17-02-2019, 12:38 AM
अपडेट - 14
चंचल कपड़े बदल कर फिर से समीर के फार्महाउस की और निकल पड़ती है। चंचल कुछ देर बाद समीर के फार्महाउस पर जाकर डोर बेल बजाती है। समीर खुद आकर डोर खोलता है। समीर की नज़र जैसे ही चंचल पर पड़ती है समीर मुस्कुरा पड़ता है।
समीर: आज से तुम मेरी स्लेव हुई। अब तुम्हे वो हर काम करना होगा जो मैं तुमसे कहूंगा। मंज़ूर है।
चंचल: जब तुम्हारी स्लाव बन ही गयी हूँ तो मुझे सब मंज़ूर है।
समीर: आओ अंदर आओ। आज तुम्हे में तुम्हारे मालिक की असली दुनिया से रूबरू करवाता हूँ। याद रखना यहां इस दुनिया मे आने वाला वापस अपनी दुनिया मे तब तक नहीं जा सकता जब तक वो खुद मालिक बनने की औकात नहीं रखता।
चंचल: मंज़ूर है। (चंचल समीर के साथ फार्महाउस में अंदर जाती है।)
अब आगे....
समीर: रुको
चंचल: अब क्या हुआ?
समीर: कुछ नहीं, चलो आ जाओ।
चंचल समीर के साथ अंदर आ जाती है। समीर चंचल को सोफे पर बैठने का इशारा करता है।
समीर: बोलो क्या लोगी। ठंडा या गर्म।
चंचल समीर के इस सवाल पर मुस्कुरा पड़ती है।
चंचल: : फिलहाल तो कॉफ़ी चलेगी।
समीर चंचल के सामने वाले सोफे पर बैठते हुए।
समीर: तो जाओ लेफ्ट में किचन है। दो कॉफ़ी बना कर ले आओ।
चंचल: व्हाट?
समीर: (चिल्लाते हुए ) गो... गेट उप....
चंचल समीर के चिल्लाने से डर जाती है।
चंचल तुरंत उठ कर किचन में जाति है और कॉफ़ी बनाने लगती है। तभी समीर सोफे मैं लगे एक ड्रॉर से ड्रग्स निकालता है।
और उस ड्रग्स को अपने जेब मे रख लेता है। जब तक चंचल कफ बनाती है समीर उस दिन में एंटर हो जाता है जब चंचल की पहली मुलाकात समीर से होती है और वो एक ड्रिंक चंचल को आफर करता है। ये वही ड्रग था जो समीर एक बार चंचल को उस दिन उसकी मीटिंग के दौरान ड्रिंक में मिलाकर पिला चुका था। और उसी दिन दूसरी बार उसने खुद ड्रिंक आफर कर के चंचल को पिला दी थी। उस ड्रग के बाद चंचल की सेक्स डिजायर बढ़ चुकी थी। जिसके कारण से चंचल और सुरेश में झगड़ा हुआ था। लेकिन अभी तक चंचल को इस बात का एहसास नही हुआ था।
करीब 10 मिनट बाद चंचल दो कप कॉफ़ी बना कर समीर के सामने आ जाती है। चंचल दोनो कॉफ़ी के कप सोफे के सामने लगे टेबल पर रख कर सोफे ओर बैठ जाती है।
समीर : एक काम करो , फ्रीज़ में कुछ खाने को होगा ले आओ।
चंचल एक बार फिर से किचन की और चली जाती है और इसी दौरान समीर वो ड्रग चंचल की कॉफ़ी में मिला देता है लेकिन इस बार ड्रग की मात्रा थोड़ी ज्यादा थी। ये ड्रग aphrodisiac के नाम से जाना जाता है। जिसका हिंदी में मतलब है कामोद्दीपक। ये कई प्रकार की फॉर्म में मिलता है जैसे पीने के लिए, टेबलेट में, या फिर ट्यूब की तरह लगाने में या फिर परफ्यूम की फॉर्म में और तम्बाखू की फॉर्म में भी।
चंचल फ्रीज़ में बहुत देखती है लेकिन चंचल बियर और शराब के सिवा वहाँ पर और कुछ भी नज़र नहीं आता। जब समीर चंचल को खाली हाथ आते देखता है तो।
समीर: खाने को कुछ नही है फ्रीज़ में है ना। कोई बात नही आओ कॉफ़ी पी लो। फिर तुम्हे मैं एक ऐसी दुनिया मे लेकर जाऊंगा जो तुम्हारे इस मालिक की दुनिया है। पूरी तरह से प्लेज़र और आनंद से भरी हुई। कॉफ़ी जल्दी खत्म करो।
चंचल समीर के सामने सोफे पर बैठ कर कॉफ़ी पीने लगती है। चंचल के दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था जिस कारण से वो ठीक तरह से किसी एक बात पर विचार तक करने में पूरी तरह से असमर्थ थी।
