08-04-2020, 12:29 AM
(This post was last modified: 08-04-2020, 12:33 AM by Niharikasaree. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
तेरी पीरियड्स ठीक आ रहे हैं न,
मैं - .....................
प्रिय सहेलिओ
मेरा प्यार भरा नमस्कार ,
"पीरियड्स" की बात आते ही, मैं शोकेड थी, अब क्या बोलो , क्या बात करू, हम माँ - बेटी की इस बारे मैं कभी कोई ज़्यदा बात चित नहीं हुई, बस माँ - "वो" दिन आ गए, दर्द हो रहा है, किचन से दूर , जैसे हम सब ने फेस किया है।
माँ - अरि, बोल न, क्या हुआ, सब ठीक।
मैं - हाँ माँ, वैसे तो सब ठीक, पर, दर्द होता है, कमर मैं, और निचे।
माँ - वो तो सबको होता हैं, तू बताती क्यों नहीं,
यही, यही तो वो बात हैं जो हम लड़किया किसी को नहीं बताती , ऊपर वाले ने भर भर के सहनशक्ति दी है, सब सहो, सबको सहो.
मैं - कभी बात ही नहीं हुई हमारी, इस बारे मैं.
माँ - हम्म, अब मुझे लग रहा है, मैं भी इसी तरह बड़ी हो गई, शादी फिर बच्चे, जिम्मेदारी, घर मैं व्यस्त। न मेरी माँ ने कुछ कहा - समझा और न मैंने मेरी बेटी से , कितना कठिन हो जाता है अपनी बेटी के लिए समय निकलना , दो बाते करना , दर्द मैं दिलासा देना।
मैं - माँ , क्या हुआ , क्या सोच रही हो, सब ठीक है.
माँ - आजा, मेरे पास, मेरा बच्चा। ..
और माँ , ने मुझे गले से लगा लिया, हम दोनों चुप थे बस दो दिलो की धड़कन सुनाइ दे रही थी.
करीब, ५ - ७ मिनिट के बाद हम अलग हुए तो माँ के आँख मैं आंसू थे , टपके नहीं, पर दिख रहे थे , फिर माँ बोली -
माँ - अब कुछ भी परेशानी हो, मुज़से आ कर बात करना , देख ज़िंदगी बहुत बड़ी है, बड़ी जिम्मेदारी सम्भालनी है, मैं हमेशा तेरे साथ नहीं रहूंगी।
मैं- माँ, ऐसा क्यों बोलती हो, हम फिर चुप.
पीरियड्स की बारे मैं, आज भी हम चुप रहते हैं, माँ बस बता देती है , ये ले , लगा लेना, ज्यादा उछाल कूद बंद, किचन, मंदिर से दूर और तमाम हिदायाते।
पर वो दर्द, परेशानी, अलग - थलग महसूस करना, चुप रहना, एकदम वो बचकानी हरकते बंद होना, खुद मैं बदलाव महसूस करना , किसी से न कह पाना,..........................
एक लड़की, जैसे मैंने महसूस क्या था , लिख दिया, हो सकता है, कुछ पाठीकाओ को सामान या अच्छा माहौल मिला होगा , कृपया कुछ शेयर करे , अगर चाहे तो.
माँ - तेरे पास "पैड्स " हैं, या ख़तम हो गए ,
मैं - है, माँ, अभी है, कुछ. चल जाएँगे अभी तो.
माँ - यही ले पैसे , कल और ले आना, और रखना। इमरजेंसी मैं , रात को, जब दुकान न खुली हो , तब क्या करेगी। एक अपने साथ भी रखा कर , कॉलेज / कालेज मैं क्या करेगी। पागल लड़की।
मैं [मन मैं ] - उफ़, यही, प्यार, और प्यार भरी डांट , लड़कियाँ तरस जाती हैं, सुनने को., हाँ माँ , कल ले आउंगी बस.
माँ - चल, अब किचन मैं, खाने की तैयारी करनी है.
मैं - हम्म, तुम चलो, मैं आती हूँ यह सब रख कर, अपनी ब्रा , पैंटी को समेटते हुए कहती हु.
माँ - अच्छा, ज्यादा देर मत लगाना।
फिर माँ , रूम से बहार चली जाती है , मैं सोचती हु की, कितनी सारी बाते जो हम नहीं पूछ पाते, और माँ बाता नहीं पाती, कुछ देर से , कुछ परेशानी झेल कर कुछ ज़िंदगी सीखा देती है। ....
