29-03-2020, 08:18 AM
बहुत ही बढ़िया थ्रेड है , मैं भी कोशिश करुँगी बीच बीच में आ कर अपनी यादें ताजा करूँ और बस कुछ बतकही , ... ब्रा और कच्ची अमिया की बात अपने एकदम बढ़िया शुरू की है , जब बचपन और जवानी के बीच में लड़की झूलती है , बाहर निकलो तो गली के लड़के जवान होने का अहसास कराते रहते हैं , और घर में फ्राक बहन कर , बड़ी औरतें ,... कुछ भी बात करेंगी और कोई इशारा करेगी की ' ये बैठी है ' तो दूसरी मुंह बिचका के बोलेगी , ' अरे अभी तो ये बच्ची है "
बार बार शीशे के सामने , कॉलेज के लिए तैयार होते समय , निगाह वहीँ आ जाना , बस आते हुए उभारों पर , कॉलेज जाते हुए , किताबें इस तरह की ' वो दिखाई ' न दें , ... सहेलियों की छेड़ छाड़ , रास्ते में लौंडे , लेकिन घर लौट कर मम्मी की गोद में इठलाते हुए , भाई बहनों से वही झगड़े , मार पीट , ( कुछ कजिन्स की बात और है उन्हें भी उभार दिखने लगते हैं )
पहली बार ब्रा का खरीदना , लेकिन सबसे भयानक होता है , पहली बार के पीरियड का अहसास ,.... और मम्मी का समझाना बुझाना
मेरे लिए सेक्स लड़कियों /औरतों के जिंदगीं में पुरुर्षों से एकदम अलग माइलस्टोन की तरह आता है , उनके लिए ये सिर्फ मज़ा नहीं होता , जिंदगी का हिस्सा होता है
पहली पीरियड - ब्लड शेड
पहले सम्भोग का डर और फिर एक खून , और सबसे बड़ा डर प्रिगनेंसी
शादी के बाद भी , पति कैसा होगा , ... सेक्स का डर मुझे लगता है पहली बार कई बार पुरुषों को ज्यादा होता है , हो पायेगा की नहीं , ,,, कितनी बार ,...
और ज्यादातर समय महिलाओं को शादी के बाद भी आर्गाज्म का सुख भी कभी कभी ही मिलता है , उसके लिए सेक्स जबतक केयर के साथ न जुड़ा हो वो एकदम बेकार है ,
और फिर प्रिग्नेंट होने का भी डर ,... और न प्रिगनेंट होने का डर सिर्फ
प्रिग्नेंसी का पूरा पीरियड , और डिलीवरी ,...
आपने बहुत अच्छासूत्र खोला है , बहुत सी जगहे घर में ऐसी होती हैं जो सिर्फ लड़कियों के लिए औरतों के लिए होती हैं , और उनकी बातचीत के लिए
बहुत से रीतिरिवाज , लोक गीत , ... इन सबकी चर्चा इस सूत्र में होनी चाहिए , घर आंगन की तरह , मैं बीच बीच में कोशिश करुँगी आते रहने की जुड़ने की ,
एक बात और , सेक्स के साथ जैसे लोक गीत रिवाज , ...वो चीजें जिनसे घर में सिर्फ औरतें जुडी रहती हैं उनपर भी चर्चा हो तो अच्छा रहेगा ,
बार बार शीशे के सामने , कॉलेज के लिए तैयार होते समय , निगाह वहीँ आ जाना , बस आते हुए उभारों पर , कॉलेज जाते हुए , किताबें इस तरह की ' वो दिखाई ' न दें , ... सहेलियों की छेड़ छाड़ , रास्ते में लौंडे , लेकिन घर लौट कर मम्मी की गोद में इठलाते हुए , भाई बहनों से वही झगड़े , मार पीट , ( कुछ कजिन्स की बात और है उन्हें भी उभार दिखने लगते हैं )
पहली बार ब्रा का खरीदना , लेकिन सबसे भयानक होता है , पहली बार के पीरियड का अहसास ,.... और मम्मी का समझाना बुझाना
मेरे लिए सेक्स लड़कियों /औरतों के जिंदगीं में पुरुर्षों से एकदम अलग माइलस्टोन की तरह आता है , उनके लिए ये सिर्फ मज़ा नहीं होता , जिंदगी का हिस्सा होता है
पहली पीरियड - ब्लड शेड
पहले सम्भोग का डर और फिर एक खून , और सबसे बड़ा डर प्रिगनेंसी
शादी के बाद भी , पति कैसा होगा , ... सेक्स का डर मुझे लगता है पहली बार कई बार पुरुषों को ज्यादा होता है , हो पायेगा की नहीं , ,,, कितनी बार ,...
और ज्यादातर समय महिलाओं को शादी के बाद भी आर्गाज्म का सुख भी कभी कभी ही मिलता है , उसके लिए सेक्स जबतक केयर के साथ न जुड़ा हो वो एकदम बेकार है ,
और फिर प्रिग्नेंट होने का भी डर ,... और न प्रिगनेंट होने का डर सिर्फ
प्रिग्नेंसी का पूरा पीरियड , और डिलीवरी ,...
आपने बहुत अच्छासूत्र खोला है , बहुत सी जगहे घर में ऐसी होती हैं जो सिर्फ लड़कियों के लिए औरतों के लिए होती हैं , और उनकी बातचीत के लिए
बहुत से रीतिरिवाज , लोक गीत , ... इन सबकी चर्चा इस सूत्र में होनी चाहिए , घर आंगन की तरह , मैं बीच बीच में कोशिश करुँगी आते रहने की जुड़ने की ,
एक बात और , सेक्स के साथ जैसे लोक गीत रिवाज , ...वो चीजें जिनसे घर में सिर्फ औरतें जुडी रहती हैं उनपर भी चर्चा हो तो अच्छा रहेगा ,