30-03-2020, 07:45 PM
(This post was last modified: 01-08-2021, 11:00 AM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
किचेन में
इस किचेन में लहसुन प्याज भी नहीं आता ,
शादी के बाद पहले दिन ही , और कित्ती बार वही बात ,
एक कढ़ाई चढ़ाते हुए और उसमे थोड़ा घी डाल के वो मटन बिरयानी डालते हुए मैंने सोचा ,
और आज उसी किचेन में ,चिकन मटन पोर्क सब कुछ ,और अभी तो ये शुरुआत है ,
मेरी सासु जी आएँगी न मेरे घर इनके हाथ से उन्हें चिकन दो प्याजा न खिलाया तो ,...
वो मेरी हरकते देख रहे थे।
" यू आर सच अ गुड ब्वाय कुछ इनाम तो मिलना चाहिए "
,
और उनका बॉक्सर शार्ट नीचे खींचकर उनकी बांसुरी मेरे मुंह में ,
शादी के शुरु के दिनों में रात भर एकदम लिपटे चिपटे रहते थे लेकिन दिन में अपनी मायकेवालियों के सामने ,
न तुम हमें जानो न हम तुम्हे जाने
और किचेन में तो बिना नहाये घुसने की मनाही ,
एक बार मैं चाय बनाने वाली थी की सासु जी ने टोक दिया
"बहु रात भर क्या क्या,..... और वैसे ही किचेन में "
यहाँ आज एक कड़ाही में मटन बिरयानी गरम हो रही थी
ओवन में चिकन पिज्जा और उस के बाद सलामी का नंबर
और मैं उसी किचेन में सपड़ सपड़ उन का लंड चूस रही थी।
उसी किचेन में न सिर्फ मैं खुल्लम खुला उनका लंड चूस रही थी , दरवाजा पूरा खुला था , जेठानी बरामदे में बैठ कर टीवी देख रही थी
मैंने फिर थोड़ा सा टारगेट , इनके दोनों रसगुल्ले ( कलावती जिसे पेल्हड़ कहती थी ) पहले तो हलके हलके चाटा फिर कस के
उनकी बॉल्स चूसी
और एक बार फिर उनकी बांसुरी मेरे मुंह में
अबकी माल गिरा के ही मैंने छोड़ा , थोड़ी देर सारी मलाई मेरे मुंह के अगले हिस्से में फिर मेरे थूक में मिली
सब की सब पिज्जा की स्पेशल क्रीम टॉपिंग ,... उन्हें देख कर मैं मुस्करायी ,
और वो भी मुस्कराये ,
जिम्मेदारी तो उन्ही की थी मेरी शुद्ध शाकाहारी जेठानी को चिकेन पिज्जा की वो पीस अपने हाथ से खिलाना
जिसमें चिकेन पीस के साथ उनकी मलाई और 'मेरा भी योगदान 'था
मेरा पति सिर्फ मेरा है ,मेरी मर्जी मैं उसके साथ क्या क्या करूँ।
जेठानी को देखना है तो देखें।
और जब तक मैं दूसरा सलामी वाला पिजा ओवन में गर्म करती ,वो टेबल लगा रहे थे।
और अवार्ड प्रोग्राम देखते , जेठानी जी ने चिकन ,पोर्क ,मटन सब प्रेम से खा लिया।
" पिज्जा अच्छा है न ,सलामी वाला पिजा जेठानी जी को देते मैं बोली।
"एकदम ऐसा मैंने पहले कभी नहीं खाया "
ख़तम करते मेरी जेठानी बोली।
"आपने आपने देवर को पहले कभी नहीं बोला होगा न ,"
और मैंने उन्हें हुकुम सुनाया
"जबतक हमलोग हैं यहां रोज शाम को इसी तरह का पिज्जा "
अपनी जेठानी के लिए किचेन में से ही पिज्जा के एक पीस पर मैं एक्स्ट्रा चिकेन टॉपिंग डाल के लायी थी साथ में मेरी मुंह से निकली इनकी मलाई वाली और उस को ,जेठानी जी के देवर ने अपने ही हाथ से उन्हें गड़प करवा दिया।
सलामी वाली मेरे इशारे पर उनके देवर ने अपने हाथ से ,उनके मुंह में ,
एक पल के लिए उनकी ओर मुंह बनाते बोलीं वो ,
" हे कैसा कैसा लग रहा है ,... क्या है ये। "
मेरे कुछ बोलने के पहले ही उन्होंने मोर्चा सम्हाल लिया ,
" अरे भाभी ये इम्पोर्टेड मशरूम है इसलिए थोड़ा अलग स्वाद ,... "
" और क्या दो चार दिन खाइयेगा ,बस स्वाद लग जाएगा। "
मैं भी अपने सैयां के साथ आ गयी।
तभी मैंने देखा की अपनी भौजाई की ओर देखते उनका तम्बू तन रहा था।
दो बातें मेरे समझ में आ गयी ,
ये साल्ला , इसे अपने घर सारी लौंडिया ,औरतें पसंद है और दूसरी
इनकी भौजाई के धरम भरष्ट या स्वाद बदलवाने वाले खेल में इसे भी मजा आ रहा है।
और अपनी एक गलती भी मेरी समझ में आगयी ,
जब किचन में मैं इनका लिंग चूषण कर रही थी , हाथ से झाड़ कर इनकी सारी मलाई अपनी जेठानी के पिजा पर।
स्पेशल क्रीम टॉपिंग।
आधे से ज्यादा चिकेन और सलामी जेठानी जी ने गड़प कर ली
और मटन बिरयानी भी।
चुन चुन के उन की प्लेट में मैंने मटन पीसेज रखी थी ,
'इस घर में लहसुन प्याज भी नहीं आता ' वाली जेठानी जी ने सब साफ़ कर दिया ,
पहले तो कभी चखा नहीं था उन्होंने जो पकड़ पाती ,
हाँ उन पीसेज को इम्पोर्टेड रसियन पनीर बोलना पड़ा।
खाने के बाद मैंने जेठानी जी को आँख मार के पूछा स्वीट डिश चलेगी।
इस किचेन में लहसुन प्याज भी नहीं आता ,
शादी के बाद पहले दिन ही , और कित्ती बार वही बात ,
एक कढ़ाई चढ़ाते हुए और उसमे थोड़ा घी डाल के वो मटन बिरयानी डालते हुए मैंने सोचा ,
और आज उसी किचेन में ,चिकन मटन पोर्क सब कुछ ,और अभी तो ये शुरुआत है ,
मेरी सासु जी आएँगी न मेरे घर इनके हाथ से उन्हें चिकन दो प्याजा न खिलाया तो ,...
वो मेरी हरकते देख रहे थे।
" यू आर सच अ गुड ब्वाय कुछ इनाम तो मिलना चाहिए "
,
और उनका बॉक्सर शार्ट नीचे खींचकर उनकी बांसुरी मेरे मुंह में ,
शादी के शुरु के दिनों में रात भर एकदम लिपटे चिपटे रहते थे लेकिन दिन में अपनी मायकेवालियों के सामने ,
न तुम हमें जानो न हम तुम्हे जाने
और किचेन में तो बिना नहाये घुसने की मनाही ,
एक बार मैं चाय बनाने वाली थी की सासु जी ने टोक दिया
"बहु रात भर क्या क्या,..... और वैसे ही किचेन में "
यहाँ आज एक कड़ाही में मटन बिरयानी गरम हो रही थी
ओवन में चिकन पिज्जा और उस के बाद सलामी का नंबर
और मैं उसी किचेन में सपड़ सपड़ उन का लंड चूस रही थी।
उसी किचेन में न सिर्फ मैं खुल्लम खुला उनका लंड चूस रही थी , दरवाजा पूरा खुला था , जेठानी बरामदे में बैठ कर टीवी देख रही थी
मैंने फिर थोड़ा सा टारगेट , इनके दोनों रसगुल्ले ( कलावती जिसे पेल्हड़ कहती थी ) पहले तो हलके हलके चाटा फिर कस के
उनकी बॉल्स चूसी
और एक बार फिर उनकी बांसुरी मेरे मुंह में
अबकी माल गिरा के ही मैंने छोड़ा , थोड़ी देर सारी मलाई मेरे मुंह के अगले हिस्से में फिर मेरे थूक में मिली
सब की सब पिज्जा की स्पेशल क्रीम टॉपिंग ,... उन्हें देख कर मैं मुस्करायी ,
और वो भी मुस्कराये ,
जिम्मेदारी तो उन्ही की थी मेरी शुद्ध शाकाहारी जेठानी को चिकेन पिज्जा की वो पीस अपने हाथ से खिलाना
जिसमें चिकेन पीस के साथ उनकी मलाई और 'मेरा भी योगदान 'था
मेरा पति सिर्फ मेरा है ,मेरी मर्जी मैं उसके साथ क्या क्या करूँ।
जेठानी को देखना है तो देखें।
और जब तक मैं दूसरा सलामी वाला पिजा ओवन में गर्म करती ,वो टेबल लगा रहे थे।
और अवार्ड प्रोग्राम देखते , जेठानी जी ने चिकन ,पोर्क ,मटन सब प्रेम से खा लिया।
" पिज्जा अच्छा है न ,सलामी वाला पिजा जेठानी जी को देते मैं बोली।
"एकदम ऐसा मैंने पहले कभी नहीं खाया "
ख़तम करते मेरी जेठानी बोली।
"आपने आपने देवर को पहले कभी नहीं बोला होगा न ,"
और मैंने उन्हें हुकुम सुनाया
"जबतक हमलोग हैं यहां रोज शाम को इसी तरह का पिज्जा "
अपनी जेठानी के लिए किचेन में से ही पिज्जा के एक पीस पर मैं एक्स्ट्रा चिकेन टॉपिंग डाल के लायी थी साथ में मेरी मुंह से निकली इनकी मलाई वाली और उस को ,जेठानी जी के देवर ने अपने ही हाथ से उन्हें गड़प करवा दिया।
सलामी वाली मेरे इशारे पर उनके देवर ने अपने हाथ से ,उनके मुंह में ,
एक पल के लिए उनकी ओर मुंह बनाते बोलीं वो ,
" हे कैसा कैसा लग रहा है ,... क्या है ये। "
मेरे कुछ बोलने के पहले ही उन्होंने मोर्चा सम्हाल लिया ,
" अरे भाभी ये इम्पोर्टेड मशरूम है इसलिए थोड़ा अलग स्वाद ,... "
" और क्या दो चार दिन खाइयेगा ,बस स्वाद लग जाएगा। "
मैं भी अपने सैयां के साथ आ गयी।
तभी मैंने देखा की अपनी भौजाई की ओर देखते उनका तम्बू तन रहा था।
दो बातें मेरे समझ में आ गयी ,
ये साल्ला , इसे अपने घर सारी लौंडिया ,औरतें पसंद है और दूसरी
इनकी भौजाई के धरम भरष्ट या स्वाद बदलवाने वाले खेल में इसे भी मजा आ रहा है।
और अपनी एक गलती भी मेरी समझ में आगयी ,
जब किचन में मैं इनका लिंग चूषण कर रही थी , हाथ से झाड़ कर इनकी सारी मलाई अपनी जेठानी के पिजा पर।
स्पेशल क्रीम टॉपिंग।
आधे से ज्यादा चिकेन और सलामी जेठानी जी ने गड़प कर ली
और मटन बिरयानी भी।
चुन चुन के उन की प्लेट में मैंने मटन पीसेज रखी थी ,
'इस घर में लहसुन प्याज भी नहीं आता ' वाली जेठानी जी ने सब साफ़ कर दिया ,
पहले तो कभी चखा नहीं था उन्होंने जो पकड़ पाती ,
हाँ उन पीसेज को इम्पोर्टेड रसियन पनीर बोलना पड़ा।
खाने के बाद मैंने जेठानी जी को आँख मार के पूछा स्वीट डिश चलेगी।