09-04-2020, 01:47 PM
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ज्वाला देवी ने फ़ैसला कर लिया कि वो इस गठीले शरीर वाले रद्दी वाले के लंड से जी भर कर अपनी चूत मरवायेगी। उसने सोचा जब साला चूत के दर्शन कर ही गया है तो फिर चूत मराने में ऐतराज़ ही क्या?
उधर ऑफिस में सुदर्शन जी बैठे हुए अपनी खूबसुरत जवान स्टेनो मिस शाज़िया के खयालो में डूबे हुए थे। ज्वाला के फ़ोन से वे समझ गये थे की साली अधेढ़ बीवी की चूत में खुजली चल पड़ी होगी। यह सोच ही उनका लंड खड़ा कर देने के लिये काफ़ी थी। उन्होने घन्टी बजा कर चपरासी को बुलाया और बोले, “देखो भजन! जल्दी से शाज़िया को फ़ाईल ले कर भेजो।”
“जी बहुत अच्छा साहब!” भजन तेज़ी से पलटा और मिस शाज़िया के पास आ कर बोला, “बड़े साहब ने फ़ाईल ले कर आपको बुलाया है।” मिस शाज़िया फ़ुर्ती से एक फ़ाईल उठा कर खड़ी हो गयी और अपनी स्कर्ट ठीक ठाक कर तेज़ चाल से अपनी सैंडल खटखटाती उस कमरे में जा घुसी जिस के बाहर लिखा था “बिना आज्ञा अंदर आना मना है!” कमरे में सुदर्शन जी बैठे हुए थे। शाज़िया २२ साल की मस्त लड़की उनके पूराने स्टाफ़ खान साहब की लड़की थी। खान साहब की उमर हो गयी और वे रिटायर हो गये। रिटायर्मेंट के वक्त खान साहब ने सुदर्शनजी से विनती की कि वे उनकी लड़की को अपने यहाँ सर्विस पे रख लें। शाज़िया को देखते ही सुदर्शनजी ने फ़ौरन हाँ कर दी। शाज़िया बड़ी मनचली लड़की थी। वो सुदर्शनजी की प्रारम्भिक छेड़छाड़ का हँस कर साथ देने लगी। और फिर नतीजा यह हुआ की वह उनकी एक रखैल बन कर रह गयी।
“आओ मिस शाज़िया! ठहरो दरवाजा लॉक कर आओ, हरी अप।” शाज़िया को देखते ही उचक कर वो बोले। दरवाजा लॉक कर शाज़िया जैसे ही सामने वाली कुर्सी पर बैठने लगी तो सुदर्शन जी अपनी पैंट की ज़िप खोल कर उसमें हाथ डाल अपना फ़नफ़नाता हुआ खूंटे की तरह तना हुआ लंड निकाल कर बोले, “ओह नो शाज़िया! जल्दी से अपनी पैंटी उतार कर हमारी गोद में बैठ कर इसे अपनी चूत में ले लो।”
“सर! आज सुबह-सुबह! चक्कर क्या है डीयर?” खड़ी हो कर अपनी स्कर्ट को उपर उठा पैंटी टांगों से बाहर निकालते हुए शाज़िया बोली।
“बस डार्लिंग मूड कर आया!, हरी अप! ओह।” सुदर्शन जी भारी गाँड वाली बेहद खूबसूरत शाज़िया की चूत में लंड डालने को बेताब हुए जा रहे थे।
“लो आती हूँ मॉय लव” शाज़िया उनके पास आयी और उसने अपनी स्कर्ट ऊपर उठा कर कुर्सी पर बैठे सुदर्शन जी की गोद में कुछ आधी हो कर इस अंदाज़ में बैठना शुरु किया कि खड़ा लंड उसकी चूत के मुँह पर आ लगा था।
“अब ज़ोर से बैठो, लंड ठीक जगह लगा है” सुदर्शन जी ने शाज़िया को आज्ञा दी। वो उनकी आज्ञा मान कर इतनी ज़ोर से चूत को दबाते हुए लंड पर बैठने लगी कि सारा लंड उसकी चूत में उतरता हुआ फ़िट हो चुका था। पूरा लंड चूत में घुसवा कर बड़े इतमिनान से गोद में बैठ अपनी गाँड को हिलाती हुई दोनों बाँहें सुदर्शन जी के गले में डाल कर वो बोली, “आह.. बड़ा.. अच्छा.. लग। रहा .. है सर... ओफ़्फ़। ओह.. मुझे.. भींच लो.. ज़ोरर.. से।”
फिर क्या था, दोनों तने हुए मम्मों को उसके खुले गले के अंदर हाथ डाल कर उन्होने पकड़ लिया और सफ़ाचट खुशबुदार बगलों को चूमते हुए उसके होंठों से अपने होंठ रगड़ते हुए वो बोले, “डार्लिंग!! तुम्हारी चूत मुझे इतनी अच्छी लगती है की मैं अपनी बीवी की चूत को भी भूल चुका हूँ, आह! अब ज़ोर ज़ोर..उछलो डार्लिंग।”
“सर चूत तो हर औरत के पास एक जैसी ही होती है, बस चुदवाने के अंदाज़ अलग अलग होते हैं, मेरे अंदाज़ आपको पसन्द आ गये हैं, क्यों?”
