28-03-2020, 08:18 AM
जिद्द , एक क्वीकी
बस थोड़ी देर में दस बजने वाले थे ,
और ग्यारह, पौने ग्यारह बजे तक हमें नीचे पहुंच जाना था , १२ बजे तक खाना खतम कर के , उन्हें बनारस के लिए भी निकलना था ,
उसके पहले मुझे कमरा ठीक करना था , खुद तैयार होना था , इस लड़के को भी तैयार करना था और उसके सारे समान ,
वो चीखते , लैपटॉप का चार्जर , ... टिकट , ...
और कपडे भी वो कुछ लाते नहीं थे , सिर्फ एक लैपी का बैग
तो उनके पहनने के लिए कपडे , उनका बस चले तो दो रंग के मोज़े पहन कर चले जाते , पर नाक तो मेरी कटती न , ...
पहले मैंने रिंग की तरह कमर पर सिमटी साडी को ठीक किया ,
नाश्ते के बर्तन , ट्रे को समेटा , किनारे एक मेज पर रखा , और फिर पहले खुद अपने को तैयार करने में जुट गयी
कपडे का दुश्मन तो ये था ही , चूड़ी भी ,... कभी नहीं होता था पहली रात से , जितनी चूड़ी मैं पहने रहूं , उतनी बचें , ...
शुरू में तो घर में सबने समझा रखा था, इसलिए चूड़ी का डबल सेट , सुबह गिन गिन के उतनी पहनती , चटकी चूड़ियां बिस्तर पर से इकठ्ठा कर के एक पुड़िया में रख के सम्हाल के रखती ,
वरना छिनार ननदो की पहली निगाह मेरी चूड़ियों पर ही पड़ती , एक भी कम या ज्यादा हो जाये तो चिढ़ा चिढ़ा के , ...
एक बार मैचिंग चुडिया नहीं थी तो मैंने दूसरे रंग की पहन ली , बस,... सब ननदें , ...
अरे भाभी आप रात में हरी चूड़ी पहन के गयी थीं और सुबह सुबह लाल हो गयी ,
तो दूसरी बोलती ,
भाभी के मायके में ऐसी ही जादुई चूड़ी मिलती हैं , रात में रंग बदल लेती हैं ,
तो कोई जोड़ती ,
हाथ देख न भाभी का रंग भी थोड़ा बदल गया है , ये देख गाल पर कैसे निशान है
ये ननदें भी ,... चिढ़ाए तो बुरा लगता है और
न चिढ़ायें तो और बुरा लगता है , ...
ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी चूड़ी पहनती मैं सोच रही थी ,
अब इनके नाख़ून और दांतों के निशान , चाहे गालों पर हो या जोबन पर मैं नहीं छिपाती थी ,
मेरा मरद , चाहे जो करे मेरे साथ किसी को क्या
बिंदी तो हरदम रात में मेरे माथे से उतरकर हर रात कहीं इनकी देह से चिपक जाती थी ,
ढूंढ के हटानी पड़ती वरना इनकी भौजाइयां , इन्हे छेड़ छेड़ कर ,...
मैंने फ्रेश मेक अप किया , बिंदी , काजल , और डार्क रेड इनकी फेवरिट लिपस्टिक ,
उसके बाद , ... अब सुबह तो सारे कपडे , ... ब्रा पैंटी , फ्रेश पेटीकोट और , हाँ जब ये होते तो इन्हे उकसाने और चिढ़ाने के लिए एकदम लो कट , टाइट चोली पहनती ,
जैसे अगर ज़रा सा भी झुंकुं तो जोबन क्या निप्स तक दिख जाएँ ,...
फिर इनके सारे सामान इकट्ठे किये , लैपी , फोन , चार्जर , ... फिर इनके कपडे , आलमारी से ,
दस बज रहे थे , लेकिन वो आलसी अभी बिस्तर पर लेटा , मुझे लगा वो सो रहा होगा , ;लेकिन मैंने देखा वो टुकुर टुकुर देख रहा था ,
" हे आँख बंद , देख नहीं रहे हो मैं कपडे चेंज कर रही हूँ , बेशरम ,.... "
वो बेशर्मों की तरह खिस्स खिस्स मुस्करा रहे थे और ऊपर से बोले
" तो तुम भी देख लेना न "
और वो तो मैं करती ही ,
पहले दिन से ही ,... आज भी ,
उन्हें खींच कर बिस्तर से उठाया , कपडे दिए , पहनाया भी , ...
और हर बार की तरह , चड्ढी में बंद करने के पहले भी उसे सिर्फ चूमा नहीं बल्कि , चूसा भी , हलकी सी बाइट ,
और फिर चड्ढी के ऊपर से भी , ... हाँ मैं ये ध्यान रखती थी की इनका सुपाड़ा खुला रहे
ये इनकी सलहज , रीतू भाभी ने इन्हे बताया था और मुझे सहेजा था , बार बार ,... ये तेरी जिम्मेदारी है ,...
खुला सुपाड़ा रगड़ रगड़ कर के ,... थोड़ा डी सेन्सटाइज , इसलिए जल्दी झंडा नहीं डाउन होता ,...
पर आज मैंने गलती ये की , की उनके जींस के ऊपर से भी कस कस के थोड़ी देर रगड़ दिया , बल्ज एकदम तना ,... और
ये लड़का फिर वही जिद्द , एक क्वीकी ,...
मैंने बार बार घडी की ओर ध्यान दिलाया , सवा दस , ... फिर हम दोनों ने कपडे पहन लिए थे , कपडे क्रश हो जाते ,
अंत में वो जिद्दी , लालची , अपने होंठों से ऊँगली लगा के इशारा कर के बोला
" अच्छा चल यार , पिछली बार की तरह , ... एक क्विक ब्लो जॉब "
मेरी निगाह घडी के बाद मोबायल पर पड़ी , मेरी ननद के मेसेज पर पड़ा ,
भाभी पन्दरह बीस मिनट में पहुँच रही हूँ ,
मैंने एक बार उनके चेहरे की ओर देखा , एकदम बेचारे लग रहे थे , बेताब ,...
मुस्करायी मैं , जाकर दरवाजा ठीक से बंद किया , ... और के तकिया फर्श पर रख कर , घुटने उस पर रख कर बैठ गयी
सरररर , मैंने उनकी ज़िप खोल दी
फटा पोस्टर निकला हीरो खूब मोटा लम्बा , एकदम कड़क , बेताब , भूखा , कड़ियल नाग ,
सुपाड़ा खुला ,
बस मैंने जीभ की टिप से झट से लिक कर लिया , उसकी एकलौती आँख को , और फिर लपड़ लपड़ ,... लेकिन मैं जानती थी समय का महत्व , खास तौर से जब एक ननद जल्द ही आने वाली
बस थोड़ी देर में दस बजने वाले थे ,
और ग्यारह, पौने ग्यारह बजे तक हमें नीचे पहुंच जाना था , १२ बजे तक खाना खतम कर के , उन्हें बनारस के लिए भी निकलना था ,
उसके पहले मुझे कमरा ठीक करना था , खुद तैयार होना था , इस लड़के को भी तैयार करना था और उसके सारे समान ,
वो चीखते , लैपटॉप का चार्जर , ... टिकट , ...
और कपडे भी वो कुछ लाते नहीं थे , सिर्फ एक लैपी का बैग
तो उनके पहनने के लिए कपडे , उनका बस चले तो दो रंग के मोज़े पहन कर चले जाते , पर नाक तो मेरी कटती न , ...
पहले मैंने रिंग की तरह कमर पर सिमटी साडी को ठीक किया ,
नाश्ते के बर्तन , ट्रे को समेटा , किनारे एक मेज पर रखा , और फिर पहले खुद अपने को तैयार करने में जुट गयी
कपडे का दुश्मन तो ये था ही , चूड़ी भी ,... कभी नहीं होता था पहली रात से , जितनी चूड़ी मैं पहने रहूं , उतनी बचें , ...
शुरू में तो घर में सबने समझा रखा था, इसलिए चूड़ी का डबल सेट , सुबह गिन गिन के उतनी पहनती , चटकी चूड़ियां बिस्तर पर से इकठ्ठा कर के एक पुड़िया में रख के सम्हाल के रखती ,
वरना छिनार ननदो की पहली निगाह मेरी चूड़ियों पर ही पड़ती , एक भी कम या ज्यादा हो जाये तो चिढ़ा चिढ़ा के , ...
एक बार मैचिंग चुडिया नहीं थी तो मैंने दूसरे रंग की पहन ली , बस,... सब ननदें , ...
अरे भाभी आप रात में हरी चूड़ी पहन के गयी थीं और सुबह सुबह लाल हो गयी ,
तो दूसरी बोलती ,
भाभी के मायके में ऐसी ही जादुई चूड़ी मिलती हैं , रात में रंग बदल लेती हैं ,
तो कोई जोड़ती ,
हाथ देख न भाभी का रंग भी थोड़ा बदल गया है , ये देख गाल पर कैसे निशान है
ये ननदें भी ,... चिढ़ाए तो बुरा लगता है और
न चिढ़ायें तो और बुरा लगता है , ...
ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी चूड़ी पहनती मैं सोच रही थी ,
अब इनके नाख़ून और दांतों के निशान , चाहे गालों पर हो या जोबन पर मैं नहीं छिपाती थी ,
मेरा मरद , चाहे जो करे मेरे साथ किसी को क्या
बिंदी तो हरदम रात में मेरे माथे से उतरकर हर रात कहीं इनकी देह से चिपक जाती थी ,
ढूंढ के हटानी पड़ती वरना इनकी भौजाइयां , इन्हे छेड़ छेड़ कर ,...
मैंने फ्रेश मेक अप किया , बिंदी , काजल , और डार्क रेड इनकी फेवरिट लिपस्टिक ,
उसके बाद , ... अब सुबह तो सारे कपडे , ... ब्रा पैंटी , फ्रेश पेटीकोट और , हाँ जब ये होते तो इन्हे उकसाने और चिढ़ाने के लिए एकदम लो कट , टाइट चोली पहनती ,
जैसे अगर ज़रा सा भी झुंकुं तो जोबन क्या निप्स तक दिख जाएँ ,...
फिर इनके सारे सामान इकट्ठे किये , लैपी , फोन , चार्जर , ... फिर इनके कपडे , आलमारी से ,
दस बज रहे थे , लेकिन वो आलसी अभी बिस्तर पर लेटा , मुझे लगा वो सो रहा होगा , ;लेकिन मैंने देखा वो टुकुर टुकुर देख रहा था ,
" हे आँख बंद , देख नहीं रहे हो मैं कपडे चेंज कर रही हूँ , बेशरम ,.... "
वो बेशर्मों की तरह खिस्स खिस्स मुस्करा रहे थे और ऊपर से बोले
" तो तुम भी देख लेना न "
और वो तो मैं करती ही ,
पहले दिन से ही ,... आज भी ,
उन्हें खींच कर बिस्तर से उठाया , कपडे दिए , पहनाया भी , ...
और हर बार की तरह , चड्ढी में बंद करने के पहले भी उसे सिर्फ चूमा नहीं बल्कि , चूसा भी , हलकी सी बाइट ,
और फिर चड्ढी के ऊपर से भी , ... हाँ मैं ये ध्यान रखती थी की इनका सुपाड़ा खुला रहे
ये इनकी सलहज , रीतू भाभी ने इन्हे बताया था और मुझे सहेजा था , बार बार ,... ये तेरी जिम्मेदारी है ,...
खुला सुपाड़ा रगड़ रगड़ कर के ,... थोड़ा डी सेन्सटाइज , इसलिए जल्दी झंडा नहीं डाउन होता ,...
पर आज मैंने गलती ये की , की उनके जींस के ऊपर से भी कस कस के थोड़ी देर रगड़ दिया , बल्ज एकदम तना ,... और
ये लड़का फिर वही जिद्द , एक क्वीकी ,...
मैंने बार बार घडी की ओर ध्यान दिलाया , सवा दस , ... फिर हम दोनों ने कपडे पहन लिए थे , कपडे क्रश हो जाते ,
अंत में वो जिद्दी , लालची , अपने होंठों से ऊँगली लगा के इशारा कर के बोला
" अच्छा चल यार , पिछली बार की तरह , ... एक क्विक ब्लो जॉब "
मेरी निगाह घडी के बाद मोबायल पर पड़ी , मेरी ननद के मेसेज पर पड़ा ,
भाभी पन्दरह बीस मिनट में पहुँच रही हूँ ,
मैंने एक बार उनके चेहरे की ओर देखा , एकदम बेचारे लग रहे थे , बेताब ,...
मुस्करायी मैं , जाकर दरवाजा ठीक से बंद किया , ... और के तकिया फर्श पर रख कर , घुटने उस पर रख कर बैठ गयी
सरररर , मैंने उनकी ज़िप खोल दी
फटा पोस्टर निकला हीरो खूब मोटा लम्बा , एकदम कड़क , बेताब , भूखा , कड़ियल नाग ,
सुपाड़ा खुला ,
बस मैंने जीभ की टिप से झट से लिक कर लिया , उसकी एकलौती आँख को , और फिर लपड़ लपड़ ,... लेकिन मैं जानती थी समय का महत्व , खास तौर से जब एक ननद जल्द ही आने वाली