्ठी में ,मैं बोली ,
" बोल बहुत मस्ती चढ़ी है जाएगा न अपनी उस छिनार एलवल वाली की बिल में ,
अरे बिल क्या उस के मुंह में गांड में हर जगह घुसवाऊँगी। वो साल्ली आयी ही है घुसवाने , बहुत मस्ती चढ़ी है ,
बस तुम मत शरमाना उससे , क्या समझाया था तुझे एकदम रंडी की तरह बेशरम हो के ,... "
और प्यार से एक हलकी सी चपत उनके पगलाए लंड पर मैंने जड़ दी।
और अब हम दोनों 69 वाली पोज में थे।
हाथ की जगह अब मेरे होंठों ने ले लिया था ,
पहले तो जीभ की नोंक से उनके पी होल ( पेशाब के छेद ) को छेड़ा ,
फिर जीभ से सुपाड़े के चारो ओर।
पहले हलके हलके , फिर तेजी से और फिर एक झटके में गप्प , पूरा मोटा मांसल सुपाड़ा मेरे रसीले गुलाबी होंठों के बीच ,
सपड़ सपड़
होंठ सुपाड़े को दबा रहे थे ,जीभ लपर लपर सुपाडे को चाट रही थी ,और मैं पूरी ताकत से चूस रही थी।
लेकिन मेरी उंगलियां भी खाली नहीं बैठी थीं , पहले तो उनके तन्नाए लंड के बेस पे , फिर बॉल्स पर ,
फिर बॉल्स और पिछवाड़े के बीच वाली जगह , फिर सीधे पीछे गोलकुंडा के गोल गोल दरवाजे के चारों ओर,
और गप्पाक ,
एक झटके में मेरे मखमली मुंह ने उनका आधे से ज्यादा लंड घोंट लिया ,पूरे ५-६ इंच.
गचाक , एक झटके में मेरी मंझली ऊँगली उनकी गांड में। एकदम जड़ तक।
और वो भी खूब मस्त हो के मेरी बुर चूस रहे थे , संतरे की फांको की तरह मेरे दोनों भगोष्ठों को उन्होंने चूसा और फिर
उसे फैला के जीभ पूरी अंदर ,मेरी गीली बुर में।
मेरी ऊँगली हचाहच उनकी गांड मार रही थी ,
पीछे से ,गांड के अंदर से उनके प्रोस्ट्रेट को , मर्दों की जादू की बटन को दबा रही थी छेड़ रही थी ,
और मेरा मुंह वैक्यूम क्लीनर से भी जोर से उनके लंड को चूस रहा था।
दो तीन बार आलमोस्ट उन्हें मैं झाड़ने के कगार पर ले जाके रुकी ,
और साथ में शब्दों की झड़ी , ताने ,उन्हें उकसाना , गालियां ,
" बोल न ,कैसा लग रहा है अपने उस मस्त माल के बारे में सोच सोच के , साले बहन के भंडुए , जो सोच के ये हाल हो रहा है तो जो देखेगा तो ,फिर तो ,...
अरे आज मौका है ,खुल के ज़रा भी शर्माना ,झिझकना मत , चाहे वो मना करे ,झिझके ,
भले ही खूब जबरदस्ती करने पड़े , लेकिन आज उसकी कच्ची अमिया का स्वाद लिए बिना छोड़ना मत ,
वो भी हम लोगों के सामने ,
अरे मैं रहूंगी न मेरे सोना मोना तेरे पास , बस आज मसल देना कस के उसकी चूँची ,
बस जैसे जैसे मैं इशारा करूँ, अरे वो छिनाल आयी ही है दबवाने।
आते ही मुस्करा के पूछा , भाभी भैया कहाँ है। तो आज भैय्या से सैयां बनने का पूरा मौका है। छोड़ना मत साल्ली को। "
अगले दिन दस साढ़े दस बज रहे होंगे, मौसम भी थोड़ा आशिकाना हो रहा था।
हवा में कुछ देर पहले ही बंद हुयी बारिश की भीगी भीगी महक थी ।
आसमान में धूप और बदरिया लुका छिप्पी खेल रहे थे, और
वो ऊपर हमारे कमरे में थोड़े अलसा रहे थे , थोड़े जागे थोड़े सोये ,जब मैं पहुंची उन्हें खुश खबरी देने ,
बता नहीं सकती कैसे लग रहे थे वो ,
खूब मीठे मीठे , सो हैंडसम , क्यूट।
बस एक मेश ,स्प्लिट शार्ट,एकदम झलकौवा , और उनका खूंटा अधजगा सा ,
एकदम साफ़ झलकता।
मम्मी की पसंद ,मेश ,पॉलिएस्टर ,सिंगल प्लाई एकदम सी थ्रू ,.... और उनके खुले सुपाड़े पे रगड़ता।
उन्हें ऐसे देख के मैं क्या करती , वही करती जो मैंने किया ,
शार्ट के ऊपर से कस के उनके खूंटे को रगड़ती , मैंने उन्हें खुशबरी सुनाई ,
"उठ यार तेरा माल आ गया है। "
नींद ,आलस सब एक पल में गायब ,उनकी आँखों में एक अजब सी चमक ,चेहरे पर ख़ुशी आ गयी थी।
" सच्ची " वो चहक के उठते हुए बोले।
" एकदम " और शार्ट के ऊपर से ही और जोर से खूंटे को मसलते रगड़ते मुठियाते मैं बोली ,
" स्साले , माल का नाम सुन के तेरा ये हाल हो गया है तो देख के क्या होगा।
