Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery मम्मी बनी दोस्त के पापा की रखैल...
#16
लेकिन वो कहते हैं ना “गांड में कीड़ा” इसलिए, कुछ दिन तक रोज़ लगभग मैं मम्मी के मैसेज पढ़ता था।


मुझे आज भी याद है, 26 जनवरी का दिन था और सोसाइटी के सब लोगों को बुलाया गया था।

श्लोक ने कहा – चल यार, निकल चलते हैं.. !! बोर होंगे.. !!

थोड़ी देर बैठने के बाद, हमने ऐसा ही किया और हम वहां से निकल के अपने घर के लिए आ गये।

श्लोक ने कहा – चल, मैं चलता हूँ तेरे घर.. !! लेकिन, मैं आज खुद नहीं चाहता था की श्लोक आए, मेरे साथ.. !! क्यूंकि मेरे मन में जो शक था की अंकल मेरे स्कूल या कहीं जाने के बाद आते हैं.. !! वो, मैं दूर करना चाहता था.. !! इसी लिए.. !!

मैंने उसे कहा – यार, शाम को मिलते हैं.. !! मेरी कुछ तबीयत ठीक सी नहीं है.. !!

उसने कहा – ठीक है, यार.. !! तू आराम कर.. !! और, मैं अपने घर के लिए चल पड़ा।

दरवाजा बंद था।

मैंने पहले से ही दूसरी चाबी छुपा के रखी थी, जिससे मैंने दरवाज़ा धीरे से खोला और चुपके से अंदर आ गया।

हमारा, घर कुछ ऐसा है।

घुसते ही, हॉल है।

हॉल में ही टीवी और सोफा है।

सीधे हाथ पर मेरा कमरा है और उल्टे हाथ में मम्मी और पापा का कमरा है।

हॉल के बालकनी में परदा लगा हुआ था और पूरा अंधेरा हो रहा था और मम्मी के कमरे से आवाज़ आ रही थी।

मैं धीरे धीरे, दरवाज़े के पास गया।

मैं उस वक़्त, कांप रहा था।

मम्मी के रूम का दरवाज़ा, आधा खुला हुआ था।

सबसे पहले मुझे ज़मीन पर पड़ी, मेरी मम्मी की नाइटी और पैंटी, ब्रा दिखी और जैसे मैंने नज़र उठाई, मैं देखता रह गया।

मेरी मम्मी और अंकल, एक ही पलंग में थे।

अंकल ने अपने दोनों हाथों से, मेरी मम्मी के हाथ पकड़े हुए थे और मेरी मम्मी अपने सिर को इधर उधर करते हुए – आ आ अहह आ आ आ आ आ आहह आ आ आ आहह माआ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ अहह औहह ओई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई मा आ आ आ आ आ आअ आ आ आ सस्स्स्स्स् सस्स ओफ फ फ फफ्फ़ ओफ फफ्फ़.. !! बस कीजिए.. !! आ आ आ अहह.. !! मा आआ.. !!

अंकल ने कहा – बस हो गया, जानू.. !! हो गया.. !!

इधर, मम्मी “आ आ आहह” कर रही थीं।

मैं वहां 2 मिनट, निस्तेज खड़ा रहा।

अंकल, उसी तरह से मेरी मम्मी को मेरी आँखों से सामने चोद रहे थे।

आँखों के सामने, मेरी माँ चुद रही थी।

लगातार, मेरी मम्मी की सिसकारियों की आवाज़ मेरे कानों में आ रही थी।

मैं चुप चाप खड़ा था और “अपनी माँ चुदते” देख रहा था।

कुछ देर बाद, उसी तरह जैसे मैं आया था, वैसे मैंने दरवाज़ा बंद किया और घर से निकल के, श्लोक के यहाँ चला गया।

श्लोक ने पूछा – क्या हुआ, भाई.. !!

मैंने कहा – कुछ नहीं, यार.. !! मैं कुछ देर, तेरे यहाँ रहता हूँ.. !!

उसने कहा – पर तेरी तो तबीयत खराब थी.. !!

मैं अब कुछ, रुआंसा सा हो गया।

उसे, कुछ मालूम नहीं था।

तभी आंटी ने कहा – बेटा, क्या हुआ.. !! तुम ठीक हो ना.. !!

मैंने अपने आप को संभालते हुए कहा – जी आंटी.. !!

आंटी ने खाने को, नाश्ता दिया।

मैंने खाया और लगभग एक घंटे के बाद, मैं अपने घर के लिए निकला।

अभी मैं रोड पर ही था की मैंने दरवाज़े से अंकल को निकलते हुए देखा।

मैं चुप चाप, अपने घर के लिए चला गया।

मैंने, कॉल बेल बजाया।

मम्मी ने दरवाज़ा खोला।

उन्होंने, अभी नाइटी पहन रखी थीं और शायद पैंटी और ब्रा नहीं पहना हुआ था इस लिए की उनकी चुचि साफ शेप मे दिख रही थी।

पूरी “तनी” हुई थी।

मैं अंदर गया और मम्मी ने कहा – मैं नहा के आती हूँ.. !! उसके बाद, खाना खाते हैं.. !!

मैं चुप चाप अपने कमरे में चला गया और अपने कपड़े बदल के, घर के कपड़ों में आ गया।

मम्मी, बाथरूम में थीं।

मैं उनके कमरे में गया।

चादर, उसी तरह बिखरा हुआ था और बिस्तर पर मम्मी की एक टूटी चुडी का टुकड़ा, गिरा हुआ था।

मुझे पैर के नीचे थोड़ा लगा, जैसे कुछ फिसल रहा है।

मैंने झट से, अपना पाँव हटाया।

नीचे कॉन्डम था और उसमें, अंकल का “वीर्य” भरा हुआ था।

मेरे पाँव रखने से, फैल गया था।

मैंने सबसे पहले जाके, अपना पाँव धोया और अपने बिस्तर पर चुप चाप बैठ गया।

पढ़ने वालों में से शायद ही कोई हो, जो मेरी स्थिति समझे।

मम्मी नहा के आईं और अपना स्कर्ट और टॉप पहन के, कमरे से बाहर आ गईं।

मेरी मम्मी ने सफेद स्कर्ट पहन रखी थी और नीले रंग की टॉप।

मम्मी की स्कर्ट, बहुत छोटी सी थी और जैसे ही वो थोड़ा इधर उधर होतीं, उनकी नीली पैंटी साफ झलक रही थीं।

मम्मी ने खाना निकाला और हमने, खाना खाया।

उसके बाद, मम्मी अपने कमरे में चली गईं और सो गईं।

मैं अपने ही कमरे में था।

अब मेरी मम्मी अपनी मर्ज़ी से, अंकल को घर पर बुलाती हैं।

पिछले कुछ दिनों मे अंकल ने ना जाने कितने बार, मेरी मम्मी को चोदा होगा।

पटक पटक कर, अपनी कुतिया बना कर।

और मेरी, दो कौड़ी की, रंडी माँ ना जाने कितनी बार, टाँगें उठा कर उससे चुदी होगी।

हर बार एक पति के, एक बेटे के भरोसे को, प्यार को, विश्वास को, उसने अपने नंगे बदन के नीचे, रोन्द डाला था।

अगर सच में नर्क होता है तो शायद, इससे बुरा नहीं होता होगा।

खैर.. !!

ऐसा नहीं था की, मैं कमजोर था।

सोचिए, क्या होता अगर मैं उनकी चुदाई के वक़्त, उनके सामने पहुँच जाता और उन्हें रंगे हाथों पकड़ लेता।

एक माँ बेटे का रिश्ता, वहीं ख़तम हो जाता।

हो सकता था, मुँह बंद रखने के लिए या पकड़े जाने के डर से अंकल मुझे या मम्मी को कुछ नुकसान भी पहुँचा देते।

भले ही ये बात इतनी ख़ास ना हो, पर पूरी जिंदगी में मेरी मम्मी मुझसे कभी नज़र नहीं मिला पाती।

अगर सच में नर्क होता है तो शायद, इससे बुरा नहीं होता होगा।

खैर.. !!

