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Misc. Erotica आरती की वासना
#4
आरती अब इन दो राजपूतों के बीच में सैंडविच बनके बड़ी खुशी से अपनी चूत और गाँड मरवा रही थी। नीचे से कस-कस के आरती की गाँड में धक्के देते हुए जसवंत बोला, “चोद मंगल, खूब कसके चोद इस साली राँड को... साली छिनाल... कैसे मस्ती से चुदवा रही है देख... मैं इसकी गाँड का भोंसड़ा बनाता हूँ तू इसकी चूत का भोंसड़ा बना डाल...” मंगल ऊपर से आरती की चूत चोद रहा था और नीचे से जसवंत उसकी गाँड मार रहा था। अपने मम्मे मंगल से मसलवाते हुए आरती बोली, “मंगल फाड़ दे मेरी चूत अपने लौड़े से, और जसवंत तू मेरी गाँड मारके मुझे अपने दोनों की छिनाल बना दे... मंगल चोद मुझे और मेरे मम्मे भी मसल ज़ोर से... मंगल तूने सपने में भी सोचा था कि तू मुझे चोद सकता है कभी? तू तो आज मुझे बहुत घूर के देख रहा था... क्यों?” बड़ी तेज़ रफ़तार से आरती की चूत चोदते हुए मंगल बोला, “आरती तेरा बदन... मेक-उप... तेरी हाई हील सैंडलों मे हिरणी जैसी चाल देख के सोचा था कि अगर तू मिल जायेगी तो मज़ा आ जायेगा। मुझे मालूम था कि जसवंत साहब तुझे ज़रूर चोदेंगे इसलिए मुझे बड़ी उम्मीद थी कि मैं भी तुझे चोद सकूँगा। अब तुझे चोद तो रहा हूँ मगर इतना मज़ा देगी ये पता नहीं था... तेरी चूत बड़ी टाईट है अभी भी मेरी रंडी।”

आरती दोनों मर्दों से हो रही चुदाई के झटकों के जवाब में अपनी चूत ऊपर नीचे करती हुई चुदाई का मज़ा ले रही थी। जसवंत आरती की गर्दन पे काटते हुए बोला, “ले मेरी हसीन राँड... मेरा लंड ले अपनी गाँड में छिनाल कुत्तिया... आज के बाद तू मेरी पर्सनल रखैल है... मंगल इस छिनाल आरती कि जवान बेटी भी है... पूजा। आज जैसे आरती को अपनी रंडी बनाया है वैसे हम पूजा को भी हम दोनों की रंडी बना देंगे। वो साली भी अपनी माँ जैसी छिनाल है... २-३ लड़कों से चुदवाती है... हम उसे भी चोदेंगे मंगल।” अपनी बेटी के बारे में ऐसी बात सुनके कोई भी माँ नाराज़ होती लेकिन आरती बड़ी छिनाल औरत थी। जसवंत के मुँह से ऐसी बात सुनके उसे ज़रा भी बुरा नहीं लगा, बल्कि वो और मस्ती से चुदवाती हुई बोली, “जसवंत मैं तैयार हूँ तेरी राँड बनने को... अगर हर दिन ऐसे तगड़े लौड़े मिलें तो सिर्फ़ मैं ही नहीं मेरी बेटी भी तुम दोनों की राँड ज़रूर बनेगी लेकिन प्लीज़ अब तो मुझे बता मेरी बेटी को कौन-कौन चोदता है?” इस कहानी का शीर्षक ’आरती की वासना’ है!

ऊपर से मंगल आरती की चूत में ज़ोरदार धक्के लगाते हुए और उसके निप्पल चूसते हुए बोला, “आरती अब तुझे रोज़ ये तगड़े लंड चोदेंगे, बहनचोद तू ऐसी गरम माल है कि तेरे लिए तो अपनी बीवी को भी नहीं चोदूँ मैं। वैसे जसवंत साहब इसकी बेटी को कौन चोदता है जो मुझे नहीं पता चला? मेरी तो इस कॉलेज में सब लड़कियों पे नज़र है। इसकी बेटी भी इसकी जैसी गरम माल है। मेरा दिल बहुत दिनों से है उसपे। अब उसकी माँ हमारे नीचे आ गयी है तो बेटी भी आयेगी।” फिर जसवंत और मंगल एक साथ मुड़े जिससे अब जसवंत ऊपर आ गया और मंगल नीचे। ऊपर आके जसवंत बड़ी बेरहमी से आरती की गाँड चोदते हुए बोला, “बेटीचोद रंडी, साली बड़ी हरामी है तू। खुद की हवस के लिए बेटी को भी हमसे चुदवाने को तैयार हो गयी... तो सुन रंडी... तेरी बेटी पूजा को राजेश और वैभव, कुत्तिया बना-बना के चोदते हैं। वो दोनों पास के डिग्री कॉलेज में पढ़ते हैं। साली सिर्फ़ २२ साल की बेटी है तेरी है मगर गज़ब की चूत है। पूजा भी तेरे जैसी बड़ी रंडी किसम की चूत है आरती... और अब वो हमारी रंडी भी बनेगी।”

अब ऊपर से जसवंत से अपनी गाँड मरवाने में आरती को भी मज़ा आ रहा था। वो अपनी गाँड उठा-उठा के चुदवाने लगी और बोली, “मतलब मेरी बेटी भी २-२ लौड़ों से चुदवाती है? और जसवंत मेरी कम्सिन बेटी के बारे में ऐसा क्यों बोलता है तू कि वो भी मेरी जैसी रंडी किसम की चूत है? वो अभी नादान है... बच्ची है... इसलिए मुझे लगता है उन लड़कों ने उसे फँसा के चोदा होगा।” मंगल आरती का पसीने से भीगा हुआ सीना चूमते हुए बोला, “कुत्ता-चोद, साली... नादान कहती है अपनी बेटी को... वो छिनाल २२ साल की है और एक साथ २-२ लौड़ों से चुदवाती है.... तो नादान बच्ची कैसे हुई... वो तो तुझसे भी बड़ी रंडी है... जसवंत साहब इस आरती रंडी की चूत इतनी लाजवाब है तो बेटी भी कमाल की होगी।” जसवंत आरती की गाँड फैला के मारते हुए बोला, “आरती सुन छिनाल... अब हमें तेरी बेटी को भी चोदना है, यही नहीं हम दोनों तुम माँ बेटी को अपनी पर्सनल रंडियाँ बनाना चाहते हैं। तूने इनकार किया तो मैं तेरी बेटी को कॉलेज से निकाल दूँगा समझी?”

जसवंत जब झड़ने के करीब आया तो वो कस के आरती की गाँड मारने लगा। मंगल नीचे से आरती की चूत में अपना लंड पेलते हुए उसके हिलते मम्मे मसलने लगा। आरती भी एक साथ दो लंडों से चुदवा के अब बेशरम होके बोली, “जसवंत अब मुझे ब्लैकमेल करने की ज़रूरत नहीं। अब जब मैं तुम दोनों से चुदवा रही हूँ और मुझे मालूम हुआ है कि मेरी बेटी भी २-२ लड़कों से चुदवाती है तो अब मैं उसे तुम दोनों से चुदवाने को तैयार हूँ। मैं तुम दोनों को अपनी बेटी को चोदने का मौका दूँगी। परसों तू और मंगल मेरे घर सुबह आओ और पूरा दिन पूरी रात मेरी बेटी को चोदो। ठीक है जसवंत?” इस दौरान मंगल अपना लंड आरती की चूत से निकाल के ऊपर खिसक गया और अपना लंड आरती के मुँह में डाल दिया और जसवंत भी आखिरी धक्के मारते हुए बोला, “वाह कितनी अच्छी माँ है... हम ज़रूर चोदेंगे तेरी बेटी को... उस दिन सिर्फ़ तेरी बेटी को ही नहीं बल्कि तुझे भी चोदेंगे हम... ठीक है मेरी रंडी?”

आरती के कुछ बोलने के पहले ही मंगल का लंड उसके मुँह में झड़ने लगा। आरती का पूरा मुँह मंगल के पानी से भर गया और मुँह से निकल के उसके सीने पे गिरने लगा। जसवंत भी कसके आरती की गाँड में लंड घुसाके और उसके मम्मे बेरहमी से मसलते हुए आरती की गाँड में झड़ने लगा। मंगल का लंड पूरी तरह से चूसके साफ़ करने के बाद ही आरती ने उसे अपने मुँह से निकाला और फिर जसवंत ने भी आरती की गाँड अपने लंड-रस से भर कर अपना लंड बाहर निकाला और साफ़ करने के लिए आरती के मुँह मे घुसेड़ दिया।



जसवंत और मंगल से अच्छी तरह चुद कर जब आरती घर पहुँची तो उसने देखा कि पूजा सोफे पे स्कर्ट और टाईट टी-शर्ट पहने लेटी है और कोई टीवी प्रोग्राम देख रही है। दोनों एक-दूसरे को देख के मुस्कुराईं और थोड़ी बातचीत की। अब आरती पूजा को एक अलग नज़रिए से देख रही थी। उस दिन दोपहर तक आरती सोचती थी कि उसकी बेटी बहुत ही सीधी-साधी छोटी बच्ची है पर जसवंत से उसकी अय्याशियों और चुदाई के किस्से सुन कर उसे एहसास हुआ कि उसकी बेटी अब काफी जवान हो गयी है और अपनी माँ की तरह ही चुदक्कड़ राँड है। पूजा के टाईट टी-शर्ट में उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ देख कर उसे ख्याल आया कि जरूर पूजा की चूचियाँ राजेश और वैभव द्वारा मसले जाने से इतनी बड़ी हो गयी हैं। आरती को एहसास हुआ की वो अपनी काम-वासना और हवस बुझाने में इतनी खुदगर्ज़ हो गयी थी कि वो यह भी भूल गयी कि उसकी एक जवान बेटी है जो अब शादी की उम्र की होने जा रही है और जिसे कुछ रोक- टोक के साथ-साथ किसी की जरूरत है जो उसे ज़िंदगी की अच्छाई-बुराई के बारे में बताये। पर फिर आरती को लगा कि अब वो समय हाथ से निकल चुका है। यही बात सोच कर आरती ने पूजा को चोदने के लिए जसवंत और मंगल को बुलाया था। अगर अब आरती पूजा को रोकने की कोशिश करती तो मुमकिन था कि पूजा बगावत कर देती और शायद पूजा को भी आरती के चाल-चलन का अंदाज़ा था जिससे आरती के लिए भी मुश्किल हो जाती। अब चूँकि पूजा की खुद की भी चुदाई कि हवस थी तो ज़रूरी था कि माँ बेटी में आपस में कोई मतभेद ना हो। आरती को पूजा की इस उम्र में चुदाई की बारे में सुन के अच्छा नहीं लगा था पर आरती को क्या हक था नाराज़ होने का जबकि आरती खुद पूजा से भी कम उम्र से चुदाई का आनंद उठाती आ रही थी। आरती का चालचलन देख कर उसके माँ-बाप ने जल्दी से उसकी शादी कर दी थी और पूजा कि उम्र में आरती माँ भी बन गयी थी।

उस दिन रविवार था जिस दिन आरती ने अपनी बेटी पूजा को चोदने के लिए जसवंत और मंगल को बुलाया था। तय यह हुआ था कि जब वो दोनों आयेंगे तो आरती घर पे नहीं रहेगी क्योंकि आरती की ना-मोजूदगी में पूजा को ब्लैकमेल कर के चुदाई के लिए फुसलाना आसान होगा। सब कुछ ठीक देख कर सुबह ही आरती पूजा से यह कह कर क्ल्ब जाने के लिए निकल गयी वो दोपहर तक वापस आ जायेगी। आरती ने जानबूझ कर आपनी क्लब जाने की बात पूजा को पहले से नहीं बतायी थी क्योंकि नहीं तो पूजा अपने यारों को घर पे बुला लेती और आरती का अपने बेटी को जसवंत और मंगल से चुदवाने का सब प्लैन चोपट हो जाता।

पूजा को भी लगा कि अगर उसे अपनी माँ के प्रोग्राम का पहले से पता होता तो राजेश या वैभव को घर पे ही बुला लेती पर अब उसने सोचा कि वो खुद ही उनके हॉस्टल में जा कर उन्हें मिलेगी। उसने तैयार हो के नीली स्कर्ट और लाल टी-शर्ट पहना। टी-शर्ट के नीचे उसने ब्रा नहीं पहनी थी क्योंकि जब ललचायी आँखों से लोग उसकी चूचियाँ और निप्पलों का उभार देख के आहें भरते थे तो उसे बहुत अच्छा लगता था। स्कर्ट के नीचे उसने लाल रंग की पैंटी पहनी थी जो उसके गोरे बदन पे खूब खिलती थी। अपनी लम्बी ज़ुल्फें उसने खुली ही रखी थीं। पैरों में काले रंग के बहुत ही सैक्सी हाई हील के सैंडल पहने थे और एक पैर में उसने पतली सी चाँदी की पायल भी पहनी थी।

पूजा अभी बाहर निकलने को तैयार ही हुई थी कि जसवंत और मंगल ने आ कर घंटी बजायी। पूजा ने खीझते हुए दरवाज़ा खोला तो सामने प्रिंसिपल और कॉलेज के चपड़ासी को देख कर आश्चर्य हुआ और थोड़ा डर भी गयी। पूजा ने उन्हें अंदर बुला कर दरवाजा बँद किया और उन्हें बैठने के लिए कहते हुए बोली, “अरे जसवंत सर... आप और मंगल... यहाँ मेरे घर कैसे? क्या कुछ काम था आपको मुझसे?” जसवंत उसके शरीर पे अपनी हवस भरी नज़रें गड़ाते हुए बोला, “तेरी माँ नहीं है घर पे? आज हम तेरे बारे में ही बात करने आये थे तेरी माँ से।” पूजा को यह सुन कर सदमा सा लगा और वो बोली, “नहीं सर, वो बाहर गयी है। उससे क्या काम था आपको सर?” सोफे पे आराम से बैठते हुए दोनों अपने सामने खड़ी पूजा के बदन पे ही नज़रें गड़ाये हुए थे। मंगल पूजा की सैक्सी टाँगों को देखते हुए बोला, “पूजा... कॉलेज में अटैंडेंस और पढ़ाई ठीक नहीं चल रही तेरी... बहुत शिकायतें आयी हैं सर के पास... इसलिए इनको मिलना था तेरी माँ से।”
 
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RE: आरती की वासना - by fasterboy - 09-04-2020, 12:26 PM



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