21-03-2020, 10:04 AM
(This post was last modified: 21-03-2020, 01:45 PM by komaalrani. Edited 4 times in total. Edited 4 times in total.)
छंदा
मैं छंदा, अनुजा की भाभी, उसके भाई संदीप की पत्नी। संदीप दुबई में काम करते है। साल में दो बार आ पाते हैं, 10-15 दिनों के लिए।
अनुजा मेरी छोटी ननद कुछ दिन पहले ही ग्रेज्युएशन में गई है।
अनुजा मेरी अकेली ननद है और बहुत प्यारी, सुन्दर तो है ही साथ में फिगर भी ऐसी है की सारे लड़के मरते होंगे उसपे, लेकिन सीधी बहुत है, एकदम बुद्धू।
मैं जो उसकी उम्र में थी तो मेरे तो, छोड़िये अपने बारे में क्या बताऊँ। आप कहेंगे की अपना ही किस्सा लेकर बैठ गई। हाँ मैं उकसाती रहती थी उसे, ब्वॉय फ्रेंड बनाने के लिए। फिर ननद भाभी में छेड़ छाड़ तो चलती ही रहती है, फिर वो मेरी ननद भी थी और सहेली भी, सब कुछ।
अनुजा खूब गोरी , सुरु के पेड़ की तरह छरहरी , हाई चीकबोन्स , बड़ी बड़ी आँखे , लेकिन लौंडो की जो जान मारती थीं , वो थे उसके उभार , ... थी तो मेरे ननद लेकिन उभारों मामले में एकदम मेरे ऊपर गयी थी , आगे भी , पीछे भी। अपने क्लास की लड़कियों से २० नहीं २२ , ...
अब आप ये पूछेंगे की आखिर ये मुझे कैसे पता चला , तो अरे आखिर उसकी सहेलियां भी तो मेरी ननदें ही लगेंगी , और ननदों की नाप जोख भाभियाँ नहीं करेंगी तो कौन करेगा , और उसके लिए होली का भी इन्तजार नहीं करना पड़ता।
दिया उसकी सबसे पक्की सहेली थी , और मेरी भी उतनी हो दोस्त , कुछ बात तो जो मैं अनुजा को भी नहीं बताती थी , दिया मुझे बता देती थी , ...
उसके क्लास की सब असली राज की बातें जो लड़कियां या तो अपनी सहेलियों से वो भी पक्की सहेलियों से बाँट पाती हैं या कुछ मेरी जैसे दोस्त से भी बढ़ कर भाभियों से ,
और दिया ही मुझे अनुजा के ' भौंरो ' के बारे में बताती रहती थी , ...हाईकॉलेज में पहुँचने के पहले से आठ दस ,
दिया तो खैर हाईकॉलेज में ही चालू हो गयी थी , ...
और बही जब वो इंटर में गयी थी , ...अनुजा के क्लास की ४० में से करीब बी ३२-३४ की चिड़िया तो उड़ने लगी थी ,
बाकी जो बची थीं , वो सब खददर भण्डार टाइप थी ,
( सिवाय अनुजा के , वो अपने क्लास की हॉटेस्ट गर्ल थी ) , ...
दिया बार बार मुझसे कहती , भाभी आप समझाती क्यों नहीं , ये चीज बचा के रखने की थोड़ी है , दे देगी तो कौन घिस जायेगी , ..
दिया तो , उस का एक गैंग था , उस के क्लास की ६-७ लड़कियां , बाकी बाहर के और लड़कियों से ज्यादा लड़के , पार्टी , ड्रिंक्स , और पार्टी भी कई बार रेव , और उसमें सब कुछ , ...
सब कुछ मतलब, 'सब कुछ ,'...
मैं भी उसे चिढ़ाती ,
अरे तेरी सहेली है ,.. मेरी ओर से ग्रीन सिग्नल है , सीधे से न माने ,.. बस एक बार चिड़िया चारा खा ले न , फिर तो खुद ही फुदकती फिरेगी चारे के लिए लिए
लेकिन हम दोनों कई बार मिल के अनुजा को चिढ़ाते थे ,
पर अनुजा तो अनुजा , सिर्फ पढ़ाई से मतलब ,
और उसे दो बातों की टर्र , एक तो इंटर में कम से कम कालेज में टॉप करना है ९८ % तो कम से कम ,...
और दूसरा टाँगे तो वो सुहागरात के दिन ही फैलाएगी , पता नहीं किस जमाने की लड़की थी
एक दिन मैंने उसे देखा, एक लड़के के साथ वो बाइक पे, एकदम हैंडसम हंक, उस समय अनुजा ट्वेल्थ में गई थी।
मैं बहुत खुश, मुझे लगा की मेरी ननद का चक्कर चल गया।
असल में मैं एक कॉलेज में पढ़ाती हूँ, लड़कियों का हाईकॉलेज है। वैसे तो छुट्टी पांच बजे होती है पर उस दिन जल्दी हो गई थी।
घर आते मैंने दूर से देखा एक बाइक पे एक लड़का, जींस और जैकेट में खूब लंबा, मस्क्युलर, और जब पीछे से उसके बाइक पर से एक लड़की उतरी तो अनुजा।
मैं रुक गई।
मुझे लगा की मुझे देखकर वो झिझक जायेगी, इसलिए पास में ही मेरी एक सहेली रहती है, सुलभा, उसके घर पे चली गई।
सुलभा भी मेरी तरह अकेली रहती है , लेकिन अकेली नहीं है , बहुत से उसके ' चाहने वाले ' हैं , टाउनशिप में भी और बाहर भी। असल में संदीप जिस मल्टी नेशनल कंपनी में काम करते हैं , उसी की टाउन शिप है ये , बहुत बड़ी नहीं ४०- ५० घर होंगे , और उसी में एक कॉलेज भी लड़कियों का , जिसमे मैंने संदीप के जाने के बाद ज्वाइन कर लिया ,
सुलभा पहले से ही उसमें टीचर है और हम लोगों की एकदम पहले दिन से जम गयी ,
उमर भी मेरी जैसे ही है या एकाध साल बड़ी होगी , २६-२७। बहुत गोरी तो नहीं , लेकिन नमक गज़ब का है उसमें , लेकिन सबसे बढ़कर उसका एट्टीट्यूड , ... सबको हाँ तो नहीं करती , लेकिन ना भी किसी को नहीं करती और जेंडर डिस्क्रिमनेशन भी नहीं , कच्ची उमर की लड़की और लड़कों का शौक तो , ...
और अनुजा जितनी मेरी ननद है , उससे ज्यादा सुलभा , ... ननद से छेड़छाड़ , गाली , ऊँगली , सब कुछ ,...
मैं भी न बात कहाँ से शुरू करती हूँ कहाँ पहुंचा देती हूँ , बात अनुजा की हो रही थी और मैं सुलभा को लेकर बैठ गयी
चलिए वापस अनुजा की बात पर
ऊपर से देखा तो अनुजा ने उस लड़के को बाहर से ही टाटा बाई बाई कर दिया।
हाँ मैंने देखा की सुलभा भी मेरे पीछे से उस लड़के को देख रही थी , मेरे पीठ पर मुक्का मार के बोली ,
" अरे यार अपनी ननद स्साली को बोल फंसा ले इस लौंडे को , नम्बरी चोदू होगा मेरी गारंटी , खूब हचक के चोदेगा स्साली को ,
और खूंटा भी उसका जबरदस्त होगा , ...और एक बार जब अपनी ननदिया चुद गयी न तो फिर तो नन्दोई होने के नाते हम दोनों का नंबर तो लग ही जाएगा। "
मैंने उससे कोई जिक्र नहीं किया की अभी कुछ तो खुलना शुरू हुई है, मैं बोलूंगी तो अपने कोकून में चली जायेगी।
हाँ मैंने पैंटी उसकी जरूर चेक की, लेकिन कोई खून वून का दाग नहीं था। इसका मतलब कली अभी कली ही है।
अगले दिन मैंने उससे पिल का जिक्र छेड़ा तो वो एकदम से गुस्सा हो गई।
“भाभी मैं ऐसी वैसी लड़की नहीं हूँ…”
मुँह फुला के अनुजा बोली।
मैंने उसे बहुत मनाया, चिढ़ाया-
“अरे यार कभी मन कर ही जाय…”
हँस के वो बोली- “भाभी जिस दिन मेरा मन करेगा न सबसे पहले आपको ही बताऊँगी…”
फिर खिलखिलाती खुद ही बोली- “अरे भाभी, आजकल तो मार्निंग आफ्टर वाली पिल भी मिलती है…”
मतलब मेरी बिन्नो ने मन बनाकर रखा था।
उसी दिन शाम को मैं मार्निंग आफ्टर वाली पिल लायी और उसके पर्स में उसे दिखाकर डाल दिया।
मैं छंदा, अनुजा की भाभी, उसके भाई संदीप की पत्नी। संदीप दुबई में काम करते है। साल में दो बार आ पाते हैं, 10-15 दिनों के लिए।
अनुजा मेरी छोटी ननद कुछ दिन पहले ही ग्रेज्युएशन में गई है।
अनुजा मेरी अकेली ननद है और बहुत प्यारी, सुन्दर तो है ही साथ में फिगर भी ऐसी है की सारे लड़के मरते होंगे उसपे, लेकिन सीधी बहुत है, एकदम बुद्धू।
मैं जो उसकी उम्र में थी तो मेरे तो, छोड़िये अपने बारे में क्या बताऊँ। आप कहेंगे की अपना ही किस्सा लेकर बैठ गई। हाँ मैं उकसाती रहती थी उसे, ब्वॉय फ्रेंड बनाने के लिए। फिर ननद भाभी में छेड़ छाड़ तो चलती ही रहती है, फिर वो मेरी ननद भी थी और सहेली भी, सब कुछ।
अनुजा खूब गोरी , सुरु के पेड़ की तरह छरहरी , हाई चीकबोन्स , बड़ी बड़ी आँखे , लेकिन लौंडो की जो जान मारती थीं , वो थे उसके उभार , ... थी तो मेरे ननद लेकिन उभारों मामले में एकदम मेरे ऊपर गयी थी , आगे भी , पीछे भी। अपने क्लास की लड़कियों से २० नहीं २२ , ...
अब आप ये पूछेंगे की आखिर ये मुझे कैसे पता चला , तो अरे आखिर उसकी सहेलियां भी तो मेरी ननदें ही लगेंगी , और ननदों की नाप जोख भाभियाँ नहीं करेंगी तो कौन करेगा , और उसके लिए होली का भी इन्तजार नहीं करना पड़ता।
दिया उसकी सबसे पक्की सहेली थी , और मेरी भी उतनी हो दोस्त , कुछ बात तो जो मैं अनुजा को भी नहीं बताती थी , दिया मुझे बता देती थी , ...
उसके क्लास की सब असली राज की बातें जो लड़कियां या तो अपनी सहेलियों से वो भी पक्की सहेलियों से बाँट पाती हैं या कुछ मेरी जैसे दोस्त से भी बढ़ कर भाभियों से ,
और दिया ही मुझे अनुजा के ' भौंरो ' के बारे में बताती रहती थी , ...हाईकॉलेज में पहुँचने के पहले से आठ दस ,
दिया तो खैर हाईकॉलेज में ही चालू हो गयी थी , ...
और बही जब वो इंटर में गयी थी , ...अनुजा के क्लास की ४० में से करीब बी ३२-३४ की चिड़िया तो उड़ने लगी थी ,
बाकी जो बची थीं , वो सब खददर भण्डार टाइप थी ,
( सिवाय अनुजा के , वो अपने क्लास की हॉटेस्ट गर्ल थी ) , ...
दिया बार बार मुझसे कहती , भाभी आप समझाती क्यों नहीं , ये चीज बचा के रखने की थोड़ी है , दे देगी तो कौन घिस जायेगी , ..
दिया तो , उस का एक गैंग था , उस के क्लास की ६-७ लड़कियां , बाकी बाहर के और लड़कियों से ज्यादा लड़के , पार्टी , ड्रिंक्स , और पार्टी भी कई बार रेव , और उसमें सब कुछ , ...
सब कुछ मतलब, 'सब कुछ ,'...
मैं भी उसे चिढ़ाती ,
अरे तेरी सहेली है ,.. मेरी ओर से ग्रीन सिग्नल है , सीधे से न माने ,.. बस एक बार चिड़िया चारा खा ले न , फिर तो खुद ही फुदकती फिरेगी चारे के लिए लिए
लेकिन हम दोनों कई बार मिल के अनुजा को चिढ़ाते थे ,
पर अनुजा तो अनुजा , सिर्फ पढ़ाई से मतलब ,
और उसे दो बातों की टर्र , एक तो इंटर में कम से कम कालेज में टॉप करना है ९८ % तो कम से कम ,...
और दूसरा टाँगे तो वो सुहागरात के दिन ही फैलाएगी , पता नहीं किस जमाने की लड़की थी
एक दिन मैंने उसे देखा, एक लड़के के साथ वो बाइक पे, एकदम हैंडसम हंक, उस समय अनुजा ट्वेल्थ में गई थी।
मैं बहुत खुश, मुझे लगा की मेरी ननद का चक्कर चल गया।
असल में मैं एक कॉलेज में पढ़ाती हूँ, लड़कियों का हाईकॉलेज है। वैसे तो छुट्टी पांच बजे होती है पर उस दिन जल्दी हो गई थी।
घर आते मैंने दूर से देखा एक बाइक पे एक लड़का, जींस और जैकेट में खूब लंबा, मस्क्युलर, और जब पीछे से उसके बाइक पर से एक लड़की उतरी तो अनुजा।
मैं रुक गई।
मुझे लगा की मुझे देखकर वो झिझक जायेगी, इसलिए पास में ही मेरी एक सहेली रहती है, सुलभा, उसके घर पे चली गई।
सुलभा भी मेरी तरह अकेली रहती है , लेकिन अकेली नहीं है , बहुत से उसके ' चाहने वाले ' हैं , टाउनशिप में भी और बाहर भी। असल में संदीप जिस मल्टी नेशनल कंपनी में काम करते हैं , उसी की टाउन शिप है ये , बहुत बड़ी नहीं ४०- ५० घर होंगे , और उसी में एक कॉलेज भी लड़कियों का , जिसमे मैंने संदीप के जाने के बाद ज्वाइन कर लिया ,
सुलभा पहले से ही उसमें टीचर है और हम लोगों की एकदम पहले दिन से जम गयी ,
उमर भी मेरी जैसे ही है या एकाध साल बड़ी होगी , २६-२७। बहुत गोरी तो नहीं , लेकिन नमक गज़ब का है उसमें , लेकिन सबसे बढ़कर उसका एट्टीट्यूड , ... सबको हाँ तो नहीं करती , लेकिन ना भी किसी को नहीं करती और जेंडर डिस्क्रिमनेशन भी नहीं , कच्ची उमर की लड़की और लड़कों का शौक तो , ...
और अनुजा जितनी मेरी ननद है , उससे ज्यादा सुलभा , ... ननद से छेड़छाड़ , गाली , ऊँगली , सब कुछ ,...
मैं भी न बात कहाँ से शुरू करती हूँ कहाँ पहुंचा देती हूँ , बात अनुजा की हो रही थी और मैं सुलभा को लेकर बैठ गयी
चलिए वापस अनुजा की बात पर
ऊपर से देखा तो अनुजा ने उस लड़के को बाहर से ही टाटा बाई बाई कर दिया।
हाँ मैंने देखा की सुलभा भी मेरे पीछे से उस लड़के को देख रही थी , मेरे पीठ पर मुक्का मार के बोली ,
" अरे यार अपनी ननद स्साली को बोल फंसा ले इस लौंडे को , नम्बरी चोदू होगा मेरी गारंटी , खूब हचक के चोदेगा स्साली को ,
और खूंटा भी उसका जबरदस्त होगा , ...और एक बार जब अपनी ननदिया चुद गयी न तो फिर तो नन्दोई होने के नाते हम दोनों का नंबर तो लग ही जाएगा। "
मैंने उससे कोई जिक्र नहीं किया की अभी कुछ तो खुलना शुरू हुई है, मैं बोलूंगी तो अपने कोकून में चली जायेगी।
हाँ मैंने पैंटी उसकी जरूर चेक की, लेकिन कोई खून वून का दाग नहीं था। इसका मतलब कली अभी कली ही है।
अगले दिन मैंने उससे पिल का जिक्र छेड़ा तो वो एकदम से गुस्सा हो गई।
“भाभी मैं ऐसी वैसी लड़की नहीं हूँ…”
मुँह फुला के अनुजा बोली।
मैंने उसे बहुत मनाया, चिढ़ाया-
“अरे यार कभी मन कर ही जाय…”
हँस के वो बोली- “भाभी जिस दिन मेरा मन करेगा न सबसे पहले आपको ही बताऊँगी…”
फिर खिलखिलाती खुद ही बोली- “अरे भाभी, आजकल तो मार्निंग आफ्टर वाली पिल भी मिलती है…”
मतलब मेरी बिन्नो ने मन बनाकर रखा था।
उसी दिन शाम को मैं मार्निंग आफ्टर वाली पिल लायी और उसके पर्स में उसे दिखाकर डाल दिया।