30-03-2020, 09:56 AM
पार्टी टाइम - देवेश
तब तक देवेश आ गया।
कई लड़कियां उसे घेरकर खड़ी थीं।
“वाउ…”
जोर से बोलकर उसने मुझे कस के बांहों में भर लिया, और कहा-
“हे, सुन जरा इसको बाकी लोगों से मिला तब तक…”
मैं और दिया नये आये मेहमानों को रिसीव करने में लग गई। दिवेश सबसे-
“आज रात की सबसे सेक्सी लड़की से मिलो…” कहकर मुझे मिलवाता।
“अरे बाकी लड़कियां तुझे कच्चा चबा जायेंगी…”
मैंने उसे चिढ़ाया।
“बाकी का तो पता नहीं लेकिन तू अगर कच्चा चबा जाये तो मैं तैयार हूं…”
वो बोला।
उसका मतलब समझकर मैं शर्मा गई।
तब तक मेरे क्लास की एक लड़की की आवाज आई-
“अरे, अनुजा तो आज पहचान में नहीं आ रही है…”
दूसरी लड़की- “पहचान में नहीं आ रही है या देवेश के साथ हमें पहचान नहीं रही है?”
देवेश से मैं बोली- “एक मिनट…” और उनकी ओर मुड़ी-
“नालायकों मैं नहीं पहचान रही हूं या तुम सब?”
सबके हाथ में ड्रिंक्स थे, लड़के तो सारे के सारे हार्ड ड्रिंक्स। लड़कियां कुछ तो वाइन और कुछ साफ्ट।
हम सब चुहल करने लगीं की तभी एक वेट्रेस ड्रिंक्स ट्रे लेकर गुजरी।
तो इरा ने पूछा-
“हे एक इधर… बोल क्या लेगी?”
“ना ना मैं कुछ नहीं। मेरा गला खराब है…”
“अरे साफ्ट भी है इसके पास…” एक बोली- “ले-ले…”
“ना ना…” मुझे मालूम था ऐसी पाटिर्यों में कई बार कोई शरारत करके,...
“ये सूरत और जवानी और साफ्ट… ना ना यू मस्ट टेक समथिंग हार्ड…”
पीछे से एक लड़के की आवाज आई।
मैंने देखा तो बंटू था, लम्बा, राक प्लेयर, ऐसी पाटियों की जान, एक बड़े अमीर बाप का बेटा।
लड़कियां खुद उसके पीछे पड़ी रहतीं थीं, और थीं भी उसके साथ दो-तीन।
पंक लुक में टैटूज, पियर्सिंगस, बिकिनी टाप और मिनी स्कर्ट और यहां हार्ड की कोई कमी नहीं थी।
उसके साथ का एक और लड़का था, लेदर जैकेट, पोनी-टेल और तगड़ी बाहों पे टैटू।
दिया ने शायद लड़कों के लिये ये कंडीशन रखी थी कि कोई भी 6 फीट से कम नहीं था और सारे के सारे।
तब तक बंटू ने हाथ बढ़ाया- “आइ ऐम…”
“मुझे मालूम है…” उससे हाथ मिलाते हुये मैं बोली- “बंटू, ऐंड आई ऐम अनुजा…”
तब तक देवेश ड्रिंक लेकर आया और कहा- “फार यू…”
एक लम्बे से ग्लास में, क्र्श्ड आइस और कोक।
थैंक्स कहकर मैंने ग्लास ले लिया।
पीछे-पीछे दिया ने कहा-
“ऐन इम्पार्टेंट एनाउंसमेंट… अनुजा लव्स काक आफ देवेश… आई मीन कोक…”
लेकिन उसकी बात का पिछला हिस्सा तालियों और शोर में डूब गया।
बंटू का चमचा बोला-
“विल शी टेक इट?”
और बिकनी टाप में चमची बोली-
“बाई नो मीन्स…”
मेरी सहेली इरा बोली-
“अनुजा एक घूंट में…”
और मैंने ग्लास मुँह से लगा लिया।
अनुजा… अनुजा… सारे लड़के लड़कियां गोल घेरा बनाकर मेरे चारों ओर क्लैप कर रहे थे, चियर्स कर रहे थे-
अनुजा… अनुजा।
एक घूंट, दो घूंट, बहुत बुरा सा स्वाद लग रहा था।
शायद इम्पोर्टेड… मितली सी आ रही थी। लेकिन तीन घूंट… और मैंने ग्लास खाली कर दिया।
हल्का सा सिर घूम रहा था लेकिन चारों ओर चियर्स, शोर और मेरे साथ सबने अपने ग्लास खाली कर दिये।
देवेश ने मेरे कंधे पे हाथ रखकर थाम रखा था।
पीछे से कोई बोला- “स्पाइक…”
लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया। तब तक डी॰जे॰ चालू हो गया था- “कर गई चूल…” और मैं और देवेश चालू हो गये।
तब तक देवेश आ गया।
कई लड़कियां उसे घेरकर खड़ी थीं।
“वाउ…”
जोर से बोलकर उसने मुझे कस के बांहों में भर लिया, और कहा-
“हे, सुन जरा इसको बाकी लोगों से मिला तब तक…”
मैं और दिया नये आये मेहमानों को रिसीव करने में लग गई। दिवेश सबसे-
“आज रात की सबसे सेक्सी लड़की से मिलो…” कहकर मुझे मिलवाता।
“अरे बाकी लड़कियां तुझे कच्चा चबा जायेंगी…”
मैंने उसे चिढ़ाया।
“बाकी का तो पता नहीं लेकिन तू अगर कच्चा चबा जाये तो मैं तैयार हूं…”
वो बोला।
उसका मतलब समझकर मैं शर्मा गई।
तब तक मेरे क्लास की एक लड़की की आवाज आई-
“अरे, अनुजा तो आज पहचान में नहीं आ रही है…”
दूसरी लड़की- “पहचान में नहीं आ रही है या देवेश के साथ हमें पहचान नहीं रही है?”
देवेश से मैं बोली- “एक मिनट…” और उनकी ओर मुड़ी-
“नालायकों मैं नहीं पहचान रही हूं या तुम सब?”
सबके हाथ में ड्रिंक्स थे, लड़के तो सारे के सारे हार्ड ड्रिंक्स। लड़कियां कुछ तो वाइन और कुछ साफ्ट।
हम सब चुहल करने लगीं की तभी एक वेट्रेस ड्रिंक्स ट्रे लेकर गुजरी।
तो इरा ने पूछा-
“हे एक इधर… बोल क्या लेगी?”
“ना ना मैं कुछ नहीं। मेरा गला खराब है…”
“अरे साफ्ट भी है इसके पास…” एक बोली- “ले-ले…”
“ना ना…” मुझे मालूम था ऐसी पाटिर्यों में कई बार कोई शरारत करके,...
“ये सूरत और जवानी और साफ्ट… ना ना यू मस्ट टेक समथिंग हार्ड…”
पीछे से एक लड़के की आवाज आई।
मैंने देखा तो बंटू था, लम्बा, राक प्लेयर, ऐसी पाटियों की जान, एक बड़े अमीर बाप का बेटा।
लड़कियां खुद उसके पीछे पड़ी रहतीं थीं, और थीं भी उसके साथ दो-तीन।
पंक लुक में टैटूज, पियर्सिंगस, बिकिनी टाप और मिनी स्कर्ट और यहां हार्ड की कोई कमी नहीं थी।
उसके साथ का एक और लड़का था, लेदर जैकेट, पोनी-टेल और तगड़ी बाहों पे टैटू।
दिया ने शायद लड़कों के लिये ये कंडीशन रखी थी कि कोई भी 6 फीट से कम नहीं था और सारे के सारे।
तब तक बंटू ने हाथ बढ़ाया- “आइ ऐम…”
“मुझे मालूम है…” उससे हाथ मिलाते हुये मैं बोली- “बंटू, ऐंड आई ऐम अनुजा…”
तब तक देवेश ड्रिंक लेकर आया और कहा- “फार यू…”
एक लम्बे से ग्लास में, क्र्श्ड आइस और कोक।
थैंक्स कहकर मैंने ग्लास ले लिया।
पीछे-पीछे दिया ने कहा-
“ऐन इम्पार्टेंट एनाउंसमेंट… अनुजा लव्स काक आफ देवेश… आई मीन कोक…”
लेकिन उसकी बात का पिछला हिस्सा तालियों और शोर में डूब गया।
बंटू का चमचा बोला-
“विल शी टेक इट?”
और बिकनी टाप में चमची बोली-
“बाई नो मीन्स…”
मेरी सहेली इरा बोली-
“अनुजा एक घूंट में…”
और मैंने ग्लास मुँह से लगा लिया।
अनुजा… अनुजा… सारे लड़के लड़कियां गोल घेरा बनाकर मेरे चारों ओर क्लैप कर रहे थे, चियर्स कर रहे थे-
अनुजा… अनुजा।
एक घूंट, दो घूंट, बहुत बुरा सा स्वाद लग रहा था।
शायद इम्पोर्टेड… मितली सी आ रही थी। लेकिन तीन घूंट… और मैंने ग्लास खाली कर दिया।
हल्का सा सिर घूम रहा था लेकिन चारों ओर चियर्स, शोर और मेरे साथ सबने अपने ग्लास खाली कर दिये।
देवेश ने मेरे कंधे पे हाथ रखकर थाम रखा था।
पीछे से कोई बोला- “स्पाइक…”
लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया। तब तक डी॰जे॰ चालू हो गया था- “कर गई चूल…” और मैं और देवेश चालू हो गये।