09-04-2020, 12:23 PM
आरती प्यार से जसवंत के बालों में हाथ घुमाते हुए दूसरे हाथ से जसवंत का लंड सहला रही थी और जसवंत अब मुड़ के आरती की चूत हल्के से किस करते हुए उसके निप्पल से खेल रहा था। आरती को जसवंत का चूत पे किस करना अच्छा लग रह था। एक हाथ से उसका लंड सहलाते और दूसरे हाथ से उसका सिर अपनी चूत पे दबाते हुए आरती प्यार से बोली, “जसवंत डार्लिंग अब तो तू मेरी बेटी को कॉलेज से नहीं निकालेगा ना? देख तूने उसको पनिश नहीं करने की जो प्यारी सज़ा मुझे दी वो मैंने खुशी-खुशी स्वीकार की, अब मेरी बेटी को प्लीज़ पनिश मत करना।” जसवंत आरती की टाँगें फ़ैला के उसकी चूत को किस करते हुए बोला, “मेरी प्यारी रंडी चूत... अब तेरी बेटी को कॉलेज से नहीं निकालूँगा पर अभी तेरी सज़ा पूरी नहीं हुई। अभी तेरी गाँड भी मारनी है... तब तेरी बेटी को कॉलेज से नहीं निकालूँगा... समझी?”
जसवंत अब उसकी चूत जीभ से चाटने लगा। चूत को चाटते हुए जसवंत आरती की चूत को अपनी जीभ से चोदने लगा और उसकी चूत का पानी चाटके जब उसने आरती की चूत के दाने को हल्के से चबाया तो आरती उछलते हुए उसका सिर अपनी चूत पे दबाते हुए बोली, “ऊफ्फ्फ्फ ज...स....वंत यह क्या कर रहे हो? मेरी चूत का दाना ऐसे मत काटो नहीं तो मैं फिर से गरम हो जाऊँगी।” जसवंत उसके मम्मे मसलते हुए बोला, “आरती चूत... मैं भी यही चाहता हूँ कि तू फिर गरम हो ताकि अब तेरी यह मटकती गाँड मार सकूँ। तेरी बहन की चूत साली... क्या मस्त गाँड है तेरी, ऐसा लगता है लंड हमेशा तेरी गाँड में ही डालके रखूँ।”
जसवंत फिर आरती की चूत हाथों से फ़ैला के चाटने लगा और आरती उसका लंड मसलने लगी। जसवंत का हाथ अपने मम्मों पे रखते हुए आरती बेशरम होके बोली, “ठीक है, मेरी बेटी कि सज़ा माफ करवाने के लिए मैं तुझसे गाँड मरवाने को तैयार हूँ। जसवंत अगर तूने मेरी बेटी को कॉलेज से नहीं निकाला तो मैं तुझे और एक चीज़ दूँगी, लेकिन पहले मुझे यह बता कि मेरी बेटी किससे चुदाती है?”
जसवंत आरती की चूत चाटके और उसे गरम करके उठ के बैठ गया और आरती के दोनों मम्मे खींचते हुए उसे अपनी गोदी में लिटा के बोला “आ इधर लेट जा राँड। देख साली रंडी... अब सौदा करने लगी। हलकट साली... तू अब और क्या चीज़ देगी मुझे... तेरी बेटी की सज़ा माफ़ करवाने की? रही बात तेरी बेटी की तो मेरी रंडी... थोड़ा और सब्र कर, फिर तुझे सब बताऊँगा।” इस कहानी का शीर्षक ’आरती की वासना’ है!
आरती बेशरम होके जसवंत की जाँघों पे सिर रख के लेट गयी। फिर जसवंत का लंड थोड़ी देर चूस के वो ज़रा-सी ऊपर होके अपने मम्मों के बीच जसवंत का लंड लेके उसे मसलते हुए बोली, “जसवंत और कितना सब्र करूँ? क्यों तड़पा रहे हो मुझे, प्लीज़ बताओ ना पूजा के बारे में।” जसवंत की खुली टाँगों पे लेट के आरती अपने मम्मे उसके लंड से चुदवाने लगी। जसवंत उसकी गाँड थप-थपाते हुए बोला, “आरती तेरी बेटी को २ लड़के चोदते हैं, साली छिनाल बन गयी है तेरी बेटी। मैंने सुना है कि तेरी लड़की उन लड़कों के साथ बहुत चुदवाती है। तुझे बताऊँ वो लड़के तेरी बेटी के साथ क्या करते हैं?” मम्मों से बाहर आये लंड की टोपी चूमते हुए आरती बोली, “क्या बोलते हो जसवंत? मेरी पूजा को २-२ लड़के चोदते हैं? क्या तू सच बोल रहा है? बता मुझे मेरी बेटी को वो लड़के कैसे चोदते हैं।” आरती बेशरम हो के जसवंत से अपनी बेटी की चुदाई के बारे में बात कर रही थी। जसवंत आरती को खड़ी करके बोला, “अभी बताता हूँ कि पूजा कैसे चुदवाती है उन लोगों से। चल अब ज़रा सामने झुक जा कुत्तिया बनके रंडी... ऐसे झुक जैसे कुत्तिया झुकती है कुत्ते के सामने... ठीक है।”
