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Misc. Erotica रद्दी वाला
#4
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सुदर्शन जी सरकारी काम से १ हफ़्ते के लिये मेरठ जा रहे थे, ये बात जब ज्वाला देवी को पता चली तो उसकी खुशी का ठिकाना ही न रहा। सबसे ज्यादा खुशी तो उसे इसकी थी कि पति की गैरहाज़िरी में बिरजु का लंबा व जानदार लंड उसे मिलने जा रहा था। जैसे ही सुदर्शन जी जाने के लिये निकले, ज्वाला ने बिरजु को बुलवा भेजा और नहा धो कर उसी दिन की तरह तैयार हुई और बिरजु के आने का इंतज़ार करने लगी। बिरजु के आते ही वो उससे लिपट गयी। उसके कान में धीरे से बोली, “राजा आज रात को मेरे यहीं रुको और मेरी चूत का बाजा जी भर कर बजाना।”

ज्वाला देवी बिरजु को ले कर अपने बेडरूम में घुस गयी और दरवाजा बंद करके उसके लौड़े को सहलाने लगी। लेकिन उस रात गज़ब हो गया, वो हो गया जो नहीं होना चाहिये था, यानि उन दोनों के मध्य हुई सारी चुदाई-लीला को रंजना ने जी भर कर देखा और उसी पर निश्चय किया कि वो भी अब जल्द ही किसी जवान लंड से अपनी चूत का उद्घाटन जरूर करा कर ही रहेगी। हुआ यूँ था की उस दिन भी रंजना हमेशा की तरह रात को अपने कमरे में पढ़ रही थी। रात १० बजे तक तो वो पढ़ती रही और फिर थकान और उब से तंग आ कर कुछ देर हवा खाने और दिमाग हल्का करने के इरादे से अपने कमरे से बाहर आ गयी और बरामदे में चहल कदमी करती हुई टहलने लगी। मगर सर्दी ज्यादा थी इसलिये वो बरामदे में ज्यादा देर तक खड़ी नहीं रह सकी और कुछ देर के बाद अपने कमरे की और लौटने लगी कि मम्मी के कमरे से सोडे की बोतलें खुलने की आवाज़ उसके कानो में पड़ी। बोतलें खुलने की आवाज़ सुन कर वो ठिठकी और सोचने लगी, “इतनी सर्दी में मम्मी सोडे की बोतलों का आखिर कर क्या रही है?”

अजीब सी उत्सुकता उसके मन में पैदा हो उठी और उसने बोतलों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से ज्वाला देवी के कमरे की तरफ़ कदम बढ़ा दिये। इस समय ज्वाला देवी के कमरे का दरवाज़ा बंद था इसलिये रंजना कुछ सोचती हुई इधर उधर देखने लगी और तभी एक तरकीब उसके दिमाग में आयी। तरकीब थी पिछला दरवाजा, जी हाँ पिछला दरवाजा। रंजना जानती थी की मम्मी के कमरे में झाँकने के लिये पिछले दरवाजे का की-होल है। वहाँ से वो सुदर्शन जी और ज्वाला देवी के बीच चुदाई- लीला भी एक दो बार देख चुकी थी। रंजना पिछले दरवाजे पर आयी और ज्योंही उसने की-होल से अंदर झांका कि वो बुरी तरह चौंक पड़ी। जो कुछ उसने देखा उस पर कतई विश्वास उसे नहीं हो रहा था। उसने सिर को झटका दे कर फिर अंदर के दृश्य देखने शुरु कर दिये। इस बार तो उसके शरीर के कुँवारे रोंगटे झनझना कर खड़े हो गये, जो कुछ उसने अंदर देखा, उसे देख कर उसकी हालत इतनी खराब हो गयी कि काफ़ी देर तक उसके सोचने समझने की शक्ति गायब सी हो गयी। बड़ी मुश्किल से अपने उपर काबू करके वो सही स्थिती में आ सकी।


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रद्दी वाला - by fasterboy - 09-04-2020, 01:45 PM
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