“हाँ । हाँ अब उछलो जल्दी से ..” और फिर गोद में बैठी शाज़िया ने जो सिसक सिसक कर लंड अपनी चूत में पिलवाना शुरु किया तो सुदर्शन जी मज़े में दोहरे हो उठे, उन्होने कुर्सी पर अपनी गाँड उछाल उछाल कर चोदना शुरु कर दिया था। शाज़िया ज़ोर से उनकी गर्दन में बाँहें डाले हिला-हिला कर झूले पर बैठी झोंटे ले रही थी। हर झोंटे में उसकी चूत पूरा-पूरा लंड निगल रही थी। सुदर्शन जी ने उसका सारा मुँह चूस-चूस कर गीला कर डाला था। अचानक वो बहुत ज़ोर-ज़ोर से लंड को अपनी चूत के अंदर बाहर लेते हुई बोल उठी थी, “उफ़्फ़.. आहा.. बड़ा मज़ा आ .. रह.. है .. आह.. मैं गयी..”
सुदर्शन जी मौके की नज़ाकत को ताड़ गये और शाज़िया की पीछे से कोली भर कर कुर्सी से उठ खड़े हुए और तेज़ तेज़ शॉट मारते हुए बोले, “लो.. मेरी । जान.. और .. आह लो.. मैं .. भी .. झड़ने वाला हूँ.. ओफ़। आहह लो.. जान.. मज़ा.. आ.. गया..” और शाज़िया की चूत से निकलते हुए रज से उनका वीर्य जा टकराया। शाज़िया पीछे को गाँड पटकती हुई दोनो हाथों से अपने कूल्हे भींचती हुई झड़ रही थी। अच्छी तरह झड़ कर सुदर्शन जी ने उसकी चूत से लंड निकाल कर कहा, “जल्दी से पेशाब कर पैंटी पहन लो, स्टाफ़ के लोग इंतज़ार कर रहे होंगे, ज्यादा देर यहाँ तुम्हारा रहना ठीक नहीं है।” सुदर्शन जी के केबिन में बने पेशाब घर में शाज़िया ने मूत कर अपनी चूत रुमाल से खूब पोंछी और पैंटी पहन कर बोली, “आपकी दराज में मेरी लिप्स्टिक और पाउडर पड़ा है, ज़रा दे दिजीये प्लीज़,” सुदर्शन जी ने निकाल कर शाज़िया को दिया। इसके बाद शाज़िया तो सामने लगे शीशे में अपना मेकअप ठीक करने लगी, और सुदर्शन जी पेशाब घर में मूतने के लिये उठ खड़े हुए।
कुछ देर में ही शाज़िया पहले की तरह ताज़ी हो उठी थी, तथा सुदर्शनजी भी मूत कर लंड पैंट के अंदर कर ज़िप बंद कर चुके थे।
चुदाई इतनी सावधानी से की गयी थी की न शाज़िया की स्कर्ट पर कोई धब्बा पड़ा था और न सुदर्शनजी की पैंट कहीं से खराब हुई। एलर्ट हो कर सुदर्शन जी अपनी कुर्सी पर आ बैठे और शाज़िया फ़ाईल उठा, दरवाजा खोल उनके केबिन से बाहर निकल आयी। उसके चेहरे को देख कर स्टाफ़ का कोई भी आदमी नहीं ताड़ सका कि साली अभी-अभी चुदवा कर आ रही है। वो इस समय बड़ी भोली भाली और स्मार्ट दिखायी पड़ रही थी।
उधर बिरजु ने आज अपना दिन खराब कर डाला था। घर आ कर वो सीधा बाथरूम में घुस गया और दो बार ज्वाला देवी की चूत का नाम ले कर मुट्ठी मारी। मुट्ठी मारने के बाद भी वो उस चूत की छवि अपने जेहन से उतारने में अस्मर्थ रहा था। उसे तो असली खाल वाली जवान चूत मारने की इच्छा ने आ घेरा था। मगर उसके चारों तरफ़ कोई चूत वाली ऐसी नहीं थी जिसे चोद कर वो अपने लंड की आग बुझा सकता।
शाम को जब सुदर्शन जी ऑफिस से लौट आये। तो ज्वाला देवी चेहरा फ़ुलाये हुए थी। उसे यूँ गुस्से में भरे देख कर वो बोले, “लगता है रानी जी आज कुछ नाराज़ हैं हमसे!” “जाइये! मैं आपसे आज हर्गिज़ नहीं बोलूँगी।” ज्वाला देवी ने मुँह फ़ुला कर कहा, और काम में जुट गयी। रात को सुदर्शन जी डबल बिस्तर पर लेटे हुए थे। इस समय भी उन्हे अपनी पत्नी नहीं बल्कि शाज़िया की चूत की याद सता रही थी। सारे काम निपटा कर ज्वाला देवी ने रंजना के कमरे में झांक कर देखा और उसे गहरी नींद में सोये देख कर वो कुछ आश्वस्त हो कर सीधी पति के बराबर में जा लेटी। एक दो बार आंखे मूंदे पड़े पति को उसने कनखियों से झांक कर देखा और अपनी साड़ी उतार कर एक तरफ़ रख कर वो चुदने को मचल उठी। दिन भर की भड़ास वो रात भर में निकालने को उतावली हुई जा रही थी। कमरे में हल्की रौशनी नाईट लैम्प की थी। सुदर्शन जी की लुंगी की तरफ़ ज्वाला देवी ने आहिस्ता से हाथ बढ़ा ही दिया और कच्छे रहित लंड को हाथ में पकड़ कर सहलाने लगी। चौंक कर सुदर्शन जी उठ बैठे। यूँ पत्नी की हरकत पर झल्ला कर उन्होंने कहा, “ज्वाला अभी मूड नहीं है, छोड़ो इसे..”
