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Adultery सोलवां सावन
#49
पंडित जी ,दरोगा जी 




[Image: bhabhi-6.md.jpg]



मतलब जान के भी मेरी भाभी ने पूछा और कहा , पंडित जी मेरी एकलौती ननद है , खुल के बतालेकिन पंडित जी ने फिर एक चौपाया बनने का , डॉगी पोज का इशारा किया और भों भों। 

जवाब चंपा भाभी , ( मेरी भाभी की भौजाई ) ने दिया , " अरे ई रॉकी , ( भाभी के यहाँ का कुत्ता ) से चुदवाई का ". 

पंडित जी बनी कामिनी भाभी ने हामी में सर हिलाया और ये भी बोला " ई बहुत जरूरी है , नहीं तो इसके ऊपर एक ग्रह का दोष है उ तबै शांत होगा जब ई कौन कुत्ता से चुदवायेगी। हाँ लेकिन ये सीधे से नहीं मानेगी , जोर जबरदस्ती करनी पड़ेगी। दूसरे , अबकी कातिक में ही जोग है। बस एक बार चुदवा लेगी फिर तो ,"

एक बार फिर चंपा भाभी मैदान में आ गयीं और हाल खुलासा बयान करने लगी ,

" अरे कोई बात नहीं ,दो तीन महीने की बात है। और बस , आँगन में जो चुल्ला लगा है न बस उसी में बाँध देंगे , जैसे बाकी कुतिया बांधते है , सांकल से , फिर तो रॉकी खुदै चाट चुट के इसकी चूत गरम कर देगा ,और एक बार जब उसका लंड घुस के , गाँठ लग गयी बस , फिर छोड़ देंगे उसको , … "

" अरे भाभी तब तो उसको घेररा घेररा के , पूरे घर में , " कजरी बोली। 

" अरे घर में काहें पूरे गाँव में , रॉकी की गाँठ एक बार लग जाती है तो घंटे भर से पहले नहीं छूटती। " बसंती , जो भाभी के घर पे नाउन थी उसने जोड़ा। 


" अरे एक दो बार ज्यादा दर्द होगा , फिर जहाँ मजा लग गया , फिर तो खुदे निहुर के रॉकी के आगे , " चम्पा भाभी ने मेरा गाल सहलाते बोला और जोड़ा मानलो चुदवाएगी ये कातिक में लकीन चूत तो अभी चटवा लो , उसकी खुरदुरी जीभ से बहुत मजा आएगा। "

और मेरी भाभी भी वो क्यों छोड़ती मौका , चंपा भाभी से बोलीं। 

" अरे भाभी , इस बिचारी ने मना किया है , वो तो आई ही है चुदवाने चटवाने , और कातिक में दुबारा आ जाएगी। "

लेकिन तबतक पंडित बनी कामिनी भाभी ने , दुबारा लहंगे में हाथ घुसा दिया था और इस बार उनकी उँगलियों ने मेरी चुनमिया को खुल के सहला दिया। 

किसी ने उनसे पूछ लिया , " क्यों पंडित जी , घास फूस है या चिक्कन मैदान। "

" एकदम मक्खन मलाई " और उन्होंने अपनी गदोरी से हलके से मेरी सहेली को दबा दिया। 

मैं एकदम पानी पानी हो गयी , गनीमत था उन्होंने हाथ निकाल लिया और बोली ,

" सिंपो सिंपो "

" गदहा , अरे पंडित जी , इसकी गली के बाहर ही तो ८ -१० बंधे रहते हैं , मैंने तो देखा भी है इसको ,उनसे नैन मटक्का करते। "

दो चार भाभियों ने एक साथ मेरी भाभी को सराहा , ' बिन्नो बड़ी ताकत है तेरी ननद में , कुत्ता गदहा सब का ,… "

तब तक पंडित जी ने लहंगा थोड़ा और ऊपर सरका दिया , बस बित्ते भर मुश्किल से ऊपर सरकता तो खजाना दिख जाता , और अबकी न सिर्फ उनकी गदोरी जोर जोर से मेरी बुलबुल को सहला रही थी साथ में उनके अंगूठे ने क्लिट को जोर से दबा दिया। 

