30-03-2020, 09:49 AM
अनुजा की कहानी , अनुजा की जुबानी
दिया की बर्थडे
हाँ तो हम लोग कहाँ पर थे , मैंने कहाँ तक बताया था ? ओके जब मैं देवेश की बाइक पे बैठ के घर आयी थी ,
देवश , एकदम हैंडसम हंक , स्साली साली लड़कियां मरती हैं , कोई देख लेती यो तो उस कमीनी की सुलग जाती
तो , बात आगे बढाती हूँ , वहीँ से , ठीक ,...
हम दोनों देवेश की बाइक के पास खड़े थे, मैं दिया का इंतजार कर रही थी।
दिया आई तो हँसती हुई अपना मोबाईल बैग में रखती हुई वो बोली-
“अरे सुन, मैं जरा रोमी के साथ जा रही हूं। दो एक घंटे मस्ती के लिये। मैंने मम्मी से बोला है की मैं तुम्हारे साथ हूं, ज्वाइंट स्टडी कर रही हूं। जरा देख लेना यार अगर मम्मी पूछे तो…”
तो घबड़ाकर मैंने पूछा-
"मैं घर कैसे जाऊँगी?"
पल भर के लिये उसने सोचा फिर बोली-
“अरे यार, थोड़ा देवेश को मक्खन लगा ना… छोड़ आयेगा तुझे घर पे। और वैसे भी तेरी भाभी जाब पे जाती हैं, घर तो खाली ही होगा। तू भी मस्ती कर लेना…” और बिना मेरे जवाब का इंतजार किये वो रोमी के साथ चली गई।
तब तक देवेश अपनी बाइक लेकर आया तो मैंने कहा-
“हे, दिया तो रोमी के साथ चली गई। तुम मुझे घर तक ड्राप कर दो ना…”
वो कुछ नहीं बोला तो मुझे लगा की कहीं वो गुस्सा तो नहीं हो गया, जो मैंने इतनी जोर से झिड़क दिया था। इसलिये मैं फिर बोली-
“प्लीज…”
देवेश- “अच्छा चल…”
और अबकी बाइक पे मैंने खुद उसे पीछे से पकड़ लिया। पीछे से मैं उसे चिढ़ाते हुये बोली-
“पिक्चर तो तूने देखने नहीं दी…”
देवेश- “अरे बगल में प्रियंका चोपड़ा बैठी हो तो पिक्चर कौन देख सकता है?”
मैं- “हे, इतना मक्खन मत लगा की मैं फिसल जाऊँ…”
देवेश- “अरे, वही तो कोशिश कर रहा हूं, पर तुम फिसलती ही नहीं…” वो बोला। फिर घर पहुँचकर वो बोला- “आई ऐम सारी, मैं कुछ ज्यादा ही…”
“अरे नहीं…” मैं बोली- “आई शुड से सारी… मैंने तुम्हें कुछ बोल दिया हो तो बुरा मत मानना…”
देवेश- “तो चलो फिर दोनों की सारी कैंसिल…” वो बोला और मैं हँस दी एकदम। बाईक पे मैं उसे जाते पीछे से देखती रही, हैंडसम हंक।
इसके 10-15 दिन के अंदर ही दिया फिर एक दिन मेरे घर आई। कहने लगी- “परसों मेरी अट्ठारहवीं बर्थडे पार्टी है, घर पे जरूर आना…”
मैं- “अरे यार, मुझे मालूम है कि तेरी बर्थडे तो मार्च में पड़ती है…” मैं कैसे भूल सकती थी, मुझसे ठीक 6 महीने बड़ी है, हर बात में मुझे बच्ची कहकर चिढ़ाती थी।
दिया- “अरे यार, उस समय तो अपने बोर्ड के एक्जाम चल रहे होंगें, फिर तू जैसी पढ़ाकू तो कमरे के बाहर नहीं निकलेगी। और बिना अपनी बेस्ट फ्रेंड के बर्थडे में क्या मजा आयेगा? थोड़ा आगे पीछे तो चलता ही है…”
तब तक भाभी आ गईं।
दिया उनको मक्खन लगाती बोली-
“भाभी प्लीज… ये आपकी ननद है ना… जरा इसको समझाइये। परसों मेरी 18वीं बर्थडे पार्टी है और ये ना-नुकुर कर रही है आने में…”
भाभी- “एकदम जायेगी… और न जायेगी तो मैं इसको धक्के देकर भेज दूंगी…” हँसकर वो बोलीं।
और फिर दिया के गाल पे कस के पिंच करती हुयीं बोलीं- “तो परसों मेरी ये ननद एडल्ट हो जायेगी, फिट फार एडल्टरी… तब तो बड़ी धमाकेदार पार्टी होनी चाहिये। एकदम भेज दूंगी मैं…”
दिया-
“और भाभी एक बात और… शायद थोड़ी देर हो जाये। इसलिये रात में मेरे साथ ही रुक जायेगी। मैं अगले दिन सुबह ही लौटा दूंगी… एकदम अन-डैमेज्ड…” हँसकर वो बोली।
असल में पार्टी के बारे में जाना मैंने देवेश के ही चक्कर में तय किया , मुझे क्या मालूम नहीं था क्या होता है ,दिया की पार्टियों में , ...और दिया के ब्वाय फ्रेंड ,.. कहीं भी , अब उस दिन रोमी ही दिया के साथ पिक्चर हाल में , बस चढ़ नहीं गया उसके ऊपर बाकि सब काम तो हो ही रहा था , और मै और देवेश ठीक बगल में बैठे थे , ... तो दिया ने भाभी के सामने ही बोला , देवेश ने साफ़ बोला है की अनुजा नहीं आएगी तो वो नहीं आएगा , और सिर्फ इस पार्टी में ही नहीं किसी पार्टी में नहीं आएगा। मन ही मन तो बहुत खुश हुयी , देख अनुजा असर तेरा , पर ऊपर से गुस्से से बोली ,
" तो देवेश ने सीधे मुझे क्यों नहीं फोन किया , " मैं मुंह बना के बोली
पर जब दिया ने समझाया तो मुझे लगा की गलती तो मेरी ही थी , उलटा चोर कोतवाल को डांटे , और वही दिया ने बताया , मैंने उसे फोन नंबर अपना बताया नहीं , देवेश ने कित्ता कित्ता कहा लेकिन मैं भी न , तो कैसे फोन करता। खैर देवेश से दिया ने ही बात कराया और वो बेचारा क्या क्या नहीं कहा उसने रिक्वेस्ट में , उसके बाद तो मना करने की होती नहीं थी। एक लिमिट होती है।
असल में देवेश के बारे में मैंने ज्यादा , ... कालेज का सबसे ज्यादा हैंडसम हंक , लड़कियां स्साली सब मरती हैं अगर एक इशारा कर दे तो कालेज की कोई भी लड़की टांगे फ़ैलाने पर तैयार हो जाती , पर देवश , वो बिचारा तो मेरे पीछे , मैं डिबेट कम्पटीशन में तो मुझे चीयर करने , ... और उस दिन पिक्चर के बाद मुझे तगड़ा गिल्ट हुआ , बगल में तो पूरी ब्ल्यू फिल्म चल रही थी , और बेचारे उस लड़के ने सिर्फ मेरे वहां हाथ रख दिया तो मैं उछल पड़ी ,
हाँ ये बात जरूर है इंटरवल के बाद टॉप के ऊपर से , एक दो बार हलके से छूने दिया ,
और जैसे ही उस बदमाश ने छुआ मैं एकदम गिनगीना गया, मन तो कर रहा था जैसे रोमी दिया के साथ कर रहा है , पर मैं भी न
देवेश ने ज़रा सा टॉप के एक दो बटन , हद से हद एक दो ऊँगली ही डालता , ... लेकिन मैंने जोर से झिड़क दिया , उसका हाथ भी हटा दिया ,
मुझे तुरंत लगा बड़ी गलती होगयी , इत्ते प्यार से और कौन से मेरा घट जाता , बगल में दिया की टॉप ब्रा सब खुला हुआ था , दिया खुद रोमी खोल बाहर निकाल के , ये नहीं की दिया सिर्फ जींस के ऊपर से , इतना तो हर लड़की ,
बेचारा देवेश एकदम से , ...
बाद में मुझे लगा की अगर वो थोड़ा जबरदस्त करके टॉप के अंदर हाथ डाल देता तो शायद मैं मना नहीं करती ,
लेकिन वो लड़का इत्ता , मुझे उसके बाद छुआ नहीं
मैं समझ गयी ये गुस्सा हो गया है , और कौन लड़का नहीं गुस्सा होता , रोमी तो दिया के लेकर ' असली प्रोग्राम ' के लिए चल दिया और मैं ऐसी छुई मुई बन रही थी की जरा सा ,
और ऊपर से देवेश , मैंने एक बार कहा और वो मुझे घर ड्राप करने को तैयार हो गया , ... मेरे सॉरी बोलने से पहले वो बोला , फिर मैंने भी , उसके बाद तो कालेज में कैंटीन में कितनी बार हम दोनों , उसकी बाइक पर ,...
और अब मैं भी थोड़ा बहुत उसे लिफ्ट देने लगी थी , दिया इतना तो नहीं लेकिन अब इतना छुई मुई भी नहीं थी
और अब तो मैं रोज देवेश की बाइक पर ही कालेज से ,
सारी की सारी चिढ़ती थीं , मुझे देवेश वाली कहती थीं ,
कहें तो कहें ,
फिर मेरी भाभी भी तो हरदम उकसाती रहती थीं , मेरे बैग में मॉर्निंग आफ्टर वाली पिल भी डाल दी थी , ... इसलिए उनकी ओर से तो कोई प्रॉब्लम ही नहीं थी
मुझे ही ये सब थोड़ा गड़बड़ लगता था , झिझक भी होती थी ,...
पार्टी वाले दिन मैं सोच रही थी की क्या पहनूं? शलवार-सूट या?
तब तक भाभी आ गईं।
और उन्होंने शलवार सूट वापस वार्ड-रोब में रख दिया।
दिया की बर्थडे
हाँ तो हम लोग कहाँ पर थे , मैंने कहाँ तक बताया था ? ओके जब मैं देवेश की बाइक पे बैठ के घर आयी थी ,
देवश , एकदम हैंडसम हंक , स्साली साली लड़कियां मरती हैं , कोई देख लेती यो तो उस कमीनी की सुलग जाती
तो , बात आगे बढाती हूँ , वहीँ से , ठीक ,...
हम दोनों देवेश की बाइक के पास खड़े थे, मैं दिया का इंतजार कर रही थी।
दिया आई तो हँसती हुई अपना मोबाईल बैग में रखती हुई वो बोली-
“अरे सुन, मैं जरा रोमी के साथ जा रही हूं। दो एक घंटे मस्ती के लिये। मैंने मम्मी से बोला है की मैं तुम्हारे साथ हूं, ज्वाइंट स्टडी कर रही हूं। जरा देख लेना यार अगर मम्मी पूछे तो…”
तो घबड़ाकर मैंने पूछा-
"मैं घर कैसे जाऊँगी?"
पल भर के लिये उसने सोचा फिर बोली-
“अरे यार, थोड़ा देवेश को मक्खन लगा ना… छोड़ आयेगा तुझे घर पे। और वैसे भी तेरी भाभी जाब पे जाती हैं, घर तो खाली ही होगा। तू भी मस्ती कर लेना…” और बिना मेरे जवाब का इंतजार किये वो रोमी के साथ चली गई।
तब तक देवेश अपनी बाइक लेकर आया तो मैंने कहा-
“हे, दिया तो रोमी के साथ चली गई। तुम मुझे घर तक ड्राप कर दो ना…”
वो कुछ नहीं बोला तो मुझे लगा की कहीं वो गुस्सा तो नहीं हो गया, जो मैंने इतनी जोर से झिड़क दिया था। इसलिये मैं फिर बोली-
“प्लीज…”
देवेश- “अच्छा चल…”
और अबकी बाइक पे मैंने खुद उसे पीछे से पकड़ लिया। पीछे से मैं उसे चिढ़ाते हुये बोली-
“पिक्चर तो तूने देखने नहीं दी…”
देवेश- “अरे बगल में प्रियंका चोपड़ा बैठी हो तो पिक्चर कौन देख सकता है?”
