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लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत , किसी भी विषय पर जैसे ड्रेसिंग,
#54
तेरी पीरियड्स ठीक आ रहे हैं न,

मैं - .....................

 
प्रिय सहेलिओ 
मेरा प्यार भरा नमस्कार ,

"पीरियड्स" की बात आते ही, मैं शोकेड थी, अब क्या बोलो , क्या बात करू, हम माँ - बेटी की इस बारे मैं कभी कोई ज़्यदा बात चित नहीं हुई, बस माँ - "वो" दिन आ गए, दर्द हो रहा है, किचन से दूर , जैसे हम सब ने फेस किया है। 

माँ - अरि, बोल न, क्या हुआ, सब ठीक। 

मैं - हाँ माँ, वैसे तो सब ठीक, पर, दर्द होता है, कमर मैं, और निचे।

माँ - वो तो सबको होता हैं, तू बताती क्यों नहीं,

यही, यही तो वो बात हैं जो हम लड़किया किसी को नहीं बताती , ऊपर वाले ने भर भर के सहनशक्ति दी है, सब सहो, सबको सहो.

मैं - कभी बात ही नहीं हुई हमारी, इस बारे मैं. 

माँ - हम्म, अब मुझे लग रहा है, मैं भी इसी तरह बड़ी हो गई, शादी फिर बच्चे, जिम्मेदारी, घर मैं व्यस्त। न मेरी माँ ने कुछ कहा - समझा और न मैंने मेरी बेटी से , कितना कठिन हो जाता है अपनी बेटी के लिए समय निकलना , दो बाते  करना , दर्द मैं दिलासा देना।

मैं - माँ , क्या हुआ , क्या सोच रही हो, सब ठीक है.

माँ - आजा, मेरे पास, मेरा बच्चा। ..

और माँ , ने मुझे गले से लगा लिया, हम दोनों चुप थे बस दो दिलो की धड़कन सुनाइ दे रही थी.

करीब, ५ - ७ मिनिट के बाद हम अलग हुए तो माँ के आँख मैं आंसू थे , टपके नहीं, पर दिख रहे थे , फिर माँ बोली -

माँ - अब कुछ भी परेशानी हो, मुज़से आ कर बात करना , देख ज़िंदगी बहुत बड़ी है, बड़ी जिम्मेदारी सम्भालनी है, मैं हमेशा तेरे साथ नहीं रहूंगी। 

मैं- माँ, ऐसा क्यों बोलती हो, हम फिर चुप.

पीरियड्स की बारे मैं, आज भी हम चुप रहते हैं, माँ बस बता  देती है , ये ले , लगा लेना, ज्यादा उछाल कूद बंद,  किचन, मंदिर से दूर और तमाम हिदायाते। 

पर वो दर्द, परेशानी, अलग - थलग महसूस करना, चुप रहना, एकदम वो बचकानी हरकते बंद होना, खुद मैं बदलाव महसूस करना , किसी से न कह पाना,..........................

एक लड़की, जैसे मैंने महसूस क्या था , लिख दिया, हो सकता है, कुछ पाठीकाओ को सामान या अच्छा माहौल मिला होगा , कृपया कुछ शेयर करे , अगर चाहे तो.

माँ - तेरे पास "पैड्स " हैं, या ख़तम हो गए , 

मैं - है, माँ, अभी है, कुछ. चल जाएँगे अभी तो.

माँ - यही ले पैसे , कल और ले आना, और रखना।  इमरजेंसी मैं , रात को, जब दुकान न खुली हो , तब क्या करेगी। एक अपने साथ भी रखा कर , स्कूल / कालेज मैं क्या करेगी।  पागल लड़की। 

मैं [मन मैं ] - उफ़, यही, प्यार, और प्यार भरी डांट , लड़कियाँ तरस जाती हैं, सुनने को., हाँ  माँ , कल ले आउंगी बस.

माँ - चल, अब किचन मैं, खाने की तैयारी करनी है. 

मैं - हम्म, तुम चलो, मैं आती हूँ यह सब रख कर, अपनी ब्रा , पैंटी को समेटते हुए कहती हु.

माँ - अच्छा, ज्यादा देर मत लगाना। 

फिर माँ , रूम से बहार चली जाती है , मैं सोचती हु की, कितनी सारी  बाते जो हम नहीं पूछ पाते, और माँ बाता  नहीं पाती, कुछ देर से , कुछ परेशानी झेल कर कुछ ज़िंदगी सीखा देती है। ....

तभी , माँ की आवाज। ...... निहारिका ,औ  निहारिका 


इंतज़ार मैं। ........

आपकी निहारिका 


सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों,  आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका 
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RE: लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत , किसी भी विषय पर जैसे ड्रेसिंग, - by Niharikasaree - 08-04-2020, 12:29 AM



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