Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत , किसी भी विषय पर जैसे ड्रेसिंग,
#51
मैं - हाँ , माँ 


माँ- जरा पहन कर  दिखा तेरी नई  ब्रा। ...

..............................

प्रिय सहेलिओं ,

निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,

आम तोर पर इस देश मन लड़की को परायी अमानत और बेटे से कम समझा जाता रहा है , सहन करना , चुप रहना , जिद न करना, बात मान लेना, "उन दिनों" मैं तो क्या कहना जैसे गुनाह  - ऐ  - अज़ीम हो गया हो  और भी कई समझौते जो जवानी से आगे पूरी जिंदिगी चलते  रहते है.

माँ और बेटी के बीच घर के काम और बातचीत जो और जब माँ चाहे  ही होती है , माँ - एक दोस्त या सहेली तरह तो वो लड़की के शादी के बाद और खुलती तो लड़की के बच्चा होने के बाद ही है.

जब लड़की को सबसे जायदा जरुरत होती है माँ की, टीन ऐज  मैं तब बाते काम तकरार जायदा, लड़की को डर, संकोच , उम्मीद सब माँ से ही होता है, बाकि परिवार के लिए लड़की बस लड़की होती है.

माँ - ने कहा , जरा पहन कर दिखा। ...

मैं - खुश हुइ मैं, जल्दी से बाथरूम मैं जा कर , कुर्ती उतारी, पुरानी ब्रा व् समीज़ भी निकल फेंकी, नहीं ब्रा को हाथ  मैं लिया कौन सी पेहेनू , रेड , ब्लैक हम्म्म, रेड ही पेहेन लेती हु.

इधर , माँ ने खिड़की दरवाजा सब बंद कर दिया था, जो मैं भूल गई थी. माँ आखिर माँ ही होती है.

बाथरूम का दरवाजा धीमे  से  खोल के देखा , सब बंद उफ़, माँ कितना ध्यान रखती है 

माँ - आ  जा , वही रहने का इरादा है 

मैं - नहीं ,आ गई , माँ कैसे है 

माँ - हाय , नज़र न लगे मेरी बेटी को, आज लग रहा है बेटी कब बड़ी हो जाती है, पता ही नहीं चलता 

मैं - शर्मा कर, माँ , अभी कहाँ बड़ी हुई। 

माँ - घर - मैं फंस कर, सुबह से शाम कैसे हो जाती है पता ही नहीं चलता , जिम्मेदारी और काम निभतएते चलो.

बेटी , होना तो ये चाइये था की मैं खुद जाकर तुझे तेरी ज़रूरत का सामान दिलवती बाजार से, पर घर मैं ही फसी रह गई, बेटी को इग्नोर कर दिया, बस काम मैं हाथ बटा  दे काम कुछ हल्का हो जाए और बेटी कुछ सिख जाए जिससे आगे लेकर जाकर उसे परेशानी न हो, सबको खुश रखे ससुराल मैं , हर माँ की यही सोच रहती है पर मैं ये भूल गई की माँ - बेटी का रिश्ता अटूट होता है और उसे एक सहेली की तरह पेश आना चाहिए। 

मैं - माँ के पास बैठ गई , उनके कंधे पे सर रख के , थोड़ी उदास हो कर,

तभी माँ ने कहा , आरी उदास क्यों होती है, और प्यार से सर पर हाथ फेरा कहा, उठ और दूसरी ब्रा दिखा पहन के। 

मैं - है , माँ 

माँ - हम्म, ले ये पिंक वाली ले 

मैं - मैंने पिंक वाली ली और बाथरूम मैं जाने लगी, तभी माँ ने रोका , कहा यही चेंज कर ले , माँ से कुछ छुपा नहीं है

मैं - मैं , शर्मा के , अच्छा माँ , और मैं ब्रा उतार दी और दूसरी पहनने लगी, 

माँ - तेरे स्तन तो ठीक हैं, कोई दर्द, या गांठ तो नहीं ध्यान रखना आगे दूध बनने मैं कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए, जिंदगी व् जिम्मेदारी  बहुत लम्बी होती है औरत के लिए.

मैं - नहीं, माँ अब तक तो सब ठीक है , थोड़ा रुक कर। ... आखिर पूछ ही लिया माँ से। ....

मैं - माँ, मेरे और कितने बड़े होंगे , तुम्हरे जैसे हो जायेंगे क्या ?

माँ - हंसती  है, और कहती है , पागल अभी से कहाँ , है अभी तो तेरा साइज क्या है, 

मैं - ३२ 

माँ - हम्म, ३६ तक तो हो ही जायेंगे , ठीक से खाया कर , जरूरी है। 

मैं -सोच रही थी, ब्रा पहनते हुए, कितना जरूरी है एक माँ - बेटी की आपसी बातचीत , कितने सवाल का जबाब आसानी से मिल जाता है, माँ से। 

फिर , पिंक वाली ब्रा दिखाते हुए, माँ कैसी है ये वाली 

माँ - हम्म, एकदम मस्त, फब रही है तुज पे. वैसे भी पिंक कलर तो लड़कियों का होता है.

मैंने - फिर पानी घर की कुर्ती पहन ली और , हम माँ बेटी ने कुछ देर और बात करि, बातो ही बातो मैं , माँ ने कहा, तेरी पीरियड्स ठीक आ रहे हैं न,
मैं - .....................

इंतज़ार मैं। ........

आपकी निहारिका 


सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों,  आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका 
[+] 1 user Likes Niharikasaree's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत , किसी भी विषय पर जैसे ड्रेसिंग, - by Niharikasaree - 06-04-2020, 10:59 PM



Users browsing this thread: 14 Guest(s)