चंचल और समीर दोनो की कॉफी खत्म जो जाती है। समीर अंदर ही अंदर बहुत खुश था। क्यों कि वो चंचल को ड्रग देने में सफल हो चुका था।
करीब 10 मिनट में दोनों कपनी कॉफ़ी खत्म कर देते है।
समीर चंचल को अपने साथ आने को बोल कर अपने कपड़ों की एक ड्रॉर खोलता है और कपड़े साइड के करके एक बटन दबाता है। बटन के दबते ही उसी दरवार के पीछे की दीवार किसी दरवाजे की तरह खुल जाती है। ये एक सीक्रेट कमरा था।
समीर अब ड्रॉर से दूर हट जाता है और चंचल को अंदर जाने को बोलता है। चंचल जैसे ही अंदर जाती है तो देखती है कि अंदर बहुत अंधेरा है। कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा। तभी समीर अंदर आता है और लाइट ऑन करता है। जैसे ही लाइट ऑन होती है चंचल चोंक जाती है।
ये कोई ख़ुफ़िया सुरंग वगैरा या कोई तहखाना नहीं था जहां कोई पुरानी पीढ़ी के राज़ दफ़न हो। ये तो बस एक साधारण सा कमरा था जिसमे कई ऐसे सामान रखे थे जिन्हें देख कर एक बार तो हर कोई चकरा जाए। दरअसल उस कमरे में अलग अलग किस्म और साइज के डिलडो,
सेक्स टॉयज, बी. ड़ी. एस. ऍम. के ट्रैप्स रखे थे।
रस्सी से लेकर हथकड़ी और कपड़ों से लेकर के जूतों तक।
वहीं दूसरी और कुछ बोतल भी थी। इन बोतलों में रखे पानी से ऐसे धुंआ निकल रहा था जैसे लैब कर कोई केमिकल हों। पास मैं कुछ हुक्के , अलग अलग रंग की मोमबत्तियां, तेल, इंजेक्शन्स, गद्दे, कैमरा और कैमरा स्टैंड, और भी बहुत कुछ जो लिखने बैठूंगा तो अगले तीन चार पन्ने उन्हें लिखने में ही भर जाएंगे।
चंचल के लिए ऐसा दृश्य पहली बार वास्तविकता में सामने आया था। किसी फिल्म में उसने कभी देखा हो तो मैं कह नही सकता। लेकिन वास्तविकता में किसी इंसान कर पास ये सब सामन उसने अपने जीवन भर पहली बार देखा था। उस सामान को देखते ही चंचल का दिल घबरा जाता है । चंचल अचानक से समीर की और देखती है।
समीर: डरो मत ! मैं जानता हूँ मेरी स्लेव इस सब से आसानी से गुजर सकती है। इसलिए इनमे से तुम्हारे काम का कुछ नहीं। ये तो मेरी उन स्लेव के लिए है जो तुम्हारी तरह मेरी अपनी नहीं है। अच्छा एक काम करो। बाहर एक सूटकेस है सोफे के पीछे उसे लेकर घर चली जाना। आज के बाद तुम वही पहनोगी जो मैं कहुंगा और वही खाओगी जिसके लिए तुम्हे मेरी इजाज़त होगी। अगर उसके अलावा कुछ किया तो ध्यान रखना तुम्हे उसकी पनिशमेंट मिलेगी। और पनिशमेंट ऐसी होगी जिसके बारे में तुम कभी सोच भी नहीं सकती।
चंचल एक टक समीर को देखती रह जाती है। लेकिन समीर बस मुस्कुराता हुआ चंचल को देखता रहता है। चंचल धीरे धीरे उस कमरे से बाहर निकल जाती है और समीर का बताया हुआ सूटकेस उठा कर घर निकल जाती है।
चंचल कपड़े बदल कर फिर से समीर के फार्महाउस की और निकल पड़ती है। चंचल कुछ देर बाद समीर के फार्महाउस पर जाकर डोर बेल बजाती है। समीर खुद आकर डोर खोलता है। समीर की नज़र जैसे ही चंचल पर पड़ती है समीर मुस्कुरा पड़ता है।
समीर: आज से तुम मेरी स्लेव हुई। अब तुम्हे वो हर काम करना होगा जो मैं तुमसे कहूंगा। मंज़ूर है।
चंचल: जब तुम्हारी स्लाव बन ही गयी हूँ तो मुझे सब मंज़ूर है।
समीर: आओ अंदर आओ। आज तुम्हे में तुम्हारे मालिक की असली दुनिया से रूबरू करवाता हूँ। याद रखना यहां इस दुनिया मे आने वाला वापस अपनी दुनिया मे तब तक नहीं जा सकता जब तक वो खुद मालिक बनने की औकात नहीं रखता।
चंचल: मंज़ूर है। (चंचल समीर के साथ फार्महाउस में अंदर जाती है।)
अब आगे....
समीर: रुको
चंचल: अब क्या हुआ?
समीर: कुछ नहीं, चलो आ जाओ।
चंचल समीर के साथ अंदर आ जाती है। समीर चंचल को सोफे पर बैठने का इशारा करता है।
समीर: बोलो क्या लोगी। ठंडा या गर्म।
चंचल समीर के इस सवाल पर मुस्कुरा पड़ती है।
चंचल: : फिलहाल तो कॉफ़ी चलेगी।
समीर चंचल के सामने वाले सोफे पर बैठते हुए।
समीर: तो जाओ लेफ्ट में किचन है। दो कॉफ़ी बना कर ले आओ।
चंचल: व्हाट?
समीर: (चिल्लाते हुए ) गो... गेट उप....
चंचल समीर के चिल्लाने से डर जाती है।
चंचल तुरंत उठ कर किचन में जाति है और कॉफ़ी बनाने लगती है। तभी समीर सोफे मैं लगे एक ड्रॉर से ड्रग्स निकालता है।
और उस ड्रग्स को अपने जेब मे रख लेता है। जब तक चंचल कफ बनाती है समीर उस दिन में एंटर हो जाता है जब चंचल की पहली मुलाकात समीर से होती है और वो एक ड्रिंक चंचल को आफर करता है। ये वही ड्रग था जो समीर एक बार चंचल को उस दिन उसकी मीटिंग के दौरान ड्रिंक में मिलाकर पिला चुका था। और उसी दिन दूसरी बार उसने खुद ड्रिंक आफर कर के चंचल को पिला दी थी। उस ड्रग के बाद चंचल की सेक्स डिजायर बढ़ चुकी थी। जिसके कारण से चंचल और सुरेश में झगड़ा हुआ था। लेकिन अभी तक चंचल को इस बात का एहसास नही हुआ था।
करीब 10 मिनट बाद चंचल दो कप कॉफ़ी बना कर समीर के सामने आ जाती है। चंचल दोनो कॉफ़ी के कप सोफे के सामने लगे टेबल पर रख कर सोफे ओर बैठ जाती है।
समीर : एक काम करो , फ्रीज़ में कुछ खाने को होगा ले आओ।
चंचल एक बार फिर से किचन की और चली जाती है और इसी दौरान समीर वो ड्रग चंचल की कॉफ़ी में मिला देता है लेकिन इस बार ड्रग की मात्रा थोड़ी ज्यादा थी। ये ड्रग aphrodisiac के नाम से जाना जाता है। जिसका हिंदी में मतलब है कामोद्दीपक। ये कई प्रकार की फॉर्म में मिलता है जैसे पीने के लिए, टेबलेट में, या फिर ट्यूब की तरह लगाने में या फिर परफ्यूम की फॉर्म में और तम्बाखू की फॉर्म में भी।
चंचल फ्रीज़ में बहुत देखती है लेकिन चंचल बियर और शराब के सिवा वहाँ पर और कुछ भी नज़र नहीं आता। जब समीर चंचल को खाली हाथ आते देखता है तो।
समीर: खाने को कुछ नही है फ्रीज़ में है ना। कोई बात नही आओ कॉफ़ी पी लो। फिर तुम्हे मैं एक ऐसी दुनिया मे लेकर जाऊंगा जो तुम्हारे इस मालिक की दुनिया है। पूरी तरह से प्लेज़र और आनंद से भरी हुई। कॉफ़ी जल्दी खत्म करो।
चंचल समीर के सामने सोफे पर बैठ कर कॉफ़ी पीने लगती है। चंचल के दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था जिस कारण से वो ठीक तरह से किसी एक बात पर विचार तक करने में पूरी तरह से असमर्थ थी।
चंचल और समीर दोनो की कॉफी खत्म जो जाती है। समीर अंदर ही अंदर बहुत खुश था। क्यों कि वो चंचल को ड्रग देने में सफल हो चुका था।
करीब 10 मिनट में दोनों कपनी कॉफ़ी खत्म कर देते है।
