17-03-2020, 02:12 PM
अब मैं आपको उस दिन की कहानी सुनने जा रहा हूँ, जिस दिन मैंने अपने दोस्त के पापा को, मेरी मम्मी को चोदते हुए देख लिया।
31 दिसम्बर की रात थी।
अंकल ने पार्टी रखी हुई थी। जिसमें, हम सब आमंत्रित थे। नाच गाना, चल रहा था।
मुझे आज भी याद है, मेरी मम्मी ने उस दिन “गुलाबी साड़ी” पहन रखी थी।
होनी देखिए की जैसे ही हम निकले, हमने देखा की हमारी कार पंक्चर खड़ी है।
और तो और, उस दिन बारिश या कहिए बूंदा बांदी हो रही थी और मम्मी और मैं मजबूरन स्कूटी से गये।
मम्मी के पास, रेनकोट नहीं था क्यूंकी वो बिना कार के कहीं जाती ही नहीं थीं। लाज़मी है की जाते ही समय, थोड़ा सा मम्मी भीग गई थीं। सामने से मेरी मम्मी का ब्लाउज इतना तो भीग ही गया था की उनके चुचे अच्छे से आकर में दिख रहे थे।
अंकल और आंटी ने हमारा स्वागत किया।
इधर, अंकल उसी गंदी नज़र से मेरी मम्मी को देख रहे थे और सबसे बड़ी बात ये थी की अंकल के वो दोस्त जिन्हें मैंने उस दिन अंकल के घर में देखा था वो भी थे।
सब मेरी मम्मी को ही देख रहे थे।
मुझे कुछ ग़लत लग रहा था की यहाँ सब ठीक नहीं है क्यूंकि अंकल ने पार्टी दी थी और यहाँ हमारी सोसाइटी का एक भी बंदा नहीं था।
पूरी बिल्डिंग में से केवल, हम ही यहाँ थे।
लेकिन मैंने ये सोचा की शायद, ये मेरे मन का वेहम होगा।
ऐसा कुछ नहीं होगा।
और वैसे भी आज तो आंटी यानी श्लोक की मम्मी भी यहाँ पर थीं।
एक बात ये भी थी की अब तक मैंने मम्मी को ऐसा कुछ करते हुए नहीं देखा था, अंकल के साथ जिससे ये लगे की मम्मी उन्हें अपने लटके झटके दिखा रही है या फिर खुद उनकी तरफ आकर्षित हैं।
--
कुछ देर में, मैं सामान्य हो गया और मैं पार्टी का आनंद लेने लगा।
आंटी दूसरे मेहमानों के साथ व्यसत थीं और मैं और मम्मी कुर्सी पर बैठे हुए थे तभी अंकल हमारे पास आए और मुझसे कहा – अफरोज़, तुम जाकर श्लोक के साथ पार्टी एंजाय करो.. !
मैंने कहा – नहीं अंकल.. ! मैं यहीं ठीक हूँ.. ! मम्मी के साथ.. !
अंकल भी वहीं बैठ गये और बातों बातों में मुझसे एक दो बार और कहा, चले जाने को.. !
अंकल को बोलता देख, मम्मी ने भी मुझसे कहा – कोई बात नहीं, बेटा.. ! तुम जाओ और एंजाय करो पार्टी, अपने दोस्त के साथ.. ! जाओ जाकर खेलो.. !
क्या करता, मैं वहाँ से चला गया और दूर से देखने लगा।
अंकल मम्मी से बातें कर रहे थे और बीच बीच में, दोनों हंस रहे थे।
ऐसा लग रहा था, जैसे अंकल मम्मी के कानों के तरफ इशारा कर रहे हों क्यूंकि मम्मी बीच बीच में, अपने बाल पर हाथ फेर रही थीं।
मैंने देखा वही आदमी जो उस समय अंकल से मम्मी को चोद देने की बात कर रहा था, वो ड्रिंक्स लेके आया और अंकल ने मम्मी को उससे इंट्रोड्यूस कराया।
मम्मी ने शायद कहा – मैं नहीं पीती.. !
