03-04-2020, 02:22 PM
(This post was last modified: 03-04-2020, 02:26 PM by Niharikasaree. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैं, जैसे सपने मैं थी , डी कप ब्रा के, उसकी आवाज़ सुन के एकदम झटके से बहार आयी।
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दुकानवाला - मैडम जी, आपसे जायदा तो लेंगे नहीं , आगे भी तो बुलाना है, मगर, आपने पैंटी तो ले ही नहीं।
मैं - उफ़, ये ही बाकि था , अब.
हाँ, भइया मैं बोलने ही वाली थी,
तभी मेरी सहेली , मेरी और देख कर हंस देती है, धीरे से.
दुकानवाला - साइज मैडम, पैंटी का।
मैं - भइया - मीडियम चलेगा।
लिजीए, मैडम, मेरे सामने बॉक्सेस रखता हुआ बोला , ये शानदार , कम्फर्टेबल पीस है, कॉटन मैं, गर्मी मैं तकलीफ नहीं होगी। यह देखिये , पूरा सपोर्ट है, बीच मैं, "हर" दिन के लिए।
वो पैंटी के बीच के हिस्से को दीखाते हुए बोला , मैं शरम से लाल हुई जा रही थी.
मैं - ठीक है , ये भी दे दीजिये , २ पीेस , फिर कुछ रुक कर। ..... हम्म, ४ कर दीजिये डार्क कलर मैं.
फिर, वो कछ नहीं बोला , ब्रा और आपन्ति सब पैक कर दिए और हिसाब लगाने लगा ,
मैडम, आप को ९७५/- देना है,
मैं - उफ़, इतना जायदा ,
तभी सहेली बोली , भइया कुछ डिस्काउंट तो देना ही होगा , देखो आपके कहने से हमने नयी कम्पनी कीे ब्रा ली है , हम फर्स्ट कस्टमर है सो डीसकॉउन्ट तो बनता ही है, ......
दुकानवाला - हँसते हुए, मैडम, ठीक कहा आपने, वीएस भी आप तो पुराने ग्राहकः हैं, आपको नाराज थोड़ी करना है.
ऐसे कीजिये , ८५० दे दीजिये ,
सहेली - बिलकुल नहीं , ८००, बस
मैं - मन मैं सोच रही थी, ८५०, दे कर चालू यहाँ से, घर जा कर ब्रा पहनुंगी , और वो लडे जा रही थी. ... फिर मैं बोली , भइया प्लीज, आगे भी आपसे ही लेना है, जरुरत का सामान , आना जाना लगा ही रहेगा, देख लीजिये।
दुकानवाला - मैडम, आप इतना कह रही हैं तो ठीक है, आप मुज़ से ही सारा सामान लेंगी , दूसरी दुकान से नहीं, हमारी रेट और क्वालिटी बढ़िया है.
मैं - जी
फिर हमने , ८०० रुपए दिए और , भागे वहां से। ....... मैं घर की और चल दी। ...... मुझे तो ब्रा पहनने की जल्दी हो रही थी.
तभी ------ सहेली ने कहा, आरी कहाँ भागी जा रही है , यार कुछ खिला दे। ........ भूक लग रही है। ....
मैं - अच्छा जी, क्या खाना है,
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मैं उसको देख नहीं पा रही थी, वो मेरे बूब्स देख रहा था , मैंने अपना आँचल ठीक किया , [ हम लड़कियों को न जाने कैसे पता चल जाता है की अगला इंसान कहा देख रहा है?]
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आग्गे ,
प्रिय सखिओ ,
आशा है, आप सभी को मेरी कुछ पुरानी यादे, पसंद आ यही होंगी, आप भी अपनी कुछ यादें - बाते को शेयर करें कुछ खट्टी - कुछ मीठी ही ही , चटपटी भी चलेगी। .....................
फिर, जैसे मुझे लगा वो मेरी कुर्ती मैं ही घुसा जा रहा है, उसकी आंख न हो x - रे मशीन हो. सब कुछ नाप जाऐगा, अपना आँचल ठीक करते हुए।
मैं - हम्म, रेड , ब्लैक पिंक, वाइट
ये चार वर्ड्स मैंने कैसे बोले मैं ही जानती हु , बस ऊपर - निचे , इधर उधर देख कर १- २ मिनिट निकले होंगे, वो फिर वापस पूछताछ की मोड मैं आ गया ,
मैडम, आपके सामने, बॉक्स मैं नॉन - पैडेड ब्रा हैं, आप कहो तो पैडेड , और वायर वाली भी ले आउ , एक
नई कम्पनी की आयी है , कल ही. - दुकान वाला , वापस उसी कोने से बोला
मैं - उफ़ क्या से सारी ब्रा उसी कोने मैं रखता है?
मैं - उफ़ क्या से सारी ब्रा उसी कोने मैं रखता है?
मैं - साहिली को बोली, हां बोल दे, नहीं तो पडोसी भी आ जायेंगे
सहेली - अहं , हाँ भइया , ले आएए सभी,
दुकानवाला - लीजिये मैडम, एकदम , फ्रेश कलेक्शन, आप ही फर्स्ट कस्टमर हो.
मैं - पैडेड और वायर वाली ब्रा देखकर , उसकी शेप , शाइन , कलर वाओ , मैं ये , ये मेरी ब्रा, कितनी खूबसूरत लगेगी, अभी जाकर पेहनुगी , सिर्फ ब्रा, और कुछ नहीं,.........
सहेली - क्या हुआ, पसंद नहीं आयी , क्या सोच रही है।
दुकानवाला - हैं, मैडम, क्या पसंद नहीं आयी, कुछ और दिखाऊ ?
मैं - हम्म, नहीं ठीक है ,
अब , दूसरा सवाल , मन मैं - ये जायदा महंगी तो नहीं , जायदा मॅहगी हुई तो माँ, डाँटेगी - कहाँ ठगा गई तू।
मैं - भइया , कितने पैसे हुए ?
दुकानवाला - मैडम, कौन सी ब्रा ली आपने, पैडेड या नार्मल ?
मैं - सहेली को , तुझे कौन सी पसंद आयी ?
सहेली - मुझे, पैडेड , तू देख ले अपने "हिसाब" से. मेरे बूब्स की और देखती हुई बोली।
मैं - उफ़, ये भी न, पागल है, वो भी देख रहा है, ये भी मेरे बूब्स को ही देख कर बोल रही है.
फिर मैं बोली, पैडेड दे दीजिये , रेड , ब्लैक, वाइट और पिंक।
इस बार , मैंने उसके कलर पूछने से पहले बता दिए , पर छुटकारा आसान नहीं था , उसने पूछ ही लिया -
दुकानवाला - मैडम, फ्लावर डिज़ाइन या, प्लेन ?
मैं - अब क्या, करू ? फिर कहा , दो प्लेन और दो फ्लावर डिज़ाइन मैं दे दीजिये , रेड व् वाइट फ्लावर मैं और पिंक एंड ब्लैक प्लेन मैं.
\कितना हुआ \दुकानवाला - मैडम जी, आपसे जायदा तो लेंगे नहीं , आगे भी तो बुलाना है, मगर, आपने पैंटी तो ले ही नहीं।
मैं - उफ़, ये ही बाकि था , अब.
हाँ, भइया मैं बोलने ही वाली थी,
तभी मेरी सहेली , मेरी और देख कर हंस देती है, धीरे से.
दुकानवाला - साइज मैडम, पैंटी का।
मैं - भइया - मीडियम चलेगा।
लिजीए, मैडम, मेरे सामने बॉक्सेस रखता हुआ बोला , ये शानदार , कम्फर्टेबल पीस है, कॉटन मैं, गर्मी मैं तकलीफ नहीं होगी। यह देखिये , पूरा सपोर्ट है, बीच मैं, "हर" दिन के लिए।
वो पैंटी के बीच के हिस्से को दीखाते हुए बोला , मैं शरम से लाल हुई जा रही थी.
मैं - ठीक है , ये भी दे दीजिये , २ पीेस , फिर कुछ रुक कर। ..... हम्म, ४ कर दीजिये डार्क कलर मैं.
फिर, वो कछ नहीं बोला , ब्रा और आपन्ति सब पैक कर दिए और हिसाब लगाने लगा ,
मैडम, आप को ९७५/- देना है,
मैं - उफ़, इतना जायदा ,
तभी सहेली बोली , भइया कुछ डिस्काउंट तो देना ही होगा , देखो आपके कहने से हमने नयी कम्पनी कीे ब्रा ली है , हम फर्स्ट कस्टमर है सो डीसकॉउन्ट तो बनता ही है, ......
दुकानवाला - हँसते हुए, मैडम, ठीक कहा आपने, वीएस भी आप तो पुराने ग्राहकः हैं, आपको नाराज थोड़ी करना है.
ऐसे कीजिये , ८५० दे दीजिये ,
सहेली - बिलकुल नहीं , ८००, बस
मैं - मन मैं सोच रही थी, ८५०, दे कर चालू यहाँ से, घर जा कर ब्रा पहनुंगी , और वो लडे जा रही थी. ... फिर मैं बोली , भइया प्लीज, आगे भी आपसे ही लेना है, जरुरत का सामान , आना जाना लगा ही रहेगा, देख लीजिये।
दुकानवाला - मैडम, आप इतना कह रही हैं तो ठीक है, आप मुज़ से ही सारा सामान लेंगी , दूसरी दुकान से नहीं, हमारी रेट और क्वालिटी बढ़िया है.
मैं - जी
फिर हमने , ८०० रुपए दिए और , भागे वहां से। ....... मैं घर की और चल दी। ...... मुझे तो ब्रा पहनने की जल्दी हो रही थी.
तभी ------ सहेली ने कहा, आरी कहाँ भागी जा रही है , यार कुछ खिला दे। ........ भूक लग रही है। ....
मैं - अच्छा जी, क्या खाना है,
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इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका