24-03-2020, 03:19 PM
(This post was last modified: 24-03-2020, 03:27 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
सुबह सबेरे
" सच्च में टिकोरे बहुत मस्त हैं उसके , ... "
उन्होंने हामी भरी और मैंने साफ़ साफ़ पूछ लिया और अबकी पहली बार उन्होंने साफ़ साफ़ जवाब भी दे दिया
" हे बोल चोदेगा न मेरी ननद को , बोल न साफ़ साफ़ ,... "
" हाँ एकदम , अगर वो कल आयी मतलब उसने हाँ की , ...
लेकिन अभी तो तेरी ननद की भाभी की लेनी है ,... "
और उनके कहे बिना मैंने निहुर कर उनकी फेवरिट पोज़ , डॉगी पोज़ में आ गयी
और क्या हचक के चोदा उन्होंने।
सुबह हो रही थी लेकिन न मुझे फरक पड़ रहा था न उन्हें।
जनवरी के आखिरी दिन थे , ठंडक अभी भी चरम सीमा पर थी , हम लोगों ने परदे नहीं लगाए थे। कुहासे की एक मोटी परत खिड़कियों के शीशे पर आड़ बन कर मौजूद थी। बाहर बूँद बूँद ओस चू रही थी , अंदर नाइट लैम्प की रौशनी हलकी हलकी , बस बिस्तर पर धुंधली पड़ रही थी।
और उसी बिस्तर पर मैं , निहुरी , चेहरा मेरे तकिये में धंसा लेकिन चूतड़ पूरी तरह उठे , टाँगे एकदम फैली और हाथ से खींचकर मैंने एक दो तकिये पेट के नीचे लगा लिए। अब उस मोटे की बारी थी जिसे मैं अपने नितम्बों के नीचे अब तक दबा दबा कर , मसल कर रगड़ कर तंग का रही थी , लेकिन मेरे नितम्बों से ज्यादा वो गरमाया था ,
अपनी ममेरी बहन की कुँवारी चूत
और छोटी छोटी चूँची देखकर ,
मैं जानती थी मेरी ऐसी की तैसी होने वाली है , एक तो वो दूध , ....रात भर की थकान कपूर की तरह उड़ गयी थी और एक अलग तरह की मस्ती मेरे अंदर भी और मुझसे ज्यादा उनके अंदर भी ,
फिर मेरी कच्ची उमर की ननद की वो सेक्सी फोटुएं , ... एकदम उनकी हालत खराब थी ,
और उन्होंने मेरी हालत खराब कर दी ,
पहले धक्के में ही मेरी चीख निकल गयी , ... उईईईईईई ओह्ह्ह्ह नहीं नहीं ,
लेकिन मैंने ही तो उन्हें अपनी कसम धरायी थी , एक बार नहीं बार बार ,... मैं चाहे जितनी चीखूँ , चिल्लाऊं , फट के खून खच्चर जो जाए , दरद से मैं बेहोश हो जाऊं , ... लेकिन मेरी कसम जो वो रुके , ... पेलते जाएँ , ठेलते जाएँ , ... ये मोटू मेरा है , मुझे चाहिए , एकदम जड़ तक , पूरा का पूरा ,
मेरी चीख पर वो रुके नहीं , बस थोड़ा सा उस मोटू को बाहर खींचा , और फिर दुगुनी , दस गुनी ताकत से ,...
ओह्ह्ह्ह क्या धक्का मारा , ... सीधे मेरी बच्चेदानी पर उस मोटे सुपाड़े की धमक पड़ी ,
सच्च में कुतिया बना के चोदना सब मरदों को अच्छा लगता है ये बात तो दसो बार मेरी भौजाइयों ने शादी के पहले बताई थी , यहाँ तक की इनकी सास ने भी , ... लेकिन मैं ,
मुझे भी अब ये बहुत अच्छा लगता था , एकदम डीप पेन्ट्रेशन होता था , खूब गहरायी तक और रगड़ रगड़ कर अंदर जाता था , ... इसलिए जहाँ मुझे लगा की उनका मन कर रहा है ,
मैं खुद निहुर कर ,...
पर आज , एक जबरदस्त दर्द हो रहा था , ये लड़का इतनी जोर जोर से धक्के मार रहा था , और साथ में कुछ भी और नहीं , न चुम्मा चाटी न कुछ बात चीत बस सीधे
चुदाई और सिर्फ चुदाई
कुछ देर तक वो मेरी पतली २६ इंच की कमर पकड़ के धक्के मारते रहे , फिर एक हाथ मेरे जोबन पर , और क्या कस के रगड़ना मसलना शुरू किया उन्होंने , एक मस्ती की नयी तरंग मेरी देह में दौड़ रही थी ,
कुछ देर में हम दोनों की देह ने एक रिदम पकड़ ली , अब मैं भी धक्के का जवाब धक्के मार रही थी ,कई बार वो आधा पेल कर रुक जाते थे और मैं पीछे अपने बड़े चूतड़ से धक्के मारती थी
वो कुछ नहीं करते थे , बस मैं आगे पीछे कर के उस बालिश्त भर के लंड पे अपनी चूत को , अब उनके दोनों हाथ मेरी चूँची पर और वो मस्त होकर मेरी चूँची जैसे निचोड़ रहे हों ऐसे दबाते मसलते , पूरी ताकत से ,
मेरी टाँगे , जाँघे पूरी तरह फैली थी , और उन्होंने अपनी दोनों टाँगे मेरी जाँघों के बीच ऐसी फंसा के रखी थी की मेरी टाँगे एकदम खुली रहें और फिर अचानक ,
वो मोटा लंड मेरी चूत में जड़ तक फंसा , धंसा ,... उन्होंने धक्के मारने रोक दिए , टाँगे बाहर निकाल लीं , और अब उनकी दोनों टाँगे मेरी टांगो के बाहर ,
फिर उन्होंने दोनों टांगों को बाहर से कैंची की तरह फंसाकर , प्रेस करना शुरू कर दिया , ..
और कुछ ही देर में मेरी दोनों टाँगे आपस में सट गयीं , चिपक गयीं और जाँघे भी एकदम चिपकी दबी , सटी और वो बियर कैन से मोटा मूसल मेरे अंदर धंसा फंसा अटका , और एक बार फिर से उन्होंने अपनी दोनों टांगों से कस के मेरी दोनों टांगों को ऐसे फंसा दिया की अब मैं सूत भर भी टांगों को फैला भी नहीं सकती थी , चूत भी एकदम टाइट , सिकुड़ी और उसमें फंसा उनका मोटा खूंटा ,
फिर धीरे धीरे उन्होंने आधे से ज्यादा खूंटा निकाल लिया , तबतक तो ज्यादा नहीं , लेकिन जब उन्होंने पूरी ताकत से वापस ठेलना शुरू किया , पेलना शुरू किया
रगड़ते , दरेररते , फाड़ते घुसा , मेरी बस जान नहीं निकली , ... लेकिन वो बेरहम , जालिम उसे मेरी चीखों की परवाह नहीं थी आज , उसी कसी फंसी चूत को फाड़ता , फैलाता जिस तरह वो घुस रहा था ,
और साथ में उनके दोनों हाथ कस कस मेरी उभारों को कस के ,
मैं समझ गयी , जो मैंने उन्हें गुड्डी को लेकर उकसाया है , ... बस उसी का , ... वो मुझे अपनी ममेरी बहन समझ के चोद रहे हैं , ...
लेकिन दर्द के मारे मैं चीख रही थी
" सच्च में टिकोरे बहुत मस्त हैं उसके , ... "
उन्होंने हामी भरी और मैंने साफ़ साफ़ पूछ लिया और अबकी पहली बार उन्होंने साफ़ साफ़ जवाब भी दे दिया
" हे बोल चोदेगा न मेरी ननद को , बोल न साफ़ साफ़ ,... "
" हाँ एकदम , अगर वो कल आयी मतलब उसने हाँ की , ...
लेकिन अभी तो तेरी ननद की भाभी की लेनी है ,... "
और उनके कहे बिना मैंने निहुर कर उनकी फेवरिट पोज़ , डॉगी पोज़ में आ गयी
और क्या हचक के चोदा उन्होंने।
सुबह हो रही थी लेकिन न मुझे फरक पड़ रहा था न उन्हें।
जनवरी के आखिरी दिन थे , ठंडक अभी भी चरम सीमा पर थी , हम लोगों ने परदे नहीं लगाए थे। कुहासे की एक मोटी परत खिड़कियों के शीशे पर आड़ बन कर मौजूद थी। बाहर बूँद बूँद ओस चू रही थी , अंदर नाइट लैम्प की रौशनी हलकी हलकी , बस बिस्तर पर धुंधली पड़ रही थी।
और उसी बिस्तर पर मैं , निहुरी , चेहरा मेरे तकिये में धंसा लेकिन चूतड़ पूरी तरह उठे , टाँगे एकदम फैली और हाथ से खींचकर मैंने एक दो तकिये पेट के नीचे लगा लिए। अब उस मोटे की बारी थी जिसे मैं अपने नितम्बों के नीचे अब तक दबा दबा कर , मसल कर रगड़ कर तंग का रही थी , लेकिन मेरे नितम्बों से ज्यादा वो गरमाया था ,
अपनी ममेरी बहन की कुँवारी चूत
और छोटी छोटी चूँची देखकर ,
मैं जानती थी मेरी ऐसी की तैसी होने वाली है , एक तो वो दूध , ....रात भर की थकान कपूर की तरह उड़ गयी थी और एक अलग तरह की मस्ती मेरे अंदर भी और मुझसे ज्यादा उनके अंदर भी ,
फिर मेरी कच्ची उमर की ननद की वो सेक्सी फोटुएं , ... एकदम उनकी हालत खराब थी ,
और उन्होंने मेरी हालत खराब कर दी ,
पहले धक्के में ही मेरी चीख निकल गयी , ... उईईईईईई ओह्ह्ह्ह नहीं नहीं ,
लेकिन मैंने ही तो उन्हें अपनी कसम धरायी थी , एक बार नहीं बार बार ,... मैं चाहे जितनी चीखूँ , चिल्लाऊं , फट के खून खच्चर जो जाए , दरद से मैं बेहोश हो जाऊं , ... लेकिन मेरी कसम जो वो रुके , ... पेलते जाएँ , ठेलते जाएँ , ... ये मोटू मेरा है , मुझे चाहिए , एकदम जड़ तक , पूरा का पूरा ,
मेरी चीख पर वो रुके नहीं , बस थोड़ा सा उस मोटू को बाहर खींचा , और फिर दुगुनी , दस गुनी ताकत से ,...