“आज आपका मूड मैं ठीक करके ही रहुँगी, मेरी इच्छा का आपको ज़रा भी खयाल नहीं है लापरवाह कहीं के।” ज्वाला देवी सुदर्शन को ज़ोर से दबा कर अपने बदन को और भी आगे कर बोली। उसको यूँ चुदाई के लिये मचलते देख कर सुदर्शन जी का लंड भी सनसना उठा था। टाईट ब्लाऊज़ में से झांकते हुए आधे चूचे देख कर अपने लंड में खून का दौरा तेज़ होता हुआ जान पड़ रहा था। भावावेश में वो उससे लिपट पड़े और दोनों चूचियों को अपनी छाती पर दबा कर वो बोले, “लगता है आज कुछ ज्यादा ही मूड में हो डार्लिंग।”
“तीन दिन से आपने कौन से तीर मारे हैं, मैं अगर आज भी चुपचाप पड़ जाती तो तुम अपनी मर्ज़ी से तो कुछ करने वाले थे नहीं, मज़बूरन मुझे ही बेशर्म बनना पड़ रहा है।” अपनी दोनों चूचियों को पति के सीने से और भी ज्यादा दबाते हुए वो बोली।
“तुम तो बेकार में नाराज़ हो जाती हो, मैं तो तुम्हे रोज़ाना ही चोदना चाहता हूँ, मगर सोचता हूँ लड़की जवान हो रही है, अब ये सब हमे शोभा नहीं देता।” सुदर्शन जी उसके पेटिकोट के अंदर हाथ डालते हुए बोले। पेटिकोट का थोड़ा सा ऊपर उठना था कि उसकी गदरायी हुई गोरी जाँघ नाईट लैम्प की धुंधली रौशनी में चमक उठी। चिकनी जाँघ पर मज़े ले-ले कर हाथ फ़िराते हुए वो फिर बोले, “हाय! सच ज्वाला! तुम्हे देखते ही मेरा खड़ा हो जाता है, आहह! क्या गज़ब की जांघें हैं तुम्हारी पुच्च..!” इस बार उन्होंने जाँघ पर चुम्बी काटी थी। मर्दाने होंठ की अपनी चिकनी जाँघ पर यूँ चुम्बी पड़ती महसूस कर ज्वाला देवी की चूत में सनसनी और ज्यादा बुलंदी पर पहुँच उठी। चूत की पत्तियां अपने आप फ़ड़फ़ड़ा कर खुलती जा रही थीं। ये क्या? एकाएक सुदर्शन जी का हाथ खिसकता हुआ चूत पर आ गया। चूत पर यूँ हाथ के पड़ते ही ज्वाला देवी के मुँह से तेज़ सिसकारी निकल पड़ी।
“हाय। मेरे ... सनम.. ऊहह.. आज्ज्ज.. मुझे .. एक .. बच्चे .. कि.. माँ.. और.. बना .. दो..” और वो मचलती हुई ज्वाला को छोड़ अलग हट कर बोले, “ज्वाला! क्या बहकी-बहकी बातें कर रही हो, अब तुम्हारे बच्चे पैदा करने की उम्र नहीं रही, रंजना के ऊपर क्या असर पड़ेगा इन बातों का, कभी सोचा है तुमने?”
“सोचते-सोचते तो मेरी उम्र बीत गयी और तुमने ही कभी नहीं सोचा की रंजना का कोई भाई भी पैदा करना है।”
“छोड़ो ये सब बेकार की बातें, रंजना हमारी लड़की ही नहीं लड़का भी है। हम उसे ही दोनो का प्यार देंगे।” दोबार ज्वाला देवी की कोली भर कर उसे पुचकारते हुए वो बोले, उन्हे खतरा था कि कहीं इस चुदाई के समय ज्वाला उदास न हो जाये। अबकी बार वो तुनक कर बोली, “चलो बच्चे पैदा मत करो, मगर मेरी इच्छाओं का तो खयाल रखा करो, बच्चे के डर से तुम मेरे पास सोने तक से घबड़ाने लगे हो।”
“आइन्दा ऐसा नहीं होगा, मगर वादा करो की चुदाई के बाद तुम गर्भ निरोधक गोली जरूर खा लिया करोगी।”
“हाँ.. मेरे .. मालिक..! मैं ऐसा ही करूँगी पर मेरी प्यास जी भर कर बुझाते रहिएगा आप भी।” ज्वाला देवी उनसे लिपट पड़ी, उसे ज़ोर से पकड़ अपने लंड को उसकी गाँड से दबा कर वो बोले, “प्यास तो तुम्हारी मैं आज भी जी भर कर बुझाऊँगा मेरी जान .. पुच्च… पुच… पुच…” लगातार उसके गाल पर कई चुम्मी काट कर रख दी उन्होंने। इन चुम्बनों से ज्वाला इतनी गरम हो उठी की गाँड पर टकराते लंड को उसने हाथ में पकड़ कर कहा, “इसे जल्दी से मेरी गुफ़ा में डालो जी।”
“हाँ। हाँ। डालता .. हूँ.. पहले तुम्हे नंगी करके चुदाई के काबिल तो बना लूँ जान मेरी।” एक चूची ज़ोर से मसल डाली थी सुदर्शन जी ने, सिसक ही पड़ी थी बेचारी ज्वाला। सुदर्शन जी ने ज्वाला की कमर कस कर पकड़ी और आहिस्ता से अंगुलियां पेटिकोट के नाड़े पर ला कर जो उसे खींचा कि कूल्हों से फ़िसल कर गाँड नंगी करता हुआ पेटिकोट नीचे को फ़िसलता चला गया।
“वाह। भाई.. वाह.. आज तो बड़ी ही लपलपा रही है तुम्हारी! पुच्च!” मुँह नीचे करके चूत पर हौले से चुम्बी काट कर बोले। “अयी.. नहीं.. उफ़्फ़्फ़.. ये.. क्या .. कर दिया.. आ… एक.. बार.. और .. चूमो.. राजा.. अहह म्म्म स्स” चूत पर चुम्मी कटवाना ज्वाला देवी को इतना मज़ेदार लगा कि दोबारा चूत पर चुम्मी कटवाने के लिये वो मचल उठी थी।
“जल्दी नहीं रानी! खूब चूसुँगा आज मैं तुम्हारी चूत, खूब चाट-चाट कर पीयुँगा इसे मगर पहले अपना ब्लाऊज़ और पेटिकोट एकदम अपने बदन से अलग कर दो।”
“हाय रे ..मैं तो आधी से ज्यादा नंगी हो गयी सैंया.. तुम इस साली लुंगी को क्यों लपेटे पड़े हुए हो?” एक ज़ोरदार झटके से ज्वाला देवी पति की लुंगी उतारते हुए बोली। लुंगी के उतरते ही सुदर्शन जी का डंडे जैसा लंबा व मोटा लंड फ़नफ़ना उठा था। उसके यूँ फ़ुंकार सी छोड़ना देख कर ज्वाला देवी के तन-बदन में चुदाई और ज्यादा प्रज्वलित हो उठी। वो सीधी बैठ गयी और सिसक-सिसक कर पहले उसने अपना ब्लाऊज़ उतारा और फिर पेटिकोट को उतारते हुए वो लंड की तरफ़ देखते हुए मचल कर बोली, “हाय। अगर.. मुझे.. पता.. होता.. तो मैं .. पहले .. ही .. नंगी.. आ कर लेट जाती आप के पास.. आहह.. लो.. आ.. जाओ.. अब.. देर क्या है.. मेरी.. हर.. चीज़... नंगी हो चुकी है सैयां...!”
पेटिकोट पलंग से नीचे फेंक कर दोनों बाँहें पति की तरफ़ उठाते हुए वो बोली। सुदर्शन जी अपनी बनियान उतार कर बोले, “मेरा खयाल है पहले तुम्हारी चूत को मुँह में लेकर खूब चूसूँ” “हाँ। हाँ.. मैं भी यही चाहती हूँ जी.. जल्दी से .. लगालो इस पर अपना मुँह।” दोनो हाथों से चूत की फांक को चौड़ा कर वो सिसकारते हुए बोली।
“मेरा लंड भी तुम्हे चूसना पड़ेगा ज्वाला डार्लिंग।” अपनी आंखों की भवें ऊपर चढ़ाते हुए बोले। “चूसूँगी। मैं.. चूसूँगी.. ये तो मेरी ज़िन्दगी है ... आह.. इसे मैं नहीं चूसूँगी तो कौन चूसेगा, मगर पहले .. आहह आओओ.. न..” अपने होंठों को अपने आप ही चूसते हुए ज्वाला देवी उनके फ़नफ़नाते हुए लंड को देख कर बोली। उसका जी कर रह था कि अभी खड़ा लंड वो मुँह में भर ले और खूब चूसे मगर पहले वो अपनी चूत चुसवा-चुसवा कर मज़े लेने के चक्कर में थी। लंड चुसवाने का वादा ले सुदर्शन जी घुटने पलंग पर टेक दोनों हाथों से ज्वाला की जांघें कस कर पकड़ झुकते चले गये। और अगले पल उनके होंठ चूत की फांक पर जा टिके थे। लेटी हुई ज्वाला देवी ने अपने दोनों हाथ अपनी दोनों चूचियों पर जमा कर सिग्नल देते हुए कहा, “अब ज़ोर से .. चूसो.. जी.. यूँ.. कब.. तक होंठ रगड़ते रहोगे.. आह.. पी जाओ इसे।” पत्नी की इस मस्ती को देख कर सुदर्शन जी ने जोश में आ कर जो चूत की फाँकों पर काट-काट कर उन्हे चूसना शुरु किया तो वो वहशी बन उठी। खुशबुदार, बिना झांटों की दरार में बीच-बीच में अब वो जीभ फंसा देते तो मस्ती में बुरी तरह बेचैन सी हो उठती थी ज्वाला देवी। चूत को उछाल-उछाल कर वो पति के मुँह पर दबाते हुए चूत चुसवाने पर उतर आयी थी।
“ए..ऐए.. नहीं.. ई मैं.. नहीं.. आये..ए.. ये क्य.. आइइइ.. मर... जाऊँगी आहह। दाना मत चूसो जी.. उउफ़्फ़्फ़... आहह नहींईं..” सुदर्शन जी ने सोचा कि अगर वे चन्द मिनट और चूत चूसते रहे तो कहीं चूत पानी ही न छोड़ दे। कई बार ज्वाला का पानी वे जीभ से चूत को चाट-चाट कर निकाल चुके थे। इसलिये चूत से मुँह हटाना ही अब उन्होंने ज्यादा फायदेमंद समझा। जैसे ही चूत से मुँह हटा कर वो उठे तो ज्वाला देवी गीली चूत पर हाथ मलते हुए बोली, “ओह.. चूसनी क्यों बंद कर दी जी।”
“मैंने रात भर तुम्हारी चूत ही पीने का ठेका तो ले नहीं लिया, टाईम कम है, तुम्हे मेरा लंड भी चूसना है, मुझे तुम्हारी चूत भी मारनी है और बहुत से काम करने हैं, अब तुम अपनी न सोच मेरी सोचो यानि मेरा लंड चूसो, आयी बात समझ में।” सुदर्शन जी अपना लंड पकड़ कर उसे हिलाते हुए बोले, उनके लंड का सुपाड़ा इस समय फूल कर सुर्ख हुआ जा रहा था।
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ज्वाला देवी ने फ़ैसला कर लिया कि वो इस गठीले शरीर वाले रद्दी वाले के लंड से जी भर कर अपनी चूत मरवायेगी। उसने सोचा जब साला चूत के दर्शन कर ही गया है तो फिर चूत मराने में ऐतराज़ ही क्या?
उधर ऑफिस में सुदर्शन जी बैठे हुए अपनी खूबसुरत जवान स्टेनो मिस शाज़िया के खयालो में डूबे हुए थे। ज्वाला के फ़ोन से वे समझ गये थे की साली अधेढ़ बीवी की चूत में खुजली चल पड़ी होगी। यह सोच ही उनका लंड खड़ा कर देने के लिये काफ़ी थी। उन्होने घन्टी बजा कर चपरासी को बुलाया और बोले, “देखो भजन! जल्दी से शाज़िया को फ़ाईल ले कर भेजो।”
“जी बहुत अच्छा साहब!” भजन तेज़ी से पलटा और मिस शाज़िया के पास आ कर बोला, “बड़े साहब ने फ़ाईल ले कर आपको बुलाया है।” मिस शाज़िया फ़ुर्ती से एक फ़ाईल उठा कर खड़ी हो गयी और अपनी स्कर्ट ठीक ठाक कर तेज़ चाल से अपनी सैंडल खटखटाती उस कमरे में जा घुसी जिस के बाहर लिखा था “बिना आज्ञा अंदर आना मना है!” कमरे में सुदर्शन जी बैठे हुए थे। शाज़िया २२ साल की मस्त लड़की उनके पूराने स्टाफ़ खान साहब की लड़की थी। खान साहब की उमर हो गयी और वे रिटायर हो गये। रिटायर्मेंट के वक्त खान साहब ने सुदर्शनजी से विनती की कि वे उनकी लड़की को अपने यहाँ सर्विस पे रख लें। शाज़िया को देखते ही सुदर्शनजी ने फ़ौरन हाँ कर दी। शाज़िया बड़ी मनचली लड़की थी। वो सुदर्शनजी की प्रारम्भिक छेड़छाड़ का हँस कर साथ देने लगी। और फिर नतीजा यह हुआ की वह उनकी एक रखैल बन कर रह गयी।
“आओ मिस शाज़िया! ठहरो दरवाजा लॉक कर आओ, हरी अप।” शाज़िया को देखते ही उचक कर वो बोले। दरवाजा लॉक कर शाज़िया जैसे ही सामने वाली कुर्सी पर बैठने लगी तो सुदर्शन जी अपनी पैंट की ज़िप खोल कर उसमें हाथ डाल अपना फ़नफ़नाता हुआ खूंटे की तरह तना हुआ लंड निकाल कर बोले, “ओह नो शाज़िया! जल्दी से अपनी पैंटी उतार कर हमारी गोद में बैठ कर इसे अपनी चूत में ले लो।”
“सर! आज सुबह-सुबह! चक्कर क्या है डीयर?” खड़ी हो कर अपनी स्कर्ट को उपर उठा पैंटी टांगों से बाहर निकालते हुए शाज़िया बोली।
“बस डार्लिंग मूड कर आया!, हरी अप! ओह।” सुदर्शन जी भारी गाँड वाली बेहद खूबसूरत शाज़िया की चूत में लंड डालने को बेताब हुए जा रहे थे।
“लो आती हूँ मॉय लव” शाज़िया उनके पास आयी और उसने अपनी स्कर्ट ऊपर उठा कर कुर्सी पर बैठे सुदर्शन जी की गोद में कुछ आधी हो कर इस अंदाज़ में बैठना शुरु किया कि खड़ा लंड उसकी चूत के मुँह पर आ लगा था।
“अब ज़ोर से बैठो, लंड ठीक जगह लगा है” सुदर्शन जी ने शाज़िया को आज्ञा दी। वो उनकी आज्ञा मान कर इतनी ज़ोर से चूत को दबाते हुए लंड पर बैठने लगी कि सारा लंड उसकी चूत में उतरता हुआ फ़िट हो चुका था। पूरा लंड चूत में घुसवा कर बड़े इतमिनान से गोद में बैठ अपनी गाँड को हिलाती हुई दोनों बाँहें सुदर्शन जी के गले में डाल कर वो बोली, “आह.. बड़ा.. अच्छा.. लग। रहा .. है सर... ओफ़्फ़। ओह.. मुझे.. भींच लो.. ज़ोरर.. से।”
फिर क्या था, दोनों तने हुए मम्मों को उसके खुले गले के अंदर हाथ डाल कर उन्होने पकड़ लिया और सफ़ाचट खुशबुदार बगलों को चूमते हुए उसके होंठों से अपने होंठ रगड़ते हुए वो बोले, “डार्लिंग!! तुम्हारी चूत मुझे इतनी अच्छी लगती है की मैं अपनी बीवी की चूत को भी भूल चुका हूँ, आह! अब ज़ोर ज़ोर..उछलो डार्लिंग।”
“सर चूत तो हर औरत के पास एक जैसी ही होती है, बस चुदवाने के अंदाज़ अलग अलग होते हैं, मेरे अंदाज़ आपको पसन्द आ गये हैं, क्यों?”
