28-03-2020, 08:22 AM
लिप सर्विस
फटा पोस्टर निकला हीरो खूब मोटा लम्बा , एकदम कड़क , बेताब , भूखा , कड़ियल नाग ,
सुपाड़ा खुला ,
बस मैंने जीभ की टिप से झट से लिक कर लिया , उसकी एकलौती आँख को ,
और फिर लपड़ लपड़ ,...
लेकिन मैं जानती थी समय का महत्व , खास तौर से जब एक ननद जल्द ही आने वाली हो ,
मैंने बिना इन्तजार किये आधे से ज्यादा गप कर लिया और पूरी ताकत से चूसने लगी , साथ में मेरी जीभ उनके खुले सुपाड़े पर डांस करती , ताज़ी लाल लिपस्टिक लगे होंठ , कस के रगड़ते , ...
असर तुरंत हुआ , थोड़ा सा झुक के उन्होंने मेरे सर को दोनों हाथों से पकड़ा , और कस के ठोंक दिया ा
अब वो खुल के मेरा मुंह चोद रहे थे , क्या कोई मर्द बुर चोदेगा ,
जिस तरह से मेरा साजन मुंह चोदता था , इतना मजा आता था की बस , मैं उन्हें मुंह उठा के देखती रहती थी ,
अपनी बड़ी बड़ी दीये सी आँखों से , उनकी आँखो को , जिसमें मैं बसी थी , जागते भी सोते भी , ..
मेरे गाल फटे पड़ रहे थे ,
जब सुपाड़ा हलक से टकराता बस जान नहीं निकलती ,
लेकिन इस दर्द को तो मैं तरसती थी , जब वो पास नहीं होते थे ,
यही पल तो अगल पांच दिन तक मेरे सहारे होने वाले थे , जब ये लड़का पास नहीं होगा , ...
और बदमाशी कर के मैंने अपने मुंह से 'उसे ' बाहर निकाल लिया , ...
और मुंह हलके से दूर कर के उनकी आँखों में देखने चिढ़ाने लगी ,
एक बार मैं पलके झुका लेती , उसे चिढ़ाती , ...
वो बेक़रार , बेसबरा , ... मालुम उसे भी था ,... मिलेगा पर एक पल का इंतजार उसे नहीं होता था , मैं बस खूंटे के बेस छोटी सी चुम्मी लेती , फिर एक लिक
नीचे से ऊपर तक , सिर्फ लिक और वो भी सुपाड़े के पहले जाके वापस ,...
सच में उसे तंग करने में बहुत मज़ा आता था , उस बुद्धूराम को क्या मालूम उससे ज्यादा मेरा मन करता था ,
उस ' मोटू' को मुंह में लेने का , चूसने का कस कस के , ... और मुझसे नहीं रहा गया मैंने कस के पूरा मुंह में ,
अब धीरे धीरे मैं भी डीप थ्रोट में एक्सपर्ट हो गयी थी ,
कस के , और मुझे कहीं ये भी लग रहा था, .... कहीं मेरी वो छिनाल ननद आ न जाए बीच में ,
बस वो आने वाली ही होगी ,
फिर चूसने के साथ मेरी उँगलियाँ भी मैदान में आ गयीं , ... उनकी आँखे मुंद गयी ,
ये सबसे बड़ा इंडिकेटर था की बस अब , अभी ,... वो झड़ने वाले हैं , ...
उसी समय दरवाजे पर दस्तक हुयी ,
भाभी , ...
वही शोख चुलबुली आवाज , ... मेरी ननद ,
" बस खोल रही हूँ "
मैंने एक पल के लिए मुंह खोला , उसे जवाब और दुबारा कस के ,
पता नहीं मेरे कस के चूसने का असर हुआ , या मेरी शैतान उँगलियों का
या उनकी जवान होती बहन की शोख आवाज़ का , ....
ज्वालामुखी फुट पड़ा , ... और बार बार , सफ़ेद फुहारें , ... सब मेरे मुंह में , ... मेरे गाल एकदम फूल गए , ...
पर आज इतने से मेरा काम नहीं चलने वाला था , ... मैंने बताया था वो डबल बैरेल वाले थे , ... कुछ देर बाद दूसरा धमाका ,...
मैं उन्हें जोर जोर से मुठिया रही थी , लंड के बेस पर ऊँगली से दबा रही थी , दूसरा धमाका , ...
पहले से भी तेज खूब ज्यादा , मैंने सब कुछ अपने मुंह में लेने की कोशिश की , पर इतना ज्यादा था की ,
कुछ बह कर मेरी ठुड्डी पर , कुछ सरक कर मेरी गरदन फिसल कर , खुले लो कट गले वाले ब्लाउज से मेरी गोरी गदरायी गोलाइयों पर , ...