अंकल ने थोड़ा ज़ोर दिया लेकिन, शायद मम्मी ने फिर भी मना कर दिया तो अंकल ने अपना ग्लास उठा लिया।
अब मम्मी, दूसरी तरफ देख रही थीं।
मैंने अंकल की तरफ देखा, उन्होंने सिर हिलाते हुए इशारे में कुछ कहा और वो आदमी वहाँ से चला गया।
कुछ ही देर में वो एक ग्लास लाया, उसमें कोल्ड्रींक थी।
अंकल ने अपने हाथ से ग्लास उठा के मेरी मम्मी को दिया और मम्मी ने ले लिया।
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31 दिसम्बर की रात थी।
अंकल ने पार्टी रखी हुई थी। जिसमें, हम सब आमंत्रित थे। नाच गाना, चल रहा था।
मुझे आज भी याद है, मेरी मम्मी ने उस दिन “गुलाबी साड़ी” पहन रखी थी।
होनी देखिए की जैसे ही हम निकले, हमने देखा की हमारी कार पंक्चर खड़ी है।
और तो और, उस दिन बारिश या कहिए बूंदा बांदी हो रही थी और मम्मी और मैं मजबूरन स्कूटी से गये।
मम्मी के पास, रेनकोट नहीं था क्यूंकी वो बिना कार के कहीं जाती ही नहीं थीं। लाज़मी है की जाते ही समय, थोड़ा सा मम्मी भीग गई थीं। सामने से मेरी मम्मी का ब्लाउज इतना तो भीग ही गया था की उनके चुचे अच्छे से आकर में दिख रहे थे।
अंकल और आंटी ने हमारा स्वागत किया।
इधर, अंकल उसी गंदी नज़र से मेरी मम्मी को देख रहे थे और सबसे बड़ी बात ये थी की अंकल के वो दोस्त जिन्हें मैंने उस दिन अंकल के घर में देखा था वो भी थे।
सब मेरी मम्मी को ही देख रहे थे।
मुझे कुछ ग़लत लग रहा था की यहाँ सब ठीक नहीं है क्यूंकि अंकल ने पार्टी दी थी और यहाँ हमारी सोसाइटी का एक भी बंदा नहीं था।
पूरी बिल्डिंग में से केवल, हम ही यहाँ थे।
लेकिन मैंने ये सोचा की शायद, ये मेरे मन का वेहम होगा।
ऐसा कुछ नहीं होगा।
और वैसे भी आज तो आंटी यानी श्लोक की मम्मी भी यहाँ पर थीं।
एक बात ये भी थी की अब तक मैंने मम्मी को ऐसा कुछ करते हुए नहीं देखा था, अंकल के साथ जिससे ये लगे की मम्मी उन्हें अपने लटके झटके दिखा रही है या फिर खुद उनकी तरफ आकर्षित हैं।
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कुछ देर में, मैं सामान्य हो गया और मैं पार्टी का आनंद लेने लगा।
आंटी दूसरे मेहमानों के साथ व्यसत थीं और मैं और मम्मी कुर्सी पर बैठे हुए थे तभी अंकल हमारे पास आए और मुझसे कहा – अफरोज़, तुम जाकर श्लोक के साथ पार्टी एंजाय करो.. !
मैंने कहा – नहीं अंकल.. ! मैं यहीं ठीक हूँ.. ! मम्मी के साथ.. !
अंकल भी वहीं बैठ गये और बातों बातों में मुझसे एक दो बार और कहा, चले जाने को.. !
अंकल को बोलता देख, मम्मी ने भी मुझसे कहा – कोई बात नहीं, बेटा.. ! तुम जाओ और एंजाय करो पार्टी, अपने दोस्त के साथ.. ! जाओ जाकर खेलो.. !
क्या करता, मैं वहाँ से चला गया और दूर से देखने लगा।
अंकल मम्मी से बातें कर रहे थे और बीच बीच में, दोनों हंस रहे थे।
ऐसा लग रहा था, जैसे अंकल मम्मी के कानों के तरफ इशारा कर रहे हों क्यूंकि मम्मी बीच बीच में, अपने बाल पर हाथ फेर रही थीं।
मैंने देखा वही आदमी जो उस समय अंकल से मम्मी को चोद देने की बात कर रहा था, वो ड्रिंक्स लेके आया और अंकल ने मम्मी को उससे इंट्रोड्यूस कराया।
मम्मी ने शायद कहा – मैं नहीं पीती.. !
अंकल ने थोड़ा ज़ोर दिया लेकिन, शायद मम्मी ने फिर भी मना कर दिया तो अंकल ने अपना ग्लास उठा लिया।
अब मम्मी, दूसरी तरफ देख रही थीं।
मैंने अंकल की तरफ देखा, उन्होंने सिर हिलाते हुए इशारे में कुछ कहा और वो आदमी वहाँ से चला गया।
कुछ ही देर में वो एक ग्लास लाया, उसमें कोल्ड्रींक थी।
अंकल ने अपने हाथ से ग्लास उठा के मेरी मम्मी को दिया और मम्मी ने ले लिया।
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