“हाँ । हाँ अब उछलो जल्दी से ..” और फिर गोद में बैठी शाज़िया ने जो सिसक सिसक कर लंड अपनी चूत में पिलवाना शुरु किया तो सुदर्शन जी मज़े में दोहरे हो उठे, उन्होने कुर्सी पर अपनी गाँड उछाल उछाल कर चोदना शुरु कर दिया था। शाज़िया ज़ोर से उनकी गर्दन में बाँहें डाले हिला-हिला कर झूले पर बैठी झोंटे ले रही थी। हर झोंटे में उसकी चूत पूरा-पूरा लंड निगल रही थी। सुदर्शन जी ने उसका सारा मुँह चूस-चूस कर गीला कर डाला था। अचानक वो बहुत ज़ोर-ज़ोर से लंड को अपनी चूत के अंदर बाहर लेते हुई बोल उठी थी, “उफ़्फ़.. आहा.. बड़ा मज़ा आ .. रह.. है .. आह.. मैं गयी..”
सुदर्शन जी मौके की नज़ाकत को ताड़ गये और शाज़िया की पीछे से कोली भर कर कुर्सी से उठ खड़े हुए और तेज़ तेज़ शॉट मारते हुए बोले, “लो.. मेरी । जान.. और .. आह लो.. मैं .. भी .. झड़ने वाला हूँ.. ओफ़। आहह लो.. जान.. मज़ा.. आ.. गया..” और शाज़िया की चूत से निकलते हुए रज से उनका वीर्य जा टकराया। शाज़िया पीछे को गाँड पटकती हुई दोनो हाथों से अपने कूल्हे भींचती हुई झड़ रही थी। अच्छी तरह झड़ कर सुदर्शन जी ने उसकी चूत से लंड निकाल कर कहा, “जल्दी से पेशाब कर पैंटी पहन लो, स्टाफ़ के लोग इंतज़ार कर रहे होंगे, ज्यादा देर यहाँ तुम्हारा रहना ठीक नहीं है।” सुदर्शन जी के केबिन में बने पेशाब घर में शाज़िया ने मूत कर अपनी चूत रुमाल से खूब पोंछी और पैंटी पहन कर बोली, “आपकी दराज में मेरी लिप्स्टिक और पाउडर पड़ा है, ज़रा दे दिजीये प्लीज़,” सुदर्शन जी ने निकाल कर शाज़िया को दिया। इसके बाद शाज़िया तो सामने लगे शीशे में अपना मेकअप ठीक करने लगी, और सुदर्शन जी पेशाब घर में मूतने के लिये उठ खड़े हुए।
कुछ देर में ही शाज़िया पहले की तरह ताज़ी हो उठी थी, तथा सुदर्शनजी भी मूत कर लंड पैंट के अंदर कर ज़िप बंद कर चुके थे।
चुदाई इतनी सावधानी से की गयी थी की न शाज़िया की स्कर्ट पर कोई धब्बा पड़ा था और न सुदर्शनजी की पैंट कहीं से खराब हुई। एलर्ट हो कर सुदर्शन जी अपनी कुर्सी पर आ बैठे और शाज़िया फ़ाईल उठा, दरवाजा खोल उनके केबिन से बाहर निकल आयी। उसके चेहरे को देख कर स्टाफ़ का कोई भी आदमी नहीं ताड़ सका कि साली अभी-अभी चुदवा कर आ रही है। वो इस समय बड़ी भोली भाली और स्मार्ट दिखायी पड़ रही थी।
उधर बिरजु ने आज अपना दिन खराब कर डाला था। घर आ कर वो सीधा बाथरूम में घुस गया और दो बार ज्वाला देवी की चूत का नाम ले कर मुट्ठी मारी। मुट्ठी मारने के बाद भी वो उस चूत की छवि अपने जेहन से उतारने में अस्मर्थ रहा था। उसे तो असली खाल वाली जवान चूत मारने की इच्छा ने आ घेरा था। मगर उसके चारों तरफ़ कोई चूत वाली ऐसी नहीं थी जिसे चोद कर वो अपने लंड की आग बुझा सकता।
शाम को जब सुदर्शन जी ऑफिस से लौट आये। तो ज्वाला देवी चेहरा फ़ुलाये हुए थी। उसे यूँ गुस्से में भरे देख कर वो बोले, “लगता है रानी जी आज कुछ नाराज़ हैं हमसे!” “जाइये! मैं आपसे आज हर्गिज़ नहीं बोलूँगी।” ज्वाला देवी ने मुँह फ़ुला कर कहा, और काम में जुट गयी। रात को सुदर्शन जी डबल बिस्तर पर लेटे हुए थे। इस समय भी उन्हे अपनी पत्नी नहीं बल्कि शाज़िया की चूत की याद सता रही थी। सारे काम निपटा कर ज्वाला देवी ने रंजना के कमरे में झांक कर देखा और उसे गहरी नींद में सोये देख कर वो कुछ आश्वस्त हो कर सीधी पति के बराबर में जा लेटी। एक दो बार आंखे मूंदे पड़े पति को उसने कनखियों से झांक कर देखा और अपनी साड़ी उतार कर एक तरफ़ रख कर वो चुदने को मचल उठी। दिन भर की भड़ास वो रात भर में निकालने को उतावली हुई जा रही थी। कमरे में हल्की रौशनी नाईट लैम्प की थी। सुदर्शन जी की लुंगी की तरफ़ ज्वाला देवी ने आहिस्ता से हाथ बढ़ा ही दिया और कच्छे रहित लंड को हाथ में पकड़ कर सहलाने लगी। चौंक कर सुदर्शन जी उठ बैठे। यूँ पत्नी की हरकत पर झल्ला कर उन्होंने कहा, “ज्वाला अभी मूड नहीं है, छोड़ो इसे..”
“आज आपका मूड मैं ठीक करके ही रहुँगी, मेरी इच्छा का आपको ज़रा भी खयाल नहीं है लापरवाह कहीं के।” ज्वाला देवी सुदर्शन को ज़ोर से दबा कर अपने बदन को और भी आगे कर बोली। उसको यूँ चुदाई के लिये मचलते देख कर सुदर्शन जी का लंड भी सनसना उठा था। टाईट ब्लाऊज़ में से झांकते हुए आधे चूचे देख कर अपने लंड में खून का दौरा तेज़ होता हुआ जान पड़ रहा था। भावावेश में वो उससे लिपट पड़े और दोनों चूचियों को अपनी छाती पर दबा कर वो बोले, “लगता है आज कुछ ज्यादा ही मूड में हो डार्लिंग।”
“तीन दिन से आपने कौन से तीर मारे हैं, मैं अगर आज भी चुपचाप पड़ जाती तो तुम अपनी मर्ज़ी से तो कुछ करने वाले थे नहीं, मज़बूरन मुझे ही बेशर्म बनना पड़ रहा है।” अपनी दोनों चूचियों को पति के सीने से और भी ज्यादा दबाते हुए वो बोली।
“तुम तो बेकार में नाराज़ हो जाती हो, मैं तो तुम्हे रोज़ाना ही चोदना चाहता हूँ, मगर सोचता हूँ लड़की जवान हो रही है, अब ये सब हमे शोभा नहीं देता।” सुदर्शन जी उसके पेटिकोट के अंदर हाथ डालते हुए बोले। पेटिकोट का थोड़ा सा ऊपर उठना था कि उसकी गदरायी हुई गोरी जाँघ नाईट लैम्प की धुंधली रौशनी में चमक उठी। चिकनी जाँघ पर मज़े ले-ले कर हाथ फ़िराते हुए वो फिर बोले, “हाय! सच ज्वाला! तुम्हे देखते ही मेरा खड़ा हो जाता है, आहह! क्या गज़ब की जांघें हैं तुम्हारी पुच्च..!” इस बार उन्होंने जाँघ पर चुम्बी काटी थी। मर्दाने होंठ की अपनी चिकनी जाँघ पर यूँ चुम्बी पड़ती महसूस कर ज्वाला देवी की चूत में सनसनी और ज्यादा बुलंदी पर पहुँच उठी। चूत की पत्तियां अपने आप फ़ड़फ़ड़ा कर खुलती जा रही थीं। ये क्या? एकाएक सुदर्शन जी का हाथ खिसकता हुआ चूत पर आ गया। चूत पर यूँ हाथ के पड़ते ही ज्वाला देवी के मुँह से तेज़ सिसकारी निकल पड़ी।
“हाय। मेरे ... सनम.. ऊहह.. आज्ज्ज.. मुझे .. एक .. बच्चे .. कि.. माँ.. और.. बना .. दो..” और वो मचलती हुई ज्वाला को छोड़ अलग हट कर बोले, “ज्वाला! क्या बहकी-बहकी बातें कर रही हो, अब तुम्हारे बच्चे पैदा करने की उम्र नहीं रही, रंजना के ऊपर क्या असर पड़ेगा इन बातों का, कभी सोचा है तुमने?”
“सोचते-सोचते तो मेरी उम्र बीत गयी और तुमने ही कभी नहीं सोचा की रंजना का कोई भाई भी पैदा करना है।”
“छोड़ो ये सब बेकार की बातें, रंजना हमारी लड़की ही नहीं लड़का भी है। हम उसे ही दोनो का प्यार देंगे।” दोबार ज्वाला देवी की कोली भर कर उसे पुचकारते हुए वो बोले, उन्हे खतरा था कि कहीं इस चुदाई के समय ज्वाला उदास न हो जाये। अबकी बार वो तुनक कर बोली, “चलो बच्चे पैदा मत करो, मगर मेरी इच्छाओं का तो खयाल रखा करो, बच्चे के डर से तुम मेरे पास सोने तक से घबड़ाने लगे हो।”
“आइन्दा ऐसा नहीं होगा, मगर वादा करो की चुदाई के बाद तुम गर्भ निरोधक गोली जरूर खा लिया करोगी।”
“हाँ.. मेरे .. मालिक..! मैं ऐसा ही करूँगी पर मेरी प्यास जी भर कर बुझाते रहिएगा आप भी।” ज्वाला देवी उनसे लिपट पड़ी, उसे ज़ोर से पकड़ अपने लंड को उसकी गाँड से दबा कर वो बोले, “प्यास तो तुम्हारी मैं आज भी जी भर कर बुझाऊँगा मेरी जान .. पुच्च… पुच… पुच…” लगातार उसके गाल पर कई चुम्मी काट कर रख दी उन्होंने। इन चुम्बनों से ज्वाला इतनी गरम हो उठी की गाँड पर टकराते लंड को उसने हाथ में पकड़ कर कहा, “इसे जल्दी से मेरी गुफ़ा में डालो जी।”
“हाँ। हाँ। डालता .. हूँ.. पहले तुम्हे नंगी करके चुदाई के काबिल तो बना लूँ जान मेरी।” एक चूची ज़ोर से मसल डाली थी सुदर्शन जी ने, सिसक ही पड़ी थी बेचारी ज्वाला। सुदर्शन जी ने ज्वाला की कमर कस कर पकड़ी और आहिस्ता से अंगुलियां पेटिकोट के नाड़े पर ला कर जो उसे खींचा कि कूल्हों से फ़िसल कर गाँड नंगी करता हुआ पेटिकोट नीचे को फ़िसलता चला गया।