ऐसा नहीं था की, मैं कमजोर था।

सोचिए, क्या होता अगर मैं उनकी चुदाई के वक़्त, उनके सामने पहुँच जाता और उन्हें रंगे हाथों पकड़ लेता।

एक माँ बेटे का रिश्ता, वहीं ख़तम हो जाता।

हो सकता था, मुँह बंद रखने के लिए या पकड़े जाने के डर से अंकल मुझे या मम्मी को कुछ नुकसान भी पहुँचा देते।

भले ही ये बात इतनी ख़ास ना हो, पर पूरी जिंदगी में मेरी मम्मी मुझसे कभी नज़र नहीं मिला पाती।

और, एक मिनट के लिए ये भी सोचिए अगर मुझे, उनके बेटे को, अपनी जिंदगी “नर्क सी” लग रही थी तो मेरे अब्बू का क्या हाल होता, सुनने पर।

मैं सच में कमजोर नहीं था, दोस्तो।

बस एक परिवार को, एक घर को, बिखरने से रोक रहा था।

आप में से कई लोग क्राइम पेट्रोल, सावधान इंडिया, जैसे सीरियल देखते होंगें।

ज़्यादातर क्राइम, “औरत की बेवफ़ाई” और “पैसे” के लिए होते हैं।

मैं नहीं चाहता था की मेरे घर में, ऐसा कुछ हो।

मैं आज कल दिन रात, सोचता रहता था।

इन सारी परिस्थिति को जानने के बाद भी आख़िर कार, मैंने फ़ैसला किया और मैंने तय कर लिया की अब मैं मम्मी पर नज़र रखूँगा और पापा से ये बात कह दूँगा।

बात ये थी की खोजबीन करने और श्लोक के घर जाकर, अंकल के कमरे के बाहर छुप कर उनकी बातें सुनने और पहले ही दिन अंकल और उनके दोस्तों की बातें सुनने से, मुझे ये तो पता चल गया था की मेरी मम्मी पहली औरत नहीं थीं जिनको अंकल ने चोदा है या चोद रहे हैं, बल्कि उनकी और उनके दोस्तों की फ़ितरत ही ये थी।

शायद आपको याद हो उनका दोस्त, वो पार्टी वाला, जो मम्मी को चोदना चाहता था और अंकल ने भी थोडा इंतेज़ार करने को कहा था।

मैं नहीं चाहता था की मेरी मम्मी, उन सब की “रखैल” बने।

मम्मी, पूरी तरह से अंकल के जाल में फँस चुकी थीं।

हमेशा फोन पर उनके साथ रहना, मैसेज पर देर रात तक चैटिंग करना।

मुझे याद है, आज जो घटना मैंने देखी थी उसके दो दिन पहले, मैंने मम्मी का मोबाइल चेक किया था।

3 बजे सुबह तक, दोनों की बातचीत थी।

मेरी मम्मी जिस सड़क पर चल रही थीं, वो सिर्फ़ “वैश्यालय” पर, ख़तम होती थी।

कभी कभी तो मैं मम्मी का अंजाम सोच कर ही, काँप जाता था।

अंकल मम्मी के सामने तो किसी “देव मूरत” के कम नहीं थे पर उनका असली चेहरा, कितना “घिनोना” था, ये सिर्फ़ मैं ही जानता था।

अगर, मेरे अब्बू पूरब थे तो अंकल पश्चिम।

और ऐसे बहरूपीए के लिए, मेरी अम्मी ने मेरे अब्बू की पीठ में खंजर घुसा दिया था।

खैर.. !!

[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: मम्मी बनी दोस्त के पापा की रखैल... - by usaiha2 - 17-03-2020, 02:24 PM



Users browsing this thread: 5 Guest(s)