03-04-2020, 04:22 PM
(This post was last modified: 06-08-2021, 08:34 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
देह का सावन
इसी बीच उन्होने तूफानी चुदाई के साथ तिहरा हमला बोल दिया ,
उनके होंठ मेरे निपल चूस रहे थे ,चूँची काट रहे थे ,
उंगलिया मेरी क्लीट मसल रही थीं ,रगड़ रही थीं
और लंड हर धक्के में सीधे मेरी बच्चेदानी पे ,
चार पांच मिनट के अंदर मैं झड़ने लगी ,
मैं काँप रही थी , झूम रही थी सावन के बादलों की तरह ,
उनकी चुदाई की रफ़्तार थोड़ी कम हो गयी लेकिन रुकी नहीं
और जब मेरा झड़ना रुका तो एक बार फिर वो फुल टेम्पो पर.
लेकिन कुछ ही देर में उन्होंने मुझे निहुरा कर कुतीया बना दिया।
ठीक ही किया।
क्या कातिक में देसी कुतिया गरमाती होगी ,
जिस तरह से मैं गरमा रही थी ,
चुदवासी हो रही थी।
और वो भी निहुरा के मुझे ,धक्के पे धक्का , और हर धक्का सीधे बच्चेदानी पर।
उनके दोनों हाथ मेरे मोटे मोटे चूतड़ों पर ,
क्या मजा आ रहा था चुदाई का , खुली खिड़की से सावन की ठंडी हवा आ रही थी।
मैंने जोर से तकिये को दबोच रखा था ,
निहुरि हुयी ,झुकी हुयी मैं उनके जबरदंग धक्कों का जवाब धक्के से,साथ में
" मादरचोद , कहाँ से इत्ता मोटा मूसल जैसा लंड पाया तूने ,
तेरी माँ का भोंसड़ा मारुं , गदहे से चोदवा के की घोड़े से चोदवा के तुझे जाना जना , अरे रंडी की औलाद,
हराम जादे ,अरे जिस छिनार के भोंसडे से निकला है उसी भोंसडे में तेरा ये मोटा लण्ड पिलवाउंगी , मादरचोद। "
और इन गालियों का जो असर मैं सोच रही थी , वही हुआ।
गालियों से खास कर माँ बहन की गालियों से इनका जोश दस गुना हो जाता है।
जैसे कोई धुनिया रुई धुनें उसी तरह वो मुझे धुन रहे थे ,
चोदने के साथ साथ मेरी चूँचियों की रगड़ाई , गाल काटना , बुर के ऊपर ऊँगली से रगड़ना ,क्लिट की मसलाई ,
नतीजा ये हुआ की ७-८ मिनट मैं फिर झड़ने के कगार पे पहुँच गयी।
तीन का घंटा कहीं दूर बजा।
मेरी देह की हालत ये मुझसे जानते थे ,बस कस कस कर अंगूठे और तर्जनी के बीच उन्होंने क्लिट की ये मसलाई शुरू की
कि ,मैं झड़ने लगी , झड़ती रही ,झड़ती रही ,
इनका सुपाड़ा सीधे मेरी बच्चेदानी पर ,
पर कुछ देर के लिए इन्होने भी धक्के मारने बंद कर दिए।
मैं थक भी गयी थी ,जब मेरा झड़ना रुका तो फिर एक दो मिनट रुक कर ,हलके हलके धक्के उन्होंने शुरू किये।
लगा मुझे की मैं सावन के झूले का मजा ले रही हूँ , और वो पेंग लगा रहे हैं ,
साजन सजनी
देह का सावन
बुरा हो मोबाइल बनाने वालों का ,
इनके फोन की घंटी बजी ,
वैसे तो इस हालत में वो किसी का फोन नहीं उठाते लेकिन उन्होने फोन उठा लिया ,मेसेज था।
सिर्फ दो लोगों का फोन वो हमेशा उठा लेते हैं एक तो मम्मी का ,और मम्मी का मेसेज इत्ती रात को वो भी इनके फोन पे ,
उन्होंने फोन मुझे पास कर दिए ,