बड़ी मुश्किल से मैं सिसकी रोकी। 

और पंडित बनी कामिनी भाभी ने हाथ हटा दिया। उधर पीछे से बसंती और पूरबी ने भी मेरा हाथ छोड़ दिया। किसी तरह लहंगे को ठीक करती मैं बैठी। 

और अब पंडित जी मेरी पूरी भविष्यवाणी बिचार रहे थे। 

चम्पा भाभी से वो 'बोल रहे ' थे --

" अरे यहाँ तो ई तुम्हारे देवरों का मन रखेगी , लेकिन अपने मायके पहुँच के ( मेरी भाभी की ओर इशारा करके ) सबसे ज्यादा तो इनके देवर का भी मन रखेगी ,बिना नागा।"

" मतलब यहां इनकी भौजाई , और वहां देवरानी बनेगी " चम्पा भाभी और बाकी भाभियाँ हँसते खिलखिलाते बोलीं। 

मेरी पता नहीं कब तक कामिनी भाभी रगड़ाई करती लेकिन एक भाभी ने , उन्हें पूरबी की ओर उकसा दिया। 

" अरे पंडित जी तानी एकर पत्रा बिचारा , फागुन में ई ससुरे गयी गौने के बाद , और सावन लग गया अबहीं तक गाभिन नहीं हुयी। "

पंडित बनी कामिनी भाभी ने उसका आँचर एक झटके में हटा दिया , ( और अबकी पूरबी की दोनों कलाइयां मेंरे हाथ में थीं ) , थोड़ी देर पेट सहलाया और फिर एक झटके में हाथ पेटीकोट के अंदर। 

हम सब समझ रहे थे की कामिनी भाभी का हाथ अंदर क्या कर रहा है , खूब शोर हो रहा था , पूरबी मजे ले रही थी लेकिन पैर पटक रही थी। 

चार पांच मिनट खूब मजे लेने के बाद ' पंडित जी ' ने हाथ बाहर निकाला , और बड़ा सीरियस चेहरा बना के बोलीं ,

" बहुत मुश्किल है , कौनो योग नहीं लग रहा है। "

अब चम्पा भाभी भी सीरियस हो गयीं और पूछा , अरे पंडित जी का बात है , कतौ पाहुन में कुछ , एकरे मरद में कुछ कमी तो "

" अरे नहीं , उ तो बिना नागा , लेकिन गडबड दो है , एक तो इसके मर्द को गांड मारने का शौक बहुत है , चूत से ज्यादा ई गांड में लेती ही , दूसरे जब ई चुदवाती भी तो है खुदे ऊपर रहती है , खुद चढ़ के चोदती है , तो हमें तो डर है की कही इसका मरद ही न गाभिन हो जाय। "

जोर का ठहाका लगा और इसमें सिर्फ भाभियाँ ही नहीं बल्कि लड़कियां भी शामिल थीं। 

और इसी ठहाके के बीच एक दरोगा जी , आ गए। 

और मैंने भी उन्हें पहचान लिया , जिस दिन हम लोग आये उसी दिन जब सोहर हो रहा था , तो वो आई थीं , मुन्ने को देखने और भाभी की माँ को खूब खुल के छेड़ रही थीं। रिश्ते में भाभी की बुआ लगती थीं , इसलिए भाभी की माँ उनकी भाभी हुईं तो फिर तो मजाक का ,

और अबकी उन्होंने फिर भाभी की माँ और चाची को ही टारगेट किया। 

रतजगा में वैसे भी कोई शरम लिहाज , उमर का कोई बंधन नहीं था। 

बल्कि बल्कि जो ज़रा बड़ी उमर की औरतें होती थीं , वो और खुल के मजाक , और बात चीत से ज्यादा हाथ पैर से , कपडे खोलने ,… और दरोगा जी ने यही किया , 

भाभी की माँ के ब्लाउज में सीधे हाथ डाल दिया , और उनका साथ भाभी की रिश्ते में लगने वाली दो भाभियाँ दे रही थीं , दोनों हाथ पकड़ के। ( बहुओं को भी मौक़ा मिलता था सास से मजा लेने का )
" साल्ली ,बेटीचोद , अभी तक तो अपनी बेटियों से धंधा कराती थी , चकला चलाती थी अब चोरी चकारी पे उत्तर आई , भोसड़ी वाली। तेरे गांड में डंडा डाल के मुंह से निकालूंगी , बोल कहाँ कहाँ से चोरी की , क्या चोरी की , "

भाभी की माँ भी अब रोल में आ गयी थीं , बोलने लगी , " नहीं दरोगा जी , कुछ नहीं चुराया। "

लेकिन उनकी रिश्ते की बहुएं ,नयी नवेली एकदम जोश में थी ,

" दरोगा जी ,ये ऐसे नहीं मानेगी , पुरानी खानदानी चोर है , नंगा झोरी लेनी पड़ेगी साली की। " वो दोनों एक साथ बोलीं। 

बुआ जी जो दरोगा की ड्रेस में थी , अपनी भौजाई के बलाउज में हाथ डाल के सबको दिखा के खूब कस कस के चूंची रगड़ मसल रही थी और फिर एक झटका मारा उन्होंने तो आधे से ज्यादा बटन ब्लाउज के टूट गए और गदराये गोरे बड़े बड़े जोबन दिखने लगे। 

उन्होंने अपनी मुट्ठी खोली ( चंदा ने मेरे कान में बोला , देख इसमे से क्या क्या निकलेगा ) और सच में कुछ अंगूठियां , कान की बाली निकली। 


उन्होंने सब को दिखाया और नए जवान 'सिपाहियों ' ( भाभी की माँ की बहुओं ) को ललकारा 

" अरे ये तो नमूना है , साल्ल्ली ने अपनी गांड और भोंसड़े में बहुत छिपा रखा है , खोल साडी। "

जब तक वो सम्हलातीं , दोनों , सिपाहियों ने पीछे से उन्हें खींच के गिरा दिया और बुआ जी उर्फ़ दरोगा ने , साडी पूरी कमर तक। 



[Image: pussy-fingering-CU.md.jpg]


भाभी की मातृभूमि के दर्शन सबको होगये ,खुलम खुल्ला और यही नहीं बुआ जी ने एक ऊँगली अंदर भी घुसेड़ दी , और उनकी दोनों बहुओं ने ब्लाउज की बाकी बटने भी खोलकर दोनों कबूतर बाहर। 


फिर तो आधे घंटे में एकदम फ्री फॉर आल हो गया 


बाहर बारिश बहुत तेज हो गयी थी। 

रात खत्म होने के कगार पे साढ़े तीन चार होने वाला था। 


और तबतक एक 'लड़का ' आया , दुल्हन की तलाश में , और सब लोग अपनी अपनी हरकतें छोड़ के चुप चाप बैठ गए।


हाइट करीब मेरी ही रही होगी , गोरा रंग , तीखे नाक नक्श ,बड़ी बड़ी आँखे , भरे भरे गाल और पेंट शर्ट ,कोट पहने एक टोपी लगाए। 

मैंने पहचाना नहीं , लेकिन टोपी भी उसकी लम्बे बाल जो मोड़ के खोंसे थे , मुश्किल से छुपा पा रही थी। 
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Messages In This Thread
सोलवां सावन - by komaalrani - 10-01-2019, 10:36 PM
RE: सोलवां सावन - by Bregs - 10-01-2019, 11:31 PM
RE: सोलवां सावन - by Kumkum - 01-02-2019, 02:50 PM
RE: सोलवां सावन - by Logan555 - 13-02-2019, 06:40 PM
RE: सोलवां सावन - by komaalrani - 14-02-2019, 04:20 PM
RE: सोलवां सावन - by Kumkum - 19-02-2019, 01:09 PM
RE: सोलवां सावन - by Logan555 - 26-02-2019, 11:10 AM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 04-05-2019, 08:44 PM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 04-05-2019, 11:46 PM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 19-05-2019, 11:15 AM
RE: सोलवां सावन - by Theflash - 03-07-2019, 10:31 AM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 14-07-2019, 04:07 PM
RE: सोलवां सावन - by usaiha2 - 09-07-2021, 05:54 PM



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