ओह्ह्ह्ह क्या धक्का मारा , ... सीधे मेरी बच्चेदानी पर उस मोटे सुपाड़े की धमक पड़ी ,
सच्च में कुतिया बना के चोदना सब मरदों को अच्छा लगता है ये बात तो दसो बार मेरी भौजाइयों ने शादी के पहले बताई थी , यहाँ तक की इनकी सास ने भी , ... लेकिन मैं ,
मुझे भी अब ये बहुत अच्छा लगता था , एकदम डीप पेन्ट्रेशन होता था , खूब गहरायी तक और रगड़ रगड़ कर अंदर जाता था , ... इसलिए जहाँ मुझे लगा की उनका मन कर रहा है ,
मैं खुद निहुर कर ,...
पर आज , एक जबरदस्त दर्द हो रहा था , ये लड़का इतनी जोर जोर से धक्के मार रहा था , और साथ में कुछ भी और नहीं , न चुम्मा चाटी न कुछ बात चीत बस सीधे
चुदाई और सिर्फ चुदाई
कुछ देर तक वो मेरी पतली २६ इंच की कमर पकड़ के धक्के मारते रहे , फिर एक हाथ मेरे जोबन पर , और क्या कस के रगड़ना मसलना शुरू किया उन्होंने , एक मस्ती की नयी तरंग मेरी देह में दौड़ रही थी ,
कुछ देर में हम दोनों की देह ने एक रिदम पकड़ ली , अब मैं भी धक्के का जवाब धक्के मार रही थी ,कई बार वो आधा पेल कर रुक जाते थे और मैं पीछे अपने बड़े चूतड़ से धक्के मारती थी
वो कुछ नहीं करते थे , बस मैं आगे पीछे कर के उस बालिश्त भर के लंड पे अपनी चूत को , अब उनके दोनों हाथ मेरी चूँची पर और वो मस्त होकर मेरी चूँची जैसे निचोड़ रहे हों ऐसे दबाते मसलते , पूरी ताकत से ,
मेरी टाँगे , जाँघे पूरी तरह फैली थी , और उन्होंने अपनी दोनों टाँगे मेरी जाँघों के बीच ऐसी फंसा के रखी थी की मेरी टाँगे एकदम खुली रहें और फिर अचानक ,
वो मोटा लंड मेरी चूत में जड़ तक फंसा , धंसा ,... उन्होंने धक्के मारने रोक दिए , टाँगे बाहर निकाल लीं , और अब उनकी दोनों टाँगे मेरी टांगो के बाहर ,
फिर उन्होंने दोनों टांगों को बाहर से कैंची की तरह फंसाकर , प्रेस करना शुरू कर दिया , ..
और कुछ ही देर में मेरी दोनों टाँगे आपस में सट गयीं , चिपक गयीं और जाँघे भी एकदम चिपकी दबी , सटी और वो बियर कैन से मोटा मूसल मेरे अंदर धंसा फंसा अटका , और एक बार फिर से उन्होंने अपनी दोनों टांगों से कस के मेरी दोनों टांगों को ऐसे फंसा दिया की अब मैं सूत भर भी टांगों को फैला भी नहीं सकती थी , चूत भी एकदम टाइट , सिकुड़ी और उसमें फंसा उनका मोटा खूंटा ,
फिर धीरे धीरे उन्होंने आधे से ज्यादा खूंटा निकाल लिया , तबतक तो ज्यादा नहीं , लेकिन जब उन्होंने पूरी ताकत से वापस ठेलना शुरू किया , पेलना शुरू किया
रगड़ते , दरेररते , फाड़ते घुसा , मेरी बस जान नहीं निकली , ... लेकिन वो बेरहम , जालिम उसे मेरी चीखों की परवाह नहीं थी आज , उसी कसी फंसी चूत को फाड़ता , फैलाता जिस तरह वो घुस रहा था ,
और साथ में उनके दोनों हाथ कस कस मेरी उभारों को कस के ,
मैं समझ गयी , जो मैंने उन्हें गुड्डी को लेकर उकसाया है , ... बस उसी का , ... वो मुझे अपनी ममेरी बहन समझ के चोद रहे हैं , ...
लेकिन दर्द के मारे मैं चीख रही थी