आरती आगे जाके टेबल पे झुक गयी। जसवंत ने जब पीछे से आरती को अपनी हाई हील के सैंडलों में अपनी गाँड मटकाते हुए चलते देखा तो उसका लंड फुफकारने लगा। आरती ने टेबल पे झुक के अपनी गाँड बाहर उघाड़ दी और उसके मम्मे आगे झूल रहे थे। आरती अपना हाथ पीछे ले जा कर अपनी गाँड खोलते हुए बोली, “यह ले जसवंत तेरी आरती कुत्तिया बनके झुकी है तेरे सामने। लेकिन यह बता कि तू मेरी गाँड क्यों मारना चाहता है?” जसवंत ने अपना लंड आरती की खुली गाँड के छेद पे रखा और हाथ आगे बढ़ा के उसके झूलते हुए मम्मे पकड़ लिए और अपने लंड को आरती की गाँड पे दबाते हुए बोला, “वाह, तू बड़ी समझदार है रंडी... बिना बोले कुत्तिया बनके गाँड खोलके खड़ी हो गयी। तेरी गाँड इसलिए मारनी है क्योंकि मेरे राजपुताना लंड को तेरी हाई हील सैंडलों में यह टाईट मटकती गाँड भा गयी और मेरा लंड तेरी गाँड की अकड़ निकालने के लिए तड़प रहा है। तुझे नहीं पता तेरी गाँड कितनी लाजवाब है। तेरी चूत, मम्मे, होंठ, गाँड और पूरा जिस्म, सब लाजवाब है। मैं तो इन हाई हील सैंडलों में तेरी चाल देख के ही मर गया था, सोचा कि अगर हो सके तो तेरी गाँड ज़रूर लूँगा... अब देख तेरी गाँड कैसे मारता हूँ छिनाल।”
जसवंत ने फिर आरती की कमर पकड़के अपना लंड आरती के गाँड के छेद पे दबाया। आरती कि साँसें तेज़ हो गयीं और वो धड़कते दिल से अपने होंठ दाँतों के नीचे दबा के जसवंत के लंड के अपनी गाँड में घुसने का इंतज़ार करने लगी। क्योंकि जसवंत का लंड बड़ा तगड़ा था और आरती ने इतने बड़े लौड़े से गाँड नहीं मरवायी थी कभी। लेकिन उसे खुशी भी मिल रही थी क्योंकि उसे ऐसा बड़ा लंड मिल रहा था। हाथ पीछे करके वो जसवंत का लंड पकड़के बोली, “ओहहहह जसवंत इतनी अच्छी लगी मेरी गाँड तुझे? मैं इसिलिए तो हाई हील पहनती हूँ... मुझे पता है कि इनसे मेरी चाल सैक्सी हो जाती है और लोगों का ध्यान मेरी मटकती गाँड की तरफ खिंच जाता है... तुझे मेरी गाँड अच्छी लगी और तूने मेरी गाँड मारने की सोची... तो अब देख मैं तुझसे गाँड मरवाने जा रही हूँ और अब बार-बार तुझसे चुदवाके तुझे पूरा मज़ा दूँगी।”
आरती कि बात सुनके जसवंत खुश हुआ और एक हाथ से आरती की कमर पकड़ के और दूसरे हाथ से उसके मम्मे ज़ोर से दबाते हुए लंड आरती की गाँड में घुसाने लगा। जैसे ही जसवंत का लंड आरती की गाँड में घुसा तो आरती दर्द से छटपटाती हुई ज़ोर से चिल्लाने लगी, “आआआआआआहहहहहहह ज़अ... सवंतऽऽऽ रह...म खाआआ.... मेरीईईई गाँड गयीईईईई....। बहुत दर्द हो रहा है... प्लीज़ लंड निकाल मेरी गाँड से।” आरती यह भी भूल गयी कि वो कॉलेज में है और कोई उसका चिल्लाना सुन सकता है और वही हुआ। आरती का चिल्लाना तब मंगल ने सुना और आ के दरवाजा नॉक करते हुए बोला, “सर, क्या हुआ? वो पूजा की माँ क्यों चिल्ला रही है? कोई तकलीफ है क्या?” मंगल वैसे एक हरामी मर्द था। कॉलेज की कम्सिन लड़कियों को बड़ा छेड़ता था और कई लड़कियों को चोदा भी था उसने। आज आरती को देख के उसका भी लंड खड़ा हुआ था। उसे यह मालूम था कि जसवंत आरती को चोद रहा था, क्योंकि उसे जसवंत का रंगीन मिजाज़ मालूम था। उसने सोचा कि हो सके कि उसे भी मौका मिले आरती को चोदने का।
मंगल की आवज़ सुनके आरती डर गयी लेकिन जसवंत बिंदास था। मंगल ने दरवाज़ा खटखटाया तो जसवंत ने आरती की गाँड से लंड निकला और नंगा ही, कौन आया है देखने चला गया। गाँड से लंड निकल जाने से आरती को कुछ राहत मिली। आरती वैसे ही नंगी टेबल पकड़ के झुक के खड़ी रही। जसवंत ने नंगे ही दरवाज़ा खोल के मंगल को देखते हे उसे अंदर बुला के दरवाज़ा बँद कर दिया। मंगल ने अंदर आके देखा कि जिस औरत को उसने सज-धज के आते देखा था वो औरत अब सिर्फ सफ़ेद रंग के ऊँची हील के सैंडल पहने बिल्कुल नंगी जसवंत साहब की टेबल पे कुत्तिया जैसे झुकी खड़ी है, उसके बाल थोड़े बिखर गये हैं, बिंदी गायब है और सिंदूर भी माँग में थोड़ा फ़ैल गया है। मंगल समझ गया कि जसवंत साहब आरती की गाँड मार रहे थे और उसी दर्द से आरती चिल्ला रही थी।
आरती मंगल को देख के अपना सीना दोनों हाथों से ढकते हुए बोली, “जसवंत यह क्या है, मंगल को अंदर क्यों बुलाया तूने? प्लीज़ उसे बाहर भेजो, मुझे शरम आ रही है। जसवंत प्लीज़, ऐसे मुझे दूसरों के सामने बे- इज़्ज़त मत करो” आरती खड़े हुए बहुत शरमा रही थी बल्कि शरमाने का नाटक कर रही थी। आरती फिर आँख के इशारों से जसवंत से बोली कि मंगल को बाहर भेज दे। जसवंत ने आरती की बात पर ध्यान ना देते हुए आरती को पीछे से पकड़ कर फिर से झुका दिया और अपना लंड उसकी गांड पे रख के बोला, “मंगल आजा, देख आज यह नई चूत मिली है, मै आरती की गाँड मारता हूँ... तू इसके मम्मे मसल के साली का मुँह चोद अपने लौड़े से। तू क्या समझती है साली... मैं ऐसा मौका जाने दूँगा? तू मेरी रंडी है तो जिससे चाहूँ तुझे चुदवा दूँगा... छिनाल... तु ही अकड़ के बोल रही थी ना कि एक लंड तेरे लिए बहुत नहीं है... तो ले अब दो लंड एक साथ मिल गये तुझे...। चल मंगल इस रंडी की चूचियाँ मसल।”
आरती की सैक्सी नंगी खूबसूरती को देख कर मंगल खुद को रोक नहीं पाया और आरती के पास आ कर उसकी चूचियों को अपने हाथों में पकड़ कर मसलने लगा। वास्तव में आरती को इन दो मर्दों के सामने खुद का सिर्फ सैंडल पहने नंगी मौजूद होना बहुत अच्छा लग रहा था। उसने अपनी ज़िंदगी में बहुतों से चुदवाया था पर एक साथ दो मर्दों से बहुत कम चुदी थी। दो मर्दों से एक साथ चुदवाने का उसे बेहद शौक था और हमेशा ऐसा मौका ढूँढती रहती थी। आरती फिर थोड़ा झूठ का नखरा दिखाते हुए बोली, “उउफ्फ्फ्फ नहींईईईई प्लीज़ मंग...ल नहहहींईईईई मुझे जाने दो। प्लीज़ जसवंत, मंगल के सामने मुझसे ऐसा सब कुछ मत करना, अपनी नादान बेटी की खातिर मैंने यह सब तेरे साथ किया, लेकिन मंगल को इसमें मत लेना। मुझे शरम आती है। प्लीज़ मंगल तुझे कसम है, मेरे बदन को छूना भी नहीं।” आरती को पता था कि उसकी बात कोई नहीं सुनेगा और वो भी यही चाहती थी और झूठमूठ का नखरा कर रही थी।
दोनों मर्द आरती की बात अनसुनी करके अपना-अपना काम करते रहे। जसवंत ने फिर से ज़ोर लगा के अपना लंड आरती की गाँड में घुसा दिया। आरती को दर्द हुआ लेकिन इस बार वो दूसरे मर्द से अपने मम्मे मसलवाने से इतनी गरम हो चुकी थी कि उसे दर्द का एहसास नहीं हुआ। आरती को अब मज़ा आ रहा था लेकिन वो नाटक करते हुए बोली, “देखो मंगल मैं तेरी बहन जैसी हूँ, प्लीज़ ऐसा मत करो मेरे साथ। मुझे इतना ज़लील मत करो प्लीज़।” मंगल आरती के मम्मे बेरहमी से दबाते हुए बोला, “तेरी चूत को कुत्ते चोदें रंडी... साली खुद को मेरी बहन कहती है तू? छिनाल मेरी बहन तेरे जैसे रंडीबाज़ी नहीं करती। वो बड़ी शरीफ़ लड़की है, उसे शरम और हया है। चुदक्कड़ साली... तू और तेरी बेटी रंडियाँ हो और कुछ नहीं... समझी? चुप हो जा आरती और छिनाल कि तरह चुदवा ले। मैं और जसवंत साहब एक दूसरे की सब बात जानते हैं। भले हमने किसी लड़की को एक साथ नहीं चोदा लेकिन आज तुझे एक साथ चोदके वो इच्छा भी पूरी करेंगे।” अब इस दोहरे धावे से आरती को और मज़ा आने लगा। तब मंगल ने भी अपनी पैंट उतार दी और उसका दमदार लंड देख के आरती और चुदासी हो गयी। भले उसका लंड जसवंत जैसा नहीं था पर फिर भी काफी तगड़ा था और आज उसे एक साथ २-२ लंड मिलने वाले हैं, इस बात की उत्तेजना थी उसे। इस कहानी का शीर्षक ’आरती की वासना’ है!
