03-04-2020, 04:31 PM
(This post was last modified: 06-08-2021, 09:16 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
इनकी साली
सिर्फ दो लोगों का फोन वो हमेशा उठा लेते हैं एक तो मम्मी का ,और मम्मी का मेसेज इत्ती रात को वो भी इनके फोन पे ,
उन्होंने फोन मुझे पास कर दिए ,
………….
हूँ , उसी दूसरे का फोन था ,इनकी साली , नया नया जीजा साली का असली रिश्ता बना था , रीनू , मेरी मंझली बहन ,
मुझसे थोड़ी ही बड़ी।
मेसेज था , जीजू स्काइप पे आओ न , तुरंत।
और बिना लंड बाहर निकाले उन्होंने स्काइप आन कर दिया।
उधर मेरी दोनों बहने थी चीनू और रीनू और दोनों जीजू कमल और अजय , और इधर मैं और वो।
चुदाई उधर भी जबरदस्त चल रही थी ,
चीनू की सैंडविच बनी थी ,
कमल जीजू अपनी बीबी की गांड में और अजय जीजू बड़ी साली की बुर में।
यही दिखाने के लिए रीनू ने स्काइप आन करवाया था।
उन के और रीनू के बीच मस्ती चालू हो गयी ,
काठमांडू से लौटने के बाद की बात , ये उससे कम से कम हफ्ते भर रुकने के लिए बोल रहे थे ,
मैं तो दो बार झड़ चुकी थी थकी भी बहुत थी पर बिचारे ये ,
मजा तो इन्होने भी पूरा लिया था पर बिना झड़े ,
मेरा भी सच पूछिए तो प्लानिंग यही थी की अब इनके लंड का पानी सीधे मेरी ननद कम सौत की देह के अंदर जाय।
और यही हुआ।
भला हो इंटरेनट कनेक्शन वालों का ,घंटे भर में डिस्कनेक्ट हो गया ,
तब तक नीचे घंटी बजी।
उन के कड़े अनझड़े,लंड को मुठियाती मैं मुस्करा के बोली ,
" जाओ , कलावती होगी , खोल दो न, बिचारी जाने कब से ,... । "
वो नीचे गए, और मैं नींद की गोद में।
कब लौट कर आये,
नीचे उन्होंने क्या खोला , क्या किया पता नहीं
लेकिन मेरी नींद आठ बजे खुली जब बेड टी के साथ इन्होने जगाया।
इनके मायके का एक और दिन शुरू हो गया था।
सिर्फ दो लोगों का फोन वो हमेशा उठा लेते हैं एक तो मम्मी का ,और मम्मी का मेसेज इत्ती रात को वो भी इनके फोन पे ,
उन्होंने फोन मुझे पास कर दिए ,
………….
हूँ , उसी दूसरे का फोन था ,इनकी साली , नया नया जीजा साली का असली रिश्ता बना था , रीनू , मेरी मंझली बहन ,
मुझसे थोड़ी ही बड़ी।
मेसेज था , जीजू स्काइप पे आओ न , तुरंत।
और बिना लंड बाहर निकाले उन्होंने स्काइप आन कर दिया।
उधर मेरी दोनों बहने थी चीनू और रीनू और दोनों जीजू कमल और अजय , और इधर मैं और वो।
चुदाई उधर भी जबरदस्त चल रही थी ,
चीनू की सैंडविच बनी थी ,
कमल जीजू अपनी बीबी की गांड में और अजय जीजू बड़ी साली की बुर में।
यही दिखाने के लिए रीनू ने स्काइप आन करवाया था।
उन के और रीनू के बीच मस्ती चालू हो गयी ,
काठमांडू से लौटने के बाद की बात , ये उससे कम से कम हफ्ते भर रुकने के लिए बोल रहे थे ,
मैं तो दो बार झड़ चुकी थी थकी भी बहुत थी पर बिचारे ये ,
मजा तो इन्होने भी पूरा लिया था पर बिना झड़े ,
मेरा भी सच पूछिए तो प्लानिंग यही थी की अब इनके लंड का पानी सीधे मेरी ननद कम सौत की देह के अंदर जाय।
और यही हुआ।
भला हो इंटरेनट कनेक्शन वालों का ,घंटे भर में डिस्कनेक्ट हो गया ,
तब तक नीचे घंटी बजी।
उन के कड़े अनझड़े,लंड को मुठियाती मैं मुस्करा के बोली ,
" जाओ , कलावती होगी , खोल दो न, बिचारी जाने कब से ,... । "
वो नीचे गए, और मैं नींद की गोद में।
कब लौट कर आये,
नीचे उन्होंने क्या खोला , क्या किया पता नहीं
लेकिन मेरी नींद आठ बजे खुली जब बेड टी के साथ इन्होने जगाया।
इनके मायके का एक और दिन शुरू हो गया था।