23-03-2020, 08:21 PM
मेरे दिन
मुझे अपने कालेज के दिन याद आ गए, अनुजा से एक साल ही बड़ी रही होऊँगी जब मेरी शादी हो गई। लेकिन कालेज में थोड़ा छिपाओ, थोड़ा दिखाओ, कभी हाँ कभी ना।
और अभी भी कालेज में भी जहां मैं पढ़ाती हूँ, जो मेरे कुलीग हैं, औरतें भी और… पेरेंट्स टीचर में जो पेरेंट्स आते हैं, मुझे उनसे फ्लर्ट करने में कोई परेशानी नहीं होती। थोड़ा बहुत नान वेज मजाक भी।
लेकिन उसके आगे कुछ नहीं।
मुझे किसी ने समझाया था जहाँ जाब करो वहां कोई चक्कर वक्कर नहीं… पता नहीं कैसे हिट करे। इसलिए कॉलेज में फ्लर्ट और मजाक के आगे कुछ भी नहीं। ऐसा नहीं की मेरा मन नहीं करता था।
मन तो बहुत करता था।
मैं शादीशुदा हूँ इसलिए, एक बार कोई मजा चख लेने के बाद उसके बिना रहना मुश्किल हो जाता है।
लोग कहते हैं, ज्यादातर लोग इसलिए ईमानदार होते हैं की, मौका नहीं मिलता। बस यही समझ लीजिये, इसके अलावा जो लोग कहते हैं न की वर्कप्लेस में चक्कर नहीं चलाना चाहिए, बिजनेस और प्लेजर को अलग रखना चाहिए वरना बदनाम होने का पूरा खतरा रहता है, वो बात भी थी। बस इसलिए,
शुरू से मैं हाइली सेक्स्ड हूँ, जब मैं हाईकॉलेज में थी तभी होली में…
लेकिन शुरुआत मैंने ही की थी , मैं और मेरी एक सहेली ने , भाभी को धर दबोचा , पहले रंग की बाल्टी , फिर पुताई , ..फिर में सहेली ने सीधे भाभी की चोली में हाथ डाल दिया ,
" अरे भाभी असली जगह तो बची है ,"
मैं क्यों छोड़ती , हम दोनों ने एक एक उभार बाटं लिए , और साथ में चिढ़ा भी रहे थे , " क्यों भाभी भैया ऐसे दबाते हैं न , ... "
और भाभी भी एक से एक गालियां ,
चलो तुम दोनों को तुम्हारे भइया के नीचे न लिटाया , शाम को मेरे दोनों भाई आएंगे , दोनों से चुदवाउंगी तुम दोनों की , ... पक्की छिनार हो तुम दोनों , ...
लेकिन मैं फंसी तब , जब वो सहेली तो निकल गयी और मोहल्ले की एक दो भौजाइयां और आ गयीं , ...
फिर तो आराम से उन दोनों ने मेरे दोनों हाथ पकड़ा ,
भाभी ने आराम आराम से मेरी शलवार खोल के घुटने तक सरकायी , उसके बाद चड्ढी , ...
और फिर हथेली में गाढ़ा लाल रंग लगा लगा के अच्छी तरह मिलाया और सीधे मेरी गुलाबो पर , ...
मैं छपटपटा रही थी पर , दोनों भाभियों ने कस के हाथ के साथ दोनों उभार भी , टॉप उन लोगों ने फाड़ के फेंक दिया था
और भाभी ने कचकचा के अपनी ऊँगली एक पोर तक पेल दी और बोलीं
" ननद रानी , मजा आ रहा है न , अरे मैं तो जड़ तक डाल के अभी फाड़ देती लेकिन मुझे अपने भाइयों का ख्याल आ गया तेरी झिल्ली तो उन्ही से फड़वाउंगी।
अभी भी याद है, भाभी ने मेरी मुनिया में कैसे जबरदस्त उंगली की थी…
तभी से,...
कालेज में पहुँचने से पहले से ही…
फिर मेरी शादी भी जल्दी हो गई थी, 18-19 साल की ही रही होऊँगी।
अनुजा की अभी जो उमर है उससे एकाध साल ही ज्यादा बड़ी रही होऊँगी, जब संदीप से मेरी शादी हुई।
उसके बाद से तो पहले दिन से ही रोज बिना नागा,
न वो मुझे छोड़ते थे न मैं उन्हें, कई बार तो चार-पांच बार तक।
दिन दहाड़े भी वो नंबर लगा देते थे।
यहाँ तक की, उन पांच दिनों में भी, कोई छुट्टी नहीं,
कभी पिछवाड़े
तो कभी मुँह में।
लेकिन जब से संदीप दुबई गए हैं, बस मन मसोस के रह जाना पड़ता है।
हाँ जब संदीप आते हैं, फिर तो बस एक प्वाइंट प्रोग्राम, कभी भी कहीं भी, चार-पांच बार से कम तो किसी दिन नहीं। सूद सहित उधार चुकाने की कोशिश करती हूँ, और ये चिंता भी नहीं रहती की उसकी जवान हो रही बहन घर पे है।
बल्कि ये सोच-सोच के तो मैं और एक्साइट हो जाती हूँ की अनुजा को उस छोटे से फ़्लैट में हमारी आवाजें सुनाई पड़ रही होंगी।
फिर तो मैं उन्हें चढ़ा चढ़ा के, सेक्स के समय उन्हें खुल के एकदम ‘देसी’ भाषा में बोलने में बहुत मजा आता है, और मैं भी उन्हें उकसाती हूँ।
कई बार तो लगता है शायद अनुजा देख रही होगी उस समय तो ये सोच-सोच के और मजा आता है और मैं उन्हें जोश दिला दिला के,
लेकिन चार दिन की चांदनी, जब संदीप चले जाते हैं तो फिर बस वही।
संदीप का तो वहां काम चल जाता है। कंपनी की लड़कियां हैं, कुछ एयर होस्टेस को भी फांस रखा है। खुद ही बताता है।
उसकी भी देह की जरूरत है और मैं भी बुरा नहीं मानती।
वो तो मुझसे भी कहता है की, मैं अगर किसी के साथ तो उसे कोई ,...
अरे नीलू दीदी के साथ उसके भाई की शादी में, अमित जीजू के साथ मिल के,
दो-दो बार उन दोनों ने मेरी और नीलू दीदी की सैंडविच बनाई थी।
फिर अनुजा ही अगर किसी तरह फँस जाए न तो फिर तो मेरी चांदी ही चांदी, जब वो खुद ही किसी के नीचे आएगी तो फिर मेरे बारे में कैसे गाना गायेगी। कौन बताएगा उसके भैय्या से।
इसलिए तो मैं हरदम कोशिश करती हूँ किसी तरह अनुजा चारा घोंट ले।
उस दिन वो बाइक पे जब हैंडसम हंक के साथ आई (बाद में पता चला की उसका नाम देवेश है) तो मैं एकदम श्योर थी की ये बिना अनुजा को अपने नीचे लाये छोड़ेगा नहीं।
है मस्त माल, साथ की लड़कियों से ज्यादा मस्त गदराये जोबन हैं, लेकिन उसके दिमाग में अच्छी बच्ची बनने का फितूर जो चढ़ा है न, बस किसी तरह एक बार घोंट ले न वो बस… कई बार जब मैं उसके नए आये उभारों को दबा के चिढ़ाती-
“यार किसी को पटा लो, इतने मस्त जोबन आ रहे हैं…”
तो वो भी हँस के बोलती-
“ठीक है भाभी लेकिन पहले आप…”
और मैं एकदम खुश होकर बोलती- “ठीक है तू पहले पटा के ला तो। फिर मेरा तो ननदोई लगेगा, नंदोई पे वैसे भी सलहज का पहला हक़ होता है। और अनाड़ी चुदवैया बुर की खराबी, तो कहीं नया लौंडा होगा तो उसे अच्छे से सिखाने पढ़ाने का काम मैं कर दूंगी, उसके बाद मिल के। लेकिन उसके बाद जम के चुदाई करवाऊँगी तेरी अपने सामने…”
बात में हम दोनों एकदम खुल के, शुरू में थोड़ा शर्माती थी वो लेकिन कुछ जबरदस्ती, कुछ पटा के,
जब मेरी शादी में आई थी तो बस उसके कच्चे टिकोरे आने शुरू ही हुए थे,
लेकिन एकलौती ननद इसलिए खूब खुल के गालियां उसका नाम ले ले के। और शादी के बाद मैं भी उसे, संदीप तो हरदम खुल के ही बोलते हैं और मैंने भी फोर्स करके उसे, खास तौर पे होली में तो एकदम खुल के गाने होते हैं, इसलिए,
होली में लड़कों को छोड़िये कालोनी के मर्दों की भी निगाहें उसके टिकोरों पे पड़ने लगी थीं।
और भाभियां तो एकदम।
मुझे अपने कालेज के दिन याद आ गए, अनुजा से एक साल ही बड़ी रही होऊँगी जब मेरी शादी हो गई। लेकिन कालेज में थोड़ा छिपाओ, थोड़ा दिखाओ, कभी हाँ कभी ना।
और अभी भी कालेज में भी जहां मैं पढ़ाती हूँ, जो मेरे कुलीग हैं, औरतें भी और… पेरेंट्स टीचर में जो पेरेंट्स आते हैं, मुझे उनसे फ्लर्ट करने में कोई परेशानी नहीं होती। थोड़ा बहुत नान वेज मजाक भी।
लेकिन उसके आगे कुछ नहीं।
मुझे किसी ने समझाया था जहाँ जाब करो वहां कोई चक्कर वक्कर नहीं… पता नहीं कैसे हिट करे। इसलिए कॉलेज में फ्लर्ट और मजाक के आगे कुछ भी नहीं। ऐसा नहीं की मेरा मन नहीं करता था।
मन तो बहुत करता था।
मैं शादीशुदा हूँ इसलिए, एक बार कोई मजा चख लेने के बाद उसके बिना रहना मुश्किल हो जाता है।
लोग कहते हैं, ज्यादातर लोग इसलिए ईमानदार होते हैं की, मौका नहीं मिलता। बस यही समझ लीजिये, इसके अलावा जो लोग कहते हैं न की वर्कप्लेस में चक्कर नहीं चलाना चाहिए, बिजनेस और प्लेजर को अलग रखना चाहिए वरना बदनाम होने का पूरा खतरा रहता है, वो बात भी थी। बस इसलिए,
शुरू से मैं हाइली सेक्स्ड हूँ, जब मैं हाईकॉलेज में थी तभी होली में…
लेकिन शुरुआत मैंने ही की थी , मैं और मेरी एक सहेली ने , भाभी को धर दबोचा , पहले रंग की बाल्टी , फिर पुताई , ..फिर में सहेली ने सीधे भाभी की चोली में हाथ डाल दिया ,
" अरे भाभी असली जगह तो बची है ,"
मैं क्यों छोड़ती , हम दोनों ने एक एक उभार बाटं लिए , और साथ में चिढ़ा भी रहे थे , " क्यों भाभी भैया ऐसे दबाते हैं न , ... "
और भाभी भी एक से एक गालियां ,
चलो तुम दोनों को तुम्हारे भइया के नीचे न लिटाया , शाम को मेरे दोनों भाई आएंगे , दोनों से चुदवाउंगी तुम दोनों की , ... पक्की छिनार हो तुम दोनों , ...
लेकिन मैं फंसी तब , जब वो सहेली तो निकल गयी और मोहल्ले की एक दो भौजाइयां और आ गयीं , ...
फिर तो आराम से उन दोनों ने मेरे दोनों हाथ पकड़ा ,
भाभी ने आराम आराम से मेरी शलवार खोल के घुटने तक सरकायी , उसके बाद चड्ढी , ...
और फिर हथेली में गाढ़ा लाल रंग लगा लगा के अच्छी तरह मिलाया और सीधे मेरी गुलाबो पर , ...
मैं छपटपटा रही थी पर , दोनों भाभियों ने कस के हाथ के साथ दोनों उभार भी , टॉप उन लोगों ने फाड़ के फेंक दिया था
और भाभी ने कचकचा के अपनी ऊँगली एक पोर तक पेल दी और बोलीं
" ननद रानी , मजा आ रहा है न , अरे मैं तो जड़ तक डाल के अभी फाड़ देती लेकिन मुझे अपने भाइयों का ख्याल आ गया तेरी झिल्ली तो उन्ही से फड़वाउंगी।
अभी भी याद है, भाभी ने मेरी मुनिया में कैसे जबरदस्त उंगली की थी…
तभी से,...
कालेज में पहुँचने से पहले से ही…
फिर मेरी शादी भी जल्दी हो गई थी, 18-19 साल की ही रही होऊँगी।
अनुजा की अभी जो उमर है उससे एकाध साल ही ज्यादा बड़ी रही होऊँगी, जब संदीप से मेरी शादी हुई।
उसके बाद से तो पहले दिन से ही रोज बिना नागा,
न वो मुझे छोड़ते थे न मैं उन्हें, कई बार तो चार-पांच बार तक।
दिन दहाड़े भी वो नंबर लगा देते थे।
यहाँ तक की, उन पांच दिनों में भी, कोई छुट्टी नहीं,
कभी पिछवाड़े
तो कभी मुँह में।
लेकिन जब से संदीप दुबई गए हैं, बस मन मसोस के रह जाना पड़ता है।
हाँ जब संदीप आते हैं, फिर तो बस एक प्वाइंट प्रोग्राम, कभी भी कहीं भी, चार-पांच बार से कम तो किसी दिन नहीं। सूद सहित उधार चुकाने की कोशिश करती हूँ, और ये चिंता भी नहीं रहती की उसकी जवान हो रही बहन घर पे है।
बल्कि ये सोच-सोच के तो मैं और एक्साइट हो जाती हूँ की अनुजा को उस छोटे से फ़्लैट में हमारी आवाजें सुनाई पड़ रही होंगी।
फिर तो मैं उन्हें चढ़ा चढ़ा के, सेक्स के समय उन्हें खुल के एकदम ‘देसी’ भाषा में बोलने में बहुत मजा आता है, और मैं भी उन्हें उकसाती हूँ।
कई बार तो लगता है शायद अनुजा देख रही होगी उस समय तो ये सोच-सोच के और मजा आता है और मैं उन्हें जोश दिला दिला के,
लेकिन चार दिन की चांदनी, जब संदीप चले जाते हैं तो फिर बस वही।
संदीप का तो वहां काम चल जाता है। कंपनी की लड़कियां हैं, कुछ एयर होस्टेस को भी फांस रखा है। खुद ही बताता है।
उसकी भी देह की जरूरत है और मैं भी बुरा नहीं मानती।
वो तो मुझसे भी कहता है की, मैं अगर किसी के साथ तो उसे कोई ,...
अरे नीलू दीदी के साथ उसके भाई की शादी में, अमित जीजू के साथ मिल के,
दो-दो बार उन दोनों ने मेरी और नीलू दीदी की सैंडविच बनाई थी।
फिर अनुजा ही अगर किसी तरह फँस जाए न तो फिर तो मेरी चांदी ही चांदी, जब वो खुद ही किसी के नीचे आएगी तो फिर मेरे बारे में कैसे गाना गायेगी। कौन बताएगा उसके भैय्या से।
इसलिए तो मैं हरदम कोशिश करती हूँ किसी तरह अनुजा चारा घोंट ले।
उस दिन वो बाइक पे जब हैंडसम हंक के साथ आई (बाद में पता चला की उसका नाम देवेश है) तो मैं एकदम श्योर थी की ये बिना अनुजा को अपने नीचे लाये छोड़ेगा नहीं।
है मस्त माल, साथ की लड़कियों से ज्यादा मस्त गदराये जोबन हैं, लेकिन उसके दिमाग में अच्छी बच्ची बनने का फितूर जो चढ़ा है न, बस किसी तरह एक बार घोंट ले न वो बस… कई बार जब मैं उसके नए आये उभारों को दबा के चिढ़ाती-
“यार किसी को पटा लो, इतने मस्त जोबन आ रहे हैं…”
तो वो भी हँस के बोलती-
“ठीक है भाभी लेकिन पहले आप…”
और मैं एकदम खुश होकर बोलती- “ठीक है तू पहले पटा के ला तो। फिर मेरा तो ननदोई लगेगा, नंदोई पे वैसे भी सलहज का पहला हक़ होता है। और अनाड़ी चुदवैया बुर की खराबी, तो कहीं नया लौंडा होगा तो उसे अच्छे से सिखाने पढ़ाने का काम मैं कर दूंगी, उसके बाद मिल के। लेकिन उसके बाद जम के चुदाई करवाऊँगी तेरी अपने सामने…”
बात में हम दोनों एकदम खुल के, शुरू में थोड़ा शर्माती थी वो लेकिन कुछ जबरदस्ती, कुछ पटा के,
जब मेरी शादी में आई थी तो बस उसके कच्चे टिकोरे आने शुरू ही हुए थे,
लेकिन एकलौती ननद इसलिए खूब खुल के गालियां उसका नाम ले ले के। और शादी के बाद मैं भी उसे, संदीप तो हरदम खुल के ही बोलते हैं और मैंने भी फोर्स करके उसे, खास तौर पे होली में तो एकदम खुल के गाने होते हैं, इसलिए,
होली में लड़कों को छोड़िये कालोनी के मर्दों की भी निगाहें उसके टिकोरों पे पड़ने लगी थीं।
और भाभियां तो एकदम।