आरती अब जसवंत के लंड पे अपनी गाँड आगे पीछे करने लगी जिससे जसवंत को उसकी टाईट गाँड मारने में मज़ा आने लगा। जसवंत आरती की कमर पकड़के अब उसकी गाँड मार रहा था। मंगल का लंड अपने हाथ में मसलते हुए और उसका सिर अपने मम्मे पे दबाते हुए और अपनी गाँड आगे पीछे करते हुए आरती बोली, “जसवंत साले... मार मेरी गाँड और मंगल तू चूस मेरे मम्मे... आज अपने इन लौड़ों से मेरी चूत और गाँड मारो तुम दोनों... मंगल आज जसवंत ने मुझे अपनी रंडी बनाया था, अब मैं तेरी भी राँड बन गयी हूँ... वैसे भी मुझे हमेशा नए-नए लौड़ों कि तलाश रहती है... और ज़ोर से चोद मेरी गाँड जसवंत... साले कुत्ते... मार ले अपनी कुत्तिया की गाँड.... ।”
जसवंत पीछे से आरती की गाँड चोद रहा था और आगे से मंगल ने आरती के मम्मे मसलते हुए अपना लंड आरती के मुँह पे रख दिया। आरती एकदम रंडी जैसे मंगल का लंड चूसने लगी। जसवंत बड़ी बेरहमी से आरती की गाँड मारते हुए बोला, “तेरी बहन की चूत साली... हम दोनों भले अमीर गरीब हैं लेकिन एक दूसरे की रग-रग से वाकिफ़ हैं। चल यार मंगल... इस चुदक्कड़ कुत्तिया को एक साथ चोद के इसे अपनी रंडी बनायेंगे।” ऐसी हालत में आरती अपने आप से बेहाल होती और मंगल का लंड चूसते हुए बोली, “उउउउउउफ्फ्फ्फ्फ्फ... जऽऽऽऽ...सवंत हाँ मैं हूँ तेरी रंडी और अब मैं मंगल की भी छिनाल बनने जा रही हूँ... मंगल और दबा मेरे मम्मे और जसवंत तू ज़ोर से मेरी गाँड चोद... मैं मंगल का लंड चूसती हूँ।”
मंगल का मोटा लंड आरती के मुँह में था जिसे आरती खूब मस्ती से चूस रही थी और जसवंत का लंड उसकी गाँड पूरी तरह खोलके धक्के पे धक्के दे रहा था। जसवंत अपना एक हाथ आरती की चूत पे ले गया और अपनी अँगुली से आरती की चूत और दाने को रगड़ते हुए उसकी गाँड मारने लगा।
आरती का पूरा बदन वासना की आग में जल रहा था। वो मंगल के लंड को मुँह में चूसते बोली, “उफ्फ्फ मेरे मस्त लौड़ों... ऐसे ही चोदो मेरा मुँह और गाँड, इस चुदक्कड़ आरती का जिस्म आज से तुम्हारा है और जब चाहे जैसे चाहे इसे चोदो... जसवंत मज़ा आ रहा है... मेरी चूत में खलबली मचा रहा है तेर हाथ... राजा उउउम्म्म्म्म.... जसवंत अब मंगल को मेरी चूत मारने दे और तू गाँड मारता रह... मुझे आज एक साथ मेरी चूत और गाँड में राजपुताना लौड़े चाहियें।”
“ठीक है साली छिनाल... आ जा... अब हम दोनों मिल के तेरी चूत और गाँड मारंगे... हमें भी तेरी जैसी मस्त छिनाल औरत चाहिए थी हमारी रखैल बनने के लिए और तू मिल गयी... अब देख कैसे तेरी गाँड और चूत का भोंसड़ा बनाते हैं हम दोनों।” जसवंत आरती की गाँड में लंड डाले हुए ही आरती को सोफ़ पे ले गया और उसे अपने ऊपर लिटा लिया। अब जसवंत का लंड आरती की गाँड मैं था और आरती उसके लंड पे बैठ के उछल- उछल के अपनी गाँड मरवा रही थी। जब आरती ने अपनी टाँगें खोलीं तो उसकी बिना झाँट वाली चूत देख के मंगल खुश हुआ। मंगल अपना लंड मसलते हुए आरती की खुली जाँघों के बीच आया और आरती ने खुद अपनी चूत खोल के मंगल का लंड उस पे सटा दिया। मंगल आरती की चूचियाँ पकड़ के मसलते हुए अपना लंड उसकी चूत में पूरी ताकत से घुसेड़ने लगा। आरती एकदम उछल के चिल्लाते हुए बोली, “ऊउउउउईईईईईईईईईईई..... माँआआआआ.... मंगलऽऽऽऽ मेरी चूत गयीईईईई.... मंगल आज फाड़ दे अपनी रंडी की चूत... जसवंत मैं जन्नत में हूँ राजा... एक साथ मेरी चूत और गाँड में एक-एक लंड... मुझे बहुत अच्छा लग रहा है... और ज़ोर से चोदो मुझे तुम दोनों... मेरा पूरा जिस्म खूब मसल के चोदो मेरी चूत और गाँड।”
जसवंत अब उसकी चूत जीभ से चाटने लगा। चूत को चाटते हुए जसवंत आरती की चूत को अपनी जीभ से चोदने लगा और उसकी चूत का पानी चाटके जब उसने आरती की चूत के दाने को हल्के से चबाया तो आरती उछलते हुए उसका सिर अपनी चूत पे दबाते हुए बोली, “ऊफ्फ्फ्फ ज...स....वंत यह क्या कर रहे हो? मेरी चूत का दाना ऐसे मत काटो नहीं तो मैं फिर से गरम हो जाऊँगी।” जसवंत उसके मम्मे मसलते हुए बोला, “आरती चूत... मैं भी यही चाहता हूँ कि तू फिर गरम हो ताकि अब तेरी यह मटकती गाँड मार सकूँ। तेरी बहन की चूत साली... क्या मस्त गाँड है तेरी, ऐसा लगता है लंड हमेशा तेरी गाँड में ही डालके रखूँ।”
जसवंत फिर आरती की चूत हाथों से फ़ैला के चाटने लगा और आरती उसका लंड मसलने लगी। जसवंत का हाथ अपने मम्मों पे रखते हुए आरती बेशरम होके बोली, “ठीक है, मेरी बेटी कि सज़ा माफ करवाने के लिए मैं तुझसे गाँड मरवाने को तैयार हूँ। जसवंत अगर तूने मेरी बेटी को कॉलेज से नहीं निकाला तो मैं तुझे और एक चीज़ दूँगी, लेकिन पहले मुझे यह बता कि मेरी बेटी किससे चुदाती है?”
जसवंत आरती की चूत चाटके और उसे गरम करके उठ के बैठ गया और आरती के दोनों मम्मे खींचते हुए उसे अपनी गोदी में लिटा के बोला “आ इधर लेट जा राँड। देख साली रंडी... अब सौदा करने लगी। हलकट साली... तू अब और क्या चीज़ देगी मुझे... तेरी बेटी की सज़ा माफ़ करवाने की? रही बात तेरी बेटी की तो मेरी रंडी... थोड़ा और सब्र कर, फिर तुझे सब बताऊँगा।” इस कहानी का शीर्षक ’आरती की वासना’ है!
आरती बेशरम होके जसवंत की जाँघों पे सिर रख के लेट गयी। फिर जसवंत का लंड थोड़ी देर चूस के वो ज़रा-सी ऊपर होके अपने मम्मों के बीच जसवंत का लंड लेके उसे मसलते हुए बोली, “जसवंत और कितना सब्र करूँ? क्यों तड़पा रहे हो मुझे, प्लीज़ बताओ ना पूजा के बारे में।” जसवंत की खुली टाँगों पे लेट के आरती अपने मम्मे उसके लंड से चुदवाने लगी। जसवंत उसकी गाँड थप-थपाते हुए बोला, “आरती तेरी बेटी को २ लड़के चोदते हैं, साली छिनाल बन गयी है तेरी बेटी। मैंने सुना है कि तेरी लड़की उन लड़कों के साथ बहुत चुदवाती है। तुझे बताऊँ वो लड़के तेरी बेटी के साथ क्या करते हैं?” मम्मों से बाहर आये लंड की टोपी चूमते हुए आरती बोली, “क्या बोलते हो जसवंत? मेरी पूजा को २-२ लड़के चोदते हैं? क्या तू सच बोल रहा है? बता मुझे मेरी बेटी को वो लड़के कैसे चोदते हैं।” आरती बेशरम हो के जसवंत से अपनी बेटी की चुदाई के बारे में बात कर रही थी। जसवंत आरती को खड़ी करके बोला, “अभी बताता हूँ कि पूजा कैसे चुदवाती है उन लोगों से। चल अब ज़रा सामने झुक जा कुत्तिया बनके रंडी... ऐसे झुक जैसे कुत्तिया झुकती है कुत्ते के सामने... ठीक है।”
आरती आगे जाके टेबल पे झुक गयी। जसवंत ने जब पीछे से आरती को अपनी हाई हील के सैंडलों में अपनी गाँड मटकाते हुए चलते देखा तो उसका लंड फुफकारने लगा। आरती ने टेबल पे झुक के अपनी गाँड बाहर उघाड़ दी और उसके मम्मे आगे झूल रहे थे। आरती अपना हाथ पीछे ले जा कर अपनी गाँड खोलते हुए बोली, “यह ले जसवंत तेरी आरती कुत्तिया बनके झुकी है तेरे सामने। लेकिन यह बता कि तू मेरी गाँड क्यों मारना चाहता है?” जसवंत ने अपना लंड आरती की खुली गाँड के छेद पे रखा और हाथ आगे बढ़ा के उसके झूलते हुए मम्मे पकड़ लिए और अपने लंड को आरती की गाँड पे दबाते हुए बोला, “वाह, तू बड़ी समझदार है रंडी... बिना बोले कुत्तिया बनके गाँड खोलके खड़ी हो गयी। तेरी गाँड इसलिए मारनी है क्योंकि मेरे राजपुताना लंड को तेरी हाई हील सैंडलों में यह टाईट मटकती गाँड भा गयी और मेरा लंड तेरी गाँड की अकड़ निकालने के लिए तड़प रहा है। तुझे नहीं पता तेरी गाँड कितनी लाजवाब है। तेरी चूत, मम्मे, होंठ, गाँड और पूरा जिस्म, सब लाजवाब है। मैं तो इन हाई हील सैंडलों में तेरी चाल देख के ही मर गया था, सोचा कि अगर हो सके तो तेरी गाँड ज़रूर लूँगा... अब देख तेरी गाँड कैसे मारता हूँ छिनाल।”
जसवंत ने फिर आरती की कमर पकड़के अपना लंड आरती के गाँड के छेद पे दबाया। आरती कि साँसें तेज़ हो गयीं और वो धड़कते दिल से अपने होंठ दाँतों के नीचे दबा के जसवंत के लंड के अपनी गाँड में घुसने का इंतज़ार करने लगी। क्योंकि जसवंत का लंड बड़ा तगड़ा था और आरती ने इतने बड़े लौड़े से गाँड नहीं मरवायी थी कभी। लेकिन उसे खुशी भी मिल रही थी क्योंकि उसे ऐसा बड़ा लंड मिल रहा था। हाथ पीछे करके वो जसवंत का लंड पकड़के बोली, “ओहहहह जसवंत इतनी अच्छी लगी मेरी गाँड तुझे? मैं इसिलिए तो हाई हील पहनती हूँ... मुझे पता है कि इनसे मेरी चाल सैक्सी हो जाती है और लोगों का ध्यान मेरी मटकती गाँड की तरफ खिंच जाता है... तुझे मेरी गाँड अच्छी लगी और तूने मेरी गाँड मारने की सोची... तो अब देख मैं तुझसे गाँड मरवाने जा रही हूँ और अब बार-बार तुझसे चुदवाके तुझे पूरा मज़ा दूँगी।”
आरती कि बात सुनके जसवंत खुश हुआ और एक हाथ से आरती की कमर पकड़ के और दूसरे हाथ से उसके मम्मे ज़ोर से दबाते हुए लंड आरती की गाँड में घुसाने लगा। जैसे ही जसवंत का लंड आरती की गाँड में घुसा तो आरती दर्द से छटपटाती हुई ज़ोर से चिल्लाने लगी, “आआआआआआहहहहहहह ज़अ... सवंतऽऽऽ रह...म खाआआ.... मेरीईईई गाँड गयीईईईई....। बहुत दर्द हो रहा है... प्लीज़ लंड निकाल मेरी गाँड से।” आरती यह भी भूल गयी कि वो कॉलेज में है और कोई उसका चिल्लाना सुन सकता है और वही हुआ। आरती का चिल्लाना तब मंगल ने सुना और आ के दरवाजा नॉक करते हुए बोला, “सर, क्या हुआ? वो पूजा की माँ क्यों चिल्ला रही है? कोई तकलीफ है क्या?” मंगल वैसे एक हरामी मर्द था। कॉलेज की कम्सिन लड़कियों को बड़ा छेड़ता था और कई लड़कियों को चोदा भी था उसने। आज आरती को देख के उसका भी लंड खड़ा हुआ था। उसे यह मालूम था कि जसवंत आरती को चोद रहा था, क्योंकि उसे जसवंत का रंगीन मिजाज़ मालूम था। उसने सोचा कि हो सके कि उसे भी मौका मिले आरती को चोदने का।
मंगल की आवज़ सुनके आरती डर गयी लेकिन जसवंत बिंदास था। मंगल ने दरवाज़ा खटखटाया तो जसवंत ने आरती की गाँड से लंड निकला और नंगा ही, कौन आया है देखने चला गया। गाँड से लंड निकल जाने से आरती को कुछ राहत मिली। आरती वैसे ही नंगी टेबल पकड़ के झुक के खड़ी रही। जसवंत ने नंगे ही दरवाज़ा खोल के मंगल को देखते हे उसे अंदर बुला के दरवाज़ा बँद कर दिया। मंगल ने अंदर आके देखा कि जिस औरत को उसने सज-धज के आते देखा था वो औरत अब सिर्फ सफ़ेद रंग के ऊँची हील के सैंडल पहने बिल्कुल नंगी जसवंत साहब की टेबल पे कुत्तिया जैसे झुकी खड़ी है, उसके बाल थोड़े बिखर गये हैं, बिंदी गायब है और सिंदूर भी माँग में थोड़ा फ़ैल गया है। मंगल समझ गया कि जसवंत साहब आरती की गाँड मार रहे थे और उसी दर्द से आरती चिल्ला रही थी।
आरती मंगल को देख के अपना सीना दोनों हाथों से ढकते हुए बोली, “जसवंत यह क्या है, मंगल को अंदर क्यों बुलाया तूने? प्लीज़ उसे बाहर भेजो, मुझे शरम आ रही है। जसवंत प्लीज़, ऐसे मुझे दूसरों के सामने बे- इज़्ज़त मत करो” आरती खड़े हुए बहुत शरमा रही थी बल्कि शरमाने का नाटक कर रही थी। आरती फिर आँख के इशारों से जसवंत से बोली कि मंगल को बाहर भेज दे। जसवंत ने आरती की बात पर ध्यान ना देते हुए आरती को पीछे से पकड़ कर फिर से झुका दिया और अपना लंड उसकी गांड पे रख के बोला, “मंगल आजा, देख आज यह नई चूत मिली है, मै आरती की गाँड मारता हूँ... तू इसके मम्मे मसल के साली का मुँह चोद अपने लौड़े से। तू क्या समझती है साली... मैं ऐसा मौका जाने दूँगा? तू मेरी रंडी है तो जिससे चाहूँ तुझे चुदवा दूँगा... छिनाल... तु ही अकड़ के बोल रही थी ना कि एक लंड तेरे लिए बहुत नहीं है... तो ले अब दो लंड एक साथ मिल गये तुझे...। चल मंगल इस रंडी की चूचियाँ मसल।”
आरती की सैक्सी नंगी खूबसूरती को देख कर मंगल खुद को रोक नहीं पाया और आरती के पास आ कर उसकी चूचियों को अपने हाथों में पकड़ कर मसलने लगा। वास्तव में आरती को इन दो मर्दों के सामने खुद का सिर्फ सैंडल पहने नंगी मौजूद होना बहुत अच्छा लग रहा था। उसने अपनी ज़िंदगी में बहुतों से चुदवाया था पर एक साथ दो मर्दों से बहुत कम चुदी थी। दो मर्दों से एक साथ चुदवाने का उसे बेहद शौक था और हमेशा ऐसा मौका ढूँढती रहती थी। आरती फिर थोड़ा झूठ का नखरा दिखाते हुए बोली, “उउफ्फ्फ्फ नहींईईईई प्लीज़ मंग...ल नहहहींईईईई मुझे जाने दो। प्लीज़ जसवंत, मंगल के सामने मुझसे ऐसा सब कुछ मत करना, अपनी नादान बेटी की खातिर मैंने यह सब तेरे साथ किया, लेकिन मंगल को इसमें मत लेना। मुझे शरम आती है। प्लीज़ मंगल तुझे कसम है, मेरे बदन को छूना भी नहीं।” आरती को पता था कि उसकी बात कोई नहीं सुनेगा और वो भी यही चाहती थी और झूठमूठ का नखरा कर रही थी।
दोनों मर्द आरती की बात अनसुनी करके अपना-अपना काम करते रहे। जसवंत ने फिर से ज़ोर लगा के अपना लंड आरती की गाँड में घुसा दिया। आरती को दर्द हुआ लेकिन इस बार वो दूसरे मर्द से अपने मम्मे मसलवाने से इतनी गरम हो चुकी थी कि उसे दर्द का एहसास नहीं हुआ। आरती को अब मज़ा आ रहा था लेकिन वो नाटक करते हुए बोली, “देखो मंगल मैं तेरी बहन जैसी हूँ, प्लीज़ ऐसा मत करो मेरे साथ। मुझे इतना ज़लील मत करो प्लीज़।” मंगल आरती के मम्मे बेरहमी से दबाते हुए बोला, “तेरी चूत को कुत्ते चोदें रंडी... साली खुद को मेरी बहन कहती है तू? छिनाल मेरी बहन तेरे जैसे रंडीबाज़ी नहीं करती। वो बड़ी शरीफ़ लड़की है, उसे शरम और हया है। चुदक्कड़ साली... तू और तेरी बेटी रंडियाँ हो और कुछ नहीं... समझी? चुप हो जा आरती और छिनाल कि तरह चुदवा ले। मैं और जसवंत साहब एक दूसरे की सब बात जानते हैं। भले हमने किसी लड़की को एक साथ नहीं चोदा लेकिन आज तुझे एक साथ चोदके वो इच्छा भी पूरी करेंगे।” अब इस दोहरे धावे से आरती को और मज़ा आने लगा। तब मंगल ने भी अपनी पैंट उतार दी और उसका दमदार लंड देख के आरती और चुदासी हो गयी। भले उसका लंड जसवंत जैसा नहीं था पर फिर भी काफी तगड़ा था और आज उसे एक साथ २-२ लंड मिलने वाले हैं, इस बात की उत्तेजना थी उसे। इस कहानी का शीर्षक ’आरती की वासना’ है!
