18-03-2020, 09:37 AM
(This post was last modified: 04-07-2021, 07:56 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
पहली बाजी मेरे हाथ
" चल कल मैं भाभी जी घर पर हैं नहीं देख पायी थी थी अभी रिपीट आने वाला होगा इसलिए तुझे बुला रही थी। "
………………………………………………..
"अरे एकदम मेरा भी कल छूट गया था , चलिए। "
मैंने हामी भरी।
चाय चलेगी , जेठानी ने पूछा।
वो सोच रही थीं मैं जा के बनाउंगी ,
पर यहां तो पत्ते बदल गए थे।
मैंने उनकी ओर देखा और इशारा समझ के वो तुरंत बोले ,
" आप लोग लगाइये मैं अभी झट से चाय बना के लाता हूँ। "
और किचेन की ओर मुड़ गए।
" अरे आपके देवर चाय बहुत अच्छी बनाते हैं , चलिए हम लोग सीरियल देखते हैं "
और हम दोनों टीवी के सामने बैठे थे।
" तुमने तो इसे एकदम बदल दिया। " जेठानी ने कुछ शिकायत कुछ कॉम्प्लिमेंट से कहा।
" अच्छे लगते हैं न न्यू लुक में। " मैंने उलटे सवाल दाग दिया।
पहली बाजी मेरे हाथ थी।
" लेकिन मर्द अपने हाथ से ,...किचेन में ,... "
जेठानी ने कुछ शिकायत भरे स्वर में कहने की कोशिश की
तो मैंने एक जबरदस्त दिया उन्हें , मैं समझ गयी थी अभी उनका मुंह बंद कराना जरुरी है।
" आप सही कहती हैं , यहाँ तो ये कुछ भी नहीं , लेकिन इनकी सास ने न एक से एक डिश इन्हे सिखा दी है ,
और तो और ,.. मंजू बाई , .. जो हमारे यहाँ काम करने आती है न , उससे कह के ,मम्मी ने इन्हे , और अपनी सास की तो कोई बात ये सपने में भी नहीं टालते ... अब तो झाड़ू पोछा , डस्टिंग , ... बर्तन , ...अगर कभी वो नहीं आयी न , ...
एकदम बढ़िया करते हैं आपके देवर , लेकिन मैं क्रेडिट इनकी सास को दूंगी ,... "
मैं मुस्कराती बोली
असल में इनके मायके में , मुझे तो सीधे कुछ कहना मुश्किल था , लेकिन मम्मी के नाम पर क्या क्या नहीं , यही जेठानी , मायके का मेरे नाम लगा लगा कर ,
" तेरे मायके में होता होगा ये , यहां नहीं , अब मायके के गुन ढंग भूल के , ससुराल के संस्कार सीख "
तो कभी , " मायके में लगता है इसकी मम्मी ने कुछ सिखाया नहीं , कोई काम धाम ,... औरत का काम तो किचेन में ,... "
और इसीलिए में मम्मी का नाम ले कर ,
जेठानी को लग तो बहुत रहा होगा , पर क्या कर सकती थी बेचारी
और वो थोड़ी देर में चाय ले के आ गए।
और हम लोगों के साथ बैठ के सीरियल देखने लगे। मेरी जेठानी के बगल में।
चाय बहुत अच्छी थी और फुल टी सर्विस , दूध ,शुगर क्यूब्स अलग से ,
जान बूझ के मैं खूब झुक के चाय बना रही थी ,
और मेरे लो कट टाइट कुर्ते से सिर्फ गहराई और उभार ही नहीं कबूतर की चोंचे भी दिख रही थीं।
बिचारे वो असर तुरंत हुआ , ' वो ' एकदम टनटना कर खड़ा , फुफकारने लगा ,और चड्ढी का बंधन भी नहीं था।
मुस्कराती हुयी ,चाय की सिप लेके उनकी ओर देखती ,
उनकी भाभी ने छेड़ा ,
" चाय तो सच में बहुत अच्छी है , कुछ टिप देनी पड़ेगी। "
" क्यों क्या टिप देंगी "
मैं क्यों मौक़ा छोड़ती।
कुछ सोचते वो उन्ही से बोलीं ,
"उन्हह "... " ... वो मेरी छुटकी ननद , तेरी ममेरी बहन कैसी रहेगी , क्यों बोलो न। "
खिलखलाते मैं बोली ,
" नेकी और पूछ पूछ। अरे दी आपने तो इनकी मन की बात कह दी ,और वैसे भी इनका पुराना माल है , टिप्स में इनके बहन के टिट्स "
और साथ में जैसे गलती से मेरे लंबे नाख़ून बॉक्सर शार्ट में तने इनके बम्बू को छू गए ,
मैंने फिर उनकी ओर देख के पूछा ,
" क्यों है न तेरा पुराना माल। "
पहले की बात होती तो इत्ती सी बात पे वो बुरा मान जाते ,उठ के चले जाते।
लेकिन आज वो मुस्करा रहे थे , हम लोगों की छेड़खानी का मजा ले रहे थे।
और अब जेठानी जी , आखिर उनकी एकलौती भौजाई थीं , मेरे साथ जुगलबंदी में शामिल हो गयीं। बोली ,
" अरे माल तो है ही इनका , बिचारि कितनी बेचैन रहती है , इनके लिए हरदम जांघों के बीच में खुजली मचती रहती है उसके , रोज पूछती रही है ,कब आएंगे भैया। "
" जाने दीजिये दीदी , इस बार ये भी छोड़ने वाले नहीं है , क्यों , ये भैय्या भी सैंया बनने के लिए बेताब हैं।
रास्ते में दस बार बोल चुके हैं , क्यों होगी न चढ़ाई अबकी मेरी ननदी के ऊपर। "
और अबकी मेरा हाथ जान बूझ के इनके खूंटे को रगड़ गया।
पहले को जमाना होता तो बस ये मुझसे दस फीट दूर मेरी जेठानी के सामने बैठते।
लेकिन इस समय मेरे और अपनी भाभी के बीच सैंडविच बने ,
और मेरी शरारतों का बजाय बुरा मानने के उनका हाथ भी मेरे कंधे पर आ गया। उंगलिया मेरे उभारों से बस इंच भर दूर।
उनकी भाभी की आँखे भी अब खुल के इनके खूंटे पे , आखिर इनका खूँटा था भी इत्ता मस्त जबरदस्त।
" क्यों देवर जी , इरादा तो आपका यही लग रहा है , सच में छोड़ना मत , उस साली के चक्कर में पूरे शहर में बैगन और कैंडल के दाम बढ़ गए हैं। "
अब उनकी भाभी भी एकदम खुल के , और हम दोनों की छेड़ छाड़ का वो मजा ले रहे थे।
सीरियल के बीच में ब्रेक आ गया तो मैंने चैनेल चेंज कर के , एक अवार्ड शो लगा दिया।
कोई स्टारलेट टाइप आइटम गर्ल अपने उभार को उभार उभार के नाच रहे थी।
" स्साली , क्या नाच रही है। "
उनके मुंह से निकल गया।
ये भी इनके मायके में एक 'फर्स्ट टाइम ' था ,संस्कारी होने के नाते कोई हलकी फुलकी गाली भी उनके मुंह से निकल नहीं सकती।
और अब तो मम्मी ने उनसे मेरी सास को गालियां दिलवा दिलवा के ,
लेकिन सबसे बढ़कर इनकी मुंहबोली साली , मेरी पक्की सहेली सुजाता ने ,...