समीर चंचल को अपने साथ आने को बोल कर अपने कपड़ों की एक ड्रॉर खोलता है और कपड़े साइड के करके एक बटन दबाता है। बटन के दबते ही उसी दरवार के पीछे की दीवार किसी दरवाजे की तरह खुल जाती है। ये एक सीक्रेट कमरा था।
समीर अब ड्रॉर से दूर हट जाता है और चंचल को अंदर जाने को बोलता है। चंचल जैसे ही अंदर जाती है तो देखती है कि अंदर बहुत अंधेरा है। कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा। तभी समीर अंदर आता है और लाइट ऑन करता है। जैसे ही लाइट ऑन होती है चंचल चोंक जाती है।
ये कोई ख़ुफ़िया सुरंग वगैरा या कोई तहखाना नहीं था जहां कोई पुरानी पीढ़ी के राज़ दफ़न हो। ये तो बस एक साधारण सा कमरा था जिसमे कई ऐसे सामान रखे थे जिन्हें देख कर एक बार तो हर कोई चकरा जाए। दरअसल उस कमरे में अलग अलग किस्म और साइज के डिलडो,
सेक्स टॉयज, बी. ड़ी. एस. ऍम. के ट्रैप्स रखे थे।
रस्सी से लेकर हथकड़ी और कपड़ों से लेकर के जूतों तक।
वहीं दूसरी और कुछ बोतल भी थी। इन बोतलों में रखे पानी से ऐसे धुंआ निकल रहा था जैसे लैब कर कोई केमिकल हों। पास मैं कुछ हुक्के , अलग अलग रंग की मोमबत्तियां, तेल, इंजेक्शन्स, गद्दे, कैमरा और कैमरा स्टैंड, और भी बहुत कुछ जो लिखने बैठूंगा तो अगले तीन चार पन्ने उन्हें लिखने में ही भर जाएंगे।
चंचल के लिए ऐसा दृश्य पहली बार वास्तविकता में सामने आया था। किसी फिल्म में उसने कभी देखा हो तो मैं कह नही सकता। लेकिन वास्तविकता में किसी इंसान कर पास ये सब सामन उसने अपने जीवन भर पहली बार देखा था। उस सामान को देखते ही चंचल का दिल घबरा जाता है । चंचल अचानक से समीर की और देखती है।
समीर: डरो मत ! मैं जानता हूँ मेरी स्लेव इस सब से आसानी से गुजर सकती है। इसलिए इनमे से तुम्हारे काम का कुछ नहीं। ये तो मेरी उन स्लेव के लिए है जो तुम्हारी तरह मेरी अपनी नहीं है। अच्छा एक काम करो। बाहर एक सूटकेस है सोफे के पीछे उसे लेकर घर चली जाना। आज के बाद तुम वही पहनोगी जो मैं कहुंगा और वही खाओगी जिसके लिए तुम्हे मेरी इजाज़त होगी। अगर उसके अलावा कुछ किया तो ध्यान रखना तुम्हे उसकी पनिशमेंट मिलेगी। और पनिशमेंट ऐसी होगी जिसके बारे में तुम कभी सोच भी नहीं सकती।
चंचल एक टक समीर को देखती रह जाती है। लेकिन समीर बस मुस्कुराता हुआ चंचल को देखता रहता है। चंचल धीरे धीरे उस कमरे से बाहर निकल जाती है और समीर का बताया हुआ सूटकेस उठा कर घर निकल जाती है।
बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html
[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
https://xossipy.com/thread-2651.html
Hawas ka ghulam
https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750
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[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
https://xossipy.com/thread-2651.html
Hawas ka ghulam
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