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Adultery मम्मी बनी दोस्त के पापा की रखैल...
#28
इधर मैं फ़ौरन दौड़ के गया और आंटी के रूम में घुस गया.


किस्मत से दरवाज़ा खुला हुआ था.

श्लोक मम्मी के बगल में ही सो गया था तभी अंकल अंदर घुसे.

मुझे खड़ा देख और श्लोक और आंटी को सोता देख वो बोले – तुम भी कुछ देर आराम कर लो, अफरोज़… सो जाओ… फ्रेश हो जाओगे तो ज़्यादा मज़ा आएगा…

मैंने कहा – जी अंकल… मैं भी यही सोच रहा था…

अंकल – चलो, तुम लोग आराम करो… मैं थोड़े काम ख़तम करके आता हूँ…

और, वो चले गये.

जैसे ही, अंकल निकले मैं भी चुपके से निकल लिया.

जब मैं पहुँचा तो सब सामान्य हो चुका था.

अंकल और मम्मी (नंगी बैठ कर) बातें कर रहे थे.

मम्मी ने पूछा – प्रोटेक्शन है ना…

तो अंकल ने कहा – नहीं…

मम्मी ने कहा – साथ क्यों नहीं रखा…

अंकल ने कहा – तू कोई रंडी है क्या… ?? मेरी ही है ना… फिर क्यों रखू… और, फिर से मेरी मम्मी की चूत रगड़ने लगे.

मम्मी – आ आहह आ आहह आ आहह… करने लगीं.

थोड़ी देर में ही, मेरी मम्मी की चूत ने पानी छोड़ दिया.

अंकल की हथेली, मेरी मम्मी के पानी से गीली हो गई थी.

मुझे लगा, अभी कुछ देर पहले ही मम्मी अंकल से पीटी थीं और अब उनकी चूत ने, अंकल के लिए पानी छोड़ दिया था.

मम्मी अंकल के हाथ पर, अपना पानी निकाल चुकीं थीं। पीटने के सिर्फ़ 10 15 मिनिट बाद और अंकल ने उसी हाथ से मेरी मम्मी के नंगे चुत्तड़ पर खींच के पूरी ताक़त से 2 चाटें और मारे.


इस बार गुस्से में या चुदाई के जोश में, मुझे नहीं पता.

फिर वो सीधे हो के अपनी जीन्स निकालने लगे.

मम्मी ने तब तक अपनी पैंटी निकाल ली और अंकल के सामने, पूरी नंगी हो गई.

अंकल ने तब तक अपना जीन्स निकाल लिया था और अंडर वियर में और टी शर्ट में थे.

अंकल का लण्ड टन के खड़ा हो चुका था और मम्मी घुटनों के बल, ज़मीन पर बैठ गई और अंकल का अंडर वियर खींच के उनकी जांघों तक कर दिया.

अंकल का लण्ड, तन के खड़ा था.

मम्मी ने अपने हाथ मे, अंकल का लण्ड पकड़ा और सहलाने लगीं.

अब मेरी मम्मी ने अपनी जीभ बाहर निकाली और अंकल के लण्ड को नीचे से ऊपर तक, एक बार चाटा और धीरे धीरे अंकल का लण्ड चूसने लगीं.

मेरी मम्मी अपने एक हाथ से अंकल का लण्ड पकड़े हुए, उनका लण्ड मुंह मे ले के चूस रही थीं.

फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच की आवाज़ आने लगी.

मैंने देखा अंकल ने अपनी आँखें बंद कर ली थीं और आ अहह आ अहह आ आहह आ आहह आ अहह आ अहह… की सिसकारियाँ ले रहे थे.

मेरी मम्मी, एक हाथ अपनी चूत पर रख के रगड़ने लगीं.

मेरी मम्मी की वासना भी इस समय, चरम पर थी.

अपने हाथ से अपनी चूत रगडे जा रही थीं और अंकल का लण्ड, चूसे जा रही थीं.

अंकल लगातार, अपनी आँखें बंद किए हुए थे.

उन्हें मेरी मम्मी का लण्ड चूसना, बहुत पसंद था.

कुछ देर के बाद, मेरी मम्मी ने अपना मुंह उनके लण्ड से बाहर निकाल दिया.

वो पूरा थूक से भरा हुआ था और अंकल का लण्ड, मेरी मम्मी के थूक से पूरा गीला हो चुका था.

अंकल ने अब मेरी मम्मी के कंधे को पकड़ के खड़ा कर दिया और उनके होंठ चूमने लगे.

देखते देखते, उन्होंने मेरी मम्मी को घुमा दिया और पीछे खड़े हो गये और मेरी मम्मी को झुका के खड़ा करते हुए, उनकी चूत मे अपना लण्ड घुसा दिया और कमर पकड़ते हुए, मेरी मम्मी को चोदने लगे.

अंकल अपना पूरा लण्ड, मेरी मम्मी के चूत मे घुसा के अंदर बाहर कर रहे थे.

मेरी मम्मी आ आ आ आहह आ आहह आ आहह आ आ अहह… कर रही थीं.

अंकल ने कहा – धीरे आवाज़ कर… सब सुन लेंगे…

मम्मी ने कहा – साफ कहिए, आपको डर लग रहा है… आपकी वाइफ देख लेंगी…

अंकल ने कहा – हाँ, तू यही समझ… और कस कस के मेरी मम्मी को चोदने लगे.

मम्मी ने दर्द से हाथ पीछे किया और गांड पर रख दिया.

अंकल ने मेरी मम्मी के दोनों हाथ पीछे कर के पकड़ा और कस कस के, धक्का मारते हुए मेरी मम्मी के चूत मे अपना लण्ड डालने लगे.

मेरी मम्मी की सिसकारियों की चीख कमरे मे गूँज रही थी.

मेरी मम्मी के चुत्तड़, अंकल के धक्के से हिल रहे थे.

अब मम्मी बोली – आज कोई बात नहीं करनी…

अंकल – नहीं यार… आज थोड़ा मूड अलग हो गया… वैसे भी जल्दी जल्दी में, ऐसी चुदाई करने में मज़ा नहीं आएगा… फ़ुर्सत वाली चुदाई में, मज़े करेंगें…

मैंने जब सुबह, अंकल को मेरी मम्मी को ऊपर से नीचे देखते हुए देखा था तब ही मेरे मन में ये आ गया था की आज अंकल मेरी मम्मी पर फिर से अपना हवस निकालेंगे और यही हो रहा था.

अंकल लगातार, मेरी मम्मी को कुत्ते की तरह चोदे जा रहे थे.


बस आज उस दिन, जैसे बातें नहीं हो रही थीं.

ना अंकल की मम्मी की ना, मम्मी के चुदाई की.

कुछ देर बाद, अंकल रुक गये और उन्होंने मेरी मम्मी को चोदना बंद कर दिया.

मेरी मम्मी की चीखें भी बंद हो गई.

अंकल ने लण्ड, मेरी मम्मी के चूत से बाहर निकाला और मेरी मम्मी के चुत्तड़ पर तमाचे बरसाने लगे.

मुझे ऐसा पता नहीं क्यूँ लग रहा था की आज अंकल, मम्मी को ज़्यादा और बहुत तेज़ पीट रहे थे.

तमाचे मारने के अंदाज़ से सॉफ था की वो वासना की जगह, गुस्से में मारे जा रहे हैं.

मुझे बाहर तक तमचो की गूँज सुनाई दे रही थी.

खैर, अपने दोनों हाथ से वो मेरी मम्मी की गांड पर थप्पड़ मारते रहे.

जब तक की मेरी मम्मी के चुत्तड़, अंकल के हथेली के निशान से लाल नहीं हो गये.

मम्मी, कोई प्रतिरोध नहीं कर रही थीं.

बस उनकी – आ आ आ आ अहह… की आवाज़ें आती रही.

अंकल ने अब मम्मी को अपनी तरफ घुमाया.

मैने देखा, मेरी मम्मी की आँखों में अब आँसू थे.

अंकल ने कहा – क्या हुआ… ??

मम्मी ने कहा – कुछ नहीं… शायद, मुझे दर्द में देख के आपको आज खुशी मिल रही है…

अंकल ने कहा – नहीं… ऐसा कुछ नहीं… ज़्यादा तेज़ लगी क्या… और ये कह के मेरी मम्मी को अपने सीने से लगा लिया और माथे पर चूमने लगे.

मेरी मम्मी ने अपना हाथ, अंकल की गरदन पर पकड़ लिया.

अंकल ने मेरी मम्मी के होंठ चूमते हुए, मम्मी के चुत्तड़ को पकड़ के उठा लिया और अपने लण्ड के ऊपर नीचे करते हुए, मेरी मम्मी को फिर से चोदने लगे.

मेरी मम्मी लगातार, अंकल को चूमे जा रही थी और अंकल से चुदवा रही थीं.

मेरी मम्मी ने अपना पूरा जिस्म, अंकल के हवाले कर दिया था.

ठीक वैसे ही, जैसे एक रंडी हर हाल में अपने ग्राहक को खुश करती है.

जिसे अंकल, जिस तरह चाह रहे थे वैसे कर रहे थे.

अंकल लगातार, मेरी मम्मी को अपने लण्ड के ऊपर नीचे कर रहे थे.

मेरी मम्मी के चुचे, ऊपर नीचे हो रहे थे.

अंकल मे ताक़त बहुत थी.

वो बड़े आराम से, मेरी मम्मी को उठा लेते थे और उनकी चुदाई करते थे और शायद अंकल की इसी ताक़त भरी चुदाई की मेरी छीनाल मम्मी दीवानी हो गई थीं.

ठप ठप ठप ठप ठप ठप की आवाज़ से कमरा गूँज रहा था तभी एक आ आ अहह… की आवाज़ के साथ, अंकल शांत पड़ गये.

अभी अंकल ने मेरी मम्मी को नीचे नहीं उतारा था.

मैंने देखा, अंकल का वीर्य उनके लण्ड से होते हुए नीचे ज़मीन पर गिरने लगा.

अब अंकल, मेरी मम्मी के होंठ चूसने लगे.

अब उन्होंने मेरी मम्मी के चुत्तड़ से अपनी पकड़ ढीली कर दी और मेरी मम्मी नीचे उतर गई.

मेरी मम्मी और अंकल, दोनों के शरीर से पसीना निकल रहा था और साँसें तेज़ तेज़ चल रही थीं.

मम्मी झुक के नीचे बैठ गई और अपनी जीभ से अंकल के लण्ड पर लगे वीर्य को चाट के साफ किया और अपनी पैंटी उठा के अंकल का लण्ड साफ कर दिया और ज़मीन पर गिरा पूरा वीर्य पोंछ दिया.

उसके बाद, अंकल ने अपने कपड़े पहन लिए और जाने लगे.

मम्मी ने अंकल से कहा – बस हो गया… मेरी वैल्यू, बस इतनी है ना…

अंकल ने कहा – मतलब… ??

मम्मी चुप हो के दूसरे साइड जा के अपनी स्कर्ट पहनने लगी और बिना ब्रा पहने टॉप डाल लिया.

अंकल उनके पास गये और कहा – क्या बात है… ??

मम्मी ने कहा – आप भी जानते हैं, क्या बात है…

अंकल ने कहा – देखो, सीधे सीधे कहो… पता नहीं, आज तुम्हें हुआ क्या है… ??

मम्मी ने कहा – मेरी वैल्यू बस इतनी है… आप आए, मेरे साथ मज़े लिए, मेरी चूत चोदि और चले गये…

पहली बार, मैंने आम समय यानी जब चुदाई ना हो रही हो तब चूत सुना.

अंकल ने कहा – ऐसा क्यों कह रही हो… आख़िर बात क्या है, महक… ??

मम्मी ने कहा – और क्या… ?? मैं देख नहीं रही हूँ क्या… ?? जल्दी से किया और अपनी बीवी के पास जाने के लिए, बेताब हो गये…

अंकल ने कहा – ये सब तुम्हारी बकवास है, समझी… उसकी तबीयत खराब है…

मम्मी ने कहा – मैं सब जानती हूँ, बहाना है सब…

अंकल ने कहा – तुम अब बहुत ज़्यादा बोल रही हो… इंसानियत के नाते ही सोचो यार, उसकी तबीयत खराब है… अरे हाँ, लेकिन जो अपने ही भाई से अपने पति के घर में रहते हुए चुदती हो, उसमें इंसानियत कहाँ से होगी… लगता है, तुम्हारी तो आत्मा भी मर गई है… सॉफ सॉफ सुन लो, वो मेरी बीवी है और तुम… …

मम्मी की आँख से आँसू आ गये.

उन्होंने अंकल से कहा – हाँ, मैं समझ गई आप क्या कहना चाहते हैं… मैं दूसरी औरत… रखेल… हे ना…

अंकल ने कहा – जो सोचना है, सोचो… रो बैठ के… तुम जैसी औरतों का मैं क्या, कोई कुछ नहीं कर सकता… और अंकल निकल गये.

उस रूम में, मेरी मम्मी कुछ देर वही बैठ के रोती रही.


अंकल सीधा, आंटी के रूम में चले गये.

फिर मैं, वहां से चला गया.

शायद अंकल ने, श्लोक को जगा दिया था.

श्लोक बाहर आ गया, उसने मुझे देखा और बोला – कहाँ चला गया था… ??

मैंने कहा – नहीं, कहीं नहीं… यहीं था… तू तो सो गया था तो मैं इधर उधर घूम रहा था…

करीबन 1 घंटा, हम लोग बाहर थे.

फिर अंकल ने आवाज़ दी – बच्चों तैयार हो जाओ… हम लोग निकलेंगे, बाहर के लिए…

आंटी नहा के रेडी हो चुकी थीं और अब पहले से ठीक लग रही थीं.

मैंने दरवाज़े खटखटाया.

मम्मी ने दरवाज़ा खोला.

उन्होंने भी नहा के साड़ी पहन ली थीं.

फिर हम रिज़ॉर्ट से घूमने निकले.

मेरी मम्मी एकदम चुप थीं.

वो ऐसी लग रही थीं जैसे ज़बरदस्ती कोई उन्हें साथ लेके आया हो अपने साथ.

उसके बाद, हम लोग शाम को वापस अपने शहर के लिए लौट गये.

अंकल ने सबसे पहले, गाड़ी हमारे घर के सामने रोकी और हम लोग, गाड़ी से उतर गये.

जाते ही, मम्मी सो गई.

मम्मी का मूड, बहुत ऑफ था.

सुबह, मेरी मम्मी 7 बजे चाय लेके आई और मुझे उठाया.

मेरी मम्मी का मूड, अभी भी खराब था।

मैं चाह रहा था, इसी बहाने अंकल अब मेरे घर ना आए.

पूरे दिन ना अंकल का फोन आया, ना मेरी मम्मी ने उन्हें फोन किया.

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RE: मम्मी बनी दोस्त के पापा की रखैल... - by usaiha2 - 17-03-2020, 02:45 PM



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