06-04-2020, 04:33 PM
(06-04-2020, 11:50 AM)komaalrani Wrote: क्या बात कह दी आपने , एक जान के अंदर दूसरी जान , और उस जान के अंदर हमारी जान , सच में इस फीलिंग को एक औरत ही महसूस कर सकती है पर बयान आप जैसे लेखिका ही क्र सकती है , इन लाइनों पर तो मेरी पूरी कहानी न्योछावर , ...हाँ जवाब देने में कभी कभी देर हो जाती है , तो प्लीज बुरा मत मानियेगा , बस , वही वर्क फ्रॉम होम ,... और थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी कभी भी , ... वाली बात , न दिन न रात ,...
"सच में इस फीलिंग को एक औरत ही महसूस कर सकती है पर बयान आप जैसे लेखिका ही क्र सकती है , इन लाइनों पर तो मेरी पूरी कहानी न्योछावर , "
कोमल जी,
शुक्रिया, मेरे पास शब्द नहीं है, आपका धन्यवाद् करने के लिए , यह तो एक फीलिंग थी जो बयां कर दी।
यह, फीलिंग तो हर औरत की होती है, वो दिन , जब हम सोते है, जागते है, एक उम्मीद, आशा बच्चा कैसा होगा , कैसा दिखेगा , सुन्दर होगा, किसपे जायेगा और न जाने जितनी बाते जो हम अपने आप से ही कर लेते हैं.
"इन लाइनों पर तो मेरी पूरी कहानी न्योछावर" इसका कोई जवाब नहीं, यह तो लाजवाब है , एक एहसास जो सिर्फ एक औरत ही मेहसूस कर सकती है.
आपके शब्दों की कायल। ...
इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका