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लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत , किसी भी विषय पर जैसे ड्रेसिंग,
#45
तभी ------ सहेली ने कहा, आरी कहाँ भागी जा रही है , यार कुछ खिला दे। ........ भूक लग रही है। ....


मैं - अच्छा जी, क्या खाना है, 

..............................

अब आगे , 

मैं - कहाँ चले , क्या खाना है जी ?

सहेली - देख , तेरी पहली ब्रा की पार्टी देनी होगी तुझे।

मैं -  हैं जी, अच्छा जी , पार्टी का बहाना मिल गया तुझे , अच्छा क्या खाएगी ?

सहेली - वो ही, लड़किओं की पहेली पसंद - गोलगप्पे , दही बड़े , और कला खट्टा। 

मैं - अच्छा जी, अब चले या यही, खड़े -खड़े सपनो मैं खानी है ये सब चीज़े। 

सहेली और मैं , जल्दी से एक गोलगप्पे वाली के पास आ गए , 

उफ़, आज भी गोलगप्पे का नाम लेते ही मुँह मैं पानी आ जाता है.  मैं आज भी गोलगप्पे नहीं छोड़ती जब भी बाजार जाना हो तब एक - दो राउंड हो ही जाते हैं 

सहेली - आरी बोल ना , तू क्या खाने वाली है, भैया , जल्दी से गोलगप्पे खिला दो , हाँ खट्टा व् मिर्ची तेज़ होनी चाहिए। 

मैं - हाँ, भइया , सही कहा, वैसे आपके गोलगप्पे मार्किट मैं सबसे टेस्टी होते हैं. 

सहेली - हम्म, अब खिला भी दो.

यहाँ, पर मैं सभी महिला मित्रो से गुंजारिश करुँगी की, कुछ कहे गोलगप्पे के स्वाद के बारे मैं, एक अलग ही मज़ा आता है , खट्टा, तीखा , प्याज़ व् मसाले के साथ गोलगप्पे का पानी, 

कुछ देर बाद सी। .. सी... सी..... करते हुए और खाना फिर बस भइया , पर मन मैं और खाने की इच्छा पर खुद को कण्ट्रोल करते हुए , मना  ही लेना। ...

पर , आखिर मैं, सुखी पपड़ी का इंतज़ार वो भी नमक लगा के। ..........

क्यों , आ गया मुह मैं पानी, गोलगप्पे के स्वाद का.

हम्म, गोलगप्पे के स्वाद के साथ आगे बढ़ते हैं, हमने सभी चीज़े खा ली, सहेली खुश हो गई, बोली यार, मज़ा आ गया। 

मैं - अब घर , गया तेरा।  

सहेली - हाँ जी, घर चल के मार जो कहानी हैं,ऑन्टी  से। ....

मैं  - क्यों , 

सहेली - पागल, भूल गई , ब्लाउज और फॉल साड़ी की.

मन - उफ़, सच मैं , मैं तो एकदम भूल ही गई थी, ब्लाउज और फॉल के बारे में , मैंने कहा चल जल्दी कर, ब्लाउज लेते हैं.

फिर, हम एक दुकान पर पुहंची , ब्लाउज व् फॉल ले कर, बिना बार्गेन , न बाबा कुछ  तो कम करवाना ही है, आखिर औरतो की नाक का सवाल है. 

अब मुज़से नहीं रुका जा रहा था मार्किट मैं, सब दुकानों को नज़रअंदाज करते हुए , सीधा घर का रास्ता पकड़ लिया , मन मैं सोच रही थी, रेड ब्रा मैं कैसे लगूंगी , पिंक कैसे होगी, ब्लैक तो सब ड्रेस मैं चल जाती यही सोच कर ली थी, पर लाइट कलर की ड्रेस मैं ब्लैक तो साफ़ दिखेगी , कोई नहीं वाइट भी तो है, .......

सहेली - निहारिका , कहाँ खो गई, बोल न, 

मैं -  हम्म, कुछ नहीं रे, बहुत लेट हो गए , शॉपिंग मैं, फिर हम घर पहुंच गए, 

माँ - आ गयी, देर लगा दी , निहारिका। 

मैं - माँ , वो ब्लाउज व् फॉल भी तो लिया ना , और कुछ खाने मैं, ये गई थी न साथ मैं, भुक्कड़ , इसको तो गोलगप्पे बस दिखने चाहिए एकदम बच्चो जैसा ज़िद करि है। 

माँ, - अच्छा बाबा , लाओ ब्लाउज और फॉल दो , कह कर माँ , ने प्लास्टिक बैग ले लिया , 

मेरी जान, फिर हलक मैं , उफ़, इसमें तो ब्रा और पैंटी भी हैं, कही माँ ने देख लिया तो, 
 और मैं ने देख ही लिया। .....
..............................................

इंतज़ार मैं। ........

आपकी निहारिका 


सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों,  आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका 
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RE: लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत , किसी भी विषय पर जैसे ड्रेसिंग, - by Niharikasaree - 04-04-2020, 10:03 PM



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