तभी , माँ की आवाज। ...... निहारिका ,औ निहारिका
मैं - .....................
प्रिय सहेलिओ
मेरा प्यार भरा नमस्कार ,
"पीरियड्स" की बात आते ही, मैं शोकेड थी, अब क्या बोलो , क्या बात करू, हम माँ - बेटी की इस बारे मैं कभी कोई ज़्यदा बात चित नहीं हुई, बस माँ - "वो" दिन आ गए, दर्द हो रहा है, किचन से दूर , जैसे हम सब ने फेस किया है।
माँ - अरि, बोल न, क्या हुआ, सब ठीक।
मैं - हाँ माँ, वैसे तो सब ठीक, पर, दर्द होता है, कमर मैं, और निचे।
माँ - वो तो सबको होता हैं, तू बताती क्यों नहीं,
यही, यही तो वो बात हैं जो हम लड़किया किसी को नहीं बताती , ऊपर वाले ने भर भर के सहनशक्ति दी है, सब सहो, सबको सहो.
मैं - कभी बात ही नहीं हुई हमारी, इस बारे मैं.
माँ - हम्म, अब मुझे लग रहा है, मैं भी इसी तरह बड़ी हो गई, शादी फिर बच्चे, जिम्मेदारी, घर मैं व्यस्त। न मेरी माँ ने कुछ कहा - समझा और न मैंने मेरी बेटी से , कितना कठिन हो जाता है अपनी बेटी के लिए समय निकलना , दो बाते करना , दर्द मैं दिलासा देना।
मैं - माँ , क्या हुआ , क्या सोच रही हो, सब ठीक है.
माँ - आजा, मेरे पास, मेरा बच्चा। ..
और माँ , ने मुझे गले से लगा लिया, हम दोनों चुप थे बस दो दिलो की धड़कन सुनाइ दे रही थी.
करीब, ५ - ७ मिनिट के बाद हम अलग हुए तो माँ के आँख मैं आंसू थे , टपके नहीं, पर दिख रहे थे , फिर माँ बोली -
माँ - अब कुछ भी परेशानी हो, मुज़से आ कर बात करना , देख ज़िंदगी बहुत बड़ी है, बड़ी जिम्मेदारी सम्भालनी है, मैं हमेशा तेरे साथ नहीं रहूंगी।
मैं- माँ, ऐसा क्यों बोलती हो, हम फिर चुप.
पीरियड्स की बारे मैं, आज भी हम चुप रहते हैं, माँ बस बता देती है , ये ले , लगा लेना, ज्यादा उछाल कूद बंद, किचन, मंदिर से दूर और तमाम हिदायाते।
पर वो दर्द, परेशानी, अलग - थलग महसूस करना, चुप रहना, एकदम वो बचकानी हरकते बंद होना, खुद मैं बदलाव महसूस करना , किसी से न कह पाना,..........................
एक लड़की, जैसे मैंने महसूस क्या था , लिख दिया, हो सकता है, कुछ पाठीकाओ को सामान या अच्छा माहौल मिला होगा , कृपया कुछ शेयर करे , अगर चाहे तो.
माँ - तेरे पास "पैड्स " हैं, या ख़तम हो गए ,
मैं - है, माँ, अभी है, कुछ. चल जाएँगे अभी तो.
माँ - यही ले पैसे , कल और ले आना, और रखना। इमरजेंसी मैं , रात को, जब दुकान न खुली हो , तब क्या करेगी। एक अपने साथ भी रखा कर , कॉलेज / कालेज मैं क्या करेगी। पागल लड़की।
मैं [मन मैं ] - उफ़, यही, प्यार, और प्यार भरी डांट , लड़कियाँ तरस जाती हैं, सुनने को., हाँ माँ , कल ले आउंगी बस.
माँ - चल, अब किचन मैं, खाने की तैयारी करनी है.
मैं - हम्म, तुम चलो, मैं आती हूँ यह सब रख कर, अपनी ब्रा , पैंटी को समेटते हुए कहती हु.
माँ - अच्छा, ज्यादा देर मत लगाना।
फिर माँ , रूम से बहार चली जाती है , मैं सोचती हु की, कितनी सारी बाते जो हम नहीं पूछ पाते, और माँ बाता नहीं पाती, कुछ देर से , कुछ परेशानी झेल कर कुछ ज़िंदगी सीखा देती है। ....
तभी , माँ की आवाज। ...... निहारिका ,औ निहारिका
इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका