31-03-2020, 10:11 PM
फिर शावर ों किआ , ब्रा उतारी , जोबन को दबाया , एक हलचल उठी, और पानी की फुहार जिस्म पर पड़ती चली गई। ...................
जाने किस दुनिआ मैं थी मैं। ......
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जाने किस दुनिआ मैं थी मैं। ......
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फिर ,
जल्दी से नाहा कर बहार आयी , ब्रा पहनी , पैंटी पहनी , समीज भी, नहीं तो माँ कच्छ चबा जाती, पिंक सूट डाला जल्दी से सलवार का नाडा बंधा गीले बालो को सुखा कर टॉवल को बहार सूखने डाला , तभी गेट पैर देखा मेरी सहेली आ गई थी और माँ से बात कर रही थी.
मैंने हाथ हिला कर "हाई " बोलै और उसके पास आ गई,
माँ - रे निहारिका, ये कैसे आयी, और तू तैयार हो कर कहाँ जा रही है.
मैं- वो, कुछ नहीं माँ, इसको कुछ लेना था बाजार से , बस
माँ -अच्छा , ये भी ठीक हुआ, मैं भी बाजार जाने की सोच रही थी , पर किचन समेटना है, एक काम कर बराज जा तो रही हैं न तू, दो पीस लाल ब्लाउज के लेती आना और एक लाल और एक पीली फॉल साड़ी के लिए।
मैं - अच्छा माँ, अब जाउ।
माँ - अच्छा, पर आँचल जरा ठीक से , यु गाल पर मत चिपका लेना , बड़ी हो गई है समझा कर.
मैं - ओह , माँ, मैं समाज गई।
मैं सहेली का हाथ पकड़के लगभाग खेचतीं हुई बहार भागी , कही माँ कुछ न पूछ ले.
माँ- अंदर जाती हुई, कहती है , ये लड़किया भी न, हर डाब उछाल कूद, भागना , हसना, जाने कब सायानी होंगी।
सहेली - क्यों री , निहरिका की बच्ची, मेरी छोटी खेचते हुए बोली, मेरा काम था बाज़ार मैं , अभी जा कर बोलू आंटी को।
मैं - पागल है क्या तू, चल आगे बताती हु सब, घर से कुछ दूर आ कर। ....
सुन, मुझे न , वो बाजार से , उफ़ ,वो लानी है.
सहेली - पागल, क्या "वो", पूरी बात बता
मैं - यार, सुन मुझे नयी ब्रा लेनी है, और अकेले जा नहीं सकती और माँ से डर लगता और , शर्म भी आती है।
सहेली - अच्छा, हम्म, तो ये बात है , चल चलते हैं , कलर कौन सा लेना है,
मैं - पिंक, वाइट, रेड, ब्लैक
सहेली - पूरी दुकान लेनी है क्या। ......................
इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका