04-04-2020, 10:03 PM
तभी ------ सहेली ने कहा, आरी कहाँ भागी जा रही है , यार कुछ खिला दे। ........ भूक लग रही है। ....
मैं - अच्छा जी, क्या खाना है,
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अब आगे ,
मैं - कहाँ चले , क्या खाना है जी ?
सहेली - देख , तेरी पहली ब्रा की पार्टी देनी होगी तुझे।
मैं - हैं जी, अच्छा जी , पार्टी का बहाना मिल गया तुझे , अच्छा क्या खाएगी ?
सहेली - वो ही, लड़किओं की पहेली पसंद - गोलगप्पे , दही बड़े , और कला खट्टा।
मैं - अच्छा जी, अब चले या यही, खड़े -खड़े सपनो मैं खानी है ये सब चीज़े।
सहेली और मैं , जल्दी से एक गोलगप्पे वाली के पास आ गए ,
उफ़, आज भी गोलगप्पे का नाम लेते ही मुँह मैं पानी आ जाता है. मैं आज भी गोलगप्पे नहीं छोड़ती जब भी बाजार जाना हो तब एक - दो राउंड हो ही जाते हैं
सहेली - आरी बोल ना , तू क्या खाने वाली है, भैया , जल्दी से गोलगप्पे खिला दो , हाँ खट्टा व् मिर्ची तेज़ होनी चाहिए।
मैं - हाँ, भइया , सही कहा, वैसे आपके गोलगप्पे मार्किट मैं सबसे टेस्टी होते हैं.
सहेली - हम्म, अब खिला भी दो.
यहाँ, पर मैं सभी महिला मित्रो से गुंजारिश करुँगी की, कुछ कहे गोलगप्पे के स्वाद के बारे मैं, एक अलग ही मज़ा आता है , खट्टा, तीखा , प्याज़ व् मसाले के साथ गोलगप्पे का पानी,
कुछ देर बाद सी। .. सी... सी..... करते हुए और खाना फिर बस भइया , पर मन मैं और खाने की इच्छा पर खुद को कण्ट्रोल करते हुए , मना ही लेना। ...
पर , आखिर मैं, सुखी पपड़ी का इंतज़ार वो भी नमक लगा के। ..........
क्यों , आ गया मुह मैं पानी, गोलगप्पे के स्वाद का.
हम्म, गोलगप्पे के स्वाद के साथ आगे बढ़ते हैं, हमने सभी चीज़े खा ली, सहेली खुश हो गई, बोली यार, मज़ा आ गया।
मैं - अब घर , गया तेरा।
सहेली - हाँ जी, घर चल के मार जो कहानी हैं,ऑन्टी से। ....
मैं - क्यों ,
सहेली - पागल, भूल गई , ब्लाउज और फॉल साड़ी की.
मन - उफ़, सच मैं , मैं तो एकदम भूल ही गई थी, ब्लाउज और फॉल के बारे में , मैंने कहा चल जल्दी कर, ब्लाउज लेते हैं.
फिर, हम एक दुकान पर पुहंची , ब्लाउज व् फॉल ले कर, बिना बार्गेन , न बाबा कुछ तो कम करवाना ही है, आखिर औरतो की नाक का सवाल है.
अब मुज़से नहीं रुका जा रहा था मार्किट मैं, सब दुकानों को नज़रअंदाज करते हुए , सीधा घर का रास्ता पकड़ लिया , मन मैं सोच रही थी, रेड ब्रा मैं कैसे लगूंगी , पिंक कैसे होगी, ब्लैक तो सब ड्रेस मैं चल जाती यही सोच कर ली थी, पर लाइट कलर की ड्रेस मैं ब्लैक तो साफ़ दिखेगी , कोई नहीं वाइट भी तो है, .......
सहेली - निहारिका , कहाँ खो गई, बोल न,
मैं - हम्म, कुछ नहीं रे, बहुत लेट हो गए , शॉपिंग मैं, फिर हम घर पहुंच गए,
माँ - आ गयी, देर लगा दी , निहारिका।
मैं - माँ , वो ब्लाउज व् फॉल भी तो लिया ना , और कुछ खाने मैं, ये गई थी न साथ मैं, भुक्कड़ , इसको तो गोलगप्पे बस दिखने चाहिए एकदम बच्चो जैसा ज़िद करि है।
माँ, - अच्छा बाबा , लाओ ब्लाउज और फॉल दो , कह कर माँ , ने प्लास्टिक बैग ले लिया ,
मेरी जान, फिर हलक मैं , उफ़, इसमें तो ब्रा और पैंटी भी हैं, कही माँ ने देख लिया तो,
और मैं ने देख ही लिया। .....
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इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका