18-03-2020, 05:26 PM
मेरा नाम आशा हैं और मैं वलसाड, गुजरात में रहती हूँ. मेरी उम्र २९ साल हैं और मेरे पति घनश्याम रेलवे में इंजिनियर हैं. हम लोग क्वार्टर्स में रहते हैं और यह बात आज से ४ महीने पहले की हैं. हमारे बगल वाले क्वार्टर में सुलेमान भाई और फरीदा भाभी रहते हैं. दोनों ही पचास के ऊपर की उम्र के हैं और सुलेमान भाई कुछ ही साल में रिटायर्ड होने वाले हैं. उनका एक बेटा हैं जिसका नाम अशफ़ाक हैं. अशफ़ाक दुबई में रहता हैं और वो अभी कुंवारा हैं.
अप्रेल में वो गर्मी के दिनों में इंडिया आया था. वो एक हसमुख और नौटी लड़का हैं. उसने हमें भी चोकलेट और खजूरें दी थी. फरीदा भाभी ने मुझे बताया की अशफ़ाक की मंगनी वो लोग दमन में तय करने वाले हैं. दरअसल वो उसकी फूफी की बेटी से ही होनेवाली थी. एक दिन मैं घर में मटर छिल रही थी की अशफ़ाक आ गया.
“भाभी कैसे हो आप.? भैया ने अभी तक टीवी नहीं लगवाया आप के घर में, कैसे टाइम निकालती हैं आप…!” इतना कह के वो मेरे पास बैठा और छिले हुए मटर उठा के खाने लगा.
“अरे रे, छिले हुए मत खा पागल, खाने हैं तो खुद छिल के खा..” मैंने उसका हाथ थाली से हटाते हुए कहा.
“भाभी आप भी ना, जरा भी नहीं बदली हैं.”
“अच्छा, तू तो जैसे दुबई जा के लाटसाहब हो के आया हैं.”
“हा हा हा, वैसे मैं यह कहने आया था की सन्डे को हम लोग दमन जा रहे हैं आप चलेंगे हमारे साथ.”
“क्यूँ नहीं, अच्छी बात हैं.”
“भैया को भी बोल देना प्लीज़.”
“वो शायद ही आयेंगे, अगर नाईट ड्यूटी रही तो मैं मना लुंगी उन्हें आने के लिए.”
जैसे ही मैंने यह कहा वो उठ के जा रहा था. लेकिन मैंने बात आगे की.
“अशफ़ाक, वैसे तूने बताया ही नहीं की हुस्ना कैसी दिखती हैं.”
“क़यामत हैं भाभी पूरी क़यामत..”
इतना कह के उसने अपनी गांड को ऊँचा कर के पर्स निकाला. उसने पर्स की साइड वाली जगह में रखी हुई फोटो मुझे दिखाई. सच में वो बहुत ही खुबसूरत दिखती थी.
“तू इसके लिए दुबई से कुछ लाया की नहीं?”
“लाया हूँ ना भाभी बहुत सब लाया हूँ.”
“क्या लाया हैं?”
“चोकलेट, मेकअप बोक्स, टेडी बियर और…”
और कह के अशफ़ाक की जबान रुक गई, मुझे जानने की जिग्न्यासा हुई की और क्या लाया था वो.
“और क्या?”
“कुछ नहीं भाभी.!”
“अरे बता ना, भाभी कहता हैं और मुझ से ही छिपाता हैं.”
“अरे आप अम्मी को बता देंगी यह सब.”
“धत पगले नहीं बताउंगी किसी को भी.”
अशफ़ाक ने इधर उधर देखा और फिर धीरे से बोला, “मैंने लौन्जरी ले के आया हूँ हुस्ना के लिए!”
“क्या?”
“हाँ आशा भाभी मैं उसके लिए ब्लेक इम्पोर्टेड ब्रा और पेंटी लाया हु और ऊपर एक ट्रांसपेरेंट गाउन भी हैं.”
अशफ़ाक के मुहं से यह सब सुन के मुझे अपनी जवानी याद आ गई. कैसे घनश्याम के साथ मैं हनिमुम के लिए खंडाला गई थी जहां उसने मुझे ऐसी ही पारदर्शक नाइटी ले के दी थी. अशफ़ाक बड़ा खुश दिख रहा था. मुझे घनश्याम की जवानी के दिन याद आये जब वो दिन में मूझे ३-४ बार चोदता था और थका देता था. अब तो मुश्किल से महीने में दो बार वो मुझे शयनसुख देता हैं. अशफ़ाक के अंदर मुझे घनश्याम की वो पुरानी मर्दानगी की झलक दिखी. मेरे मन में कटु ख्याल आया की क्यूँ ना हुस्ना से पहले मैं ही उसके लंड के निचे लेट जाऊं, वैसे अशफ़ाक दिखता भी बड़ा हॉट था. किसी अंडरवेर की एड में मॉडल होते हैं वैसा ही गोरा चिट्टा और मजबूत बांधे वाला था वो.
“तूने साइज़ चेक पूछी थी हुस्ना से?” मैंने अपने डोरे डालने की शरुआत की.
“अरेभाभी, नहीं वो नहीं बताती कभी भी, वो तो आई लव यु बोलने में भी शरमाती हैं.”
“बुध्धू अगर लौन्जरी छोटी बड़ी हुई तो गिफ्ट का कचरा हो जायेंगा.” मेरा इतना कहते ही अशफ़ाक सोच में पड़ गया.
“जा ले के आ यहाँ, मैं चेक करती हूँ.” मैंने उस से कहा.
“सच में भाभी, आप चेक कर सकती हैं ऐसे देख के ही?” उसने पूछा.
“हाँ तू ले आ, मैं कम से कम अंदाज निकाल दूंगी तुझे.”
अशफ़ाक दौड़ के गया और जब वो वापस आया तो उसके हाथ में एक बेग थी. उसने लौन्जरी को गिफ्ट व्रेप करवाया था. उसने व्रेपिंग खोली और अंदर से एक बोक्स निकाला. बॉक्स में मखमली लौन्जरी थी काले रंग की. उसने धीरे से उसे बहार निकाला. मैंने ब्रा को पकड़ा और उसे उसके सामने खोला. वो एक पेड़ वाली ब्रा थी और दिखने में बड़ी सेक्सी थी. मैंने अशफ़ाक के सामने देखा और फिर ब्रा को अपने बूब्स पर रख दिया. अशफ़ाक फटी आँखों से मुझे देख रहा था. ब्रा को मैंने जब बूब्स पर ढंका तो वो फिट दिख रही थी मेरे ऊपर.
“मेरे जितनी साइज़ हैं क्या हुस्ना की?”
अप्रेल में वो गर्मी के दिनों में इंडिया आया था. वो एक हसमुख और नौटी लड़का हैं. उसने हमें भी चोकलेट और खजूरें दी थी. फरीदा भाभी ने मुझे बताया की अशफ़ाक की मंगनी वो लोग दमन में तय करने वाले हैं. दरअसल वो उसकी फूफी की बेटी से ही होनेवाली थी. एक दिन मैं घर में मटर छिल रही थी की अशफ़ाक आ गया.
“भाभी कैसे हो आप.? भैया ने अभी तक टीवी नहीं लगवाया आप के घर में, कैसे टाइम निकालती हैं आप…!” इतना कह के वो मेरे पास बैठा और छिले हुए मटर उठा के खाने लगा.
“अरे रे, छिले हुए मत खा पागल, खाने हैं तो खुद छिल के खा..” मैंने उसका हाथ थाली से हटाते हुए कहा.
“भाभी आप भी ना, जरा भी नहीं बदली हैं.”
“अच्छा, तू तो जैसे दुबई जा के लाटसाहब हो के आया हैं.”
“हा हा हा, वैसे मैं यह कहने आया था की सन्डे को हम लोग दमन जा रहे हैं आप चलेंगे हमारे साथ.”
“क्यूँ नहीं, अच्छी बात हैं.”
“भैया को भी बोल देना प्लीज़.”
“वो शायद ही आयेंगे, अगर नाईट ड्यूटी रही तो मैं मना लुंगी उन्हें आने के लिए.”
जैसे ही मैंने यह कहा वो उठ के जा रहा था. लेकिन मैंने बात आगे की.
“अशफ़ाक, वैसे तूने बताया ही नहीं की हुस्ना कैसी दिखती हैं.”
