24-03-2020, 03:25 PM
बाथरूम में
मैंने हग और किस का जवाब भेजा , तब तक वो आगये और बचपन में बच्चे जिस तरह एक ऊँगली दिखा के सु सु के लिए जाते हैं , बस उसी तरह ,
मैं समझ गयी उनकी चालाकी , पिछली बार जो वो आये थे तो बाथरूम में हम लोगों ने बहुत बदमाशी की थी
, मैंने चिढ़ाया भी बहुत था उन्हें अपनी सास का नाम ले ले के ,
असल में कुछ मामलों में वो अभी भी बहुत लजाते थे , ...
मैंने मम्मी से कहा भी पर वो हंस के बोली , आने दो दमाद जी को होली में , सारी शरम लिहाज उनकी गाँड़ में डाल दूंगी , ...
सच में थोड़ी बहुत लाज उनकी मम्मी और मेरी भाभियों ने , कोहबर में ही कम कर दी थी ,
और बाकी बची खुची जब वो मेरे मायके पहुंचेंगे तब , ...
लेकिन तब तक मैं भी तो अपनी माँ की बेटी थी , थोड़ा बहुत तो मैं भी उनकी ऐसी की तैसी कर सकती थी ,
तो बाथरूम में मैं भी उनके पीछे दबे पाँव ,...
गनीमत थी उन्होंने अंदर से लॉक नहीं किया था , ... और बस खड़े होकर
वही सु सु ,...
'
आँखे बंद , बस पीछें से मैंने उन्हें दबोच लिया ,
मेरे जोबन की बरछी कटारी की नोंके उनकी पीठ पे और मेरे लम्बे नाख़ून उनके निप्स पे जोर से स्क्रैच करते ,
दूसरा हाथ , उनके खूंटे के बेस पर , कस के पकडे दबाये , ...
शादी के बाद के महीने डेढ़ महीने में मैंने सीख लिया था ,
देह के इस खेल में कुछ भी गर्हित नहीं , वर्ज्य नहीं , जिसमें मजा आये बस ,...
और जो देह , देह के अंग इतना सुख देते हैं उनसे जुडी कोई भी चीज कैसे खराब हो सकती है , फिर इनकी सोहबत में और बाद में जेठानी जी के संग जो मैंने नीली पीली ' अच्छी वाली ' फ़िल्में देखनी शुरू की थीं , उससे और मनबढ़ हो गयी थी , ...
बस , ... मैंने बोला था न सेक्स में झड़ते समय और सु सु करते समय इनकी आँखे अपने आप बंद हो जाती हैं , और इस समय वो उसी 'स्लीप मोड ' में थे , और
बस
अगले पल , सुपाड़ा सीधे मेरे मुंह में , ...
उन्होंने लाख छुड़ाने की कोशिश की पर , एक बार मेरे होंठ पकड़ लें तो , और मैं वहीँ बाथरूम में बैठी , उसे मुंह में लिए
थोड़ा अलग स्वाद था , मैंने पहले सुपाड़े पर देर तक जीभ फिराई , फिर सीधे जीभ की टिप ' पी होल ' के अंदर , सुरसुराती ,
ये गिनगीना रहे थे , छुड़ाने की कोशिश कर रहे थे ,
पर करें , ...
मैंने तो सात जनम के लिए इन्हे पकड़ रखा था , इतनी आसानी से मैं नहीं छोड़ने वाली थी ,
कुछ देर में आधा खूंटा मेरे मुँह में , ... और मेरी एक ऊँगली इनके पिछवाड़े , जड़ तक अंदर , गोल गोल ,...
ये भी तो जड़ तक घुसेड़ते थे ,...
देर तक बाथरूम में मैं चूसती रही , ...
फिर उसी तने खूंटे को पकड़ के उन्हें वाशबेसिन के पास ,
टूथ ब्रश की जगह मेरी जीभ , और सफेद टूथ पेस्ट की जगह ,... आप समझ सकते हैं ,
लेकिन इस लड़के ने भी न पूरा बदला ले लिया शावर में , वहीँ निहुरा के , पीछे से , ... क्या धक्के मारे ,
मैं बहुत चिलायी लेकिन मज़ा भी बहुत आया ,
और बदमाशी भी तो मेरी हैंड शावर का नोजल सीधे उनके सुपाड़े पर , ... फिर लंड के बेस पर ,...
तो मेरी चुदाई तो होनी ही थी शावर में ,
और शावर में ही नहीं बाथ टब मे भी
रगडायी का बदला मैंने भी लिया आखिर मेरे पास भी तो जोबन है , होंठ है , उँगलियाँ हैं
टिट फ़क ,
ब्लो जॉब ,
हैण्ड जॉब , ...
और वाशबेसिन पास निहुरा के भी , कोई तरीका उस लड़के ने छोड़ा नहीं ,... रोज हम लोग पन्दरह बीस मिनट में नहा के निकल जाते थे आज पूरे डेढ़ घंटे लगे ,
और हम दोनों जब बाहर निकले , टॉवेल से एक दूसरे को सुखा रहे थे मेरी निगाह मोबाइल और घडी दोनों पर एक साथ पड़ी , साढ़े आठ बज रहे थे , और जेठानी जी के तीन मेसेज थे , नाश्ता तैयार है आकर ले जाओ ,
मैंने बस किसी तरह ड्रेसिंग टेबल पर पड़ी रात की साडी लपेटी , ब्लाउज बस देह पर टांग लिया और झट से नीचे , लेकिन तबतक दस बार वो बोले होंगे , जल्दी आना , जल्दी आना ,... .
मैं सीढ़ियों से नीचे उतर भी नहीं पायी थी की सीढ़ियों पर ही जेठानी जी मिल गयी , नाश्ते की ट्रे के साथ
जोर से मुस्करायीं वो , मेरी हालत देख कर , ...
मैं भी मुस्करायी , मालूम उन्हें भी था और मुझे भी उनके देवर को किस नाश्ते का इन्तजार है। मैंने नाश्ते की टेबल ट्रे पर रखी , बिस्तर के सामने
और उन्होंने अपने ' नाश्ते ' खींच कर अपनी गोद में , ...
मैंने हग और किस का जवाब भेजा , तब तक वो आगये और बचपन में बच्चे जिस तरह एक ऊँगली दिखा के सु सु के लिए जाते हैं , बस उसी तरह ,
मैं समझ गयी उनकी चालाकी , पिछली बार जो वो आये थे तो बाथरूम में हम लोगों ने बहुत बदमाशी की थी
, मैंने चिढ़ाया भी बहुत था उन्हें अपनी सास का नाम ले ले के ,
असल में कुछ मामलों में वो अभी भी बहुत लजाते थे , ...
मैंने मम्मी से कहा भी पर वो हंस के बोली , आने दो दमाद जी को होली में , सारी शरम लिहाज उनकी गाँड़ में डाल दूंगी , ...
सच में थोड़ी बहुत लाज उनकी मम्मी और मेरी भाभियों ने , कोहबर में ही कम कर दी थी ,
और बाकी बची खुची जब वो मेरे मायके पहुंचेंगे तब , ...
लेकिन तब तक मैं भी तो अपनी माँ की बेटी थी , थोड़ा बहुत तो मैं भी उनकी ऐसी की तैसी कर सकती थी ,
तो बाथरूम में मैं भी उनके पीछे दबे पाँव ,...
गनीमत थी उन्होंने अंदर से लॉक नहीं किया था , ... और बस खड़े होकर
वही सु सु ,...
'
आँखे बंद , बस पीछें से मैंने उन्हें दबोच लिया ,
मेरे जोबन की बरछी कटारी की नोंके उनकी पीठ पे और मेरे लम्बे नाख़ून उनके निप्स पे जोर से स्क्रैच करते ,
दूसरा हाथ , उनके खूंटे के बेस पर , कस के पकडे दबाये , ...
शादी के बाद के महीने डेढ़ महीने में मैंने सीख लिया था ,
देह के इस खेल में कुछ भी गर्हित नहीं , वर्ज्य नहीं , जिसमें मजा आये बस ,...
और जो देह , देह के अंग इतना सुख देते हैं उनसे जुडी कोई भी चीज कैसे खराब हो सकती है , फिर इनकी सोहबत में और बाद में जेठानी जी के संग जो मैंने नीली पीली ' अच्छी वाली ' फ़िल्में देखनी शुरू की थीं , उससे और मनबढ़ हो गयी थी , ...
बस , ... मैंने बोला था न सेक्स में झड़ते समय और सु सु करते समय इनकी आँखे अपने आप बंद हो जाती हैं , और इस समय वो उसी 'स्लीप मोड ' में थे , और
बस
अगले पल , सुपाड़ा सीधे मेरे मुंह में , ...
उन्होंने लाख छुड़ाने की कोशिश की पर , एक बार मेरे होंठ पकड़ लें तो , और मैं वहीँ बाथरूम में बैठी , उसे मुंह में लिए
थोड़ा अलग स्वाद था , मैंने पहले सुपाड़े पर देर तक जीभ फिराई , फिर सीधे जीभ की टिप ' पी होल ' के अंदर , सुरसुराती ,
ये गिनगीना रहे थे , छुड़ाने की कोशिश कर रहे थे ,
पर करें , ...
मैंने तो सात जनम के लिए इन्हे पकड़ रखा था , इतनी आसानी से मैं नहीं छोड़ने वाली थी ,
कुछ देर में आधा खूंटा मेरे मुँह में , ... और मेरी एक ऊँगली इनके पिछवाड़े , जड़ तक अंदर , गोल गोल ,...
ये भी तो जड़ तक घुसेड़ते थे ,...
देर तक बाथरूम में मैं चूसती रही , ...
फिर उसी तने खूंटे को पकड़ के उन्हें वाशबेसिन के पास ,
टूथ ब्रश की जगह मेरी जीभ , और सफेद टूथ पेस्ट की जगह ,... आप समझ सकते हैं ,
लेकिन इस लड़के ने भी न पूरा बदला ले लिया शावर में , वहीँ निहुरा के , पीछे से , ... क्या धक्के मारे ,
मैं बहुत चिलायी लेकिन मज़ा भी बहुत आया ,
और बदमाशी भी तो मेरी हैंड शावर का नोजल सीधे उनके सुपाड़े पर , ... फिर लंड के बेस पर ,...
तो मेरी चुदाई तो होनी ही थी शावर में ,
और शावर में ही नहीं बाथ टब मे भी
रगडायी का बदला मैंने भी लिया आखिर मेरे पास भी तो जोबन है , होंठ है , उँगलियाँ हैं
टिट फ़क ,
ब्लो जॉब ,
हैण्ड जॉब , ...
और वाशबेसिन पास निहुरा के भी , कोई तरीका उस लड़के ने छोड़ा नहीं ,... रोज हम लोग पन्दरह बीस मिनट में नहा के निकल जाते थे आज पूरे डेढ़ घंटे लगे ,
और हम दोनों जब बाहर निकले , टॉवेल से एक दूसरे को सुखा रहे थे मेरी निगाह मोबाइल और घडी दोनों पर एक साथ पड़ी , साढ़े आठ बज रहे थे , और जेठानी जी के तीन मेसेज थे , नाश्ता तैयार है आकर ले जाओ ,
मैंने बस किसी तरह ड्रेसिंग टेबल पर पड़ी रात की साडी लपेटी , ब्लाउज बस देह पर टांग लिया और झट से नीचे , लेकिन तबतक दस बार वो बोले होंगे , जल्दी आना , जल्दी आना ,... .
मैं सीढ़ियों से नीचे उतर भी नहीं पायी थी की सीढ़ियों पर ही जेठानी जी मिल गयी , नाश्ते की ट्रे के साथ
जोर से मुस्करायीं वो , मेरी हालत देख कर , ...
मैं भी मुस्करायी , मालूम उन्हें भी था और मुझे भी उनके देवर को किस नाश्ते का इन्तजार है। मैंने नाश्ते की टेबल ट्रे पर रखी , बिस्तर के सामने
और उन्होंने अपने ' नाश्ते ' खींच कर अपनी गोद में , ...