Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery मम्मी बनी दोस्त के पापा की रखैल...
#29
रात मे, जब हम लोग खाना खा रहे थे, उस समय मम्मी के सेल पर रिंग बजने लगा.


मैंने देख लिया था, अंकल का फोन था क्यूंकि फोन मेरे सामने रखा हुआ था लेकिन मम्मी ने फोन साइलेंट कर के रख दिया.

उस समय उठाया नहीं, लेकिन अंकल बार बार फोन कर रहे थे.

खाना खाने के बाद, मेरी मम्मी अपने कमरे मे चली गई.

मैं जान रहा था, मेरी मम्मी अंकल का साथ छोड़ेगी नहीं क्यूंकि मेरी मम्मी अंकल के लिए, बेताब हो रही थीं.

आप जानते हैं की अंकल कितनी भी नौटंकी क्यूँ ना कर लें, मुझे ये डर था की अंकल के लिए मेरी मम्मी सिर्फ़ एक औरत थीं. जिनको वो सिर्फ़ चोद रहे थे और मुझे अब ये लग रहा था की अंकल भी मेरी मम्मी का वो हाल ना कर दे की मेरी मम्मी को अंकल के सब दोस्त मिल के खाए.

जो लोग, शुरू से ये कहानी पढ़ रहे हैं उन्हें ये पता होगा की कहानी की शुरूवात में अंकल के दोस्तों ने उनसे मेरी मम्मी को चोदने के लिए कहा था और अंकल ने थोड़ा वक़्त माँगा था.

खैर, मेरी मम्मी पूरी रांड़ थीं. एक दो का क्या, वो तो आधे शहर का खा जाएँ.

इधर, मैं दरवाज़े के पास जा के सुन रहा था.

फोन पर बात करने की तो आवाज़ आ रही थीं लेकिन, मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था इसीलिए मैंने वहां खड़ा रह के टाइम वेस्ट ना करने का सोचा और चुप चाप जाके सो गया.

अगले दिन, आम दिन का रुटीन चलता रहा.

उस दिन भी अंकल आए नहीं, मिलने के लिए.

ऐसे दो दिन बीत गये थे, इसका रीज़न एक ये भी था की मेरे स्कूल की छुट्टियाँ चल रही थीं शायद अंकल ये सोच के नहीं आ रहे होंगे.

बुधवार की रात में, मैंने मम्मी के मोबाइल पर अंकल का मैसेज देखा.

“कल 11 बजे…”

मैं जान रहा था, अंकल मेरी मम्मी को कहीं ले जाने का सोच रहे हैं और कसम से दोस्तो, मेरा सोचना बिल्कुल सही था.

मेरी मम्मी ने मुझे सुबह कहा – अफरोज़, आज मैं सोनाली आंटी के साथ शॉपिंग करने जा रही हूँ… शाम तक वापस आ जाउंगी…

मैं क्या कहता.

मैंने कहा – हाँ, मम्मी ठीक है…

लेकिन मैं जानता था, मेरी मम्मी अंकल के साथ अपनी प्यास बुझाने जा रही थीं.

“छीनाल की चूत” इतनी बेइज़्ज़ती के बाद भी मचल रही थी.

अरे, मैं तो भूल ही गया छीनाल की इज़्ज़त होती कहाँ है.

मम्मी ने उस दिन, लाल रंग की साड़ी और ब्लाउज पहना था.

वो एक दम, मस्त लग रही थीं.

उनके उभार की गहराई, साफ झलक रही थीं.

ठीक 10:50 पर, मम्मी नीचे उतर गई.

मैंने दबे पाँव, नीचे तक गया.

वहां देखा, कुछ दूर पर अंकल ने अपनी कार खड़ी रखी थी.

मम्मी धीरे धीरे चलते हुए, जा के अंकल की कार मे बैठ गई और वो चले गये.

मैं ऊपर गया और जितनी जल्दी हो सकता था, स्कूटी की चाबी ले के नीचे आया.

मैं जानता था की मैं अंकल की कार की स्पीड को कभी मैच नहीं कर पाऊँगा.

लेकिन कहते है ना, जो लिखा रहता है वो हो ही जाता है.

शायद मैं गवाह बनने वाला था, मम्मी की पाप की आदलत में.

अंकल की गाड़ी मैंने ट्रॅफिक में देखी.


मैं धीरे धीरे, साथ चलता रहा.

पता नहीं क्या बात थी, जो उस दिन सड़कों पर इतनी भीड़ थी.

अंकल वहीं चले गये, जहाँ उन्होंने पहली बार मेरी मम्मी को पार्टी के बाद लेके गये थे.

वो उनके दोस्त का घर था.

अंकल ने गाड़ी रोकी और मेरी मम्मी को ले के घर मे चले गये.

अंकल के पास, पहले से उस घर की चाबी थी.

मुझे मालूम चल गया की उनके दोस्त ने, अंकल को चाभी दी है. उसी दिन की तरह.

अंकल ने दरवाज़ा बंद कर दिया.

मैं चुप चाप, पीछे से जा के देखने लगा.

मेरी मम्मी ने जाते ही, पहले अपना पर्स टेबल पर रख दिया.

अंकल ने पहले बेड रूम का दरवाज़ा बंद कर दिया और फिर अपना पर्स निकाल के टेबल पर मम्मी के पर्स के बगल मे रख दिया.

मम्मी जा के बिस्तर पर बैठ गई.

मम्मी ने अंकल से पूछा, उनके दोस्त के बारे में वो कहाँ है.

अंकल ने हंसते हुए कहा – क्या बात है… वो तुझे पसंद है क्या… जो उसके बारे में पूछ रही है… ??

मुझे कुछ अजीब लगा.

क्या मम्मी, अंकल के दोस्त से पहले भी मिल चुकी थीं.

वैसे ना जाने क्यूँ, मुझे लग रहा था की अब अंकल मम्मी को अपने दोस्त से भी चुदवाने वाले थे.

मम्मी ने, हंसते हुए कहा – नहीं, ऐसा नहीं है… घर मे कोई नहीं था और चाभी आपके पास थी इसी लिए पूछा…

अंकल ने कहा – आख़िर, दोस्त ही काम आते हैं, इन सब चीज़ो मे…

अंकल आ कर, बिस्तर पर बैठ गये.

वो मेरी मम्मी को, घूर घूर के देख रहे थे.

अंकल जा के मम्मी की गोद मे लेट गये और मेरी मम्मी बैठीं हुई थीं और अंकल के बाल सहला रही थीं.

अंकल ने कहा – महक, तुम जब भी कहती हो की मैं तुमसे प्यार नहीं करता हूँ… मुझे बहुत बुरा लगता है…

मम्मी ने कहा – मैंने उस दिन गुस्से में कह दिया था… मुझे नहीं कहना चाहिए था…

उसके बाद, वो झुक के अंकल का सिर चूमने लगीं.

चूमते चूमते, वो अंकल के लिप्स पे आ गई और धीरे धीरे अंकल के साथ लिप किस करने लगीं.

मम्मी को देख के लग रहा था की आज, उनमें “काम वासना” बहुत ज्यादा है.

अंकल ने अपना हाथ ऊपर करके मेरी मम्मी की गरदन को पकड़ लिया और दोनों एक दूसरे को लिप किस करने लगे.

फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच की आवाज़ आने लगीं.

मैं जान चुका था की मम्मी ने क्यों कहा की वो शाम को आएँगी क्यूंकि आज अंकल दिन भर, मेरी मम्मी के कमसिन और छीनाल बदन को मसलने वाले थे.

अंकल और मेरी मम्मी लगातार एक दूसरे के होंठ से चिपके, अपनी आग बुझा रहे थे.

अंकल ने, मेरी मम्मी से कहा – महक, तुझे ये बेड याद है ना… इसी बेड पर पहली बार मैंने तुझे अपना बनाया था…

मम्मी ने कहा – हाँ याद है… उस दिन आप मुझे चोदना चाहते थे और आज मैं मचल रही हूँ, आपका लंड अपनी प्यासी चूत में लेने के लिए… चोद डालिए आज मुझे, किसी बाजारू रांड़ की तरह…

अंकल ने कहा – क्या हुआ, महक… तू आम तौर पर ऐसी बात नहीं करती…

मम्मी – आपको पसंद है ना… ?? और क्या क्या पसंद है आपको, बताइए ना… ??

अंकल – तेरे मुँह से गाली सुनना और भी बहुत कुछ… …

मम्मी – अब क्यूँ कुछ सोच रहे हैं… आज आपको जो पसंद है, वही होगा… बताइए सब… क्या क्या पसंद है… ??