“क़यामत हैं भाभी पूरी क़यामत..”
इतना कह के उसने अपनी गांड को ऊँचा कर के पर्स निकाला. उसने पर्स की साइड वाली जगह में रखी हुई फोटो मुझे दिखाई. सच में वो बहुत ही खुबसूरत दिखती थी.
“तू इसके लिए दुबई से कुछ लाया की नहीं?”
“लाया हूँ ना भाभी बहुत सब लाया हूँ.”
“क्या लाया हैं?”
“चोकलेट, मेकअप बोक्स, टेडी बियर और…”
और कह के अशफ़ाक की जबान रुक गई, मुझे जानने की जिग्न्यासा हुई की और क्या लाया था वो.
“और क्या?”
“कुछ नहीं भाभी.!”
“अरे बता ना, भाभी कहता हैं और मुझ से ही छिपाता हैं.”
“अरे आप अम्मी को बता देंगी यह सब.”
“धत पगले नहीं बताउंगी किसी को भी.”
अशफ़ाक ने इधर उधर देखा और फिर धीरे से बोला, “मैंने लौन्जरी ले के आया हूँ हुस्ना के लिए!”
“क्या?”
“हाँ आशा भाभी मैं उसके लिए ब्लेक इम्पोर्टेड ब्रा और पेंटी लाया हु और ऊपर एक ट्रांसपेरेंट गाउन भी हैं.”
अशफ़ाक के मुहं से यह सब सुन के मुझे अपनी जवानी याद आ गई. कैसे घनश्याम के साथ मैं हनिमुम के लिए खंडाला गई थी जहां उसने मुझे ऐसी ही पारदर्शक नाइटी ले के दी थी. अशफ़ाक बड़ा खुश दिख रहा था. मुझे घनश्याम की जवानी के दिन याद आये जब वो दिन में मूझे ३-४ बार चोदता था और थका देता था. अब तो मुश्किल से महीने में दो बार वो मुझे शयनसुख देता हैं. अशफ़ाक के अंदर मुझे घनश्याम की वो पुरानी मर्दानगी की झलक दिखी. मेरे मन में कटु ख्याल आया की क्यूँ ना हुस्ना से पहले मैं ही उसके लंड के निचे लेट जाऊं, वैसे अशफ़ाक दिखता भी बड़ा हॉट था. किसी अंडरवेर की एड में मॉडल होते हैं वैसा ही गोरा चिट्टा और मजबूत बांधे वाला था वो.
“तूने साइज़ चेक पूछी थी हुस्ना से?” मैंने अपने डोरे डालने की शरुआत की.
“अरेभाभी, नहीं वो नहीं बताती कभी भी, वो तो आई लव यु बोलने में भी शरमाती हैं.”
“बुध्धू अगर लौन्जरी छोटी बड़ी हुई तो गिफ्ट का कचरा हो जायेंगा.” मेरा इतना कहते ही अशफ़ाक सोच में पड़ गया.
“जा ले के आ यहाँ, मैं चेक करती हूँ.” मैंने उस से कहा.
“सच में भाभी, आप चेक कर सकती हैं ऐसे देख के ही?” उसने पूछा.
“हाँ तू ले आ, मैं कम से कम अंदाज निकाल दूंगी तुझे.”
अशफ़ाक दौड़ के गया और जब वो वापस आया तो उसके हाथ में एक बेग थी. उसने लौन्जरी को गिफ्ट व्रेप करवाया था. उसने व्रेपिंग खोली और अंदर से एक बोक्स निकाला. बॉक्स में मखमली लौन्जरी थी काले रंग की. उसने धीरे से उसे बहार निकाला. मैंने ब्रा को पकड़ा और उसे उसके सामने खोला. वो एक पेड़ वाली ब्रा थी और दिखने में बड़ी सेक्सी थी. मैंने अशफ़ाक के सामने देखा और फिर ब्रा को अपने बूब्स पर रख दिया. अशफ़ाक फटी आँखों से मुझे देख रहा था. ब्रा को मैंने जब बूब्स पर ढंका तो वो फिट दिख रही थी मेरे ऊपर.
“मेरे जितनी साइज़ हैं क्या हुस्ना की?”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.