मैं- “हे, इतना मक्खन मत लगा की मैं फिसल जाऊँ…”
देवेश- “अरे, वही तो कोशिश कर रहा हूं, पर तुम फिसलती ही नहीं…” वो बोला। फिर घर पहुँचकर वो बोला- “आई ऐम सारी, मैं कुछ ज्यादा ही…”
“अरे नहीं…” मैं बोली- “आई शुड से सारी… मैंने तुम्हें कुछ बोल दिया हो तो बुरा मत मानना…”
देवेश- “तो चलो फिर दोनों की सारी कैंसिल…” वो बोला और मैं हँस दी एकदम। बाईक पे मैं उसे जाते पीछे से देखती रही, हैंडसम हंक।
इसके 10-15 दिन के अंदर ही दिया फिर एक दिन मेरे घर आई। कहने लगी- “परसों मेरी अट्ठारहवीं बर्थडे पार्टी है, घर पे जरूर आना…”
मैं- “अरे यार, मुझे मालूम है कि तेरी बर्थडे तो मार्च में पड़ती है…” मैं कैसे भूल सकती थी, मुझसे ठीक 6 महीने बड़ी है, हर बात में मुझे बच्ची कहकर चिढ़ाती थी।
दिया- “अरे यार, उस समय तो अपने बोर्ड के एक्जाम चल रहे होंगें, फिर तू जैसी पढ़ाकू तो कमरे के बाहर नहीं निकलेगी। और बिना अपनी बेस्ट फ्रेंड के बर्थडे में क्या मजा आयेगा? थोड़ा आगे पीछे तो चलता ही है…”
तब तक भाभी आ गईं।
दिया उनको मक्खन लगाती बोली-
“भाभी प्लीज… ये आपकी ननद है ना… जरा इसको समझाइये। परसों मेरी 18वीं बर्थडे पार्टी है और ये ना-नुकुर कर रही है आने में…”
भाभी- “एकदम जायेगी… और न जायेगी तो मैं इसको धक्के देकर भेज दूंगी…” हँसकर वो बोलीं।
और फिर दिया के गाल पे कस के पिंच करती हुयीं बोलीं- “तो परसों मेरी ये ननद एडल्ट हो जायेगी, फिट फार एडल्टरी… तब तो बड़ी धमाकेदार पार्टी होनी चाहिये। एकदम भेज दूंगी मैं…”
दिया-
“और भाभी एक बात और… शायद थोड़ी देर हो जाये। इसलिये रात में मेरे साथ ही रुक जायेगी। मैं अगले दिन सुबह ही लौटा दूंगी… एकदम अन-डैमेज्ड…” हँसकर वो बोली।
असल में पार्टी के बारे में जाना मैंने देवेश के ही चक्कर में तय किया , मुझे क्या मालूम नहीं था क्या होता है ,दिया की पार्टियों में , ...और दिया के ब्वाय फ्रेंड ,.. कहीं भी , अब उस दिन रोमी ही दिया के साथ पिक्चर हाल में , बस चढ़ नहीं गया उसके ऊपर बाकि सब काम तो हो ही रहा था , और मै और देवेश ठीक बगल में बैठे थे , ... तो दिया ने भाभी के सामने ही बोला , देवेश ने साफ़ बोला है की अनुजा नहीं आएगी तो वो नहीं आएगा , और सिर्फ इस पार्टी में ही नहीं किसी पार्टी में नहीं आएगा। मन ही मन तो बहुत खुश हुयी , देख अनुजा असर तेरा , पर ऊपर से गुस्से से बोली ,
" तो देवेश ने सीधे मुझे क्यों नहीं फोन किया , " मैं मुंह बना के बोली
पर जब दिया ने समझाया तो मुझे लगा की गलती तो मेरी ही थी , उलटा चोर कोतवाल को डांटे , और वही दिया ने बताया , मैंने उसे फोन नंबर अपना बताया नहीं , देवेश ने कित्ता कित्ता कहा लेकिन मैं भी न , तो कैसे फोन करता। खैर देवेश से दिया ने ही बात कराया और वो बेचारा क्या क्या नहीं कहा उसने रिक्वेस्ट में , उसके बाद तो मना करने की होती नहीं थी। एक लिमिट होती है।
असल में देवेश के बारे में मैंने ज्यादा , ... कालेज का सबसे ज्यादा हैंडसम हंक , लड़कियां स्साली सब मरती हैं अगर एक इशारा कर दे तो कालेज की कोई भी लड़की टांगे फ़ैलाने पर तैयार हो जाती , पर देवश , वो बिचारा तो मेरे पीछे , मैं डिबेट कम्पटीशन में तो मुझे चीयर करने , ... और उस दिन पिक्चर के बाद मुझे तगड़ा गिल्ट हुआ , बगल में तो पूरी ब्ल्यू फिल्म चल रही थी , और बेचारे उस लड़के ने सिर्फ मेरे वहां हाथ रख दिया तो मैं उछल पड़ी ,
हाँ ये बात जरूर है इंटरवल के बाद टॉप के ऊपर से , एक दो बार हलके से छूने दिया ,
और जैसे ही उस बदमाश ने छुआ मैं एकदम गिनगीना गया, मन तो कर रहा था जैसे रोमी दिया के साथ कर रहा है , पर मैं भी न
देवेश ने ज़रा सा टॉप के एक दो बटन , हद से हद एक दो ऊँगली ही डालता , ... लेकिन मैंने जोर से झिड़क दिया , उसका हाथ भी हटा दिया ,
मुझे तुरंत लगा बड़ी गलती होगयी , इत्ते प्यार से और कौन से मेरा घट जाता , बगल में दिया की टॉप ब्रा सब खुला हुआ था , दिया खुद रोमी खोल बाहर निकाल के , ये नहीं की दिया सिर्फ जींस के ऊपर से , इतना तो हर लड़की ,
बेचारा देवेश एकदम से , ...
बाद में मुझे लगा की अगर वो थोड़ा जबरदस्त करके टॉप के अंदर हाथ डाल देता तो शायद मैं मना नहीं करती ,
लेकिन वो लड़का इत्ता , मुझे उसके बाद छुआ नहीं
मैं समझ गयी ये गुस्सा हो गया है , और कौन लड़का नहीं गुस्सा होता , रोमी तो दिया के लेकर ' असली प्रोग्राम ' के लिए चल दिया और मैं ऐसी छुई मुई बन रही थी की जरा सा ,
और ऊपर से देवेश , मैंने एक बार कहा और वो मुझे घर ड्राप करने को तैयार हो गया , ... मेरे सॉरी बोलने से पहले वो बोला , फिर मैंने भी , उसके बाद तो कालेज में कैंटीन में कितनी बार हम दोनों , उसकी बाइक पर ,...
और अब मैं भी थोड़ा बहुत उसे लिफ्ट देने लगी थी , दिया इतना तो नहीं लेकिन अब इतना छुई मुई भी नहीं थी
और अब तो मैं रोज देवेश की बाइक पर ही कालेज से ,
सारी की सारी चिढ़ती थीं , मुझे देवेश वाली कहती थीं ,
कहें तो कहें ,
फिर मेरी भाभी भी तो हरदम उकसाती रहती थीं , मेरे बैग में मॉर्निंग आफ्टर वाली पिल भी डाल दी थी , ... इसलिए उनकी ओर से तो कोई प्रॉब्लम ही नहीं थी
मुझे ही ये सब थोड़ा गड़बड़ लगता था , झिझक भी होती थी ,...
पार्टी वाले दिन मैं सोच रही थी की क्या पहनूं? शलवार-सूट या?
तब तक भाभी आ गईं।
और उन्होंने शलवार सूट वापस वार्ड-रोब में रख दिया।