30-03-2020, 07:36 PM
(This post was last modified: 01-08-2021, 10:39 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
डिनर
शाम को डिनर में मैंने अपनी जेठानी का धरम भरष्ट करा दिया।
मैं भूली नहीं थी ,इनकी पहली बर्थडे मेरी शादी के बाद।
मुझे मालुम था की ये लोग 'शुद्ध हिन्दू भोजनालय टाइप' हैं ,इसलिए एगलेस पेस्ट्रीज लायी थी मैं बहुत बहुत ढूंढ के ,
पर
सब बेकार ,
इन्ही जेठानी जी ने ,
बहुत धीमे से तीर चलाया ,
"तुम्हे तो मालुम ही है की ,यहां हम सब ,.. परफेक्ट वेजिटेरियन हैं , लहसुन प्याज भी नहीं और इसमें तो. "
" नहीं नहीं दीदी ,एकदम एगलेस है प्योर वेज ,देखिये पैकेट पर ग्रीन टिकुली भी लगी है।
लेकिन मेरी किस्मत ,
मेरी ननद कम सौतन , वो भी पहुँच गयी और उसने अमोघ अस्त्र चला दिया ,
" अरे सब कहने को ,... बरतन तो वही होते है , हटाइये न ,भैय्या आप को ,"
और भैय्या ने हटा दिया और जेठानी जी ने सीधे डस्टबिन में ,...
बात मैंने ही शुरू की ,
" अरे आज तो अवार्ड नाइट है , दी आज पिज़ा चलेगा , मैं तो किचेन में जाउंगी नहीं न आपको जाने दूंगी ,
बिचारे आप के देवर ही किचेन में ड्यूटी देंगे। "
" और क्या अगर किचेन में ही सारी ड्यूटी दे दी तो रात में ड्यूटी कैसे देंगे। "
हँसते हुए मेरी जेठानी बोली ,
मैंने उन्हें छेड़ा ,
" आप ये क्यों नहीं कहतीं की आप अपने प्यारे दुलारे देवर को अपने आँख के सामने बैठा के निहारना चाहते हैं , तो ये अगर किचेन में नहीं जायेंगे , और मैं तो जाउंगी नहीं , तो ऐसा करते हैं , .... बाहर से पिज्जा मंगा लेते हैं "
फिर वो सोच में पड़ गयीं लेकिन लाएगा कौन।
मैंने अपने मोबाइल की ओर इशारा किया और बोला
" ये, आप हुकुम करिये ,आपके देवर टेंट ढीली करें और पिज्जा हाजिर। "
वो फिर सोच में पड़ गयीं , " लेकिन वेज ,प्योर वेज "
" एकदम दीदी ," और फिर और दिखाओ ,और दिखाओ की तर्ज पर मैंने मोबाइल पर ढेर सारे वेज पिज्जा के नाम गिना दिए , फोटुएं दिखा दीं।
फ़ार्म हाउस , मारगिरीटा ,डीलक्स वेजी , वेज एक्स्ट्रा वेगांजा , सब के सब वेज।
वो भी अपनी भौजाई के साथ देख रहे थे , लेकिन ऊँगली से मैं उनके हाथ पर साथ साथ लिख रही थी , चिकेन ओनली।
उन्होंने मेरी ऊँगली दबा के हामी भर दी ,
और उधर जेठानी बोलीं बोलीं ठीक है जो तुम ठीक समझो।
उन्हें देवरानी पर तो नहीं पर अपने देवर पर पूरा विश्वास था , बेचारी क्या समझा अब उनका देवर मेरा जे के जी बन चूका है।
मेरी दूसरी ऊँगली ने वेज के बगल का बटन दबाया और अपने उनको इशारा कर दिया
चिकेन डामिनेटर ,जिसमें ग्रिल्ल्ड चिकेन , डबल बाबरबेक चिकेन ,एक्जॉटिक चिकेन और इटालियन सलामी पड़ी थीं ,
मैं कनखियों से उन्हें देख रही थी ,उन्होंने चिकेन डामिनेटर का बटन दबा दिया।
और खुद मुझसे पूछा की एक कोई और आर्डर कर दें ,
जब तक वो फिर वेज की ओर मुड़ते मैंने चीज और पेपरोनी का बटन दबा दिया , जिसमे अमेरिकन पोर्क पड़ा रहता।
अब आखिर जेठानी जी हर तरह के स्वाद चख लें ,
जब नया स्वाद आज उन्हें चखना ही था।
साइज ,जेठानी जी बोल पड़ीं।
" लार्ज और क्या , पूरे १२ इंच का ,.. ."
मैं बोली और चिढ़ाते हुए पूछा क्यों १२ इंच से घबड़ा गयीं क्या।
" नहीं नहीं , हम दो है हर एक के हिस्से में ६ इंच ही तो आएगा "
हँसते हुए वो बोलीं , डबल मीनिंग डायलॉग में तो उन्हें शुरू से ही मजा आता था।
" नहीं दी ,मुझे तो ७ इंच की अब आदत हो गयी है , उसके बिना तो मजा भी नहीं आता ,क्यों "
उनके कंधे पे हाथ रख के मैंने उनकी आँख में आँख डाल के देखा और मुस्करा दी.
बिचारे शरमागए।
समझ तो हम तीनों रहे थे की किस सात इंच की बात हो रही है।
बात बदलने में उनसे ज्यादा कोई एक्सपर्ट नहीं था ,
बोले बिरयानी चलेगी साथ साथ।
जेठानी जी ना करें उसके पहले मैंने फैसला सूना दिया
"चलेगी नहीं दौड़ेगी "
और मोबाइल पर बिरयानी वेज भी जेठानी जी को वेज पिज्जा की तरह दिखा दी और खुद ही हैदराबादी मटन बिरयानी ऑर्डर कर दी।
और जब डिलीवरी ब्वाय आया तो इनके साथ मैं भी ,
और इनके हाथ से पिज्जा और बिरयानी लेकर सीधे किचन में।
अरे गरम तो हैं , वो बोले।
अब इन्हे कौन समझाए ,इनको तो सिर्फ एक बात समझ में आती थी , वो मैंने ,
पहले तो तरह तरह के चिकन वाला पिज्जा माइक्रोवेव में रखा।
इस किचेन में लहसुन प्याज भी नहीं आता , शादी के बाद पहले दिन ही , और कित्ती बार वही बात ,
एक कढ़ाई चढ़ाते हुए और उसमे थोड़ा घी डाल के वो मटन बिरयानी डालते हुए मैंने सोचा ,
और आज उसी किचेन में ,चिकन मटन पोर्क सब कुछ ,और अभी तो ये शुरुआत है ,
मेरी सासु जी आएँगी न मेरे घर इनके हाथ से उन्हें चिकन दो प्याजा न खिलाया तो ,...
शाम को डिनर में मैंने अपनी जेठानी का धरम भरष्ट करा दिया।
मैं भूली नहीं थी ,इनकी पहली बर्थडे मेरी शादी के बाद।
मुझे मालुम था की ये लोग 'शुद्ध हिन्दू भोजनालय टाइप' हैं ,इसलिए एगलेस पेस्ट्रीज लायी थी मैं बहुत बहुत ढूंढ के ,
पर
सब बेकार ,
इन्ही जेठानी जी ने ,
बहुत धीमे से तीर चलाया ,
"तुम्हे तो मालुम ही है की ,यहां हम सब ,.. परफेक्ट वेजिटेरियन हैं , लहसुन प्याज भी नहीं और इसमें तो. "
" नहीं नहीं दीदी ,एकदम एगलेस है प्योर वेज ,देखिये पैकेट पर ग्रीन टिकुली भी लगी है।
लेकिन मेरी किस्मत ,
मेरी ननद कम सौतन , वो भी पहुँच गयी और उसने अमोघ अस्त्र चला दिया ,
" अरे सब कहने को ,... बरतन तो वही होते है , हटाइये न ,भैय्या आप को ,"
और भैय्या ने हटा दिया और जेठानी जी ने सीधे डस्टबिन में ,...
बात मैंने ही शुरू की ,
" अरे आज तो अवार्ड नाइट है , दी आज पिज़ा चलेगा , मैं तो किचेन में जाउंगी नहीं न आपको जाने दूंगी ,
बिचारे आप के देवर ही किचेन में ड्यूटी देंगे। "
" और क्या अगर किचेन में ही सारी ड्यूटी दे दी तो रात में ड्यूटी कैसे देंगे। "
हँसते हुए मेरी जेठानी बोली ,
मैंने उन्हें छेड़ा ,
" आप ये क्यों नहीं कहतीं की आप अपने प्यारे दुलारे देवर को अपने आँख के सामने बैठा के निहारना चाहते हैं , तो ये अगर किचेन में नहीं जायेंगे , और मैं तो जाउंगी नहीं , तो ऐसा करते हैं , .... बाहर से पिज्जा मंगा लेते हैं "
फिर वो सोच में पड़ गयीं लेकिन लाएगा कौन।
मैंने अपने मोबाइल की ओर इशारा किया और बोला
" ये, आप हुकुम करिये ,आपके देवर टेंट ढीली करें और पिज्जा हाजिर। "
वो फिर सोच में पड़ गयीं , " लेकिन वेज ,प्योर वेज "
" एकदम दीदी ," और फिर और दिखाओ ,और दिखाओ की तर्ज पर मैंने मोबाइल पर ढेर सारे वेज पिज्जा के नाम गिना दिए , फोटुएं दिखा दीं।
फ़ार्म हाउस , मारगिरीटा ,डीलक्स वेजी , वेज एक्स्ट्रा वेगांजा , सब के सब वेज।
वो भी अपनी भौजाई के साथ देख रहे थे , लेकिन ऊँगली से मैं उनके हाथ पर साथ साथ लिख रही थी , चिकेन ओनली।
उन्होंने मेरी ऊँगली दबा के हामी भर दी ,
और उधर जेठानी बोलीं बोलीं ठीक है जो तुम ठीक समझो।
उन्हें देवरानी पर तो नहीं पर अपने देवर पर पूरा विश्वास था , बेचारी क्या समझा अब उनका देवर मेरा जे के जी बन चूका है।
मेरी दूसरी ऊँगली ने वेज के बगल का बटन दबाया और अपने उनको इशारा कर दिया
चिकेन डामिनेटर ,जिसमें ग्रिल्ल्ड चिकेन , डबल बाबरबेक चिकेन ,एक्जॉटिक चिकेन और इटालियन सलामी पड़ी थीं ,
मैं कनखियों से उन्हें देख रही थी ,उन्होंने चिकेन डामिनेटर का बटन दबा दिया।
और खुद मुझसे पूछा की एक कोई और आर्डर कर दें ,
जब तक वो फिर वेज की ओर मुड़ते मैंने चीज और पेपरोनी का बटन दबा दिया , जिसमे अमेरिकन पोर्क पड़ा रहता।
अब आखिर जेठानी जी हर तरह के स्वाद चख लें ,
जब नया स्वाद आज उन्हें चखना ही था।
साइज ,जेठानी जी बोल पड़ीं।
" लार्ज और क्या , पूरे १२ इंच का ,.. ."
मैं बोली और चिढ़ाते हुए पूछा क्यों १२ इंच से घबड़ा गयीं क्या।
" नहीं नहीं , हम दो है हर एक के हिस्से में ६ इंच ही तो आएगा "
हँसते हुए वो बोलीं , डबल मीनिंग डायलॉग में तो उन्हें शुरू से ही मजा आता था।
" नहीं दी ,मुझे तो ७ इंच की अब आदत हो गयी है , उसके बिना तो मजा भी नहीं आता ,क्यों "
उनके कंधे पे हाथ रख के मैंने उनकी आँख में आँख डाल के देखा और मुस्करा दी.
बिचारे शरमागए।
समझ तो हम तीनों रहे थे की किस सात इंच की बात हो रही है।
बात बदलने में उनसे ज्यादा कोई एक्सपर्ट नहीं था ,
बोले बिरयानी चलेगी साथ साथ।
जेठानी जी ना करें उसके पहले मैंने फैसला सूना दिया
"चलेगी नहीं दौड़ेगी "
और मोबाइल पर बिरयानी वेज भी जेठानी जी को वेज पिज्जा की तरह दिखा दी और खुद ही हैदराबादी मटन बिरयानी ऑर्डर कर दी।
और जब डिलीवरी ब्वाय आया तो इनके साथ मैं भी ,
और इनके हाथ से पिज्जा और बिरयानी लेकर सीधे किचन में।
अरे गरम तो हैं , वो बोले।
अब इन्हे कौन समझाए ,इनको तो सिर्फ एक बात समझ में आती थी , वो मैंने ,
पहले तो तरह तरह के चिकन वाला पिज्जा माइक्रोवेव में रखा।
इस किचेन में लहसुन प्याज भी नहीं आता , शादी के बाद पहले दिन ही , और कित्ती बार वही बात ,
एक कढ़ाई चढ़ाते हुए और उसमे थोड़ा घी डाल के वो मटन बिरयानी डालते हुए मैंने सोचा ,
और आज उसी किचेन में ,चिकन मटन पोर्क सब कुछ ,और अभी तो ये शुरुआत है ,
मेरी सासु जी आएँगी न मेरे घर इनके हाथ से उन्हें चिकन दो प्याजा न खिलाया तो ,...