और तभी फिर आवाज आयी ,
" भाभी खोलिये न क्या कर रही हैं , ... "
मेरी ननद की छेड़ती खनकती आवाज
फटा पोस्टर निकला हीरो खूब मोटा लम्बा , एकदम कड़क , बेताब , भूखा , कड़ियल नाग ,
सुपाड़ा खुला ,
बस मैंने जीभ की टिप से झट से लिक कर लिया , उसकी एकलौती आँख को ,
और फिर लपड़ लपड़ ,...
लेकिन मैं जानती थी समय का महत्व , खास तौर से जब एक ननद जल्द ही आने वाली हो ,
मैंने बिना इन्तजार किये आधे से ज्यादा गप कर लिया और पूरी ताकत से चूसने लगी , साथ में मेरी जीभ उनके खुले सुपाड़े पर डांस करती , ताज़ी लाल लिपस्टिक लगे होंठ , कस के रगड़ते , ...
असर तुरंत हुआ , थोड़ा सा झुक के उन्होंने मेरे सर को दोनों हाथों से पकड़ा , और कस के ठोंक दिया ा
अब वो खुल के मेरा मुंह चोद रहे थे , क्या कोई मर्द बुर चोदेगा ,
जिस तरह से मेरा साजन मुंह चोदता था , इतना मजा आता था की बस , मैं उन्हें मुंह उठा के देखती रहती थी ,
अपनी बड़ी बड़ी दीये सी आँखों से , उनकी आँखो को , जिसमें मैं बसी थी , जागते भी सोते भी , ..
मेरे गाल फटे पड़ रहे थे ,
जब सुपाड़ा हलक से टकराता बस जान नहीं निकलती ,
लेकिन इस दर्द को तो मैं तरसती थी , जब वो पास नहीं होते थे ,
यही पल तो अगल पांच दिन तक मेरे सहारे होने वाले थे , जब ये लड़का पास नहीं होगा , ...
और बदमाशी कर के मैंने अपने मुंह से 'उसे ' बाहर निकाल लिया , ...
और मुंह हलके से दूर कर के उनकी आँखों में देखने चिढ़ाने लगी ,
एक बार मैं पलके झुका लेती , उसे चिढ़ाती , ...
वो बेक़रार , बेसबरा , ... मालुम उसे भी था ,... मिलेगा पर एक पल का इंतजार उसे नहीं होता था , मैं बस खूंटे के बेस छोटी सी चुम्मी लेती , फिर एक लिक
नीचे से ऊपर तक , सिर्फ लिक और वो भी सुपाड़े के पहले जाके वापस ,...
सच में उसे तंग करने में बहुत मज़ा आता था , उस बुद्धूराम को क्या मालूम उससे ज्यादा मेरा मन करता था ,
उस ' मोटू' को मुंह में लेने का , चूसने का कस कस के , ... और मुझसे नहीं रहा गया मैंने कस के पूरा मुंह में ,
अब धीरे धीरे मैं भी डीप थ्रोट में एक्सपर्ट हो गयी थी ,
कस के , और मुझे कहीं ये भी लग रहा था, .... कहीं मेरी वो छिनाल ननद आ न जाए बीच में ,
बस वो आने वाली ही होगी ,
फिर चूसने के साथ मेरी उँगलियाँ भी मैदान में आ गयीं , ... उनकी आँखे मुंद गयी ,
ये सबसे बड़ा इंडिकेटर था की बस अब , अभी ,... वो झड़ने वाले हैं , ...
उसी समय दरवाजे पर दस्तक हुयी ,
भाभी , ...
वही शोख चुलबुली आवाज , ... मेरी ननद ,
" बस खोल रही हूँ "
मैंने एक पल के लिए मुंह खोला , उसे जवाब और दुबारा कस के ,
पता नहीं मेरे कस के चूसने का असर हुआ , या मेरी शैतान उँगलियों का
या उनकी जवान होती बहन की शोख आवाज़ का , ....
ज्वालामुखी फुट पड़ा , ... और बार बार , सफ़ेद फुहारें , ... सब मेरे मुंह में , ... मेरे गाल एकदम फूल गए , ...
पर आज इतने से मेरा काम नहीं चलने वाला था , ... मैंने बताया था वो डबल बैरेल वाले थे , ... कुछ देर बाद दूसरा धमाका ,...
मैं उन्हें जोर जोर से मुठिया रही थी , लंड के बेस पर ऊँगली से दबा रही थी , दूसरा धमाका , ...
पहले से भी तेज खूब ज्यादा , मैंने सब कुछ अपने मुंह में लेने की कोशिश की , पर इतना ज्यादा था की ,
कुछ बह कर मेरी ठुड्डी पर , कुछ सरक कर मेरी गरदन फिसल कर , खुले लो कट गले वाले ब्लाउज से मेरी गोरी गदरायी गोलाइयों पर , ...
और तभी फिर आवाज आयी ,
" भाभी खोलिये न क्या कर रही हैं , ... "
मेरी ननद की छेड़ती खनकती आवाज