और यार लेकिन एक बात ,तेरा माल एकदम मस्त होगया है। गदरा गयी है स्साली। खूब दबाने ,मसलने रगड़ने लायक।
और गाल भी इत्ते चिकने मुलायम ,एकदम मालपूआ।
कचकचौआ ,काटना जरूर और वो भी मेरी जेठानी के सामने। "
मुश्किल से हाँ निकली उनके मुंह से।
पर मेरा अमोघ अस्त्र था न मेरे पास , मेरा मोबाइल जिसमें उनकी 'अच्छी वाली ' फोटुएं भरी पड़ी थी ,
अजय और कमल जीजू के साथ ,
हसबैंड नाइट की आल ड्रेस्ड अप ,
मेरी उँगलियाँ मोबाइल के बटनों पर टहल रही थीं ,
लेकिन उसकी जरुरत नहीं पड़ी।
वो खुद ही बेताब थे अपनी दिलेजाना से मिलने को तम्बू में बम्बू अब एकदम खड़ा था।
मुस्कराती उनकी हालत देखकर मैं बोली ,
" साले , तुम तो हो ही पैदायशी बहनचोद , तेरी माँ का भोंसड़ा मारुं ,
लेकिन जब हो तो हो ,ज़रा देखूं तो बहन का नाम सुन के इसकी क्या हालत है। "
और मैंने तम्बू उठा दिया ,बम्बू झट से बाहर , जैसे स्प्रिंग लगा हो ,
पूरे बालिश्त भर का ,कड़ा जैसे पत्थर।
मैंने उन्हें हल्का सा धक्का देकर पलंग पर गिरा दिया , साया साड़ी मेरी कमर तक ,
और मेरी चूत उनके मुंह पे , रगड़ते घिसते ,मैंने अपने सैंया के मोटे कड़े फननाये लंड को पकड़ लिया
कस कर दबाती ,मसलती अपनी मुट्ठी में ,मैं बोली ,
" बोल बहुत मस्ती चढ़ी है जाएगा न अपनी उस छिनार एलवल वाली की बिल में ,
अरे बिल क्या उस के मुंह में गांड में हर जगह घुसवाऊँगी। वो साल्ली आयी ही है घुसवाने , बहुत मस्ती चढ़ी है ,
बस तुम मत शरमाना उससे , क्या समझाया था तुझे एकदम रंडी की तरह बेशरम हो के ,... "
और प्यार से एक हलकी सी चपत उनके पगलाए लंड पर मैंने जड़ दी।
और अब हम दोनों 69 वाली पोज में थे।
हाथ की जगह अब मेरे होंठों ने ले लिया था ,
पहले तो जीभ की नोंक से उनके पी होल ( पेशाब के छेद ) को छेड़ा ,
फिर जीभ से सुपाड़े के चारो ओर।
पहले हलके हलके , फिर तेजी से और फिर एक झटके में गप्प , पूरा मोटा मांसल सुपाड़ा मेरे रसीले गुलाबी होंठों के बीच ,
सपड़ सपड़
होंठ सुपाड़े को दबा रहे थे ,जीभ लपर लपर सुपाडे को चाट रही थी ,और मैं पूरी ताकत से चूस रही थी।
लेकिन मेरी उंगलियां भी खाली नहीं बैठी थीं , पहले तो उनके तन्नाए लंड के बेस पे , फिर बॉल्स पर ,
फिर बॉल्स और पिछवाड़े के बीच वाली जगह , फिर सीधे पीछे गोलकुंडा के गोल गोल दरवाजे के चारों ओर,
और गप्पाक ,
एक झटके में मेरे मखमली मुंह ने उनका आधे से ज्यादा लंड घोंट लिया ,पूरे ५-६ इंच.
गचाक , एक झटके में मेरी मंझली ऊँगली उनकी गांड में। एकदम जड़ तक।
और वो भी खूब मस्त हो के मेरी बुर चूस रहे थे , संतरे की फांको की तरह मेरे दोनों भगोष्ठों को उन्होंने चूसा और फिर
उसे फैला के जीभ पूरी अंदर ,मेरी गीली बुर में।
मेरी ऊँगली हचाहच उनकी गांड मार रही थी ,
पीछे से ,गांड के अंदर से उनके प्रोस्ट्रेट को , मर्दों की जादू की बटन को दबा रही थी छेड़ रही थी ,
और मेरा मुंह वैक्यूम क्लीनर से भी जोर से उनके लंड को चूस रहा था।
दो तीन बार आलमोस्ट उन्हें मैं झाड़ने के कगार पर ले जाके रुकी ,
और साथ में शब्दों की झड़ी , ताने ,उन्हें उकसाना , गालियां ,
" बोल न ,कैसा लग रहा है अपने उस मस्त माल के बारे में सोच सोच के , साले बहन के भंडुए , जो सोच के ये हाल हो रहा है तो जो देखेगा तो ,फिर तो ,...
अरे आज मौका है ,खुल के ज़रा भी शर्माना ,झिझकना मत , चाहे वो मना करे ,झिझके ,
भले ही खूब जबरदस्ती करने पड़े , लेकिन आज उसकी कच्ची अमिया का स्वाद लिए बिना छोड़ना मत ,
वो भी हम लोगों के सामने ,
अरे मैं रहूंगी न मेरे सोना मोना तेरे पास , बस आज मसल देना कस के उसकी चूँची ,
बस जैसे जैसे मैं इशारा करूँ, अरे वो छिनाल आयी ही है दबवाने।
आते ही मुस्करा के पूछा , भाभी भैया कहाँ है। तो आज भैय्या से सैयां बनने का पूरा मौका है। छोड़ना मत साल्ली को। "