01-04-2020, 12:35 PM
ननदिया मेरी
मैं उन्हें जोर जोर से मुठिया रही थी , लंड के बेस पर ऊँगली से दबा रही थी , साथ में पूरी तेजी चूस रही थी , पूरी ताकत से , बस एक एक बूँद , मुंह में रोप लेने के लिए
दूसरा धमाका , ...
पहले से भी तेज खूब ज्यादा ,
मैंने सब कुछ अपने मुंह में लेने की कोशिश की , पर इतना ज्यादा था की ,
कुछ बह कर मेरी ठुड्डी पर , कुछ सरक कर मेरी गरदन फिसल कर ,
खुले लो कट गले वाले ब्लाउज से मेरी गोरी गदरायी गोलाइयों पर , ...
और तभी फिर आवाज आयी ,
" भाभी खोलिये न क्या कर रही हैं , ... "
मेरी ननद की छेड़ती खनकती आवाज आयी
और मैंने शेर को वापस पिंजड़े में , ... और जाकर दरवाजा खोल दिया ,
सच्ची क्या मस्त माल लग रही थी आज वो , कसे कसे टॉप से दोनों चूजे बाहर झाँक रहे थे , पूरी गोलाइयाँ कड़ी कड़ी साफ़ साफ़ उभर के , ...
" भाभी क्या हो रहा था ,... इतनी देर क्यों लगी खोलने में "
चिढ़ाते मुस्कराते वो बोली
मेरे चेहरे , गले और झांकती गोलाइयों पर पड़ी गाढ़ी थक्केदार ताज़ी मलाई को देख कर अंदाज तो उसे भी हो गया
अब वो भी बच्ची नहीं ,थी जवानी की देहलीज पर खड़ी थी।
मैंने कस के उसे अपनी बाँहों में भींच लिया , एक हाथ से उसके सर को दबोच कर , ... मेरे होंठ सीधे उसके होंठ पर , ...
दूसरे हाथ से उसके डिम्पल वाले गाल को मैंने कस के दबोच दिया ,
और गौरेया की तरह उसने चोंच खोल दी ,
मेरे भी उसके होंठ से चिपके होंठ खुल गए , और
उसके भैया की मलाई की एक एक बूँद , अब भाभी के मुंह से ननद के मुंह में ,
मेरे गाल उसके भैया की मलाई से एकदम फूले हुए थे , फटे पड़ रहे थे , कटोरी भर से ज्यादा रही होगी गाढ़ी थक्केदार मलाई ,
और वही मलाई उसके भैया के आँखों के सामने उस भैया की ' सीधी साधी बहिनिया ' के मुंह के अंदर ,
और इसलिए मैं अपना चेहरा थोड़ा ऊपर किये थी , जिससे उसके भैया साफ़ साफ़ देख सकें ,
कितनी मस्ती से , कितनी ख़ुशी ख़ुशी , ,उनकी बहिनिया , गुड्डी रानी अपने मुंह में घोंट रही हैं ,
जो मलाई अभी तुरंत उनके मोटे खूंटे ने मेरे गुलाबी होंठों के बीच डाला था , वही उसी की एक एक बूँद ,
उनकी आँख के सामने उनकी किशोर ममेरी बहन ,
उनके बचपन का माल घोंट रहा था ,
मैं एक लार की तरह एक धागे की तरह , मेरे मुंह से , मेरा थूक और उनकी मलाई और मेरी ननद का मुंह ,...
बूँद बूँद
और मेरी ननद , अपने भैया को उसे देखते हुए देख रही थी , और उस टीनेजर की आँखे जबरदस्त मुस्करा रही थीं
धीरे धीरे उसका मुंह फूलता जा रहा था और मेरा पिचकता जा रहा था , एक एक बूँद ,
कुछ देर तक वो छटपटाती रही , छुड़ाने की कोशिश करती रही ,
पर भौजाई की पकड़ से कोई ननद छूट पायी है आज तक की वो गुड्डी स्साली छूट पाती
फिर उसने मेरे हाथ में वो मोबाइल देख लिया था , जिस में उस की टॉपलेस , चुनमुनिया की फोटुएं बंद थी , और मेरी ऊँगली की एक हरकत , उसकी सारी सहेलियों के पास , ... और वहां से उनके यारों के पास ,...
और अब छुड़ाने की कोशिश छोड़ कर के ,... मेरी बाँहों में चिपकी ,
मेरा मुंह तो खाली हो गया था , बस कस के उसके भैया दिखाते मैंने एक जोरदार चुम्मी ली , उन की बहन के रसीले होंठों पर ,
जो कुछ उसकी ठुड्डी पर गिरा था वो जीभ से चाट चूट के , एक बार अपनी मलाई लगी जीभ उनके माल के मुंह में ठेल दिया , एक एक बूँद उनके माल का
अब उनके माल के मुंह में था
जोर जोर से गदरायी टॉप फाड़ती गोलाइयों को दबाया , मसला , और उस शोख के कान में कुछ बुद्बुदाया , ...
उसने हामी में हलके से सर हिलाया ,
और छोड़ने के साथ ही अपने गाल , ठुड्डी पर सारी मलाई , सीधे उस टीनेजर के गुलाबी होंठों पर रगड़ दी ,
और मेरी बाँहों से छूटते ही , वो सीधे अपनी भैया की बाँहों में , वो बांहे फैलाये इन्तजार कर रहे थे ,
और खुद उस शोख किशोरी ने अपने आग लगाते होंठ उनके होंठ से चिपका दिए ,
और उनके होंठ भी अब कस के उस जवान होती में ननद को उसकी आ रही जवानी का अहसास कराते , कस कस के चूम रहे थे ,
मैं उन्हें जोर जोर से मुठिया रही थी , लंड के बेस पर ऊँगली से दबा रही थी , साथ में पूरी तेजी चूस रही थी , पूरी ताकत से , बस एक एक बूँद , मुंह में रोप लेने के लिए
दूसरा धमाका , ...