आरती अब जसवंत के लंड पे अपनी गाँड आगे पीछे करने लगी जिससे जसवंत को उसकी टाईट गाँड मारने में मज़ा आने लगा। जसवंत आरती की कमर पकड़के अब उसकी गाँड मार रहा था। मंगल का लंड अपने हाथ में मसलते हुए और उसका सिर अपने मम्मे पे दबाते हुए और अपनी गाँड आगे पीछे करते हुए आरती बोली, “जसवंत साले... मार मेरी गाँड और मंगल तू चूस मेरे मम्मे... आज अपने इन लौड़ों से मेरी चूत और गाँड मारो तुम दोनों... मंगल आज जसवंत ने मुझे अपनी रंडी बनाया था, अब मैं तेरी भी राँड बन गयी हूँ... वैसे भी मुझे हमेशा नए-नए लौड़ों कि तलाश रहती है... और ज़ोर से चोद मेरी गाँड जसवंत... साले कुत्ते... मार ले अपनी कुत्तिया की गाँड.... ।”
जसवंत पीछे से आरती की गाँड चोद रहा था और आगे से मंगल ने आरती के मम्मे मसलते हुए अपना लंड आरती के मुँह पे रख दिया। आरती एकदम रंडी जैसे मंगल का लंड चूसने लगी। जसवंत बड़ी बेरहमी से आरती की गाँड मारते हुए बोला, “तेरी बहन की चूत साली... हम दोनों भले अमीर गरीब हैं लेकिन एक दूसरे की रग-रग से वाकिफ़ हैं। चल यार मंगल... इस चुदक्कड़ कुत्तिया को एक साथ चोद के इसे अपनी रंडी बनायेंगे।” ऐसी हालत में आरती अपने आप से बेहाल होती और मंगल का लंड चूसते हुए बोली, “उउउउउउफ्फ्फ्फ्फ्फ... जऽऽऽऽ...सवंत हाँ मैं हूँ तेरी रंडी और अब मैं मंगल की भी छिनाल बनने जा रही हूँ... मंगल और दबा मेरे मम्मे और जसवंत तू ज़ोर से मेरी गाँड चोद... मैं मंगल का लंड चूसती हूँ।”
मंगल का मोटा लंड आरती के मुँह में था जिसे आरती खूब मस्ती से चूस रही थी और जसवंत का लंड उसकी गाँड पूरी तरह खोलके धक्के पे धक्के दे रहा था। जसवंत अपना एक हाथ आरती की चूत पे ले गया और अपनी अँगुली से आरती की चूत और दाने को रगड़ते हुए उसकी गाँड मारने लगा।
आरती का पूरा बदन वासना की आग में जल रहा था। वो मंगल के लंड को मुँह में चूसते बोली, “उफ्फ्फ मेरे मस्त लौड़ों... ऐसे ही चोदो मेरा मुँह और गाँड, इस चुदक्कड़ आरती का जिस्म आज से तुम्हारा है और जब चाहे जैसे चाहे इसे चोदो... जसवंत मज़ा आ रहा है... मेरी चूत में खलबली मचा रहा है तेर हाथ... राजा उउउम्म्म्म्म.... जसवंत अब मंगल को मेरी चूत मारने दे और तू गाँड मारता रह... मुझे आज एक साथ मेरी चूत और गाँड में राजपुताना लौड़े चाहियें।”
“ठीक है साली छिनाल... आ जा... अब हम दोनों मिल के तेरी चूत और गाँड मारंगे... हमें भी तेरी जैसी मस्त छिनाल औरत चाहिए थी हमारी रखैल बनने के लिए और तू मिल गयी... अब देख कैसे तेरी गाँड और चूत का भोंसड़ा बनाते हैं हम दोनों।” जसवंत आरती की गाँड में लंड डाले हुए ही आरती को सोफ़ पे ले गया और उसे अपने ऊपर लिटा लिया। अब जसवंत का लंड आरती की गाँड मैं था और आरती उसके लंड पे बैठ के उछल- उछल के अपनी गाँड मरवा रही थी। जब आरती ने अपनी टाँगें खोलीं तो उसकी बिना झाँट वाली चूत देख के मंगल खुश हुआ। मंगल अपना लंड मसलते हुए आरती की खुली जाँघों के बीच आया और आरती ने खुद अपनी चूत खोल के मंगल का लंड उस पे सटा दिया। मंगल आरती की चूचियाँ पकड़ के मसलते हुए अपना लंड उसकी चूत में पूरी ताकत से घुसेड़ने लगा। आरती एकदम उछल के चिल्लाते हुए बोली, “ऊउउउउईईईईईईईईईईई..... माँआआआआ.... मंगलऽऽऽऽ मेरी चूत गयीईईईई.... मंगल आज फाड़ दे अपनी रंडी की चूत... जसवंत मैं जन्नत में हूँ राजा... एक साथ मेरी चूत और गाँड में एक-एक लंड... मुझे बहुत अच्छा लग रहा है... और ज़ोर से चोदो मुझे तुम दोनों... मेरा पूरा जिस्म खूब मसल के चोदो मेरी चूत और गाँड।”