साली के सामने बिना गाली के अगर इनके मुंह से बात निकल गयी तो तुरंत फाइन , ... आइसक्रीम पार्टी और उसी पार्टी में कम से कम दस असली वाली गाली
जेठानी जी को आज झटके पर झटके पर झटके लग रहे थे
" चल कल मैं भाभी जी घर पर हैं नहीं देख पायी थी थी अभी रिपीट आने वाला होगा इसलिए तुझे बुला रही थी। "
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"अरे एकदम मेरा भी कल छूट गया था , चलिए। "
मैंने हामी भरी।
चाय चलेगी , जेठानी ने पूछा।
वो सोच रही थीं मैं जा के बनाउंगी ,
पर यहां तो पत्ते बदल गए थे।
मैंने उनकी ओर देखा और इशारा समझ के वो तुरंत बोले ,
" आप लोग लगाइये मैं अभी झट से चाय बना के लाता हूँ। "
और किचेन की ओर मुड़ गए।
" अरे आपके देवर चाय बहुत अच्छी बनाते हैं , चलिए हम लोग सीरियल देखते हैं "
और हम दोनों टीवी के सामने बैठे थे।
" तुमने तो इसे एकदम बदल दिया। " जेठानी ने कुछ शिकायत कुछ कॉम्प्लिमेंट से कहा।
" अच्छे लगते हैं न न्यू लुक में। " मैंने उलटे सवाल दाग दिया।
पहली बाजी मेरे हाथ थी।
" लेकिन मर्द अपने हाथ से ,...किचेन में ,... "
जेठानी ने कुछ शिकायत भरे स्वर में कहने की कोशिश की
तो मैंने एक जबरदस्त दिया उन्हें , मैं समझ गयी थी अभी उनका मुंह बंद कराना जरुरी है।
" आप सही कहती हैं , यहाँ तो ये कुछ भी नहीं , लेकिन इनकी सास ने न एक से एक डिश इन्हे सिखा दी है ,
और तो और ,.. मंजू बाई , .. जो हमारे यहाँ काम करने आती है न , उससे कह के ,मम्मी ने इन्हे , और अपनी सास की तो कोई बात ये सपने में भी नहीं टालते ... अब तो झाड़ू पोछा , डस्टिंग , ... बर्तन , ...अगर कभी वो नहीं आयी न , ...
एकदम बढ़िया करते हैं आपके देवर , लेकिन मैं क्रेडिट इनकी सास को दूंगी ,... "
मैं मुस्कराती बोली
असल में इनके मायके में , मुझे तो सीधे कुछ कहना मुश्किल था , लेकिन मम्मी के नाम पर क्या क्या नहीं , यही जेठानी , मायके का मेरे नाम लगा लगा कर ,
" तेरे मायके में होता होगा ये , यहां नहीं , अब मायके के गुन ढंग भूल के , ससुराल के संस्कार सीख "
तो कभी , " मायके में लगता है इसकी मम्मी ने कुछ सिखाया नहीं , कोई काम धाम ,... औरत का काम तो किचेन में ,... "
और इसीलिए में मम्मी का नाम ले कर ,
जेठानी को लग तो बहुत रहा होगा , पर क्या कर सकती थी बेचारी
और वो थोड़ी देर में चाय ले के आ गए।
और हम लोगों के साथ बैठ के सीरियल देखने लगे। मेरी जेठानी के बगल में।
चाय बहुत अच्छी थी और फुल टी सर्विस , दूध ,शुगर क्यूब्स अलग से ,
जान बूझ के मैं खूब झुक के चाय बना रही थी ,
और मेरे लो कट टाइट कुर्ते से सिर्फ गहराई और उभार ही नहीं कबूतर की चोंचे भी दिख रही थीं।
बिचारे वो असर तुरंत हुआ , ' वो ' एकदम टनटना कर खड़ा , फुफकारने लगा ,और चड्ढी का बंधन भी नहीं था।
मुस्कराती हुयी ,चाय की सिप लेके उनकी ओर देखती ,
उनकी भाभी ने छेड़ा ,
" चाय तो सच में बहुत अच्छी है , कुछ टिप देनी पड़ेगी। "
" क्यों क्या टिप देंगी "
मैं क्यों मौक़ा छोड़ती।
कुछ सोचते वो उन्ही से बोलीं ,
"उन्हह "... " ... वो मेरी छुटकी ननद , तेरी ममेरी बहन कैसी रहेगी , क्यों बोलो न। "
खिलखलाते मैं बोली ,
" नेकी और पूछ पूछ। अरे दी आपने तो इनकी मन की बात कह दी ,और वैसे भी इनका पुराना माल है , टिप्स में इनके बहन के टिट्स "
और साथ में जैसे गलती से मेरे लंबे नाख़ून बॉक्सर शार्ट में तने इनके बम्बू को छू गए ,
मैंने फिर उनकी ओर देख के पूछा ,
" क्यों है न तेरा पुराना माल। "
पहले की बात होती तो इत्ती सी बात पे वो बुरा मान जाते ,उठ के चले जाते।
लेकिन आज वो मुस्करा रहे थे , हम लोगों की छेड़खानी का मजा ले रहे थे।
और अब जेठानी जी , आखिर उनकी एकलौती भौजाई थीं , मेरे साथ जुगलबंदी में शामिल हो गयीं। बोली ,
" अरे माल तो है ही इनका , बिचारि कितनी बेचैन रहती है , इनके लिए हरदम जांघों के बीच में खुजली मचती रहती है उसके , रोज पूछती रही है ,कब आएंगे भैया। "
" जाने दीजिये दीदी , इस बार ये भी छोड़ने वाले नहीं है , क्यों , ये भैय्या भी सैंया बनने के लिए बेताब हैं।
रास्ते में दस बार बोल चुके हैं , क्यों होगी न चढ़ाई अबकी मेरी ननदी के ऊपर। "
और अबकी मेरा हाथ जान बूझ के इनके खूंटे को रगड़ गया।
पहले को जमाना होता तो बस ये मुझसे दस फीट दूर मेरी जेठानी के सामने बैठते।
लेकिन इस समय मेरे और अपनी भाभी के बीच सैंडविच बने ,
और मेरी शरारतों का बजाय बुरा मानने के उनका हाथ भी मेरे कंधे पर आ गया। उंगलिया मेरे उभारों से बस इंच भर दूर।
उनकी भाभी की आँखे भी अब खुल के इनके खूंटे पे , आखिर इनका खूँटा था भी इत्ता मस्त जबरदस्त।
" क्यों देवर जी , इरादा तो आपका यही लग रहा है , सच में छोड़ना मत , उस साली के चक्कर में पूरे शहर में बैगन और कैंडल के दाम बढ़ गए हैं। "
अब उनकी भाभी भी एकदम खुल के , और हम दोनों की छेड़ छाड़ का वो मजा ले रहे थे।
सीरियल के बीच में ब्रेक आ गया तो मैंने चैनेल चेंज कर के , एक अवार्ड शो लगा दिया।
कोई स्टारलेट टाइप आइटम गर्ल अपने उभार को उभार उभार के नाच रहे थी।
" स्साली , क्या नाच रही है। "
उनके मुंह से निकल गया।
ये भी इनके मायके में एक 'फर्स्ट टाइम ' था ,संस्कारी होने के नाते कोई हलकी फुलकी गाली भी उनके मुंह से निकल नहीं सकती।
और अब तो मम्मी ने उनसे मेरी सास को गालियां दिलवा दिलवा के ,
लेकिन सबसे बढ़कर इनकी मुंहबोली साली , मेरी पक्की सहेली सुजाता ने ,...
साली के सामने बिना गाली के अगर इनके मुंह से बात निकल गयी तो तुरंत फाइन , ... आइसक्रीम पार्टी और उसी पार्टी में कम से कम दस असली वाली गाली
जेठानी जी को आज झटके पर झटके पर झटके लग रहे थे