पहले से भी तेज खूब ज्यादा ,
मैंने सब कुछ अपने मुंह में लेने की कोशिश की , पर इतना ज्यादा था की ,
कुछ बह कर मेरी ठुड्डी पर , कुछ सरक कर मेरी गरदन फिसल कर ,
खुले लो कट गले वाले ब्लाउज से मेरी गोरी गदरायी गोलाइयों पर , ...
और तभी फिर आवाज आयी ,
" भाभी खोलिये न क्या कर रही हैं , ... "
मेरी ननद की छेड़ती खनकती आवाज आयी
और मैंने शेर को वापस पिंजड़े में , ... और जाकर दरवाजा खोल दिया ,
सच्ची क्या मस्त माल लग रही थी आज वो , कसे कसे टॉप से दोनों चूजे बाहर झाँक रहे थे , पूरी गोलाइयाँ कड़ी कड़ी साफ़ साफ़ उभर के , ...
" भाभी क्या हो रहा था ,... इतनी देर क्यों लगी खोलने में "
चिढ़ाते मुस्कराते वो बोली
मेरे चेहरे , गले और झांकती गोलाइयों पर पड़ी गाढ़ी थक्केदार ताज़ी मलाई को देख कर अंदाज तो उसे भी हो गया
अब वो भी बच्ची नहीं ,थी जवानी की देहलीज पर खड़ी थी।
मैंने कस के उसे अपनी बाँहों में भींच लिया , एक हाथ से उसके सर को दबोच कर , ... मेरे होंठ सीधे उसके होंठ पर , ...
दूसरे हाथ से उसके डिम्पल वाले गाल को मैंने कस के दबोच दिया ,
और गौरेया की तरह उसने चोंच खोल दी ,
मेरे भी उसके होंठ से चिपके होंठ खुल गए , और
उसके भैया की मलाई की एक एक बूँद , अब भाभी के मुंह से ननद के मुंह में ,
मेरे गाल उसके भैया की मलाई से एकदम फूले हुए थे , फटे पड़ रहे थे , कटोरी भर से ज्यादा रही होगी गाढ़ी थक्केदार मलाई ,
और वही मलाई उसके भैया के आँखों के सामने उस भैया की ' सीधी साधी बहिनिया ' के मुंह के अंदर ,
और इसलिए मैं अपना चेहरा थोड़ा ऊपर किये थी , जिससे उसके भैया साफ़ साफ़ देख सकें ,
कितनी मस्ती से , कितनी ख़ुशी ख़ुशी , ,उनकी बहिनिया , गुड्डी रानी अपने मुंह में घोंट रही हैं ,
जो मलाई अभी तुरंत उनके मोटे खूंटे ने मेरे गुलाबी होंठों के बीच डाला था , वही उसी की एक एक बूँद ,
उनकी आँख के सामने उनकी किशोर ममेरी बहन ,
उनके बचपन का माल घोंट रहा था ,
मैं एक लार की तरह एक धागे की तरह , मेरे मुंह से , मेरा थूक और उनकी मलाई और मेरी ननद का मुंह ,...
बूँद बूँद
और मेरी ननद , अपने भैया को उसे देखते हुए देख रही थी , और उस टीनेजर की आँखे जबरदस्त मुस्करा रही थीं
धीरे धीरे उसका मुंह फूलता जा रहा था और मेरा पिचकता जा रहा था , एक एक बूँद ,
कुछ देर तक वो छटपटाती रही , छुड़ाने की कोशिश करती रही ,
पर भौजाई की पकड़ से कोई ननद छूट पायी है आज तक की वो गुड्डी स्साली छूट पाती
फिर उसने मेरे हाथ में वो मोबाइल देख लिया था , जिस में उस की टॉपलेस , चुनमुनिया की फोटुएं बंद थी , और मेरी ऊँगली की एक हरकत , उसकी सारी सहेलियों के पास , ... और वहां से उनके यारों के पास ,...
और अब छुड़ाने की कोशिश छोड़ कर के ,... मेरी बाँहों में चिपकी ,
मेरा मुंह तो खाली हो गया था , बस कस के उसके भैया दिखाते मैंने एक जोरदार चुम्मी ली , उन की बहन के रसीले होंठों पर ,
जो कुछ उसकी ठुड्डी पर गिरा था वो जीभ से चाट चूट के , एक बार अपनी मलाई लगी जीभ उनके माल के मुंह में ठेल दिया , एक एक बूँद उनके माल का
अब उनके माल के मुंह में था
जोर जोर से गदरायी टॉप फाड़ती गोलाइयों को दबाया , मसला , और उस शोख के कान में कुछ बुद्बुदाया , ...
उसने हामी में हलके से सर हिलाया ,
और छोड़ने के साथ ही अपने गाल , ठुड्डी पर सारी मलाई , सीधे उस टीनेजर के गुलाबी होंठों पर रगड़ दी ,
और मेरी बाँहों से छूटते ही , वो सीधे अपनी भैया की बाँहों में , वो बांहे फैलाये इन्तजार कर रहे थे ,
और खुद उस शोख किशोरी ने अपने आग लगाते होंठ उनके होंठ से चिपका दिए ,
और उनके होंठ भी अब कस के उस जवान होती में ननद को उसकी आ रही जवानी का अहसास कराते , कस कस के चूम रहे थे ,