अंकल – देख महक, वैसे पसंद तो तेरे से, तेरी चुदाई की बातें करना भी है पर जब तू झूठ बोलती है तो उस दिन की तरह, दिमाग़ खराब हो जाता है… तू जानती है, मैंने अपनी जिंदगी खुली किताब की तरह तेरे सामने रख दी है और… …

मम्मी (बीच में ही) – उस दिन की छोड़िए… मैं उस दिन के लिए, आपसे माफी माँग तो चुकी हूँ… अब आपको जो सुनना है, आप वही सुनेंगें…

अंकल – अरे वाह!! मेरी रानी… सच बात तो ये है महक, उस रात भी इतनी ही हसीन थीं और आज भी तुम्हें जितना देखता हूँ, उतनी हसीन नज़र आती हो… बस, हर बार चुदाई में मज़ा बढ़ता गया… महक, उस दिन के लिए मैं भी तुझसे माफी माँगना चाहता हूँ… मुझे तुझ पर हाथ नहीं उठाना चाहिए था… पर ग़लती तेरी भी थी… अगर तेरी तबीयत खराब हो और मैं तुझ पर ध्यान ना दूं तो क्या तुझे बुरा नहीं लगेगा… तू मेरी जान है महक, रखेल नहीं… फिर कभी, ये बात दिल में मत लाना… और फिर उठ के बैठ गये और अपनी शर्ट निकाल के, बिस्तर के कोने पर रख दिया.

अंकल ने मेरी मम्मी के कंधे को पकड़ते हुए मेरी मम्मी को बिस्तर पर लिटा दिया और उनके बगल मे लेट गये.


फिर, वो बोले – महक, एक बात बता…

मम्मी – जी… पूछिए, आज आप को जो पूछना है…

अंकल – तूने कभी, दो के साथ किया है…

कुछ देर, मेरी मम्मी चुप रहीं और यहाँ मेरी धड़कन भी बढ़ गई.

क्या मम्मी, सच बोलेंगी और अंकल आज चुदाई के पहले ही इतने बिंदास होकर, मम्मी से ये सब क्यूँ पूछ रहे हैं.

क्या आज अंकल का विचार, उन्हें अपने दोस्त से चुदवाने का भी तो नहीं है.

कुछ सोचने के बाद, मम्मी बोलीं – हाँ…

सॉफ लगा की अंकल को एक कपकपी सी छूट गई.

वो बोले – बता ना महक कैसे, कब, कहाँ… ?? दोनों बॉय फ्रेंड तो नहीं होगे… कौन थे… बता ना, महक… ??

अंकल, बहुत बेसब्र लग रहे थे.

उन्होंने अपने लंड को एक हाथ से पकड़ लिया था और पैंट के उपर से, बहुत ज़ोर ज़ोर से दबा रहे थे.

मम्मी ने कहा – सब बता दूँगी, आज… पहले चोदिये तो…

अंकल – नहीं ना, महक… चोदते वक़्त, ऐसी बात करने से बहुत जल्दी निकल जाता है… बता ना महक, तुझे मेरी कसम, तेरे पिल्ले की कसम… तूने मुझसे वादा किया है…

मम्मी चाहती तो झूठ बोल सकती थीं.

भले ही अंकल, मम्मी को दुबारा डॉक्टर के पास ले जाने की धमकी देते पर कोई टेस्ट, ये नहीं बता सकता की एक साथ कितने लंड लिए थे.

पर मम्मी ने झूठ नहीं बोला.

उनमें सच बोलने की हिम्मत थी पर अंकल के लिए.

खैर…

मम्मी बोलीं – शादी से पहले, एक बार थोड़ी सी शोपिंग के लिए…

अंकल – आह माह… महक… तूने धंधा किया था… बता ना, महक… कहाँ चुदि थी… कार में या किसी होटेल में गयी थी या क्लाइंट के घर…

मम्मी – अपने घर में…

अंकल ने बहुत ज़ोर से अपने लंड को भींच लिया.

मुझे ऐसा महसूस हुआ की अंकल का इतने में ही निकल गया है.

फिर अंकल थोड़े शांत हो गये.

मम्मी ने पूछा – क्या हुआ… ??

अंकल – कुछ नहीं रे… तू तो मुझे मार ही डालेगी…

मुझे अंकल पर थोड़ा गुस्सा आया, इतनी जल्दी निकालने पर.

फिर अंकल ने मेरी मम्मी के सिर के नीचे तकिया रख दिया और मेरी मम्मी के चेहरे पर जो लट थी, उसे पीछे करते हुए उनके गाल सहलाने लगे और माथे पर चूमा.

फिर धीरे धीरे, मेरी मम्मी के होंठों को चूसने लगे.

मेरी मम्मी ने अपना हाथ आगे कर के, अंकल के सिर को पकड़ लिया और अंकल का साथ देने लगीं.

अंकल फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच करके मेरी मम्मी के होंठ चूसने लगे.

अंकल ने धीरे से, एक हाथ नीचे करके ब्लाउज के ऊपर से मेरी मम्मी का चुचे पकड़ लिया और मम्मी के होंठ चूसते हुए मम्मी के स्तन को मसलने लगे.

मम्मी धीरे धीरे बेताब हो के, अपनी टांगें इधर उधर फेंकने लगीं.

अंकल बीच बीच मे, मेरी मम्मी के पेट को अपने हाथ से सहला रहे थे और उनकी नाभियों मे हरकत कर रहे थे.

मुझे यकीन था, उनका अभी दुबारा खड़ा नहीं हुआ था.

क्यूंकी मम्मी पर वासना और बेताबी सॉफ दिख रही थी पर अंकल ने अभी बात करना शुरू नहीं किया था.

सच बात तो ये है दोस्तो, ये जानने के बाद भी की मेरी मम्मी एक छीनाल भी थीं और पैसे के लिए भी धंधा कर चुकीं थी, वो भी अपने मायके में, मेरा लंड भी तन गया था.

खैर, अंकल ने देखते देखते, मेरी मम्मी के ब्लाउज के सारे बटन को खोल दिया और उनके चुचे ब्रा के ऊपर से दिखने लगे.

आज पहली बार, मेरा मन हुआ की उन्हें मसल डालूं, बुरी तरह से नोच डालूं, मुँह में डाल के काट लूँ…

अपनी मां की मां चोद डालूं पर…

अंकल ने मम्मी को चूमते हुए उनके गले को चूमने लगे और बीच बीच मे अपना मुंह मेरी मम्मी के छाती के ऊपर रख के रगड़ दे रहे रहे थे.


मेरी मम्मी की धीमी धीमी – आ आ आहह… आ आ आहह… ओफ फ फ फफ्फ़… आ आ आहह… की सिसकारियाँ, मेरे कानों मे आ रही थी.

अंकल ने अब मेरी मम्मी का ब्लाउज निकाल के बिस्तर के नीचे फेंक दिया और उसके बाद हाथ पीछे करके, मेरी मम्मी के ब्रा के हुक खोल के आगे से खींच के निकाल के ऊपर से मेरी मम्मी को नंगा कर दिया.

मेरी मम्मी के मम्मे पर, ब्रा के दाग छपे हुए थे.

अब शायद अंकल का, दुबारा तन चुका था.

अंकल ने मेरी मम्मी के एक चुचे को पकड़ा और निप्पल को अपने मुंह मे ले लिया और मेरी मम्मी के निप्पल, धीरे धीरे चूसने लगे.

मेरी मम्मी लगातार – आ अहह आ अहह आ अहह आह ह आ अहह आ अहह आ आहह ऊऊ ओफ फ्फ़ ऊओफ फ फफ्फ़ ओफ फफ्फ़… की सिसकारियाँ ले रही थीं.

मम्मी बोलीं – अब क्या हुआ, आपको… आज करिए ना, जो बात करनी है… पूछिए, जो पूछना है… सब बताती हूँ…

अंकल – लगता है, मेरे पूछने से ज़्यादा तुझे बताने में मज़ा आ रहा था, मेरी जान…

मम्मी – हाँ आ ह ह ह ह ह हह…

अंकल – महक, क्या मैं जो चाहूं बोल सकता हूँ… तू सच में, किसी बात से नाराज़ नहीं होगी…

मम्मी – इयाः आ ह आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ… बोल ना मा दार चोद स स स स स स स स स स…

अंकल – मैं तुझे अपने सामने चुदते हुए, देखना चाहता हूँ…

मम्मी – आँह स स स स स… बहन के लौड़े, तो चुदवा ना, अपनी छीनाल को… तेरी मां का भोसड़ा… गाली दे मुझे… बोल मुझे रंडी… ला मेरे लिए, लंड… मां की चूत ह ह ह ह ह स स स स स… बोल ना गान्डू… और गंदा बोल…

मुझे समझ आ गया की आज मम्मी, अपना “कंट्रोल” खो चुकी हैं.

अंकल – तो सुन साली, छीनाल… तेरी मां की चूत, बहन की लौड़ी… मैं तुझे किसी और के सामने, नंगा करना चाहता हूँ… तेरी चूत के अंदर, लंड जाते हुए देखना चाहता हूँ… बोल ना, अपने भाई से अपने साथ करने के लिए… मैं तुझे उसके सामने नंगा करूँगा… वो तेरी चूत चोदेगा… मैं तेरी गांड चोदुगा…

मम्मी ने अब ज़ोर की सिसकारी भरी और अपनी कमर उठा के, अपनी चूत को पकड़ लिया.

कुछ देर, उनकी टाँगें हिली और वो शांत हो गयीं.

अंकल और मैं समझ गये, मम्मी झड़ चुकीं हैं.

अब अंकल, मेरी मम्मी को दुबारा गरम करने के लिए अपनी जीभ मेरी मम्मी के निप्पल के गोल गोल घुमाने लगे.

मेरी मम्मी ने तुरंत उनके बाल पकड़ लिए और लगभग तुरंत ही, अंकल के साथ वासना का मज़ा ले रही थीं.

शायद, औरत और मर्द में यही फ़र्क है.

अंकल ने अब, मेरी मम्मी की बाई चुचे को पकड़ा और चूसने लगे.

बातें अब फिर से, रुक चुकी थीं.

लेकिन, कभी दाएँ कभी बाएं अंकल लगातार, मेरी मम्मी के चुचे को चूस रहे थे.

कमरे मे ह्म्म्म्म मम ह्म्म्म्म म ह्म ह्म फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच और मेरी मम्मी के आ आह ह आ आ अहह की आवाज़े आने लगीं थीं.

बिना नीचे से नंगे तक हुए, आज शायद पहली बार दोनों ने छोड़ा था.

खैर, अंकल इस दौरान मेरी मम्मी के पेट को सहला रहे थे.

उन्होंने हाथ नीचे करते हुए, मेरी मम्मी के साड़ी का जोड़ खोल दिया.

मेरी मम्मी ने थोड़ा कमर को उठाया और अंकल ने, मेरी मम्मी की साड़ी निकाल के बिस्तर के नीचे फेंक दी.

अब मेरी मम्मी, पेटीकोट मे थीं.

अंकल ने देर ना करते हुए, मेरी मम्मी के पेटीकोट का नाडा खोल दिया और अपना हाथ मेरी मम्मी की पैंटी के अंदर घुसा के, अंदर हरकत करने लगे.

मैं जान रहा था, अंकल मेरी मम्मी की चूत मे हलचल कर रहे है क्यूंकि मेरी मम्मी बीच बीच मे, अपना चुत्तड़ ऊपर कर ले रही थीं.

अंकल लगातार, अपना हाथ नीचे ज़ोर ज़ोर से हिला रहे थे और ऊपर मेरी मम्मी के मम्मे चूस रहे थे.

वासना और बेशर्मी, फिर से अपना नंगा नाच खेलने को तैयार थी.

मुझे पूरी उम्मीद थी, जल्दी ही मम्मी अपने रंडीपने के किस्से सुनाने को तैयार थीं.

अंकल अब, मेरी मम्मी के अंगों के साथ खेल रहे थे और इस खेल मे, मेरी मम्मी अंकल का बराबर साथ दे रही थीं.

अंकल अब, उठ के बैठ गये.

उन्होंने मेरी मम्मी की पेटीकोट को खींच के, उनके बदन से निकाल दिया और साड़ी के बगल मे गिरा दिया और मेरी मम्मी के जांघों को पकड़ के फैला दिया.

मैंने देखा, मेरी मम्मी ने लाल जालीदार पैंटी पहन रखी थीं और चूत के हिस्से पर पानी लगा हुआ था.

पैंटी इतनी गीली थी की चूत के हिस्से से, पूरी अंदर घुसी हुई थी.

इतना असर था, “अश्लील बातों” का की बिना कपड़े उतारे, दोनों की रस धार बह रही थी.

अंकल मेरी मम्मी की चूत को पैंटी के ऊपर से ठीक वैसे ही देख रहे थे, जैसे एक जानवर, अपने शिकार को देखता है.
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: मम्मी बनी दोस्त के पापा की रखैल... - by usaiha2 - 17-03-2020, 02:47 PM



Users browsing this thread: 4 Guest(s)