18-03-2020, 05:01 PM
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(09-03-2020, 01:13 PM)neerathemall Wrote:मैं : इसका मतलब कि दीपक ने चंपा के साथ सेक्स किया था !चंपा के साथ चुदाई को कैसे राज़ी हुए ?
भैया : कोशिश की थी पर जब वो एक साल में तुम्हारी सील नहीं तोड़ पाया , तो उसकी क्या तोड़ता , बाहर ही पानी निकल जाता होगा !
मैं : चलो जो भी हो , मेरा मन अब हल्का हो जायेगा , मै आपसे रिश्ता बनाकर खुद को दोषी मानती थी पर अब हिसाब बराबर !आगे क्या हुआ भैया ?
भैया : चंपा मेरे छोटे भाई बेस्ट फ्रेंड कमल की पत्नी थी , इस नाते वो मेरे छोटे भाई की पत्नी जैसा ही थी , इसी वज़ह से मैंने उसका चेक अप भी नहीं किया था ! एक दिन अचानक रात को कमल का फ़ोन आया की चंपा के पेट में बहुत दर्द हो रहा है ! मैं दवा बताकर टालने वाला था कि दीपक का फ़ोन आया कि कमल चंपा को लेकर क्लिनिक आ रहा है , आप देख लीजिये ! एक डाक्टर के नाते भी मेरा फ़र्ज़ था , मैं क्लिनिक आ गया ! चंपा को देखकर मैं हैरान हो गया , इतनी सुन्दर थी वो ! एक मिनट के लिए तो मेरा ईमान डोल गया , ऐसी औरत मैंने सपने में भी नहीं सोची या देखी थी !गोरी चिट्टी , सुडौल , किसी महान चित्रकार कि रचना कि तरह नाक नक्श , किसी का भी ईमान डोल जाये उसको देखकर !
मैं : हाँ , सो तो है भैया , वो आज भी किसी को भी पागल कर सकती हैं , मैं तो उसके सामने कुछ भी नहीं !
भैया : मैं उससे पूछने लगा दर्द की बारे, वो शर्मीली बिलकुल नहीं थी , उसने बताया की कमल ने धोखे से आपसे सम्बन्ध बनाने के लिए मुझे यहाँ तक ले के आया है ! मैं गुस्से से कमल को डांटने बाहर निकला, तो देखा दरवाज़ा बाहर से बंद था ! कमल और दीपक दोनों के मोबाइल बंद थे , यानि उन्होंने मेरे साथ साज़िश की थी ! मैं किसी और को आवाज़ देता तो मेरे बदनामी से ज्यादा चंपा की बदनामी हो जाती ! चंपा रोने लगी थी , मैं उसको चुप कराने लगा , उसने मेरे पैर पकड़ लिए , बोली भाई साहब , आप बस मुझे एक बार माँ बना दीजिये, इस रिश्ते से जो भी पाप होगा ,वो मैं भगवान से कहूँगी की मुझे सजा दे ! मैंने उसको कंधे से पकड़ कर उठाया , और उसके चेहरे को अपने हाथ में ले लिया !उसके होंठ काँप रहे थे , थर्राते होठों पर मैंने अपनी मुहर लगा दी , और चुदाई कर डाली !
मैं : ऐसे नहीं भैया , कैसे चुदाई की पूरी बात बताइये
(मैं अंदर से पूरी गीली हो गई थी , भैया की बातें सुनकर ! भैया भी गरम हो गए थे , चंपा से पहली चुदाई उनको याद आ गई थी , मैं जेठ जी का लण्ड अंडरवियर से बाहर निकाल कर सहला रही थी , जो अब तनता जा रहा था ! वो भी अपने दोनों हाथों को मेरी ब्रा के ऊपर से मेरी चूचियाँ मसल रहे थे, मानो मेरी नहीं चंपा की चूची मसल रहें हों !)
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
