15-03-2020, 02:52 PM
इंटरवल के बाद
दिया और रोमी बांहों में बांहे डाले अंदर चले गये।
देवेश ने बोला-
“हे, तेरे होंठों पे कुछ लगा है?”
और उसे अपनी दोनों उंगलियों पे लगाकर अपने होंठ से लगाकर हल्के से किस कर लिया।
“बदमाश…”
बनावटी गुस्से से आँख नचाकर मैं बोली, पर मेरा मन बोला डरपोक।
इंटरवल के बाद,
मैंने उसे बढ़ावा नहीं दिया लेकिन मना भी नहीं किया।
उसकी शैतान उंगलियां जब कभी साइड से वहां छू देतीं तो बस करेंट लग जाता।
उसका एक हाथ मेरे कंधे पे था तो मैंने भी एक हाथ उसके कंधे पे रख दिया। इससे उसके दूसरे हाथ को ज्यादा छूट मिल गई।
मैं इस तरह बन रही थी की जैसे मुझे पता ही नहीं चल रहा हो की उसकी उंगलियां क्या हरकत कर रही हैं? और सामने मेरी आँखें पर्दे पे गड़ी थीं।
लेकिन बगल में चल रही पिक्चर ज्यादा सेक्सी थी। रोमी के हाथ अब सिर्फ कुर्ते के अंदर नहीं बल्की लग रहा था की ब्रा के अंदर भी…
और दिया भी…
रोमी की शर्ट बाहर थी उसकी जींस को ढंके और अंदर दिया का हाथ,
फिर हल्की सी जिप खुलने की आवाज।
साफ़ साफ़ दिख रहा था की क्या हो रहा है , रोमी का एक हाथ दिया के टॉप के खुल के अंदर , और फ्रंट ओपन ब्रा के हुक भी रोमी ने खोल दिए , एक हाथ ब्रा के अंदर से अब दिया के चूजों को खुल के पकड़े था ,
एक निप तो दिख भी रहा था , रोमी उसे मसल रहा था।
और दूसरा हाथ टॉप के ऊपर से जोर जोर से दिया के उभार मसल रहा था ,
दिया कमीनी कौन कम थी , जोर जोर से सिसक रही थी और रोमी के शर्ट के अंदर ,
ज़िप खुलने की आवाज तो पहले आ चुकी थी , और अब बेल्ट खुलने की भी ,
दिया शर्ट के अंदर रोमी का पकड़ के कस कस के मुठिया रही थी
देवेश की भी हिम्मत बढ़ने लगी थी और उसने मेरे टाप का एक बटन खोल दिया लेकिन अब उसके हाथ को मैंने हटा दिया।
दुबारा उसने फिर टाप के ऊपर से खुलकर पकड़ने, दबाने की कोशिश की, तो मैंने जोर से हटा दिया।
हाँ, मैंने उसके कंधे पर से अपना हाथ नहीं हटाया।
और मुझे लगा की कहीं वो गुस्सा ना हो जाये तो मैं और उसकी ओर खिसक गई और उसके हाथ से क्रीम-रोल लेकर उसे दिखाकर खाने लगी।
उसकी हिम्मत बढ़ी तो उसने मेरे गाल पे अपने होंठ छुआ दिये।
किस नहीं… जस्ट छुआ पल भर के लिये।
जैसे मुझे पता ना चला हो, उसके कंधे पे कस के हाथ दबाकर मैं बोली-
“ए यहां मच्छर बहुत हैं…”
बगल में हालात और ज्यादा सेक्सी था। रोमी ने दिया के कुर्ते से हाथ बाहर कर लिया था लेकिन उसके होंठ वहां थे, किसिंग और सकिंग की साफ आवाज आ रही थी।
तो इसका मतलब की दिया केी चूचियों को वो सक कर रहा था।
यहां मैं एक बटन खुलने और ऊपर से छूने पे उसे झिड़क रही थी।, और मेरी सहेली क्या-क्या कर रही थी।
तब तक साईड से देवेश ने टाप के ऊपर से हल्के से दबा दिया।
अबकी मैं कुछ नहीं बोली तो उसकी एक उंगली हल्के से सहलाते हुये मेरे निपल के ठीक ऊपर थी।
मेरी हालत खराब हो रही थी, दोनों टांगें अपने आप फैल गयीं।
नीचे वहां लग रहा था कुछ हो रहा है।
लेकिन इसके बाद मैंने देवेश को और आगे नहीं बढ़ने दिया।
यहां तक की जब वो मेरा हाथ खींचकर अपनी जींस के ऊपर ले गया तो मैंने उसे साफ-साफ झिड़क दिया।
उसके बाद उसने कोई ज्यादा ऐसी-वैसी कोशिश नहीं की और 5 मिनट में फिल्म भी खतम हो गई।
हम दोनों देवेश की बाइक के पास खड़े थे, मैं दिया का इंतजार कर रही थी।
दिया आई तो हँसती हुई अपना मोबाईल बैग में रखती हुई वो बोली-
“अरे सुन, मैं जरा रोमी के साथ जा रही हूं। दो एक घंटे मस्ती के लिये। मैंने मम्मी से बोला है की मैं तुम्हारे साथ हूं ज्वाइंट स्टडी कर रही हूं। जरा देख लेना यार अगर मम्मी पूछे तो…”
तो घबड़ाकर मैंने पूछा-
"मैं घर कैसे जाऊँगी? "
पल भर के लिये उसने सोचा फिर बोली-
“अरे यार, थोड़ा देवेश को मक्खन लगा ना… छोड़ आयेगा तुझे घर पे। और वैसे भी तेरी भाभी जाब पे जाती हैं, घर तो खाली ही होगा।
तू भी मस्ती कर लेना…”
और बिना मेरे जवाब का इंतजार किये वो रोमी के साथ चली गई।
तब तक देवेश अपनी बाइक लेकर आया तो मैंने कहा-
“हे दिया तो रोमी के साथ चली गई। तम मुझे घर तक ड्राप कर दो ना…”
वो कुछ नहीं बोला तो मुझे लगा की कहीं वो गुस्सा तो नहीं हो गया, जो मैंने इतनी जोर से झिड़क दिया था।
इसलिये मैं फिर बोली- “प्लीज…”
देवेश-
“अच्छा चल…”
और अबकी बाइक पे मैंने खुद उसे पीछे से पकड़ लिया। पीछे से मैं उसे चिढ़ाते हुये बोली-
“पिक्चर तो तूने देखने नहीं दी…”
देवेश- “अरे बगल में प्रियकां चोपड़ा बैठी हो तो पिक्चर कौन देख सकता है?”
मैं- “हे, इतना मक्खन मत लगा की मैं फिसल जाऊँ…”
देवेश- “अरे, वही तो कोशिश कर रहा हूं पर तुम फिसलती ही नहीं…” वो बोला।
फिर घर पहुँचकर वो बोला-
“आई ऐम सारी, मैं कुछ ज्यादा ही…”
“अरे नहीं…”
मैं बोली-
“आई शुड से सारी… मैंने तुम्हें कुछ बोल दिया हो तो बुरा मत मानना…”
देवेश-
“तो चलो फिर दोनों की सारी कैंसिल…” वो बोला
और मैं हँस दी एकदम।
बाईक पे मैं उसे जाते पीछे से देखती रही, हैंड्सम हंक।
दिया और रोमी बांहों में बांहे डाले अंदर चले गये।
देवेश ने बोला-
“हे, तेरे होंठों पे कुछ लगा है?”
और उसे अपनी दोनों उंगलियों पे लगाकर अपने होंठ से लगाकर हल्के से किस कर लिया।
“बदमाश…”
बनावटी गुस्से से आँख नचाकर मैं बोली, पर मेरा मन बोला डरपोक।
इंटरवल के बाद,
मैंने उसे बढ़ावा नहीं दिया लेकिन मना भी नहीं किया।
उसकी शैतान उंगलियां जब कभी साइड से वहां छू देतीं तो बस करेंट लग जाता।
उसका एक हाथ मेरे कंधे पे था तो मैंने भी एक हाथ उसके कंधे पे रख दिया। इससे उसके दूसरे हाथ को ज्यादा छूट मिल गई।
मैं इस तरह बन रही थी की जैसे मुझे पता ही नहीं चल रहा हो की उसकी उंगलियां क्या हरकत कर रही हैं? और सामने मेरी आँखें पर्दे पे गड़ी थीं।
लेकिन बगल में चल रही पिक्चर ज्यादा सेक्सी थी। रोमी के हाथ अब सिर्फ कुर्ते के अंदर नहीं बल्की लग रहा था की ब्रा के अंदर भी…
और दिया भी…
रोमी की शर्ट बाहर थी उसकी जींस को ढंके और अंदर दिया का हाथ,
फिर हल्की सी जिप खुलने की आवाज।
साफ़ साफ़ दिख रहा था की क्या हो रहा है , रोमी का एक हाथ दिया के टॉप के खुल के अंदर , और फ्रंट ओपन ब्रा के हुक भी रोमी ने खोल दिए , एक हाथ ब्रा के अंदर से अब दिया के चूजों को खुल के पकड़े था ,
एक निप तो दिख भी रहा था , रोमी उसे मसल रहा था।
और दूसरा हाथ टॉप के ऊपर से जोर जोर से दिया के उभार मसल रहा था ,
दिया कमीनी कौन कम थी , जोर जोर से सिसक रही थी और रोमी के शर्ट के अंदर ,
ज़िप खुलने की आवाज तो पहले आ चुकी थी , और अब बेल्ट खुलने की भी ,
दिया शर्ट के अंदर रोमी का पकड़ के कस कस के मुठिया रही थी
देवेश की भी हिम्मत बढ़ने लगी थी और उसने मेरे टाप का एक बटन खोल दिया लेकिन अब उसके हाथ को मैंने हटा दिया।
दुबारा उसने फिर टाप के ऊपर से खुलकर पकड़ने, दबाने की कोशिश की, तो मैंने जोर से हटा दिया।
हाँ, मैंने उसके कंधे पर से अपना हाथ नहीं हटाया।
और मुझे लगा की कहीं वो गुस्सा ना हो जाये तो मैं और उसकी ओर खिसक गई और उसके हाथ से क्रीम-रोल लेकर उसे दिखाकर खाने लगी।
उसकी हिम्मत बढ़ी तो उसने मेरे गाल पे अपने होंठ छुआ दिये।
किस नहीं… जस्ट छुआ पल भर के लिये।
जैसे मुझे पता ना चला हो, उसके कंधे पे कस के हाथ दबाकर मैं बोली-
“ए यहां मच्छर बहुत हैं…”
बगल में हालात और ज्यादा सेक्सी था। रोमी ने दिया के कुर्ते से हाथ बाहर कर लिया था लेकिन उसके होंठ वहां थे, किसिंग और सकिंग की साफ आवाज आ रही थी।
तो इसका मतलब की दिया केी चूचियों को वो सक कर रहा था।
यहां मैं एक बटन खुलने और ऊपर से छूने पे उसे झिड़क रही थी।, और मेरी सहेली क्या-क्या कर रही थी।
तब तक साईड से देवेश ने टाप के ऊपर से हल्के से दबा दिया।
अबकी मैं कुछ नहीं बोली तो उसकी एक उंगली हल्के से सहलाते हुये मेरे निपल के ठीक ऊपर थी।
मेरी हालत खराब हो रही थी, दोनों टांगें अपने आप फैल गयीं।
नीचे वहां लग रहा था कुछ हो रहा है।
लेकिन इसके बाद मैंने देवेश को और आगे नहीं बढ़ने दिया।
यहां तक की जब वो मेरा हाथ खींचकर अपनी जींस के ऊपर ले गया तो मैंने उसे साफ-साफ झिड़क दिया।
उसके बाद उसने कोई ज्यादा ऐसी-वैसी कोशिश नहीं की और 5 मिनट में फिल्म भी खतम हो गई।
हम दोनों देवेश की बाइक के पास खड़े थे, मैं दिया का इंतजार कर रही थी।
दिया आई तो हँसती हुई अपना मोबाईल बैग में रखती हुई वो बोली-
“अरे सुन, मैं जरा रोमी के साथ जा रही हूं। दो एक घंटे मस्ती के लिये। मैंने मम्मी से बोला है की मैं तुम्हारे साथ हूं ज्वाइंट स्टडी कर रही हूं। जरा देख लेना यार अगर मम्मी पूछे तो…”
तो घबड़ाकर मैंने पूछा-
"मैं घर कैसे जाऊँगी? "
पल भर के लिये उसने सोचा फिर बोली-
“अरे यार, थोड़ा देवेश को मक्खन लगा ना… छोड़ आयेगा तुझे घर पे। और वैसे भी तेरी भाभी जाब पे जाती हैं, घर तो खाली ही होगा।
तू भी मस्ती कर लेना…”
और बिना मेरे जवाब का इंतजार किये वो रोमी के साथ चली गई।
तब तक देवेश अपनी बाइक लेकर आया तो मैंने कहा-
“हे दिया तो रोमी के साथ चली गई। तम मुझे घर तक ड्राप कर दो ना…”
वो कुछ नहीं बोला तो मुझे लगा की कहीं वो गुस्सा तो नहीं हो गया, जो मैंने इतनी जोर से झिड़क दिया था।
इसलिये मैं फिर बोली- “प्लीज…”
देवेश-
“अच्छा चल…”
और अबकी बाइक पे मैंने खुद उसे पीछे से पकड़ लिया। पीछे से मैं उसे चिढ़ाते हुये बोली-
“पिक्चर तो तूने देखने नहीं दी…”
देवेश- “अरे बगल में प्रियकां चोपड़ा बैठी हो तो पिक्चर कौन देख सकता है?”
मैं- “हे, इतना मक्खन मत लगा की मैं फिसल जाऊँ…”
देवेश- “अरे, वही तो कोशिश कर रहा हूं पर तुम फिसलती ही नहीं…” वो बोला।
फिर घर पहुँचकर वो बोला-
“आई ऐम सारी, मैं कुछ ज्यादा ही…”
“अरे नहीं…”
मैं बोली-
“आई शुड से सारी… मैंने तुम्हें कुछ बोल दिया हो तो बुरा मत मानना…”
देवेश-
“तो चलो फिर दोनों की सारी कैंसिल…” वो बोला
और मैं हँस दी एकदम।
बाईक पे मैं उसे जाते पीछे से देखती रही, हैंड्सम हंक।