“वाह। भाई.. वाह.. आज तो बड़ी ही लपलपा रही है तुम्हारी! पुच्च!” मुँह नीचे करके चूत पर हौले से चुम्बी काट कर बोले। “अयी.. नहीं.. उफ़्फ़्फ़.. ये.. क्या .. कर दिया.. आ… एक.. बार.. और .. चूमो.. राजा.. अहह म्म्म स्स” चूत पर चुम्मी कटवाना ज्वाला देवी को इतना मज़ेदार लगा कि दोबारा चूत पर चुम्मी कटवाने के लिये वो मचल उठी थी।
“जल्दी नहीं रानी! खूब चूसुँगा आज मैं तुम्हारी चूत, खूब चाट-चाट कर पीयुँगा इसे मगर पहले अपना ब्लाऊज़ और पेटिकोट एकदम अपने बदन से अलग कर दो।”
“हाय रे ..मैं तो आधी से ज्यादा नंगी हो गयी सैंया.. तुम इस साली लुंगी को क्यों लपेटे पड़े हुए हो?” एक ज़ोरदार झटके से ज्वाला देवी पति की लुंगी उतारते हुए बोली। लुंगी के उतरते ही सुदर्शन जी का डंडे जैसा लंबा व मोटा लंड फ़नफ़ना उठा था। उसके यूँ फ़ुंकार सी छोड़ना देख कर ज्वाला देवी के तन-बदन में चुदाई और ज्यादा प्रज्वलित हो उठी। वो सीधी बैठ गयी और सिसक-सिसक कर पहले उसने अपना ब्लाऊज़ उतारा और फिर पेटिकोट को उतारते हुए वो लंड की तरफ़ देखते हुए मचल कर बोली, “हाय। अगर.. मुझे.. पता.. होता.. तो मैं .. पहले .. ही .. नंगी.. आ कर लेट जाती आप के पास.. आहह.. लो.. आ.. जाओ.. अब.. देर क्या है.. मेरी.. हर.. चीज़... नंगी हो चुकी है सैयां...!”
पेटिकोट पलंग से नीचे फेंक कर दोनों बाँहें पति की तरफ़ उठाते हुए वो बोली। सुदर्शन जी अपनी बनियान उतार कर बोले, “मेरा खयाल है पहले तुम्हारी चूत को मुँह में लेकर खूब चूसूँ” “हाँ। हाँ.. मैं भी यही चाहती हूँ जी.. जल्दी से .. लगालो इस पर अपना मुँह।” दोनो हाथों से चूत की फांक को चौड़ा कर वो सिसकारते हुए बोली।
“मेरा लंड भी तुम्हे चूसना पड़ेगा ज्वाला डार्लिंग।” अपनी आंखों की भवें ऊपर चढ़ाते हुए बोले। “चूसूँगी। मैं.. चूसूँगी.. ये तो मेरी ज़िन्दगी है ... आह.. इसे मैं नहीं चूसूँगी तो कौन चूसेगा, मगर पहले .. आहह आओओ.. न..” अपने होंठों को अपने आप ही चूसते हुए ज्वाला देवी उनके फ़नफ़नाते हुए लंड को देख कर बोली। उसका जी कर रह था कि अभी खड़ा लंड वो मुँह में भर ले और खूब चूसे मगर पहले वो अपनी चूत चुसवा-चुसवा कर मज़े लेने के चक्कर में थी। लंड चुसवाने का वादा ले सुदर्शन जी घुटने पलंग पर टेक दोनों हाथों से ज्वाला की जांघें कस कर पकड़ झुकते चले गये। और अगले पल उनके होंठ चूत की फांक पर जा टिके थे। लेटी हुई ज्वाला देवी ने अपने दोनों हाथ अपनी दोनों चूचियों पर जमा कर सिग्नल देते हुए कहा, “अब ज़ोर से .. चूसो.. जी.. यूँ.. कब.. तक होंठ रगड़ते रहोगे.. आह.. पी जाओ इसे।” पत्नी की इस मस्ती को देख कर सुदर्शन जी ने जोश में आ कर जो चूत की फाँकों पर काट-काट कर उन्हे चूसना शुरु किया तो वो वहशी बन उठी। खुशबुदार, बिना झांटों की दरार में बीच-बीच में अब वो जीभ फंसा देते तो मस्ती में बुरी तरह बेचैन सी हो उठती थी ज्वाला देवी। चूत को उछाल-उछाल कर वो पति के मुँह पर दबाते हुए चूत चुसवाने पर उतर आयी थी।
“ए..ऐए.. नहीं.. ई मैं.. नहीं.. आये..ए.. ये क्य.. आइइइ.. मर... जाऊँगी आहह। दाना मत चूसो जी.. उउफ़्फ़्फ़... आहह नहींईं..” सुदर्शन जी ने सोचा कि अगर वे चन्द मिनट और चूत चूसते रहे तो कहीं चूत पानी ही न छोड़ दे। कई बार ज्वाला का पानी वे जीभ से चूत को चाट-चाट कर निकाल चुके थे। इसलिये चूत से मुँह हटाना ही अब उन्होंने ज्यादा फायदेमंद समझा। जैसे ही चूत से मुँह हटा कर वो उठे तो ज्वाला देवी गीली चूत पर हाथ मलते हुए बोली, “ओह.. चूसनी क्यों बंद कर दी जी।”
“मैंने रात भर तुम्हारी चूत ही पीने का ठेका तो ले नहीं लिया, टाईम कम है, तुम्हे मेरा लंड भी चूसना है, मुझे तुम्हारी चूत भी मारनी है और बहुत से काम करने हैं, अब तुम अपनी न सोच मेरी सोचो यानि मेरा लंड चूसो, आयी बात समझ में।” सुदर्शन जी अपना लंड पकड़ कर उसे हिलाते हुए बोले, उनके लंड का सुपाड़ा इस समय फूल कर सुर्ख हुआ जा रहा था।
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