01-04-2020, 03:07 PM
(This post was last modified: 01-04-2020, 03:09 PM by @Kusum_Soni. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(01-04-2020, 02:33 PM)Niharikasaree Wrote: कोमल जी,
आपका प्यार भरा धयानवाद।
हब सारी सहेलिया आपके साथ हैं , बस आप अपने शब्दों का जादू चलते रहिये , हम सब पीछे पीछे चलते रहेंगे।
यह प्रसंग , कलिट वाला , आम तौर पे बिस्तर मैं मर्द , सिर्फ अपने "काम" से मतलब रखते हैं, उनका " निकला" और वो "निकले" सोने को.
पर आप के जीवंत प्रसंगो को देख कर , पढ़ कर, ये लगता है की हम औरते कितनी प्यासी है। .......
बिल्कुल निहारिका जी काफ़ी ज्यादा महिलाएं अपने दाम्पत्य जीवन में सेक्स के विषय मे पति की इच्छा को ही अपनी नियति मानती है वो जो करें उसी में आनंद ढूढ़ती है,कोमल जी की कहानियां ये सिखाती है कि सेक्स सिर्फ मर्दो के आनन्द की ही क्रिया नहीं है
हम औरतों को भी पूरा हक है इस सुख को प्राप्त करने का ओर सेक्स में हम महिलाओं की तृप्ति कैसे होती है,किस प्रकार एक स्त्री सेक्स में चरमसुख का आनंद प्राप्त करती है ये बातें कोमल जी की रचनाओं को कामकला के विपुल ग्रंथ बनाती है
नारी-नारी का मिलन बहुत अच्छे तरीके से समझाया गया है
कोमल जी अनवरत रूप से लिखती रहो